प्रश्न- भारत के संविधान में 73 वें और 74 वें संशोधन के आलोक में, बिहार में जमीनी स्तर पर महिलाओं को सशक्त बनाने में स्थानीय स्वशासन की भूमिका पर चर्चा करें । 7
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उत्तर- 73वां और 74वां संविधान संशोधन भारतीय लोकतंत्र के विकेन्द्रीकरण की
दिशा में ऐतिहासिक पहल थी जिसने न केवल स्थानीय स्वशासन को संवैधानिक दर्जा दिया बल्कि
महिलाओं को राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक स्तर पर सशक्त करने का अवसर भी प्रदान किया। बिहार ने इस
दिशा में कई अग्रणी कदम उठाए हैं।
महिला आरक्षण-जहां महिलाओं के लिए स्थानीय निकायों में 33% आरक्षण अनिवार्य किया
गया वहीं बिहार ने 2006 में इसे बढ़ाकर 50% आरक्षण किया। इससे बिहार में महिला
प्रतिनिधित्व में वृद्धि हुई लिंग
आधारित भेदभाव में कमी आयी और वे मुखिया, सरपंच, वार्ड सदस्य जैसे पदों पर निर्वाचित हो निर्णय प्रक्रिया का हिस्सा बनीं।
राजनीतिक
सशक्तिकरण-बिहार के
2021 के पंचायत चुनावों में महिला भागीदारी लगभग 55% तक पहुंच गई जिससे महिलाएं अब
नीति-निर्माण और कार्यान्वयन में सक्रिय भागीदारी निभा रही हैं। वर्ष 2010 में
बिहार विधानसभा चुनाव में महिला मतदान प्रतिशत जहां 54.5% था वह 2022 में बढ़कर 59.7% हो गया।
आर्थिक
सशक्तिकरण -पंचायतों
के माध्यम से महिलाओं को प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और बाजार से जोड़ने की सुविधा मिली जिससे जीविका, स्व-सहायता समूहों आदि की मदद से
महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता मिली।
शिक्षा व
स्वास्थ्य में सुधार- महिला प्रतिनिधियों ने बालिका शिक्षा, मातृ-स्वास्थ्य, और स्वच्छता को प्राथमिकता दी जिससे
ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति में गुणात्मक सुधार आया है।
इस प्रकार बिहार में 73वें और 74वें संविधान संशोधनों ने महिलाओं की भूमिका को सशक्त बनाया। हालांकि पंचायत पति, महिलाओं में शिक्षा, नेतृत्व कौशल की कमी उनकी आदि जैसी समस्याएं भी विद्यमान हैं। अत: जब तक उन्हें नेतृत्व, निर्णय और संसाधन-प्रबंधन में स्वतंत्रता, शिक्षा और प्रशिक्षण नहीं मिलेगा, तब तक जमीनी स्तर पर महिलाओं का सशक्तिकरण अधूरा रहेगा।
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