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Nov 26, 2025

71th BPSC Mains answer writing class and Test series

71th BPSC Mains answer writing class and Test 





प्रश्न: “भारत के अंतरिक्ष विज़न 2047 पर टिप्पणी कीजिए।” 6 अंक


उत्तर: भारत का अंतरिक्ष विज़न 2047 देश को एक उन्नत, आत्मनिर्भर और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित करने का दीर्घकालिक रोडमैप है। इस विज़न की शुरुआत 2020 के अंतरिक्ष सुधारों से हुई जिसमें निजी क्षेत्र को अंतरिक्ष गतिविधियों में औपचारिक भागीदारी दी गई और IN-SPACe, इसरो तथा NSIL की भूमिकाएँ स्पष्ट की गईं।


वर्तमान में भारत के पास संचारनेविगेशनवैज्ञानिक और भू-प्रेक्षण क्षेत्रों में 56 सक्रिय अंतरिक्ष परिसंपत्तियों का मजबूत आधार मौजूद है  वहीं भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 और FDI सुधारों ने निजी कंपनियों के लिए समान अवसर और निवेश का मार्ग खोला है। IN-SPACe के तहत 1000 करोड़ रुपये का वेंचर फंड अंतरिक्ष स्टार्ट-अप्स को गति देता है।


विजन 2047 के प्रमुख लक्ष्य

  • 2028 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का पहला मॉड्यूल
  • 2035 तक पूर्ण अंतरिक्ष स्टेशन
  • 2040 तक चंद्रमा पर मानव लैंडिंग
  • चंद्रयान-4 द्वारा चंद्र नमूना वापसी मिशन।

महत्‍व 

यह विजन जहां भारत को वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्‍थापित करेंगे वहीं  वीनस ऑर्बिटर मिशन (2028) और पुनः प्रयोज्य एनजीएलवी (2032) जैसे प्रयास तकनीकी आत्मनिर्भरता को आगे बढ़ाते हैं।

इस प्रकार समग्र रूप से, अंतरिक्ष विज़न 2047 भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण, तकनीकी नवाचार और वैश्विक सहयोग के क्षेत्र में मजबूत नेतृत्व प्रदान करने वाला रणनीतिक कार्यक्रम है।

 

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प्रश्न: “विकसित भारत के संदर्भ में अंतरिक्ष तकनीक को ‘शासन-सहायक और ‘विकास प्रेरक तकनीक’ माना जाता है।” अंतरिक्ष आधारित सेवाओं के उदाहरणों सहित इस कथन का परीक्षण कीजिए। 6 अंक

उत्तर: अंतरिक्ष तकनीक भारत के विकास की दिशा में बहुआयामी भूमिका निभाती है। एक ओर यह शासन संचालन को सटीक, पारदर्शी और डेटा-आधारित बनाती है वहीं दूसरी ओर आर्थिक उत्पादकता और सामाजिक विकास की गति निर्धारित करती है।

 

शासन-सहायक के रूप में

  • उपग्रह आधारित GIS प्लेटफ़ॉर्म भूमि रिकॉर्ड सुधार, भू-उपयोग योजनाओं, जल-संरक्षण, वनों की निगरानी, सड़क और रेल अवसंरचना योजना में केंद्रस्थ भूमिका निभाते हैं।
  • इसी क्रम में प्रधानमंत्री गतिशक्ति, Digital Crop Survey, National Wetland Inventory, Forest Fire Alert System जैसी पहलें इसी तकनीक पर आधारित हैं।
  • आपदा प्रबंधन में चक्रवात, बाढ़, भूस्खलन और समुद्री गतिविधियों की चेतावनी प्रणाली नागरिक सुरक्षा का आधार बन चुकी है।

 

विकास प्रेरक के रूप में

  • कृषि, संचार, नेविगेशन, उद्योग और स्वास्थ्य सेवाओं में इसकी भूमिका निर्णायक है।
  • उपग्रह, SAR और GNSS आधारित प्रणालियों ने भारतीय कृषि को वैज्ञानिक निर्णय-आधारित कृषि में बदल दिया। 
  • NavIC ने परिवहन, नौवहन और नागरिक सुरक्षा को सशक्त किया। टेलीमेडिसिन, टेली-एजुकेशन और ग्रामीण कनेक्टिविटी ने सामाजिक-आर्थिक समावेशन को आसान बनाया।

