ग्रामीण विकास में जीविका की भूमिका
बिहार की लगभग 90% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में
रहती है तथा ग्रामीण क्षेत्र के विकास हेतु सरकार द्वारा जीविका, मरनेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, जनवितरण प्रणाली जैसी अनेक योजनाएं चलायी जाती है जिनका उद्देश्य ग्रामीण गरीबी में कमी लाना,
रोजगार पैदा करना, कुपोषण दूर करना तथा
मानव जीवन की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में आगे बढ़ना है।
हाल के वर्षों में बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर महिलाओं को आत्मनिर्भर और सक्षम बनाने में जीविका की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
जीविका क्या है?
बिहार ग्रामीण जीविका प्रोत्साहन सोसाइटी अथार्त
जीविका वर्ष 2007
में गठित बिहार सरकार की एक संस्था है जो राज्य और केन्द्र
द्वारा प्रायोजित अनेक गरीबी निवारण कार्यक्रमों का क्रियान्वयन कर रही है। इसका
लक्ष्य महिलाओं के सामुदायिक संस्थानों का विकास करके ग्रामीण गरीबों का सामजिक और
आर्थिक सशक्तिकरण करना है ताकि सरकारी अभिकरणों और संस्थानों के माध्यम से वे
बेहतर सेवाएं एवं ऋण हासिल करने में सक्षम हो सकें। अभी तक 12.72 लाख से भी ज्यादा
स्वयं सहायता समूहों का बैंकों के साथ ऋण संपर्क कराया गया है।
जीविका के समर्पित कार्य के कारण केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज्य मंत्रालय द्वारा वर्ष 2016-17 में बिहार को 2 सूचकों बैंकों द्वारा स्वयं सहायता संगठनों के साथ ऋण संपर्क और ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थानों में प्रर्दशन के लिहाज से सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाले राज्य के रूप में पुरस्कृत किया गया।
केन्द्र ओर राज्य सरकारों द्वारा संचालित स्वच्छता, स्वास्थ्य
एवं पोषण, पर्यावरण सामाजिक मुद्दों जैसे कार्यक्रमों के
क्रियान्वयन के प्रभावी माध्यम होने के कारण ग्रामीण आबादी को तय समय सीमा में
बड़े पैमाने पर लाभ हो रहा है। लोहिया स्वच्छ बिहार, जल
जीवन हरियाली, नशाबंदी, दहेज
उन्मूलन, बाल विवाह आदि के सरकार के अनेक ऐसे कार्यक्रम,
योजनाएं नीतियां हैं जिनके प्रति जन जागरुकता एवं क्रियान्वयन
में जीविका ने उल्लेखनीय कार्य किया है।
ग्रामीण
विकास में जीविका की भूमिका
कृषि आजीविकाएं
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जीविका कृषि कार्य लक्ष्य के तहत द्वारा स्वयं
सहायता समुह के सदस्यों को तकनीकी सहायता, कौशल, क्षमता निर्माण विपणन, कौशल भी उपलब्ध कराए
जाते हैं। वर्ष 2020-21 में 8 लाख
से ज्यादा सदस्यों ने श्री विधि से चावल की खेती की। वहीं परिवारों में भोजन की
पौष्टिकता बढ़ाने हेतु जीविका रसोई बाड़ी की आवधारणा को बढ़ावा दे रही है।
कृषितर आजीविकाएं
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पशुपालन संबंधी हस्तक्षेप के तहत पशु एवं मत्स्य
संसाधन विभाग के साथ मिलकर जीविका द्वारा कार्य किया जा रहा है। इसके तहत समेकित
मुर्गीपालन विकास योजना, पशु सखी मॉडल के द्वारा बकरी पालकों को आहार
प्रबंधन, आश्रय और पशु चिकित्सा सेवाओं को उपलब्ध कराना,
कॉम्फेड के साथ दुग्ध सहकारी समितियों की स्थापना, पशु एवं स्वास्थय जागरुकता शिविरों का आयोजन, मत्स्य
पालन, मधुमक्खी पालन जैसे कार्य में सहायता उपलब्ध करायी
जा रही है।
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कला एवं शिल्प खंड में जीविका समर्थित उत्पादों
जैसे मधुबनी पेंटिंग, सुजनी कला, फोल्डर,
लैपटॉप, बैग, साड़ी
आदि उत्पाद मेलों, खादी मॉल, अमेजन,
GeM आदि के माध्यम से ऑनलाइन एवं ऑफलाइन बेचे जा रहे हैं।
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आपूर्ति शृंखला को मजबूत करने और उचित कीमत पर
उपभोक्ताओं तक सामग्री बेचने हेतु जीविका के माध्यम से ग्रामीण बाजार को भी बढ़ावा
दिया गया है अभी राज्य में 61 ग्रामीण बाजार काम कर रहे है।
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जीविका द्वारा दीदी की रसोई भी आरंभ किया गया है
