परमाणु ऊर्जा की संभावनाएं एवं उपयोगिता
प्रश्न- "आर्थिक विकास एवं पर्यावरण के मध्य संतुलन बनाने हेतु परमाणु ऊर्जा की संभावनाओं पर पुनर्विचार किया जाना आपके अनुसार कहां तक तर्कसंगत है।"
वर्तमान आर्थिक विकास को गति देने हेतु
ऊर्जा अत्यंत आवश्यक है लेकिन ऊर्जा की प्राप्ति हेतु पर्यावरण का संरक्षण भी
किया जाना आवश्यक है। जहां
अनेक देश सुरक्षा कारणों के चलते परमाणु ऊर्जा संयंत्रें को चरणबद्ध तरीके से बंद करने
पर विचार कर रहे हैं वही भारत में नाभिकीय ऊर्जा को प्रोत्साहन देने हेतु अनेक
परियोजनाओं को स्वीकृति दी गयी ।
भारत अगले 10 वर्षों में नाभिकीय ऊर्जा
की अपनी स्थापित क्षमता को मौजूदा 6,780 मेगावाट से
2031 तक 22,480 मेगावाट करने की योजना पर कार्य
कर रहा है। उल्लेखनीय
है कि हाल ही में
कि हरियाणा में एक परमाणु संयंत्र स्थापित करने की घोषण किया जाना, कोविड
काल में 12 नए नाभिकीय रिएक्टर निर्मित करने की स्वीकृति
दिया जाना यह संकेत देता है कि भारत सरकार
के नाभिकीय ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य कर रही है।
एक विकासशील देश होने के कारण भारत की विद्युत आवश्यकताओं
का एक बड़ा भाग गैर पारम्परिक स्रोतों से पूरा होता है तथा प्रदूषण रहित, स्वच्छ
ऊर्जा की पूर्ति तथा ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु परमाणु ऊर्जा की महत्वपूर्ण
भूमिका निभा सकता है। नाभिकीय ऊर्जा की दिशा
में ये कदम भारत को अपने जलवायु कार्रवाई लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद करेंगे।
उल्लेखनीय
है कि वर्तमान में ऊर्जा क्षेत्र 40% की
भागीदारी के साथ ग्रीनहाउस गैसों का सबसे बड़ा उत्सर्जक है। अतः इस संदर्भ में
परमाणु ऊर्जा को एक गैर-प्रदूषणकारी विकल्प के रूप में जलवायु
संकट से निपटने हेतु महत्वपूर्ण माना जा रहा है । इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र
आर्थिक आयोग की नई रिपोर्ट तथा कॉप26 में भी परमाणु ऊर्जा की
वापसी की चर्चा हुई ।
कुछ
विशेषज्ञों के अनुसार कार्बन को घटाने का 80% लक्ष्य सौर, पवन जैसी अक्षय ऊर्जा से पूरा किया जा
सकता है लेकिन बाकी के 20% को हासिल करने के लिए परमाणु
ऊर्जा पर भी विचार करना चाहिए। अत: इसके लिए बेहतर तकनीक तथा प्रौद्योगिकी,
आर्टिफ़िशल इंटेलिजेंस,
रोबोटिक्स आदि के द्वारा रिऐक्टर्स की क्षमता तथा उपयोगिता बढ़ायी
जा सकती है ।
पर्यावरण
तथा आर्थिक विकास में ऊर्जा की सतत आपूर्ति हेतु परमाणु ऊर्जा को बेहतर ऊर्जा स्रोत बताया जा रहा है लेकिन इसके
साथ साथ परमाणु हथियारों को बढ़ावा,
विकिरण रिसाव, प्राकृतिक आपदाओं का खतरे,
रियक्टरों से उत्पन्न कचरे के सुरक्षित निपटारे जैसे जोखिम के साथ
साथ अन्य मानवीय खतरे भी है जिन पर विचार किया जाना आवश्यक है । हांलाकि नाभिकीय
रियक्टरों के साथ जुड़े अनेक जोखिमेां के कारण जोखिम को कम करने हेतु संयंत्रों के
पास सुरक्षा मानकों के पालन हेतु नाभिकीय रियक्टरों का ढांचा अत्यधिक मजबूत बनाना,
भूकंप से सुरक्षित क्षेत्रों में NPP की स्थापना
किया जाना, समुद्र तटीय क्षेत्रों में रियक्टरों में सुरक्षा
दीवार को ऊंचा बनाना, अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन इत्यादि
जैसे अनेक प्रयास किए जाते हैं।
इस प्रकार
अत्यधिक लागत, पर्यावरणीय प्रभाव तथा
सार्वजनिक समर्थन की कमी आदि परमाणु ऊर्जा के खिलाफ होने के बावजूद परमाणु ऊर्जा के
अपने लाभ है । अतः सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए जहां तक संभव हो सके ऊर्जा
विविधता की दिशा में परमाणु ऊर्जा का प्रयोग कर सकते है तथा भारत में भारत में इस हेतु
थोरियम आधारित परमाणु ऊर्जा को व्यवहार्य बनाया जा सकता है।
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