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Aug 15, 2022

वायु प्रदूषण की वर्तमान स्थिति, प्रभाव, कारण, योजनाएं एवं उपाए

 

वायु प्रदूषण की वर्तमान स्थिति, प्रभाव, कारण, योजनाएं एवं उपाए



इस पोस्‍ट में आप वायु प्रदूषण की वर्तमान स्थिति, प्रभाव, कारण, योजनाएं एवं उपाए को देखेंगे । इसी प्रकार के अन्‍य महत्‍वपूर्ण पोस्‍ट को आप नीचे दिए गए लिंक के माध्‍यम से पढ़ सकते हैं ।

 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- महत्‍वपूर्ण लेख 

वायु विभिन्न प्रकार की गैसों का मिश्रण है जिसमें 78% नाइट्रोजन, 21% आक्सीजन, 0.93% आर्गन, 0.03% कार्बन डाईऑक्साइड तथा अन्य गैसें होती है। यदि किसी कारणवश वायु में गैसों का यह मिश्रण अनुपात बदलता है तथा वायु की गुणवत्ता में कमी आती है तो यह स्थिति वायु प्रदूषण कहलाती है।

दूसरे शब्‍दों में वायु के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में होनेवाला अवांछनीय बदलाव जो हानिकारक गैसों, धूलकण, धुएँ आदि के कारण होता है तथा पर्यावरण, जीव जगत को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है, वायु प्रदूषण कहलाता है।

मुख्य वायु प्रदूषक गैसे- कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाईऑक्साइड, मेथेन, क्लोरोफ्लोरोकार्बन, नाइट्रोजन ऑक्साइड, ओजोन, सीसा, हाइड्रोकार्बन, निलंबित कणिकीय पदार्थ (मुख्यतः PM-2.5 तथा PM10)


वायु प्रदूषण मानव जीवन हेतु  खतरनाक क्यों है ?

वायु प्रदूषण विविध रूपों में मानव जीवन को प्रभावित कर रहा है । हालिया शोध के अनुसार दुनिया भर में जीवाश्म ईंधन के उपयोग से होते वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा शिकार चीन, भारत, यूरोप और उत्तर-पूर्वी अमेरिका के लोग बन रहे हैं। बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते नेपाल सरकार ने अप्रैल 2021 में देश के सभी शिक्षण संस्थानों को कुछ दिनों के लिए बंद करने का फैसला भी लिया था। वायु प्रदूषण के खतरनाक प्रभावों को निम्‍न प्रकार से समझ सकते हैं-

 

स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रभाव

  1. दुनिया भर में 90% लोग ऐसी हवा में सांस ले रहे हैं जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मानव के लिए हानिकारक है। यह औसतन हर व्यक्ति की आयु में से तीन साल छीन रहा है। शोध के अनुसार वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा बच्चों, बुजुर्गों पर हो रहा है।
  2. वर्ष 2020 में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के स्तर में हुई मामूली वृद्धि भी हृदय, सांस सम्बन्धी मौतों के जोखिम में वृद्धि कर सकती है।   
  3. वायु प्रदूषण दुनिया भर में होने वाली अनेकों मौतों के साथ साथ लोगों के गिरते स्वास्थ्य स्तर के लिए भी जिम्मेवार है। इसके कारण दुनिया भर में  कैंसर, अस्थमा, श्वास संबंधी बीमारियां बढ़ती ही जा रही हैं और शारीरिक के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य भी गिरता जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप अवसाद, हिंसा, आत्महत्या के मामले भी बढ़ रहे हैं।
  4. स्टेट ऑफ ग्लोबल रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण के चलते 2019 में भारत के 116,000 से भी ज्यादा नवजातों की मौत हुई थी, जबकि इसके कारण 16.7 लाख लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।
  5. इस प्रकार वायु प्रदूषण एक ऐसा खतरा है जिससे कोई नहीं बच सकता । ऐसे में बचने का सबसे अच्छा उपाय यह है कि इसमें कमी लाया जाए ।

अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

  1. लांसेट प्लेनेटरी हेल्थ में प्रकाशित रिपोर्ट 'इंडिया स्टेट लेवल डिजीज वर्डन इनीसियेटिव' के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण देश को कुल सकल घरेलू उत्पाद के 1.4 फीसदी के बराबर की क्षति हो रही है।
  2. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा 2020 में जारी रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण के चलते उत्तरी और मध्य भारतीय राज्य भारी आर्थिक क्षति उठा रहे हैं जिनमें उत्तर प्रदेश और बिहार सर्वाधिक प्रभावित हैं। रिपोर्ट के अनुसार राज्यों में उत्तर प्रदेश (GDP का 2.15%) एवं बिहार (GDP का 1.95%) भारी क्षति का सामना कर रहे हैं।
  3. स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में वायु प्रदूषण के सबसे ज्यादा शिकार गरीब देशों के लोग हो रहे हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट 2021 के रिपोर्ट के अनुसार भारत के जिन राज्यों में गरीबी है और जहां पार्टिकुलेट मैंटर 2.5 का प्रदूषण ज्यादा है वहां वायु प्रदूषण जनित मौतें ज्यादा हुई हैं। यह विश्लेषण बताता है कि खासतौर से ऐसे राज्य जो गरीब हैं और जहां बच्चों व माताओं के लिए कुपोषण एक समस्या है वहां वायु प्रदूषण ज्यादा प्रभावी है।

पर्यावरण पर प्रभाव

  1. अक्टूबर 2021 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन की कार्बन डाईऑक्साइड पर रिपोर्ट के अनुसार आने वाले समय में स्थलीय पारिस्थितिक तंत्रों और महासागरों की सिंक यानी वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड सोखने की क्षमता कम हो सकती है और धीरे-धीरे हमारा वायुमंडल गैस चैंबर बन जाए। 
  2. उल्लेखनीय है कि मानवीय गतिविधियों से उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड का लगभग आधा हिस्सा महासागरों और स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है जबकि लगभग आधा हिस्सा मौजूदा वक्त में वायुमंडल में ऐसे ही बना हुआ है। चिंता की बात यह है कि इन स्थलीय पारिस्थितिक तंत्रों और महासागरों की कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने की क्षमता भविष्य में कम हो सकती है। 

  

वायु प्रदूषण के स्रोत एवं उससे मुक्‍त होनेवाले प्रदूषक

स्रोत - जीवाश्म ईंधन

मुक्त प्रदूषक - सल्फर ऑक्साइड, (So2), सलफ्यूरिक अम्ल (H2SO2), हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) और कार्बन-डाइ-ऑक्साइड (CO2


स्रोत- ऑटोमोबाइल और थर्मल पॉवर प्लांट

मुक्त प्रदूषक- नाइट्रस ऑक्साइड (NO), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO2), कॉर्बन-मोनो-ऑक्साइड (CO), नाइट्रिक अम्ल (HNO3


स्रोत- उद्योगऑटोमोबाइल क्षेत्र

मुक्त प्रदूषक -निकिलआर्सेनिक और सीसाफ्लोराइडप्रकाश रासायनिक धुंध (Photochemical Smog) 


स्रोत- सीमेंट उद्योगवाहनघरेलू ईंधनएवं उद्योग

मुक्त प्रदूषक -निलंबित कणिकीय पदार्थ 


भारत में वायु प्रदूषण का प्रभाव

स्टेट ऑफ़ ग्लोबल एयर 2020 की रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण भारत का सबसे बड़ा स्वास्थ्य जोखिम है। भारत में वायु प्रदूषण जनित बीमारियों से वर्ष 2019 में लगभग 1.67 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई। हांलाकि कोविड काल में लगे लॉकडाउन में वायु प्रदूषण कुछ कम हुआ था परन्तु यह अब फिर से बढ़ गया।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट एवं डाउन टू अर्थ की ओर से फरवरी 2021 को जारी State of Indias Environment Report 2021 केबैड ब्रीदिंगअध्याय में उल्लेखित तथ्यों के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण वर्ष 2019 में 16.7 लाख मौते हुई जिनमें 50% मौतें केवल पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में हुई है। यह विश्लेषण बताता है कि खासतौर से ऐसे राज्य जो गरीब हैं और जहां बच्चों व माताओं के लिए कुपोषण एक समस्या है वहां वायु प्रदूषण ज्यादा प्रभावी है।

हिमालय और तराई के आसपास के क्षेत्रों में वाहनों, फसलों के दहन से पैदा होने वाले प्रदूषण से प्रदूषक कणों का उत्सर्जन हो रहा है। ये कालिख या काले कणों जैसे वायु प्रदूषक ग्लेशियर की सतह पर गर्मी को अवशोषित करने के लिए जिम्मेदार हैं, जो इनके पिघलने में तेजी लाते हैं।