 

स्‍पष्‍ट है कि अंतरिक्ष तकनीक केवल सुविधा देने वाली प्रणाली नहीं, बल्कि शासन और विकास दोनों क्षेत्रों को रूपांतरित करने वाला केंद्रबिंदु है।

 शब्‍द संख्‍या- 188  


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71Th BPSC Mains Answer writing 2025



प्रश्न - भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र के आर्थिक उपयोगों की विवेचना कीजिए। इस संदर्भ में भारत सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदमों का भी उल्लेख कीजिए।36 अंक

उत्तर -अंतरिक्ष क्षेत्र आज वैश्विक अर्थव्यवस्था का तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है। उपग्रह निर्माण, प्रक्षेपण सेवाएँ, संचार, इंटरनेट, रिमोट सेंसिंग और अंतरिक्ष पर्यटन जैसे क्षेत्रों में नए अवसर लगातार बढ़ रहे हैं। भारत भी अपनी अंतरिक्ष क्षमताओं का उपयोग आर्थिक विकास के लिए कर रहा है।

 

अंतरिक्ष क्षेत्र के प्रमुख आर्थिक उपयोग

  • वैश्विक स्पेस इकोनॉमी में हिस्सा- विश्व आर्थिक मंच के अनुसार 2035 तक वैश्विक स्पेस इकोनॉमी 1.8 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच सकती है। भारत वर्तमान में इसमें 2–3% हिस्सा रखता है, जिसे बढ़ाकर 10% करने का लक्ष्य है।
  • उपग्रह निर्माण व सेवाएँ- भारत का उपग्रह विनिर्माण बाजार 2025 तक 3.2 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है।
  • स्टार्टअप का उदय- देश में 200 से अधिक स्पेस स्टार्टअप सक्रिय हैं, जिनमें Skyroot, Agnikul, Pixxel प्रमुख हैं।
  • कनेक्टिविटी और डेटा सेवाएँ- वैश्विक स्तर पर छोटे उपग्रहों की मांग बढ़ रही है। यह भारत के लिए प्रक्षेपण सेवाओं का बड़ा अवसर है।
  • पहुँच योग्य प्रक्षेपण लागत- भारत में प्रक्षेपण लागत वैश्विक बाजार की तुलना में काफी कम है, जिससे विदेशी ग्राहक आकर्षित होते हैं।

 

इन्हीं बढ़ते आर्थिक अवसरों का अधिकतम लाभ लेने के लिए जरूरी है कि सरकार उद्योग, स्टार्टअप्स और निजी कंपनियों को उपयुक्त नीतिगत समर्थन दे। इसी उद्देश्य से भारत सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सुधार और संस्थागत कदम उठाए हैं।

 

आर्थिक उपयोग बढ़ाने के लिए सरकार के प्रमुख कदम

  • IN-SPACe की स्थापना- निजी कंपनियों को अनुमति और प्रोत्साहन देकर भागीदारी बढ़ाई गई।
  • NSIL-  इसरो की वाणिज्यिक शाखा, जो तकनीक हस्तांतरण और प्रक्षेपण सेवाएँ संचालित करती है।
  • FDI नीति में सुधार-  2024 में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति।
  • Indian Space Association-  सरकार–उद्योग संवाद मंच के रूप में कार्य करता है।
  • वेंचर कैपिटल फंड- 1,000 करोड़ रुपये के फंड से स्टार्टअप्स को सहारा दिया जा रहा है।

 

स्पष्ट है कि भारत अंतरिक्ष क्षेत्र को आर्थिक विकास, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा का नया माध्यम बना रहा है। सही नीतियों और निवेश के साथ भारत विश्व अंतरिक्ष बजार में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर सकता है।

 

शब्‍द संख्‍या- 326   

 

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