जिसके माध्यम से सरकारी अस्पतालों की कैंटीनों में पोषक खाद्य पदार्थ उचित मूल्य
पर उपलबध कराए जा रहे हैं। सितम्बर 2021 तक जीविका द्वारा दीदी की
रसोई की कुल 40 इकाईयां स्थापित की गयी है।
वित्तीय समावेशन
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जीविका ने वित्तीय समावेशन के तहत 11 लाख
से अधिक सदस्यों को प्रधानमंत्री जीवन बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन
सुरक्षा जैसी योजना के तहत बीमा आच्छादन
भी उपलब्ध कराया गया।
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जीविका द्वारा बैंक सखियों द्वारा वैकल्पिक
बैंकिंग सुविधा भी उपलबध करायी गयी। सितम्बर 2021 तक 2562 बैंक सखियां ग्राहक सेवा केन्द्रों का संचालन कर रही है ।
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ग्रामीणों को टिकाऊ जीविका उपलब्ध कराने हेतु
जीविका द्वारा जीविकोपार्जन योजना भी आरंभ किया गया जिसके तहत अति गरीब परिवारों
की पहचान कर इनमें से अनेक परिवारों को वित्तीय सहायता भी उपलबध करायी गयी है।
खाद्य सुरक्षा एवं पोषण, स्वास्थ्य
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जीविका द्वारा ग्राम संगठन के स्तर पर खाद्य
सुरक्षा कोष की अवधारणा लागू की गयी ताकि सबसे गरीब तबको की खाद्य सुरक्षा की जा
सके।
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स्वास्थ्य संबंधी ऋण आवश्यकताओं हेतु जीविका
द्वारा 51,089 गांवों
में स्वास्थ्य जोखिम कोष बनाया गया तथा व्यापक व्यवहार परिवर्तन संवाद संबंधी
हस्तक्षेप लागू किया गया है ताकि स्वास्थ्य, पोषण और
स्वच्छता के बारे में प्रचलित आदतों में बदलाव लाया जा सके।
सौर परियोजना
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सौर परियोजना के तहत 3000 से ज्यादा समुदाय
सदस्यों को आमदनी वाले कार्य के बतौर सौर ऊर्जा आधारित हस्तक्षेप चलाने हेतु
प्रशिक्षित किया गया है।
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वर्ष 2019 से स्वयं सहायता समूह सदस्य यानी “हरित
उद्यमी” सौर तथा
उससे संबंधित उत्पादों की बिक्री एवं सेवा कार्य में लगे हुए है।
सतत जीविकोपार्जन योजना
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ग्रामीण विकास में जीविका की भूमिका इसके तहत गरीब, कमजोर तबको, देशी शराब या
ताड़ी बनाने, ढोने और बेचने में पारंपरिक
रूप से लगे गरीब परिवारों हेतु जीविका के विविधीकरण, क्षमता निर्माण और धन उपलब्ध
में सुधार द्वारा जीविका का टिकाऊ विकल्प उपलब्ध कराने की बात कही गयी है।
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इस योजना के तहत अभी तक 1.25 लाख परिवारों को
सहयोग दिया गया है।
हरित जीविका हरित बिहार बिहार सरकार द्वारा जल जीवन
हरियाली अभियान के तहत मिशन 5 करोड़ नामक कार्यक्रम शुरू किया गया है जिसका लक्ष्य
2021-22 में 5 करोड पौधे लगाना है । इस
योजना की तर्ज पर जीविका ने भी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में “हरित जीविका हरित बिहार”
मिशन 1.5 की शुरुआत की है जिसका लक्ष्य
2021-22 में 1.5 करोड़ पौधे लगाना है।
इस हेतु जीविका द्वारा निम्न प्रयास किए जा रहे हैा ¶
77 लाख स्वयं सहायता समूह सदस्यों द्वारा फलों और
इमारती लकड़ियों के लगभग 1.64 करोड़ पौधे को लगाया गया।
। ¶
जीविका द्वारा राज्य के 245 प्रखंडों
में 245 दीदी की पौधशाला स्थापित की । ¶
वन मित्र नाम से ज्ञात हस्तक्षेप में सहयोग देने
हेतु पर्यावरण संबंधी 16,013 कार्यकर्ताओं को तैयार किया गया । ¶
लगे हुए पौधों की नियमित देखरेख, सुरक्षा
तथा रखरखाव सुनिश्चित करने हेतु 3657 अनुश्रवण केंद्र स्थापित
किए गए। ¶
मनरेगा के सहयोग से जीविका द्वारा 283 और
पौधशाला स्थापित की जाएंगी । |
इस प्रकार जीविका बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की दिशा में अनेक कार्यक्रम संचालित करती है जो गांवों एवं ग्रामीणों को आत्मनिर्भर और सक्षम बनाने में योगदान कर रही है।
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