बिहार में ग्रामीण विकास की योजनाएं
बिहार की लगभग 90% आबादी ग्रामीण है तथा
ग्रामीण क्षेत्र के विकास बिना बिहार का विकास नहीं किया
जा सकता । बिहार सरकार ने इसी को समझते हुए जीविका, मरनेगा,
प्रधानमंत्री आवास योजना, जनवितरण
प्रणाली जैसी अनेक योजनाएं चलायी गयी है जो ग्रामीण विकास को समर्पित
है और जिनका उद्देश्य ग्रामीण गरीबी में कमी लाना, रोजगार पैदा करना, कुपोषण दूर करना तथा मानव जीवन की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने की
दिशा में आगे बढ़ना है।
उल्लेखनीय है कि बिहार के व्यवस्था पिछले दशक में सराहनीय दर से बढ़ी है लेकिन इस वृद्धि का अधिकांश भाग द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र में दर्ज हुआ है और दोनों ही शहरी क्षेत्र में अवस्थित होते हैं । अतः व्यापक ग्रामीण विकास नीति में आर्थिक और सामाजिक दोनों प्रकार की जरूरतों की पूर्ति हेतु बिहार सरकार अनेक प्रयास का क्रियान्वयन कर रही है ।
ग्रामीण विकास की दिशा में बिहार सरकार के प्रयास
- ग्रामीण आबादी की आजीविका जरूरतों पर केंद्रित महत्वकांक्षी जीविका का संचालन। उल्लेखनीय है कि स्वयं सहायता समूहों के जरिए ग्रामीण महिलाओं के लिए आजीविका पैदा करने में 'जीविका' ने काफी योगदान दिया है। अकुशल या शारीरिक श्रम करने वाले मजदूरों के लिए रोजगार पैदा करने का एक अन्य प्रभावी ढंग से क्रियान्वित कार्यक्रम मनरेगा है।
- इंदिरा आवास योजना प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण और गृहस्थल वितरण ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को आवास की सुविधा देने वाली महत्वपूर्ण योजनाएं हैं।
- बिहार सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि राज्य में कोई भी गांव बुनियादी बारहमासी सड़क सुविधा से वंचित नहीं रह जाय।
- ग्रामीण लोगों की खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने जन वितरण प्रणाली का प्रभावी क्रियान्वयन किया है।
- गरीब लोगों को पोषण संबंधी जरूरतें पूरी करने के लिए बिहार सरकार ने जन वितरण प्रणाली से सामान्य चावल की जगह फोर्टीफाइड चावल की आपूर्ति करने का निर्णय किया है।
- बिहार में 2021-22 में ग्रामीण विकास पर व्यय गत वर्ष के व्यय से 18.6
प्रतिशत अधिक है। बिहार सरकार के कुल व्यय में ग्रामीण विकास का 9.4 प्रशित हिस्सा है।
- सात निश्चय 1 एवं 2 के माध्यम से पेयजल, गली टोला संपर्क, ग्रामीण मलजल व्यवस्था निपटना हेतु कार्यक्रम ।
- पिछले पांच वर्षों में बिहार सरकार ने ग्रामीण विकास पर अपने व्यय का औसतन 10.1% खर्च किया है जो संपूर्ण भारत के स्तर पर इसके 4.8% के दुगने से भी ज्यादा है। उल्लेखनीय है कि बिहार में कुल व्यय में ग्रामीण विकास पर व्यय का हिस्सा भारत के स्तर किए जानेवाले व्यय से ज्यादा ही रहा है ।
वर्ष |
बिहार कुल व्यय का प्रतिशत |
भारत कुल व्यय का प्रतिशत |
2017-18 |
12.9% |
5.1% |
2020-21 |
9.4% |
5.6% |
2021-22 |
11.1% |
3.8% |
बिहार में ग्रामीण विकास के कार्यक्रम
जीविका
बिहार ग्रामीण जीविका प्रोत्साहन सोसाइटी अथार्त
जीविका वर्ष 2007
में गठित बिहार सरकार की एक संस्था है जो राज्य और केन्द्र
द्वारा प्रायोजित अनेक गरीबी निवारण कार्यक्रमों का क्रियान्वयन कर रही है। इसका
लक्ष्य महिलाओं के सामुदायिक संस्थानों का विकास करके ग्रामीण गरीबों का सामजिक और
आर्थिक सशक्तिकरण करना है ताकि सरकारी अभिकरणों और संस्थानों के माध्यम से वे
