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Jul 18, 2022

कृषि रोड मैप

 

कृषि रोड मैप



 

आज के पोस्‍ट में बिहार कृषि रोड मैप संबंधी लेख को देखेंगे जिसके माध्‍यम से आप बिहार लोक सेवा आयोग की मुख्‍य परीक्षा में अच्‍छा और बेहतर उत्‍तर लिख सकते हैं । आप नीचे दिए गए लिंक से बिहार से संबंधित अन्‍य महत्‍वपूर्ण लेखों को देख सकते हैं जो सिविल सेवा हेतु अत्‍यंत उपयेागी है।

बिहार करेंट अफेयर संबंधीअन्‍य पोस्‍ट 


बिहार के लगभग 93.60 लाख हेक्टेयर भूमि में 79.46 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है और लगभग 75% आबादी अपनी आजीविका हेतु कृषि पर निर्भर हैं। ऐसे में बिहार में कृषि क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसी को समझते हुए सरकार द्वारा कृषि रोड मैप की संकल्पना को अपनाया गया ताकि कृषि क्षेत्र का सर्वांगीण विकास किया जा सके।  


बिहार सरकार द्वारा राज्य के कृषि विकास हेतु बनायी गयी योजनाओं में कृषि रोडमैप सबसे प्रमुख है। कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों के कार्यक्रम को क्रियान्वित करने हेतु वर्ष 2008 में पहला कृषि रोड मैप बनाया गया। वर्ष 2012 में दूसरे कषि रोड मैप द्वारा अगले 10 वर्षों के लिए कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों के विकास के सांकेतिक लक्ष्य निर्धारित किए गए तथा वर्ष 2012 से 2017 के लिए विस्तृत कृषि कार्यक्रमों को रेखांकित किया गया।

  

कृषि रोड मैप के कार्यान्वयन में फसलों के साथ-साथ दुग्ध, मछली, मांस के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई तथा कृषि विकास हेतु आधारभूत संरचनाओं जैसे ग्रामीण सड़क, भंडारण, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां इत्यादि का भी विकास हुआ। उपलब्धियों के बावजूद कृषि क्षेत्र में मानसून अनियमितता, जलवायु परितर्वन, कृषकों की आय वृद्धि, कृषि लागत में कमी, समावेशी विकास जैसी अनेक समस्याएं अभी भी विद्यमान है जिसे हल करने हेतु तृतीय कृषि रोड मैप 2017-2022 लाया गया।

 

कृषि रोडमैप का उद्देश्य

    1. खाद्य एवं पोषण सुरक्षा।
    2. किसानों की आय वृद्धि।
    3. प्रवास रोकने हेतु रोजगार में वृद्धि करना।
    4. कृषि उत्पादकता वृद्धि तथा समावेशी विकास।
    5. कृषि विकास  के द्वारा बिहार का विकास।
    6. अर्थव्यवस्था एवं कृषि में महिलाओं की भूमिका बढ़ाकर उनका सशक्तिकरण करना।
    7. टिकाऊ विकास एवं संसाधन प्रबंधन।
  

प्रथम कृषि रोड मैप

अवधि- 2007-2012

 

    1. बीज आधारित कार्यक्रम को प्राथमिकता दी गयी।
    2. वर्ष 2011 में आलू तथा चावल में रिकॉर्ड उत्पादन दर्ज।

 

द्वितीय कृषि रोड मैप

अवधि -2012-2017

 

2011 में दूसरे कृषि रोडमैप को तैयार करने हेतु कृषि कैबिनेट का गठन किया गया तथा 18 विभागों को सम्मिलित किया गया। इस रोडमैप में 2017 के लिए विस्तृत कार्यक्रम था तथा 2022 तक के लिए सांकेतिक लक्ष्य निर्धारित किया गया।

    1. खाद्य पदार्थों का संरक्षण तथा पोषकता में वृद्धि।
    2. अनाज भंडारण, परिवहन, गोदाम की व्यवस्था।
    3. खाद्य प्रसंस्करण को प्रोत्साहन, निर्यातोन्मुखी कृषि को बढ़ावा।
    4. जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु ताकि वर्ष 2017 तक हरियाली विस्तार 9-15% तक पर है।
    5. 18 विभाग को शामिल कर कृषि कैबिनेट का गठन किया गया।
    6. 2012-चावल, 2013-गेहूँ तथा 2016-मक्का उत्पादन हेतु बिहार को कृषि कर्मण पुरस्कार।

 

