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Nov 13, 2023
Nov 8, 2023
वर्तमान जल संकट से निपटने की दिशा में विज्ञान एवं तकनीक किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है? इस संबंध में बिहार सरकार के प्रयासों को बताएं ।
उत्तर- पिछले कुछ दशकों
में देखा जाए तो बढ़ती जनसंख्या के साथ जिस तरह से पानी की मांग बढ़ रही है उससे
आपूर्ति और मांग में बढ़ रहा अंतर भविष्य में बड़े जल संकट को जन्म दे सकता है।
भारत में पानी की कमी की
भयावह का अनुमान यूनेस्को की रिपोर्ट से लगा सकते हैं जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2025 तक भारत में पानी की समस्या बहुत ज्यादा बढ़
जाएगी तथा जल संरक्षण की कमी, प्रदूषण, अतिक्रमण, शहरीकरण और
ग्लेशियर पिघलने के कारण आने वाले समय में गंगा, ब्रह्मपुत्र
और सिंधु जैसी हिमालयी नदियों का प्रवाह कम हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि जल
संकट का एक प्रमुख कारण लोगों द्वारा प्रकृति में सीमित मात्रा में उपलब्ध पानी
का बेतहाशा इस्तेमाल करना और सरकारों द्वारा इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देना रहा है
जिससे भारत की एक बड़ी आबादी स्वच्छ जल से वंचित है जो आनेवाले दिनों में और
गंभीर रूप धारण कर सकती है। अत: इस स्थिति से बचने के लिए वृहद स्तर पर काम करने
की जरूरत है जिसमें विज्ञान एवं तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
- वैज्ञानिक विधि से औद्योगिक, कृषि एवं घरेलू स्तर पर जल संरक्षण एवं अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग किया जा सकता है। भारत में कई उद्योग द्वारा उत्पादित अपशिष्ट पानी को साफ कर उसका उपयोग कूलिंग टावरों, प्लास्टिक वाशिंग इकाइयों, कपड़े धोने जैसे अन्य कार्यो में किया जा रहा है। कुछ राज्यों ने उद्योगों को अपशिष्ट पानी को साफ कर बिक्री की अनुमति देकर राजस्व भी अर्जित कर रहे हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार यदि भारत अपने अनुपचारित अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग करता है तो औद्योगिक ताजे पानी की 50 प्रतिशत से भी ज्यादा मांग को पूरा कर सकता है।
- कृषि में फसल चक्र एवं जलवायु के अनुसार वैज्ञानिक कृषि को बढ़ावा।
- क्षेत्र
में नई तकनीकों के प्रयोग द्वारा जल संरक्षण,
वर्षा जल संचयन को अनिवार्य बनाना।
- रिमोट सेंसिंग, जीपीएस आधारित उपकरण और सेंसर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, रोबोटिक्स जैसी नवीन तकनीकों का प्रभावी ढंग से उपयोग जल की आवश्यकता,
उपलब्धता तथा गुणवत्ता का आकलन कर जल संरक्षण किया जा सकता है।
बिहार
सरकार भी विज्ञान एवं तकनीकी उपयोग से प्रदूषणमुक्त पेयजल सुनिश्चित करने की दिशा
में प्रयासरत है जो निम्न है।
- राष्ट्रीय
पर्यावरण अभियंत्रण शोध संस्थान, नागपुर एवं यूनीसेफ की सहायता से पानी के प्रबंधन हेतु गुणवत्ता मानकीकरण
।
- जिला जल गुणवत्ता जांच प्रयोगशाला एवं अनुमंडल जल गुणवत्ता प्रयोगशाला द्वारा अनुश्रवण ओर निगरानी ।
- जल आपूर्ति वाले स्थानों पर स्थानीय स्तर पर उपयोगकर्ताओं द्वारा निगरानी रखने हेतु जांच किट की व्यवस्था ।
- सात
निश्चय 2 के
स्वच्छ गांव, समृद्ध गांव के तहत उपयुक्त तकनीक के माध्यम से
जलउपचार की व्यवस्था ।
इस प्रकार
विज्ञान एवं तकनीक का उपरोक्त प्रकार से उपयोग करते हुए जल संकट की चुनौती का
सामना किया जा सकता है।
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Nov 2, 2023
Oct 25, 2023
Oct 17, 2023
Oct 16, 2023
Oct 14, 2023
ब्लू इकोनॉमी (नीली अर्थव्यवस्था)
भविष्य की
जरूरतों एवं भारतीय अर्थव्यवस्था में समुद्री
संसाधनों की भागीदारी बढ़ाने के लक्ष्य से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा ‘ब्लू इकोनॉमी’ पॉलिसी ड्राफ्ट तैयार किया गया जो वर्ष
2030 तक भारत सरकार के New India Vision का छठा आयाम है।
‘ब्लू
इकोनॉमी’ पॉलिसी देश में उपलब्ध समुद्री संसाधनों के उपयोग
के लिए भारत सरकार द्वारा अपनायी जा सकने वाली दृष्टि और रणनीति को रेखांकित करता
है। वहीं इसका उद्देश्य भारत के जीडीपी में ‘ब्लू इकॉनमी’
के योगदान को बढ़ावा देना, तटीय समुदायों के
जीवन में सुधार करना, समुद्री जैव विविधता का संरक्षण करना
और समुद्री क्षेत्रों और संसाधनों की राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखना भी है।
ब्लू
इकोनॉमी में शामिल क्षेत्र |
|
अक्ष्य ऊर्जा |
सतत् समुद्री ऊर्जा
के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक विकास को गति मिल सकती है। |
मत्स्य पालन |
सतत् मत्स्य पालन आय वद्धि,
रोजगार
सृजन,
खाद्य
सुरक्षा जैसी आवश्यकताओं में मददगार है। |