बेहतर सेवाएं एवं ऋण हासिल करने में सक्षम हो सकें।
केन्द्र ओर राज्य सरकारों द्वारा संचालित स्वच्छता, स्वास्थ्य एवं पोषण, पर्यावरण सामाजिक मुद्दों जैसे कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के प्रभावी माध्यम होने के कारण ग्रामीण आबादी को तय समय सीमा में बड़े पैमाने पर लाभ हो रहा है। लोहिया स्वच्छ बिहार, जल जीवन हरियाली, नशाबंदी, दहेज उन्मूलन, बाल विवाह आदि के सरकार के अनेक ऐसे कार्यक्रम, योजनाएं नीतियां हैं जिनके प्रति जन जागरुकता एवं क्रियान्वयन में जीविका ने उल्लेखनीय कार्य किया है।
कृषि एवं कृषितर आजीविकाएं जैसे पशुपालन कला एवं शिल्प खंड के अलावा ग्रामीण बाजार, खाद्य सुरक्षा एवं पोषण, स्वास्थ्य, स्वच्छता, शिक्षा जागरुकता वित्तीय समावेशन को भी जीविका द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ावा दिया गया है।
सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत गरीब, कमजोर तबको, देशी शराब या ताड़ी
बनाने, ढोने और बेचने में पारंपरिक रूप से
लगे गरीब परिवारों हेतु जीविका के विविधीकरण, क्षमता निर्माण और धन उपलब्ध में
सुधार द्वारा जीविका का टिकाऊ विकल्प उपलब्ध कराने जीविका के माध्यम
से 1.25 लाख
परिवारों को सहयोग दिया गया है।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जल जीवन हरियाली अभियान के तर्ज पर जीविका ने भी “हरित जीविका हरित बिहार” मिशन 1.5 की शुरुआत की है ।
ग्रामीण
विकास में जीविका की भूमिका
कृषि आजीविकाएं
जीविका कृषि कार्य लक्ष्य के तहत द्वारा स्वयं
सहायता समुह के सदस्यों को तकनीकी सहायता, कौशल, क्षमता निर्माण विपणन,
कौशल भी उपलब्ध कराए जाते हैं। वर्ष 2020-21 में
8 लाख से ज्यादा सदस्यों ने श्री विधि से चावल की खेती की।
वहीं परिवारों में भोजन की पौष्टिकता बढ़ाने हेतु जीविका रसोई बाड़ी की आवधारणा को
बढ़ावा दे रही है।
कृषितर आजीविकाएं
पशुपालन संबंधी हस्तक्षेप के तहत पशु एवं मत्स्य
संसाधन विभाग के साथ मिलकर जीविका द्वारा कार्य किया जा रहा है। इसके तहत समेकित
मुर्गीपालन विकास योजना, पशु सखी
मॉडल के द्वारा बकरी पालकों को आहार प्रबंधन, आश्रय और पशु
चिकित्सा सेवाओं को उपलब्ध कराना, कॉम्फेड के साथ दुग्ध
सहकारी समितियों की स्थापना, पशु एवं स्वास्थय जागरुकता
शिविरों का आयोजन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी
पालन जैसे कार्य में सहायता उपलब्ध करायी जा रही है।
कला एवं शिल्प खंड में जीविका समर्थित उत्पादों
जैसे मधुबनी पेंटिंग, सुजनी
कला, फोल्डर, लैपटॉप, बैग, साड़ी आदि उत्पाद मेलों, खादी
मॉल, अमेजन, GeM आदि के माध्यम से
ऑनलाइन एवं ऑफलाइन बेचे जा रहे हैं।
आपूर्ति शृंखला को मजबूत करने और उचित कीमत पर
उपभोक्ताओं तक सामग्री बेचने हेतु जीविका के माध्यम से ग्रामीण बाजार को भी बढ़ावा
दिया गया है अभी राज्य में 61
ग्रामीण बाजार काम कर रहे है।
जीविका द्वारा दीदी की रसोई भी आरंभ किया गया है
जिसके माध्यम से सरकारी अस्पतालों की कैंटीनों में पोषक खाद्य पदार्थ उचित मूल्य
पर उपलबध कराए जा रहे हैं।
वित्तीय समावेशन
जीविका ने वित्तीय समावेशन के तहत 11 लाख से अधिक सदस्यों को प्रधानमंत्री
जीवन बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा
जैसी योजना के तहत बीमा आच्छादन भी उपलब्ध कराया गया।
जीविका द्वारा बैंक सखियों द्वारा वैकल्पिक
बैंकिंग सुविधा भी उपलबध करायी गयी। सितम्बर 2021 तक 2562 बैंक सखियां ग्राहक
सेवा केन्द्रों का संचालन कर रही है ।