हाल ही में यूएस बेस्ड हेल्थ इफ़ेक्ट इंस्टिट्यूट द्वारा एक प्रस्तुत प्रतिवेदन के अनुसार वायु प्रदूषण भारत हेतु सबसे बड़ा स्वास्थ्य जोखिम बन चुका है। वर्तमान में भारत में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या के साथ-साथ वायु प्रदूषण का बढ़ना चिंताजनक  स्थिति है । वायु प्रदूषण कोरोना के प्रति सुभेद्यता को बढ़ा देगा क्योंकि कोरोना से हो रही मृत्यु में ह्रदय तथा फेफड़े की कमजोरी बड़ा कारक है।

जनवरी, 2022 को लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ नामक जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार

  यातायात से संबंधित वायु प्रदूषक के कारण वैश्विक स्तर पर बच्चों में अस्थमा के लगभग 2 मिलियन नए मामले सामने आए हैं।

  यातायात वाहनों द्वारा निस्सृत नाइट्रोजन डाइऑक्साइड गैस बच्चों को अस्थमा के खतरे में डालती है। वर्ष 2019 में वैश्विक स्तर पर NO2 के कारण 1.85 मिलियन नए बाल अस्थमा के मामले दर्ज किये गए। इसमें से दो-तिहाई मामले शहरी क्षेत्रों में पाए गए थे।

  दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व (पश्चिम एशिया) और उप-सहारा अफ्रीका में NO2 का स्तर बढ़ रहा है।

  अकेले 2019 में 1.8 मिलियन से अधिक मौतों को शहरी वायु प्रदूषण से जोड़ा जा सकता है।

 

वायु प्रदूषक के कारण

  1. भोजन बनाने, ऊर्जा और घरों में प्रकाश आदि हेतु जीवाश्म ईंधन और लकड़ी आदि जलाना।
  2. कोयला-आधारित संयंत्र, डीज़ल जनरेटर, उद्योगों से निकालने वाला धुआँ
  3. कृषि अपशिष्ट को जलाना, धान के खेत, पशुओं द्वारा मीथेन का उत्पादन।
  4. खुले में अपशिष्ट को जलाना।
  5. परिवहन क्षेत्र में वाहनों से निकलने वाला धुंआ। दिल्ली NCR में कुल प्रदूषण में वाहनों का लगभग 40% योगदान है।

भारत में परिवहन क्षेत्र द्वारा उत्सर्जन

भारत का परिवहन क्षेत्र भारत के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 10% का योगदान देता है तथा सड़क परिवहन कुल कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जन में 90% से अधिक का योगदान देता है।

अनुमान के अनुसार परिवहन क्षेत्र में कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जन प्रति वर्ष 4.1 से 6.1 प्रतिशत की दर से बढ़ता रहेगा जिससे 2010 की तुलना में 2050 में कार्बन डाई आक्साइड उत्सर्जन में सात गुना की वृद्धि होगी।

इसी संदर्भ में PM 2.5 के उत्सर्जन में 2050 तक 2.6 गुना तक की वृद्धि होने का अनुमान है। यह वायु-गुणवत्ता संबंधी गंभीर समस्याओं को बढ़ा देगा और दीर्घकालिक जलवायु-शमन लक्ष्यों को पूरा करने में चुनौतियां पैदा करेगा।

 

सरकार के प्रयास

भारत सरकार ने वर्ष 2019 में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने हेतु राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम की शुरुआत की जिसका लक्ष्य वर्ष 2017 को आधार वर्ष मानते हुए वर्ष 2024 तक पीएम सांद्रता में 20 से 30% की कमी हासिल करना है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम को 132 शहरों में लागू किया गया है तथा भारत में विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न होने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित और कम करने हेतु अनेक कदम उठाए जा रहे हैं।


औद्योगिक उत्सर्जन

  1. कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्र हेतु कड़े उत्सर्जन मानक निर्धारित किए गए हैं । जुलाई 2018 से केवल अनुमति पर क्रियाओं को छोड़कर देश में आयातित पेट कोक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।।
  2. अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों में ऑनलाइन निरंतर उत्सर्जन निगरानी उपकरण लगाए गए हैं।
  3. प्रदूषण को कम करने हेतु ईट भट्टों को जिग जैग तकनीक में स्थानांतरित कर दिया गया है।

