प्रश्न - चुनाव सुधार की दिशा में 2017-18 में आरंभ हुई चुनावी बांड की व्यवस्था स्वयं सुधार की मांग करती है।
उत्तर- स्वतंत्र
और निष्पक्ष चुनाव की दिशा में यह आवश्यक है कि राजनीतिक दलों के मिलनेवाले दान
या चंदे से प्राप्त राशि में पारदर्शिता हो । इसी को समझते हुए सरकार द्वारा वर्ष 2017-18 में चुनावी
बांड लाया गया था जिसके द्वारा कोई व्यक्ति या कंपनी किसी भी संख्या में चुनावी
बांड खरीद कर किसी भी राजनीतिक दल को चंदा दे सकती है।
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Civil Service Mains Answer writing
चुनाव फंडिंग में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करने हेतु लाए गए चुनावी बांड में दाताओं की गोपनीयता बनाए रखने तथा नकद लेनदेन को हतोत्साहित कर औपचारिक माध्यम से राजनीतिक दलों को चंदा प्राप्त करने की व्यवस्था की गयी ताकि इनके आडिट से पारदर्शिता को सुनिश्चित किया जा सके। इस प्रकार चुनाव सुधार की दिशा में चुनावी बांड को लाया गया लेकिन इसमें व्याप्त कमियों के कारण वर्तमान में इसके उद्देश्यों पर सवाल उठाए जा रहे हैं जिसे निम्न प्रकार समझा जा सकता है
- आंकड़ों के अनुसार 2019 का लोकसभा चुनाव अभी तक का सबसे मंहगा चुनाव माना गया जो चुनावी बांड पर संदेह उत्पन्न करता है।
- चुनावी बांड की वर्तमान व्यवस्था में स्रोत का पता नहीं होने से जहां पारदर्शिता की कमी है वहीं इसकी प्रकृति अनुच्छेद 19 (1) के तहत नागरिकों के सूचना अधिकार का उल्लंघन करता है।
- यह शेल कंपनियों, भारत स्थिति विदेशी कंपनियों की सहायक कंपनियों द्वारा राजनीतिक दलों के फंडिग की अनुमति देता है ।
हाल ही में एक याचिका की सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय निर्वाचन आयोग से चुनावी बॉण्ड के जरिए राजनीतिक दलों को मिले धन का डेटा पेश करने का निर्देश दिया है। वहीं 2019 में भी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने इसी प्रकार का निर्देश दिया था।
उपरोक्त से स्पष्ट
है कि चुनाव सुधार की दिशा में
लायी गयी चुनावी बांड की व्यवस्था में सुधार अपेक्षित है। चुनावी बांड में व्याप्त
कमियों को दूर कर इसके उद्देश्य को सार्थक बनाया जा सकता है। इस दिशा में सुधार
हेतु जन जागरुकता, चुनावी बांड क्रय करने की अधिकतम सीमा निर्धारण, राजनीतिक दलों को सूचना
के अधिकार में लाने, राजनीतिक दलों की फंडिंग की बेहतर ऑडिट, चुनाव
सुधार हेतु गठित विभिन्न आयोगों की सिफारिशों के
आधार पर आवश्यक उपाए किए जा सकते हैं।
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