ग्रामीणों को टिकाऊ जीविका उपलब्ध कराने हेतु
जीविका द्वारा जीविकोपार्जन योजना भी आरंभ किया गया जिसके तहत अति गरीब परिवारों
की पहचान कर इनमें से अनेक परिवारों को वित्तीय सहायता भी उपलबध करायी गयी है।
खाद्य सुरक्षा एवं पोषण, स्वास्थ्य
जीविका द्वारा ग्राम संगठन के स्तर पर खाद्य
सुरक्षा कोष की अवधारणा लागू की गयी ताकि सबसे गरीब तबको की खाद्य सुरक्षा की जा
सके।
स्वास्थ्य संबंधी ऋण आवश्यकताओं हेतु जीविका
द्वारा 51,089 गांवों
में स्वास्थ्य जोखिम कोष बनाया गया तथा व्यापक व्यवहार परिवर्तन संवाद संबंधी
हस्तक्षेप लागू किया गया है ताकि स्वास्थ्य, पोषण और
स्वच्छता के बारे में प्रचलित आदतों में बदलाव लाया जा सके।
सौर परियोजना
सौर परियोजना के तहत 3000 से ज्यादा समुदाय
सदस्यों को आमदनी वाले कार्य के बतौर सौर ऊर्जा आधारित हस्तक्षेप चलाने हेतु
प्रशिक्षित किया गया है।
वर्ष 2019 से स्वयं सहायता समूह सदस्य यानी “हरित उद्यमी”
सौर तथा उससे
संबंधित उत्पादों की बिक्री एवं सेवा कार्य में लगे हुए है।
सतत जीविकोपार्जन योजना
बिहार सरकार ने सतत जीविकोपार्जन योजना के
क्रियान्वयन हेतु जीविका को नोडल अभिकरण बनाया है । इसके तहत गरीब, कमजोर तबको,
देशी शराब या ताड़ी बनाने, ढोने और बेचने
में पारंपरिक रूप से लगे गरीब परिवारों हेतु जीविका के विविधीकरण, क्षमता निर्माण
और धन उपलब्ध में सुधार द्वारा जीविका का टिकाऊ विकल्प उपलब्ध कराने की बात कही
गयी है।
इस योजना के तहत अभी तक 1.25 लाख परिवारों को
सहयोग दिया गया है।
हरित जीविका हरित बिहार बिहार सरकार द्वारा जल जीवन हरियाली अभियान के तहत मिशन 5 करोड़ नामक कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस योजना की तर्ज पर जीविका ने भी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में “हरित जीविका हरित बिहार” मिशन 1.5 की शुरुआत की है । इस हेतु जीविका द्वारा निम्न प्रयास किए जा रहे हैा इस अभियान के तहत 2021-22 में वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से जीविका ने पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करके समुदाय के सदस्यों को 1.5 करोड़ पौधे उपलब्ध कराने की पहल की। वर्ष 2021-22 में कुल 97.79 लाख पौधे लगाए गए थे ।
|
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मरनेगा)
इच्छुक ग्रामीण परिवार को न्यूनतम 100 दिनों का गारंटीशुदा अकुशल रोजगार उपलब्ध कराने हेतु मनरेगा की शुरुआत वर्ष 2005 में की गयी थी। मनरेगा जीविका सुरक्षा, सामाजिक संरक्षण और लोकतांत्रिक सशक्तिकरण के माध्यम से ग्रामीण भारत में समावेशी विकास सुनिश्चित करने का एक सशक्त साधन है।
बिहार सरकार मनरेगा के संचालन संबंधी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए इस योजना का क्रियान्वयन बहुत कुशलता से कर रही है जिसे विभिन्न सूचकों के माध्यम से समझा जा सकता है ।
बिहार में मनरेगा की कार्य प्रगति |
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सूचक |
2017-18 |
2021-22 |
परिवारों को
जारी जॉब कार्ड संख्या |
148.3 लाख |
235.3 लाख |
रोजगार पाने
वाले परिवारों की संख्या |
22.5 लाख |
48.0 लाख |
रोजगार सृजन |
817.2 लाख व्यक्ति दिवस |
1811.8 लाख व्यक्ति दिवस |
प्रति परिवार
औसत रोजगार |
36.4 व्यक्ति दिवस |
44.7 व्यक्ति-दिवस |
योजना के तहत
धनराशि का उपयोग |
91.2 प्रतिशत |
98.1 प्रतिशत |