धूल और कचरे जलने से उत्पन्न होने वाला प्रदूषण

  1. ठोस अपशिष्ट, प्लास्टिक अपशिष्टई कचराजैव चिकित्सा अपशिष्टनिर्माण और विध्वंस अपशिष्ट और खतरनाक अपशिष्ट को कवर करते हुए 6 अपशिष्ट प्रबंधन नियम अधिसूचित किए गए हैं ।
  2. प्लास्टिक और कचरा प्रबंधन हेतु विस्तारित उत्पादक जिम्मेवारी  शुरू की गई है।
  3. बायोमास या कूड़ा कचरा चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

परिवेशी वायु गुणवत्ता की निगरानी 

  1. राष्ट्रीय वायु निगरानी कार्यक्रम के तहत मैनुअल के अलावा निरंतर निगरानी स्टेशनों के माध्यम से वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क का विस्तार किया गया है। इसके तहत निगरानी प्रौद्योगिकी जैसे सेंसर और उपग्रह आधारित निगरानी का आकलन करने हेतु पायलट परियोजना शुरू की गई । 
  2. इसके अलावा तात्कालिक कार्यवाही करने हेतु अलर्ट प्रदान करने वाली वायु गुणवत्ता पूर्ण चेतावनी प्रणाली लागू की जा रही है।

 

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास

  1. स्वच्छ एवं नवीकरणीय ऊर्जा हेतु अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन।
  2. पेरिस जलवायु समझौते के प्रति प्रतिबद्धता एवं उसके लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु नीतियां का कार्यान्वयन।
  3. मीथेन, ब्लैक कार्बन और हाइड्रो फ्लोरोकार्बन जैसे पर्यावरणीय प्रदूषकों को कम करने हेतु वर्ष 2019 में "जलवायु और स्वच्छ वायु संघ" (CCAC) की शुरुआत। इस संघ में विभिन्न देशों (भारत शामिल) के अलावा अंतर-सरकारी संगठनों, व्यावसायिक संगठनों, वैज्ञानिक संस्थाओं की स्वैच्छिक साझेदारी है।
  4. WHO ने वायु प्रदूषण के प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों के समाधान के लिये वर्ष 2015 में 4 स्तरीय रणनीति का एक संकल्प अपनाया।

सरकार के अन्‍य प्रयास

  1. प्रदूषण में कमी,रोकथाम, नियंत्रण हेतु वायु प्रदूषण बचाव एवं नियंत्रण अधिनियम, 1981
  2. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा ,राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम का संचालन ।
  3. पर्यावरण की रक्षा हेतु अर्द्धन्यायिक निकाय राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण का गठन।
  4. कार्बनडाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने हेतु हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण हेतु नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान प्रारंभ।
  5. देश के बड़े शहरो के प्रदूषण के रियल टाइम मापन हेतु 2015 में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक।
  6. दिल्ली में स्मॉग टॉवर का उद्घाटन, वायु प्रदूषण के नियमन के लिये प्राण पोर्टल का शुभारंभ किया।
  7. स्वच्छ घरेलू ऊर्जा हेतु उज्ज्वला योजना के तहत LPG रसोई गैस की उपलब्धता।
  8. व्यापक अखिल भारतीय वायु प्रदूषण उन्मूलन योजना "राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम" वर्ष 2019 में शुरू किया गया।
  9. ब्रीद- द्वारा वायु प्रदूषण के मुकाबले हेतु नीति आयोग का 15 पॉइंट एक्शन प्लान।
  10. राष्ट्रीय ऑटोमोबाइल स्क्रैपेज नीतिके तहत पुराने व अनफिट वाहनों को नष्ट करने की व्यवस्था। 
 

परिवहन क्षेत्र को ऊर्जा दक्ष तथा प्रदूषण मुक्त बनाने हेतु सरकार के प्रयास

 

इथेनॉल ब्लेडिंग प्रोग्राम

  1. सरकार द्वारा इथेनॉल सम्मिश्रण हेतु जारी रोडमैप के तहत इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को परिवर्तित करके 2025 तक पूरा करना है।
  2. सितम्बर 2021 के अनुसार भारत 8.5% इथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर चुका है और 2025 तक 20% लक्ष्य हासिल करने की ओर अग्रसर है

हाइड्रोजन ईधन

  1. राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के तहत हरित ऊर्जा के माध्यम से हाइड्रोजन उत्पादन पर जोर दिया जाएगा। यह भारत की बढ़ती अक्षय ऊर्जा क्षमता को हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था से जोड़ने में मदद करेगा।

