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Jan 14, 2025

कृषि व्‍यवस्‍था में सुधार कर देश के ग्रामीण अर्थतंत्र को सशक्‍त बना सकते है

 

कृषि व्‍यवस्‍था में सुधार कर देश के ग्रामीण अर्थतंत्र को सशक्‍त बना सकते है


 

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ की लगभग 70% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है और कृषि पर निर्भर है। भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन वर्तमान समय में यह क्षेत्र कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। किसानों की आय, जलवायु परिवर्तन, आधुनिक तकनीक की कमी और असमान वितरण प्रणाली जैसी समस्याएँ इसके विकास में बाधा उत्पन्न कर रही हैं। कृषि व्यवस्था में सुधार के माध्यम से न केवल देश के ग्रामीण क्षेत्रों को सशक्त बनाया जा सकता है, बल्कि पूरे देश की आर्थिक प्रगति को भी गति दी जा सकती है। जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा था, "भारत की आत्मा उसके गाँवों में बसती है।" अतः ग्रामीण अर्थतंत्र को सशक्त बनाना अनिवार्य है।

 


 


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भारतीय कृषि को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सबसे पहली समस्या है किसानों की आय में असमानता। किसानों की मेहनत के बावजूद उन्हें उनके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल पाता। इसका मुख्य कारण है बाजार तक सीधी पहुँच न होना और बिचौलियों की भूमिका। इसके अलावा, सिंचाई की समस्या भी गंभीर है। भारत में अभी भी अधिकांश खेती मानसून पर निर्भर करती है, जिससे सूखे और बाढ़ के कारण फसलों का नुकसान होता है। जलवायु परिवर्तन के कारण यह समस्या और गंभीर हो रही है।

 

तकनीकी विकास और आधुनिक उपकरणों का अभाव भी एक बड़ी चुनौती है। छोटे और सीमांत किसान अभी भी परंपरागत तरीके से खेती करते हैं, जिससे उत्पादन क्षमता कम होती है। फसल भंडारण और प्रसंस्करण की सुविधाओं की कमी के कारण बड़ी मात्रा में अनाज बर्बाद हो जाता है। कृषि ऋण की अनुपलब्धता और किसानों पर कर्ज का बढ़ता बोझ भी इस क्षेत्र को कमजोर कर रहा है।

 

इन समस्याओं के समाधान के लिए कृषि व्यवस्था में सुधार आवश्यक है। सबसे पहले, किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए सरकार को बाजार सुधार लाने होंगे। किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और ई-नाम जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से किसानों को सीधा बाजार से जोड़ा जा सकता है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को प्रभावी ढंग से लागू करना भी एक कारगर उपाय है।

 


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सिंचाई की समस्या को हल करने के लिए जल प्रबंधन की आधुनिक तकनीकों को अपनाना होगा। "प्रति बूंद अधिक फसल" जैसी योजनाओं को लागू करना चाहिए। इसके अलावा, ड्रिप सिंचाई और जल संचयन तकनीकों को बढ़ावा देना आवश्यक है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए जैविक खेती और विविध फसलों की खेती पर ध्यान देना होगा।

 

तकनीकी विकास को बढ़ावा देने के लिए किसानों को आधुनिक उपकरण और तकनीकों की जानकारी दी जानी चाहिए। कृषि में ड्रोन, सेंसर, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, कृषि प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना से किसानों की आय में वृद्धि होगी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

 

ग्रामीण अर्थतंत्र को सशक्त बनाने के लिए ग्रामीण वित्तीय प्रणाली को मजबूत करना भी आवश्यक है। सहकारी बैंकों और माइक्रोफाइनेंस संस्थानों के माध्यम से किसानों को सस्ता और आसान ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है। साथ ही, ग्रामीण शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों और ग्रामीण युवाओं को कृषि के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी रोजगार के योग्य बनाया जा सकता है।

 

 

भारतीय कृषि और ग्रामीण अर्थतंत्र का सशक्तिकरण देश के समग्र विकास के लिए अनिवार्य है। कृषि व्यवस्था में सुधार लाकर न केवल किसानों की आय में वृद्धि की जा सकती है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता को भी सुनिश्चित किया जा सकता है। सरकार, समाज और निजी क्षेत्र को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। महात्मा गांधी के दृष्टिकोण के अनुसार, "ग्राम स्वराज्य" की परिकल्पना तभी साकार होगी जब ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाया जाएगा। भारतीय कृषि को नई तकनीक, संसाधन, और बेहतर नीतियों के माध्यम से उन्नति के पथ पर अग्रसर करना हमारा साझा दायित्व है।


 


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