मनरेगा के तहत ग्रामीण पथ संपर्क, अकाल रोधी कार्यों और भूमि विकास की ओर लक्षित परियोजनाओं के जरिए ग्रामीण अधिक संरचना में काफी सुधार हुआ है।
पिछले कुछ वर्षों के दौरान मनरेगा के तहत किए गए काम की संरचना में बदलाव आया है। वर्ष 2017-18 से 2021-22 के बीच व्यक्तिगत जमीन पर पूरे हुए कार्यों का हिस्सा सबसे अधिक था जो पूरे हुए कुल कार्यों का लगभग 89.3 प्रतिशत था।
मनरेगा के तहत पर्यावरण संरक्षण संबंधी कार्य
|
जल जीवन हरियाली मिशन
वर्ष 2019 में बिहार सरकार द्वारा जल
जीवन हरियाली मिशन की शुरुआत की गई ।
ग्रामीण विकास विभाग को इस मिशन का नेतृत्व करने की जिम्मेवारी दी गई है
जिसमें अन्य प्रासंगिक विभाग आवश्यक सहयोग देते हैं । इस मिशन का एक उद्देश्य तालाब, नहर, आहर, पइन जैसी
सार्वजनिक जल भंडारण संरचनाओं की पहचान करना और उनका जीर्णोंद्वार करना है। जल
जीवन हरियाली मिशन के महत्वपूर्ण उद्देश्य निम्न है ।
- सभी सार्वजनिक कुओं, चापाकल और नलकूपों के आसपास
जलशोषणए पुनर्भरण ढांचे का निर्माण करना।
- पहाड़ी क्षेत्रों में छोटी नदियों नालों पर चेक डैम और अन्य जल भंडारण संरचनाओं का निर्माण करना।
- सभी सरकारी भवनों में नए जल संसाधनों और वर्षा जल संग्रहण ढांचों का निर्माण करना।
- ग्रामवासियों को सार्वजनिक भवनों में वर्षा जल संग्रहण ढांचों के निर्माण करने हेतु प्रेरित करना।
- वृक्षारोपण अभियान आयोजित करना।
- किसानों को वैकल्पिक फसलों, टपक
सिंचाई, जैविक खेती और अन्य नई प्रौद्योगिकियों अपनाने
हेतु प्रेरित करना ताकि खेती और सिंचाई की पारंपरिक विधियों पर निर्भरता कम की जा
सके।
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प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण)
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) पूर्व में इंदिरा आवास योजना के नाम से जाना जाता था । वर्ष 2022 तक सबको आवास उपलब्ध कराने के
लिए केंद्र सरकार द्वारा इस योजना को लाया गया। इस योजना में पात्र परिवारों को
सामाजिक आर्थिक एवं जाति गणना 2011 के आधार पर ग्राम सभा
के द्वारा सूचीबद्ध किया जाता है।
बिहार के संदर्भ में यह योजना महत्वपूर्ण है जहां आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है। इसके तहत
अति गरीब परिवारों की जीवन दशा में सुधार लाना है जिनके अपने पक्के मकान नहीं है
उनको बुनियादी सुविधाओं से युक्त पक्का मकान उपलब्ध कराया जाता है।
गृहभूमि वितरण
ग्रामीण क्षेत्र में आवास हेतु भूमि की उपलब्धता
महत्वपूर्ण होती है। अतः बिहार सरकार द्वारा भूमि की उपलब्धता, भूमि
पर लाभार्थी का मलिकाना हक देने हेतु भूमिहीन लोगों को महादलित विकास योजना और
बसेरा अभियान के तहत आवासीय भूखंड आवंटित किए जाते हैं।
बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक ऐसे गरीब है
जिनके पास घर की जमीन नहीं है। अतः इस हेतु सरकार द्वारा महादलित, SC/ST, अति पिछड़ी जातियों के भूमिहीन परिवारों को 5 डिसिमल
भूमि वितरित की जा रही है। वर्ष 2020-21 में 92.9 हजार लाभार्थी को गृहस्थल हेतु भूमि का आवंटन किया गया।
जन वितरण प्रणाली
जन वितरण प्रणाली देश की सबसे बड़ी कल्याण योजनाओं
में से एक है जिसका लक्ष्य गरीबी और कुपोषण में कमी लाना है। यह गरीब और सीमांत
लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करती है। इसके तहत चावल, गेहूं,
चीनी, किरासन तेल जैसी दैनिक उपयोगी
वस्तुएं सब्सिडीयुक्त मूल्य पर उपलब्ध कराई जाती है ।
राशन कार्ड जारी करने की प्रक्रिया अब जन वितरण
