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May 26, 2023

राज्‍य सभा की संरचना एवं शक्तियां

राज्‍य सभा की संरचना एवं शक्तियां  

प्रश्‍न – राज्‍य सभा की संरचना एवं शक्तियों का विवेचन कीजिए तथा संसद के द्वितीय सदन के रूप में इसकी भूमिका का उल्‍लेख कीजिए ।  

 


राज्य सभा की संरचना

राज्य सभा भारतीय संसद का उच्‍च सदन है जिसमें अधिकतम 250 सदस्य हो सकते हैं । इन सदस्‍यों में 238 राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों से निर्वाचित होकर तथा 12 व्यक्ति राष्ट्रपति द्वारा साहित्य, कला, विज्ञान एवं समाजसेवा में विशेष योग्यता एवं अनुभव वाले व्‍यक्तियों में से मनोनीत किये जाते हैं ।

राज्यसभा राज्‍यों का प्रतिनिधित्‍व करती है और इसका निर्वाचन अप्रत्‍यक्ष विधि से होता है। इसके सदस्यों का चुनाव राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली द्वारा एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा किया जाता है ।

 

राज्य सभा की शक्तियाँ

विधायी शक्तियाँ

साधारण विधेयक के संबंध में राज्‍य सभा को लोकसभा के समान अधिकार प्राप्त हैं। लेकिन संयुक्त बैठक में किसी विधेयक पर निर्णय लेने में राज्यसभा की स्थिति अपेक्षाकृत कमजोर होती है । उल्‍लेखनीय है कि  संयुक्‍त बैठक में मतदान द्वारा बहुमत के आधार पर निर्णय किया जाता है और सदस्‍यों की संख्‍या के मामले में लोकसभा सदस्यों की संख्या राज्यसभा से अधिक है ।


कार्यपालिका शक्तियाँ

मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होने के कारण राज्य सभा के सदस्य मंत्रिपरिषद के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव लाकर उसे पदच्युत नहीं कर सकते। इस प्रकार राज्य सभा की कार्यपालिका शक्तियाँ लोकसभा की तुलना में कम हैं।


वित्तीय शक्तियाँ

किसी विधेयक को वित्त विधेयक मानने या न मानने, वित्‍त विधेयक प्रस्तावित करने, उसमें किसी प्रकार के संशोधन या अस्वीकृत करने के मामले में राज्‍य सभा शक्तिहीन है । उल्‍लेखनीय है कि राज्य सभा वित्त विधेयक को मात्र 14 दिन तक रोक सकती है।


 

संविधान संशोधन

संविधान संशोधन के प्रश्न पर राज्य सभा एवं लोकसभा के समान शक्तियाँ प्राप्त हैं। संविधान संशोधन विधेयक किसी भी सदन में प्रस्तावित किया जा सकता है।


 

विशिष्ट शक्तियाँ

संविधान द्वारा राज्य सभा को दो विशेष शक्तियाँ प्राप्त हैं जो लोकसभा को प्राप्त नहीं हैं। ये निम्नवत् हैं

  1. अनुच्छेद 249- राज्‍य सभा 2/3 बहुमत से प्रस्ताव पारित कर राज्य सूची के किसी विषय को राष्ट्रीय महत्व का घोषित कर सकती है जिससे संसद को ऐसे विषय पर संपूर्ण भारत के लिए अथवा क्षेत्र विशेष के लिए विधि बनाने की शक्ति प्राप्त हो जाती है।
  2. अनुच्छेद 312 -अपने 2/3 बहुमत से किसी नई अखिल भारतीय सेवा का सृजन ।

 

संसद के द्वितीय सदन के रूप में देखा जाए तो राज्‍य सभा की शक्तियां लोकसभा की तुलना में कम है । उल्‍लेखनीय है कि राज्‍य सभा में सदस्‍यों की संख्‍या लोकसभा से कम होती है तथा इसके सदस्‍यों का चुनाव अप्रत्‍यक्ष रूप से होता है जिसके कारण इस सदन की शक्तियां लोकसभा की तुलना में कम होती है । इसी क्रम में वित्तीय मामलों, अविश्‍वास प्रस्‍ताव यह नहीं ला सकती ।



इस प्रकार कई मामलों में राज्‍य सभा की स्थिति लोकसभा की तुलना में कमजोर है फिर भी अनेक अवसरों पर इसकी महत्‍ता स्‍थापित है  

  1. राज्‍य सभा एक स्‍थायी सदन है जो संघीय व्‍यवस्‍था हेतु अनिवार्य है।
  2. लोकसभा भंग होने पर आपातकाल में लोकतंत्र को निरंतरता प्रदान करता है।
  3. विशेषज्ञ, वरिष्‍ठ राजनेता आदि की संसद में भागीदारी सुनिश्चित करता है।
  4. विविधताओं से पूर्ण विशाल देश भारत में सभी समाज, वर्गों, क्षेत्रों को समुचित प्रतिनिधित्‍व देने में इसकी महत्‍वपूर्ण भूमिका है।   
  5. लोकसभा से पारित निर्णय पर पुनर्विचार होने से निर्णय जल्‍दबाजी में नही हो पाता ।


आलोचकों के अनुसार यदि राज्य सभा को समाप्त भी कर दिया जाए तो दैनिक संसदीय कार्यों में कोई अन्तर नहीं आयेगा लेकिन फिर भी कई ऐसे मामले हैं जहां राज्‍य सभा महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती है । यह सदन संविधान द्वारा प्रदत्‍त अपनी विशिष्‍ट शक्तियों द्वारा देखते हुए भारत की संसदीय व्‍यवस्‍था में इसकी महत्‍पूर्ण भूमिका है।

 

शब्‍द संख्‍या – लगभग 575


68वी में पूछे गए इस प्रश्‍न को 69वी मुख्‍य परीक्षा को ध्‍यान में रखते हुए 20 मई 2023 से प्रतिदिन संचालित मुख्‍य परीक्षा सीरीज में दिया गया है जिसका मॉडल उत्‍तर GK BUCKET टीम द्वारा उपलब्‍ध कराया जा रहा है ।

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