समुद्री परिवहन |
भारत का
90% से
अधिक का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समुद्री मार्ग से किया जाता है। |
पर्यटन |
महासागरीय और तटीय पर्यटन
रोज़गार वद्धि में सहायक है। |
जलवायु परिवर्तन |
महासागर कार्बन सिंक के
रूप में जलवायु परिवर्तन को कम करने में मददगार हो सकते हैं। |
ब्लू इकॉनमी का महत्त्व
भारत के लिये महत्त्व
भारत की भौगोलिक स्थिति ब्लू इकोनॉमी हेतु अत्यंत अहम
है। भारत
9 तटीय राज्यों, 12 प्रमुख और 200 छोटे बंदरगाहों तथा 7,500 किलोमीटर से अधिक लंबी तटरेखा
के साथ भारत की ‘ब्लू इकॉनमी’ परिवहन के
माध्यम से देश के व्यापार के 95% का समर्थन करती है।
निवेश पर उच्च लाभ
सतत् महासागरीय अर्थव्यवस्था हेतु किये गए एक शोध के अनुसार, प्रमुख
महासागरीय गतिविधियों में निवेश पाँच गुना अधिक रिटर्न देता है।
सतत् ऊर्जा स्रोत
नवीकरणीय ऊर्जा की बढ़ती मांग को देखते हुए अपतटीय क्षेत्रों
में अपतटीय पवन,
लहरों, महासागरीय धाराओं के रूप में काफी संभावनाएँ
हैं।
SDG लक्ष्य प्राप्ति में सहायक
‘ब्लू इकॉनमी’ संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य
14 का समर्थन करता है जिसमें पानी के नीचे जीवन की बात कही गयी है ।
‘न्यू इंडिया विज़न-2030’ के आयाम केंद्रीय बजट,
2019 में वित्त मंत्री द्वारा न्यू इडिया विज़न 2030 का लक्ष्य रखा गया जिसके माध्यम से भारत वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2030 तक 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की
अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है । भारत को दस ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने हेतु भौतिक
और सामाजिक बुनियादी ढाँचा तैयार करना । ऐसे डिजिटल भारत का निर्माण करना, जहां युवा वर्ग डिजिटल भारत को आगे
बढ़ाएं तथा इस इकोसिस्टम मे लाखों रोजगार पैदा हो । भारत को प्रदूषण मुक्त और ऊर्जा कुशल राष्ट्र बनाने के लिए
इलेक्ट्रिकल वाहनों और नवीकरणीय उर्जा पर विशेष जोर देना । Make In India के आधार पर आधुनिक तकनीकों
का उपयोग करके ग्रामीण औद्योगीकरण के विस्तार द्वारा रोज़गार का सृजन करना । सभी भारतीयों के लिए सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना। इसके लिए
स्वच्छ नदियां और लघु सिंचाई तकनीकों को अपनाकर सिंचाई में जल का कुशल उपयोग
करना । सागरमाला कार्यक्रम के प्रयासों में तेज़ी लाने के साथ भारत
के तटीय और समुद्री मार्गों के माध्यम से देश के विकास को सशक्त बनाना । अंतरिक्ष कार्यक्रम-गगनयान को आगे बढ़ाना। 2022 तक भारतीय यात्री को अंतरिक्ष
में भेजना । जैविक तरीके से सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन और खाद्यान्न निर्यात में भारत को
आत्मनिर्भर बनाना । मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस के साथ सक्रिय, जिम्मेदार और मैत्रीपूर्ण नौकरशाही । वर्ष 2030 तक स्वस्थ भारत बेहतर स्वास्थ्य देखभाल और सभी के लिए व्यापक कल्याण प्रणाली । |
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सरकार के प्रयास
डीप ओशन मिशन
गहरे महासागरीय संसाधनों के अन्वेषण एवं दोहन हेतु प्रौद्योगिकियों
को विकसित करने हेतु आरंभ मिशन।
सागरमाला परियोजना
आईटी सक्षम सेवाओं के व्यापक उपयोग के माध्यम बंदरगाहों
के आधुनिकीकरण एवं विकास हेतु ।
ओ-स्मार्ट योजना
सतत् विकास के लिये महासागरों और समुद्री संसाधनों का विनियमित
उपयोग एवं दोहन हेतु
एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन
तटीय और समुद्री संसाधनों के संरक्षण तथा तटीय समुदायों
के लिये आजीविका के अवसरों में सुधार हेतु।
राष्ट्रीय मत्स्य नीति
भारत में समुद्री और अन्य जलीय संसाधनों के सतत् उपयोग
को बढ़ावा देने हेतु नीति ।
टास्क फोर्स
सतत् विकास हेतु ‘ब्लू इकॉनमी’ पर भारत-नॉर्वे टास्क फोर्स का गठन ।
भारत सागरीय संसाधनों के समृद्ध देश है जिसमें ‘ब्लू इकॉनमी’ की देश की आर्थिक वृद्धि में काफी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है । यह देश के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान बढ़ाकर भारत के विकास, रोज़गार सृजन, समानता और पर्यावरण की सुरक्षा जैसे लक्ष्यों को गति दे सकता है।
BPSC मुख्य परीक्षा के हमारे Telegram Practice Group में जुड़े और निरंतर अभ्यास द्वारा लेखन शैली का विकास करें।
आवश्यक सूचना ¶ BPSC मुख्य परीक्षा के लिए सामान्य अध्ययन के संभावित प्रश्नों को तैयार कर मुख्य परीक्षा लेखन अभ्यास टेलीग्राम ग्रुप में PDF मॉडल उत्तर के रूप कराया जा रहा है। इसमें आप आवश्यकतानुसार सुधार कर और बेहतर उत्तर लिखने का प्रयास कर सकते हैं।
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