एप राशन कार्ड प्रबंधन प्रणाली के माध्यम
से डिजीटलीकृत कर दिया गया है जिसमें नया राशन कार्ड जारी करने, वर्तमान
में संशोधन आदि का प्रावधान है।
बिहार में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को
लागू करवाने में जन वितरण प्रणाली का महत्वपूर्ण योगदान है। खाद्यान्न आवंटन और
उठाव जैसे संकेतको के आधार पर बिहार में जन वितरण प्रणाली का क्रियान्वयन सफल रहा है। वर्ष 2020-21 में चावल एवं गेहूं का उठाव 95.6%
रहा।
2019-20 के अनुसार बिहार में जन वितरण
प्रणाली का ग्रामीण क्षेत्रों में 85.1% तथा शहरी
क्षेत्रों में 74.5% आच्छादन है। इस प्रकार ग्रामीण
क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में इस योजना के
माध्यम से बहुत बड़ी जनसंख्या लाभान्वित होती है।
पंचायती राज संस्थान
स्थानीय शासन द्वारा समग्र ग्रामीण विकास में पंचायती राज संस्थान की भूमिका महत्वपूर्ण है।
बिहार में विकेंद्रीकृत और त्रिस्तरीय पंचायती शासन
प्रणाली है जहां 38 जिला परिषद, 533 पंचायत समितियां और 8067 ग्राम पंचायत कार्यरत है ।
पंचायती राज संस्थान द्वारा रोजगार, गरीबी
निवारण, स्वच्छता, महिला
सशक्तिकरण से संबंधित योजनाओं का क्रियान्वयन ग्रामीण क्षेत्रों में किया जाता है जो समग्र ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
वर्ष 2016-17 से 2020-21 के बीच पंचायती राज संस्थानों के कुल वित्तीय संसाधनों में 26.6%
की वृद्धि हुई है।
सात निश्चय-2 स्वच्छ गांव समृद्ध गांव सात
निश्चय 1 के
सफलतापूर्वक समापन के बाद बिहार सरकार द्वारा सात निश्चय-2
की शुरुआत की गई है जिसके
चौथे निश्चय
के तहत
गांवों को स्वच्छ और समृद्ध बनाना है।
इस कार्यक्रम के 3
घटक है। |
सोलर स्ट्रीट लाइट लगाना ¶ इसके तहत हर गांव में
सोलर स्ट्रीट लाइट लगाई जाएगी और उसके नियमित रखरखाव हेतु प्रावधान किया जाएगा |
ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन ¶ वार्ड स्तर पर समुचित ठोस और तरल कचरा प्रबंधन प्रणाली के साथ हर परिवार से ठोस
कचरे को इकट्ठा कर आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से निदान। ¶ सीवर और सड़कों की
नियमित सफाई तथा सीवर के गंदे पानी के निपटान हेतु उचित उपचार तकनीक का उपयोग। ¶ पिछली योजनाओं के दौरान
किए गए कार्यों की देखरेख और सड़क, शौचालय,
सीवर का नियमित रखरखाव होगा। |
पशु एवं मत्स्य संसाधन का विकास ¶ मुर्गी पालन और मछली
पालन को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए दूध
उत्पादन और प्रसंस्करण किया जाएगा |
ग्राम पंचायत विकास कार्यक्रम
बिहार सरकार के विकासमूलक सात निश्चय कार्यक्रमों
के लिए ग्राम पंचायत मुख्य क्रियान्वयन एजेंसी है। सात निश्चय कार्यक्रम के दो
घटकों का क्रियान्वयन ग्राम पंचायतों के माध्यम से किए जाने की योजना बनाई गई थी।
- मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय
योजना ।
- मुख्यमंत्री ग्रामीण गली नाली पक्कीकरण निश्चय योजना।
इसके अलावा सभी गांवों में ग्राम पंचायत द्वारा
सौर स्ट्रीट लाइट योजना भी लागू किया जा रहा है । यह योजना 2020-25 की अवधि के लिए बने राज्य सरकार के सात निश्चय 2 के महत्वकांक्षी “स्वच्छ गांव, समृद्ध गांव” कार्यक्रम का भी हिस्सा है
जिसका लक्ष्य सभी गांवों में सोलर लाइट लगवाना है।
बिहार के पंचायती राज
संस्थानों द्वारा राष्ट्रीय स्तर की उपलब्धियां को
देखते हुए वर्ष 2021 में
भारत सरकार द्वारा बिहार
के ग्राम पंचायतों को पुरस्कृत भी किया
