प्रश्न- “डिजीटल भारत में साइबर हमले के प्रति सुभेद्यता व्यापक चुनौतियों उत्पन्न करती है।”
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Civil Service Mains Answer writing
उत्तर- कंप्यूटर सिस्टम,
स्मार्टफोन, इंटरनेट जैसे नेटवर्क का विविध कार्यों
में उपयोग से जहां डिजटलीकरण बढ़ा है वहीं इलेक्ट्रॉनिक डेटा की चोरी, क्षति, सेवाओं के व्यवधान, सूचनाओं
के दुरुपयोगी, ऑनलाइन धोखाधड़ी की घटनाएं भी बढ़ी है। भारत की
साइबर हमले के प्रति सुभेद्यता को निम्न प्रकार समझा जा सकता है।
ऑनलाइन प्लेटाफार्म पर बढ़ती निर्भरता
- पिछले कुछ वर्षों में विविध क्षेत्रों जैसे खुदरा, कृषि, शिक्षा,
स्वास्थ्य, बीमा, बैंकिंग,
व्यापार, उद्योग, अवसंरचनात्मक
संस्थानों आदि में ऑनलाइन प्लेटफार्म पर बढ़ती निर्भरता से साइबर हमले के प्रति
सुभेद्यता भी बढ़ती जा रही है ।
- वर्ष 2022 में भारत में साइबर सुरक्षा संबंधी 14 लाख से अधिक घटनाएं दर्ज हुई जो 2021 की तुलना में तीन गुणा अधिक है।
विशाल इंटरनेट प्रयोगकर्ता
- इंटरनेट इन इंडिया रिपोर्ट के अनुसार 2022 में देश में 75.9 करोड़
सक्रिय इंटरनेट यूजर है जो 2025 तक बढ़ कर 90 करोड़ हो जाने का अनुमान है।
बढ़ता डिजिटल लेनदेन
- वित्त वर्ष 2017-18
में यूपीआई लेनदेन जहां 92 करोड़ था वहीं वित्त
वर्ष 2022-23 में बढ़कर 8,375 करोड़ हो
गई। पिछले 5 वर्षों यह उल्लेखनीय वृद्धि डिजीटल भुगतान को तेजी से अपनाने का एक
स्पष्ट संकेतक है।
ऑनलाईन बाजार
- भारत अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए चीन के बाद दुनिया का
दूसरा सबसे बड़ा ऑनलाइन बाज़ार बन गया है।
विशेषज्ञों/कुशल कर्मी की कमी
- भारत में साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की मांग और आपूर्ति में लगभग 30% का अंतर है जो भारत के बेहतर साइबर सुरक्षा माहौल के अनुकूल नहीं है।
अवसंरचनात्मक क्षेत्र
- महत्त्वपूर्ण अवसंरचनाएं जैसे पावर ग्रिड, यातायात, सार्वजनिक सेवाएं,
संचार नेटवर्क साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील हैं जो सार्वजनिक सुरक्षा
एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते हैं। जैसे 2019 में कुडनकुलम
परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर साइबर हमले का प्रयास।
वित्तीय क्षेत्र
- बैंकों, वित्तीय
संस्थानों और ऑनलाइन भुगतान प्रणालियों पर साइबर हमले से आर्थिक क्षति, विश्वास में कमी ला सकती है जैसे कि 2020 में सिटी युनियन बैंक पर मालवेयर
अटैक से 2 मिलीयन अमेरिकी डॉलर का अनधिकृत लेनदेन हुआ।
डेटा उल्लंघन और गोपनीयता संबंधी चिंताएँ
- डिजिटल भारत के साथ साथ नागरिकों, संस्थाओं की निजी एवं संवेदनशील जानकारियों
के ऑनलाइन संग्रहण से इसके लीक होने, चोरी होने का खतरा बढ़ता
जा रहा है जो सूचना गोपनीयता एवं सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न कर सकता है।
साइबर जासूसी
- गोपनीय जानकारी चुराने और रणनीतिक बढ़त हासिल करने का
उद्देश्य से साइबर जासूसी की चुनौती बढ़ी है जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और आर्थिक विकास को प्रभावित कर
सकती है। वर्ष 2020 में एक
पाकिस्तानी के साइबर जासूस द्वारा भारतीय सैन्य एवं राजनयिक कर्मियों को लक्षित करने
का मामला सामने आया था ।
सार्वजनिक सेवाओं संबंधी चुनौती
- स्वास्थ्य, यातायात, प्रशासन, व्यापार संबंधी
कई सेवाएं ऑनलाइन होने के कारण यदि इन पर साइबर हमले होते है तो संपूर्ण सेवा व्यवस्था
प्रभावित हो सकती है।
इस प्रकार डिजीटल भारत में पिछले कुछ वर्षों में विविध
क्षेत्रों जैसे खुदरा, कृषि, शिक्षा,
स्वास्थ्य, बीमा, बैंकिंग,
व्यापार, उद्योग आदि में ऑनलाइन प्लेटफार्म पर
बढ़ती निर्भरता से साइबर हमले के प्रति सुभेद्यता से विविध प्रकार की चुनौतियां भी
बढ़ी है। अत: यह आवश्यक है कि ऐसी घटनाओं से बचने हेतु साइबर सुरक्षा तंत्र को मजबूत
किया जाए।
हांलाकि सरकार द्वारा साइबर सुरक्षा हेतु राष्ट्रीय साइबर
सुरक्षा नीति, साइबर सुरक्षित भारत लाने के साथ
साथ भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र भी स्थापित किया है लेकिन फिर भी बेहतर सुरक्षा
हेतु आर्टिफिशियल इंटेजीजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, ब्लॉकचेन जैसी आधुनिकतम तकनीकों
को अपनाने के साथ साथ जनजागरुकता जैसे क्षेत्रों में भी काम करना होगा।
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