तीसरा कृषि रोड मैप

अवधि 2017-2022

    1. तृतीय कृषि  रोड मैप की रूपरेखा पिछले दोनों कृषि रोड मैप के अनुभवों पर आधरित है।
    2. 1.54 लाख करोड़ खर्च करने का लक्ष्य, बिहार सरकार के 12 विभाग शामिल।
    3. प्रत्येक भारतीय के थाल में बिहार का एक व्यंजन पहुंचाना ।
    4. बागवानी, दूध, अंडा, मांस, मछली के उत्पादन में गुणात्मक वृद्धि का लक्ष्य।
    5. जैविक खेती के साथ-साथ उत्पादन बढ़ाने पर जोर (गंगा किनारे जैविक कॉरिडोर का विकास)
    6. पर्यावरण संरक्षण एवं टिकाऊ कृषि-डीजल की बजाए बिजली चालित पंप सेट पर विशेष जोर।
    7. पुआल को खेत में जलाने से रोकने के लिए ट्रैक्टर चालित चैफ कटर, पैडी स्ट्रॉ, स्ट्रॉ कंबाइन, स्ट्रॉ बेलर और रैक पर अनुदान देने का प्रस्ताव। 
    8. पशु विज्ञान, अन्य संस्थान बिहार मत्स्य कॉलेज, किशनगंज की स्थापना।
    9. वन क्षेत्र को वर्ष 2022 तक बढ़ा कर 17% करने का लक्ष्य।
    10. मिड-डे-मील के तहत पोषक खाद्य पदार्थ देना (मौसमी फल, अंडा)
    11. चकबंदीजल प्रबंधन, कृषि यंत्रीकरण, आधुनिक कृषि पर जोर।
    12. फेडरेशन,यूनियन, कोऑपरेटिव सोसाइटी द्वारा उत्पादनप्रसंस्करण एवं विपणन व्यवस्था में सुधार।
    13. दलहन एवं तिलहन उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ बीज हब की स्थापना लक्ष्य।
    14. वृहत एवं लघु सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से सिंचाई क्षमता में विस्तार, सिचित क्षेत्र के विस्तार के लिए नौबतपुर से कृषि फीडर की शुरुआत 
    15. ग्रामीण क्षेत्र में कनेक्टीविटी हेतु आधुनिक तकनीक का प्रयोग ।
    16. सब्जी विपणन हेतु त्रिस्तरीय सहकारी तंत्र की स्थापना।

 

 

तृतीय कृषि रोड मैप  समेकित कृषि तथा फसल विविधीकरण को रणनीतिक रूप से अपनाकर इंद्रधनुषी क्रांति के लिए किया गया प्रयास है जो समावेशी विकास मॉडल का मार्ग प्रशस्त करेगा। तृतीय कृषि रोड मैप के तहत निम्न क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

 

 

तृतीय कृषि रोड मैप में प्रमुख क्षेत्र

    1. बीज विकास पर बल देते हुए बीज क्षेत्र में चुनौतियों के समाधान के लिए उपाय को अपनाना।
    2. मृदा की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने एवं टिकाऊ खेती को प्रोत्साहन देने हेतु सरकार द्वारा  इस कृषि रोडमैप के माध्यम से जैविक खेती को  विशेष प्रोत्साहन 
    3. बागवानी विकास के तहत फल, फूल, सब्जियों, कंदमूल, फल, मसाले, सुगंधित एवं औषधीय पौधों के उत्पादन को बढ़ाना तथा  बागवानी विकास में आने वाली चुनौतियों के समाधान हेतु प्रयास 
    4. मृदा की उर्वरता बनाए रखने तथा कृषि लागत को कम करने हेतु मिट्टी जांच प्रयोगशाला  के माध्यम से किसानों को उचित सलाह दिए जाने की व्यवस्था।
    5. सतत एवं टिकाऊ कृषि हेतु जल संरक्षण का लक्ष्य।
    6. कृषकों के उत्पाद के उचित मूल्य दिलाने  हेतु  कृषि विपणन व्यवस्था में सुधार पर जोर।
    7. कृषि अनुसंधान और शिक्षा में वृद्धि हेतु सरकार द्वारा विशेष प्रयास के तहत महाविद्यालयों में स्नातकोत्तर विभाग की स्थापना, नए कृषि विश्वविद्यालय महाविद्यालय की स्थापना शिक्षा एवं शोध संस्थानों के बीच समन्वय के प्रयास।


अन्‍य महत्‍वपूर्ण लेख जो बिहार सिविल सेवा हेतु उपयोगी है उसका लिंक नीचे दिया गया है।

बिहार लोक सेवा आयोग परीक्षा 


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