गया।
- दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार
- नानाजी देशमुख
राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार (2021)
- बाल हितैषी ग्राम
पंचायत पुरस्कार (2021)
रूर्बन (ग्रामीण शहरी) मिशन
भारत के ग्राम संकुलों को नगरीय आर्थिक, सामाजिक
और भौतिक अधिसंरचना उपलब्ध कराकर रूर्बन गांवों का संकुल तैयार करने हेतु केन्द्र सरकार
द्वारा श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन का आरंभ किया गया।
रूर्बन मिशन के पीछे मुख्य विचार ग्राम संकुलों को
विकसित करना है जिसमें समता और समावेशी शहरी सुविधाओं पर फोकस के साथ ग्रामीण
सामुदायिक जीवन की आत्मा पोषित हो।
बिहार में 9 जिलों में कुल 11 संकुल स्वीकृत हुए हैं जिसमें पटना और गया में 2 संकुलों का चयन किया गया है।
लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान
यह मिशन मोड वाला कार्यक्रम है जिसमें केन्द्र सरकार
का स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) तथा राज्य सरकार
की लोहिया स्वच्छता योजना शामिल है। लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान का लक्ष्य बिहार में
स्वच्छता का सर्वव्यापी आच्छादन करना है जो लोगों की सक्रिय भागीदारी और व्यवहार परिवर्तन
संवाद पर ध्यान केन्द्रित करते हुए बिहार को खुल में शौच से मुक्त बनाने हेतु कृतसंकल्प
है।
- इस अभियान के तहत 1.21 करोड़ व्यक्तिगत पारिवारिक
शौचालयों और 8434 सामुदायिक स्वच्छता संकुलों के निर्माण
के द्वारा स्वच्छ लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान का आच्छादन 100% हो गया है।
- लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत 1.3 लाख
बंद पड़े शौचालयों को चालू करवाया गया और अस्वच्छ को स्वच्छ शौचालय में बदला गया ।
- समुदायों में आवश्यक व्यवहार परिवर्तन लाना
सुनिश्चित करने हेतु इस अभियान में लगभग 22,000 स्वच्छाग्रही शामिल हुए ।
ग्रामीण
पेयजल
पाइप से जलापूर्ति की योजनाओं के लिए संचालन और
रखरखाव व्यवस्था के महत्व पर विचार करते हुए बिहार सरकार ने आत्मनिर्भर बिहार के
सात निश्चय 2
के तहत योजना को शामिल किया है । बिहार में ग्रामीण क्षेत्र में
दो योजनाएं हैं ।
- मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना (
गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों के लिए) यह योजना उन क्षेत्रों के
लिए है जहां पानी की गुणवत्ता आर्सेनिक, फ्लोराइड या आयरन
से प्रभावित है । बिहार के 38 में से 29 जिले आर्सेनिक, फ्लोराइड या आयरन से प्रभावित है ।
- मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना ( गैर
गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों के लिए)
बिहार के हर घर नल का जल के सफल
क्रियान्वयन के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर भी 2024
तक हर घर को नल के पानी की आपूर्ति करने की योजना शुरू करते
हुए भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय
द्वारा जल जीवन मिशन नामक ने कार्यक्रम की शुरुआत की गई है।
मुख्य परीक्षा के सरकार द्वारा बिहार के ग्रामीण विकास की योजनाओं में आप निम्न तथ्यों को लिख सकते हैं जो आपके उत्तर को न केवल बेहतर बनाएगा बल्कि यह दूसरों से अलग भी होगा जिससे ज्यादा अंक मिलने की संभावना बढ़ जाएगी। मुख्य परीक्षा की तैयारी आप हमारे नोटस के माध्यम से भी कर सकते हैं।
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