इलेक्ट्रिक वाहन नीति

  1. इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2020 का लक्ष्य 2024 तक कुल वाहनों में 25% इलेक्ट्रिक वाहन तथा बसों में 50% इलेक्ट्रिक बसों को शामिल करना है। यह वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  2. इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहन प्रौद्योगिकी के निर्माण को बढ़ावा देने हेतु भारी उद्योग विभाग द्वारा फेम इंडिया योजना 2015 लाया गया ।
  3. फेम-2 योजना में सब्सिडी को बढ़ाकर स्वच्छ गतिशीलता को प्रोत्साहन ।
  4. इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने में  तेजी लाने हेतु लिंक्ड प्रोत्साहन योजना द्वारा उन्नत सेल उत्पादन को बढ़ावा ।
  5. 15 साल से पुराने किसी भी वाहन को खत्म करना कानूनी रूप से आवश्यक कर दिया गया।         

अन्य प्रयास

  1. ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने हेतु नीति आयोग और विश्व संसाधन संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से अगस्त 2021 में फोरम फॉर डीकार्बोनाइजिंग ट्रांसपोर्टको लांच किया गया।
  2. अप्रैल 2020 से मानदंड में परिवर्तन करते हुए भारत स्टेज IV के स्थान पर भारत स्टेज VI मानक लागू किया गया।
  3. सार्वजनिक परिवहन हेतु मेट्रो रेल नेटवर्क को बढ़ाया गया है और अधिक से अधिक शहरों को कवर किया गया है।
  4. पेट्रोल में सीएनजी, एलपीजी और इथेनॉल मिश्रण जैसे स्वच्छ वैकल्पिक ईंधन की शुरुआत ।
  5. वर्ष 2030 तक रेलवे द्वारा शुद्ध-शून्य उत्सर्जक बनने का लक्ष्य निर्धारित ।
  6. रेलवे के समर्पित माल गलियारों के संचालन के माध्यम से पहले 30 वर्षों में उत्सर्जन में लगभग 450 मिलियन टन की कटौती का लक्ष्य ।
  7. भारत में मेट्रो रेल का तेजी से हो रहा विस्तार, दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम, केरल सेमीहाई स्पीड रेल जैसी परियोजनाएं त्वरित और निर्बाध अंतर नगरीय लिंकेज प्रदान करेगी जिससे लाखों वाहनों को सड़क से हटाने में सहायता मिलेगी।

 


वायु प्रदूषण पर बिहार सरकार के प्रयास

  1. बिहार सरकार द्वारा केन्द्र सरकार की योजनाओं एवं प्रयासों के साथ समन्वय बनाते हुए वायु प्रदूषण को कम करने तथा हरित पर्यावरण को बढ़ावा देने हेतु जल-जीवन हरियाली अभियान, कृषि रोड मैप, नवीकरणीय ऊर्जा नीति, जैविक कृषि, स्‍वच्‍छ ईंधन नीति को सफलतापूर्वक लागू करने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।
  2. हरित पर्यावरण हेतु बिहार सरकार द्वारा 10 वर्षों का एक्शन प्लान जारी।
  3. बिहार राज्‍य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा UNEP के साथ मिलकर जलवायु परिवर्तन अनुकूल और निम्‍न कार्बन उत्‍सर्जक विकास रणनीति बनायी गयी ।
  4. पटना में वायु प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करने और उनसे निपटने हेतु स्वच्छ वायु डैशबोर्ड की शुरुआत ।
  5. पटना, मुजफ्फरपुर और गया जैसे शहरों में वायु प्रदूषण से बचाव और उसके नियंत्रण हेतु में गठित वायु गुणवत्ता अनुश्रवण समिति द्वारा कार्य योजना तैयार की गई है जिसका क्रियान्वयन किया जा रहा है ।
  6. बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पटना,गया, मुजफ्फरपुर और हाजीपुर में एक एक सतत परिवेशीय वायु गुणवत्ता अनुश्रवण केंद्रों की स्थापना। इसके अलावा बिहार में 24 सतत परिवेशीय वायु गुणवत्ता अनुश्रवण केंद्रों की स्थापना हेतु कार्य आदेश ।
  7. पटना के मास्टर प्लान में चयनित क्षेत्र और मुजफ्फरपुर तथा गया के योजना क्षेत्र में 22 श्रेणियों के प्रदूषक उद्योगों की नई इकाई की स्थापना हेतु स्वीकृति नहीं दी जाएगी ताकि बिहार के यह शहर वायु प्रदूषण से बच सके।
  8. वायु प्रदूषण से बचाव हेतु सरकार ने जून 2020 में पेट कोक और फर्नेस/फ्यूल आयल के उपयोग पर राज्य ईधन नीति तैयार ।
  9. इस नीति के तहत औद्योगिक ईंधन के रूप में पेंट को का उपयोग नहीं किया जाएगा  तथा बिहार में अपेक्षाकृत स्वच्छ ईंधन के बतौर LNG PNG आपूर्ति नेटवर्क तैयार किया जा रहा है।
  10. पटना में ईंट भट्ठों की जांच के साथ निर्माण कार्यों के संबंध में सरकार द्वारा गाइडलाइन जारी की गयी। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देश पर लगभग 3000 ईंट भट्ठों ने अपेक्षाकृत स्वच्छ प्रौद्योगिकी अपना ली है।
  11. समाचार पत्रों में विज्ञापनहोर्डिग, रेडियो जिंगल, नुक्कड़ नाटक आदि के जरिए जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन ।
  12. बिहार सरकार द्वारा फैसला लिया गया कि जो भी किसान पराली जलाएंगे, उन्हें कृषि संबंधित सब्सिडी नहीं दी जाएगी।

 

वायु प्रदूषण कम करने हेतु  बिहार परिवहन क्षेत्र में उठाए गए कदम

 

  1. बैटरी चालित ई रिक्शा के लिए सड़क टैक्स में 50% छूट देकर बिहार सरकार द्वारा CNG और विद्युत चालित वाहनों को बढ़ावा ।
  2. सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बढ़ावा देने हेतु 10 विद्युत बसों की खरीद की गयी है और 25 अतिरिक्त खरीदने की योजना है।
  3. वाहनों के लिए स्वच्छतर ईंधनों (CNG/LPG) की शुरुआत पटना में की गयी।
  4. 15 वर्षीय पुराने सभी  सरकारी वाहनों  तथा व्यावसायिक वाहनों  का परिचालन बंद करने हेतु अधिसूचना जारी 
  5. 12  साल से अधिक पुराने व्यवसायिक वाहनों पर हरित कर (Green Tax)
  6. पटना, दानापुरखगौल और फुलवारी नगर परिषद में 31 मार्च 2021 से डीजल चालि तिपहिया वाहनों का परिचालन बंद करने का निर्णय 
  7. बिहार स्वच्छतर ईंधन नीति 2019 के तहत मौजूदा तिपहिया वाहनों को बदलकर CNG वाहन पर 40,000 की सब्सिडी।
  8. बिहार सरकार द्वारा नए प्रदूषण नियंत्रणाधीन केंद्रों की स्थापना प्रक्रिया सरल बनाई गई।

 

यद्यपि सरकार द्वारा वायु प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से अनेक प्रयास किये गए हैं  तथापि अपेक्षित सफलता नहीं प्राप्त हो पायी है जिसका एक मुख्य कारण जनभागीदारी का अभाव है। अतः आवश्यकता इस बात की है कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए जन आंदोलन चलाया जाय। नागरिक के तौर पर वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में निम्न कार्य किए जा सकते हैं

  1. निजी वाहनों के स्थान पर सार्वजनिक वाहनों का उपयोग।
  2. सोलर पैनल का प्रयोग, हरित गृह, ऊर्जा अनुकूल आवास का निर्माण ।
  3. कार पूलिंग, सार्वजनिक वाहन का उपयोग, छोटी दूरी हेतु साईकल ।
  4. आवश्यकतानुसार बिजली का उपयोग।
  5. टायर, पराली इत्यादि को जलाने से बचना।
  6. उपभोक्तावादी जीवनशैली में बदलाव ।
  7. वृक्षारोपण एवं वृक्षों का संरक्षण।

विकासशील देश के रूप में भारत को आर्थिक विकास एवं पर्यावरण स्थिरता को साथ साथ लेकर चलना होगा। इस संदर्भ में सार्थक तरीके से नीतियों को बनाना होगा जिससे जिससे देश में पारिस्थितिकी तंत्र कुशल और प्रभावशाली बनाने के साथ साथ अर्थव्यवस्था की गति को भी बनाए रखा जा सके।

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