69 bpsc mains, bpsc pre and mains exam ki tayari, bihar daroga and other exams

Aug 19, 2022

प्लास्टिक प्रदूषण की समस्‍या

 

प्लास्टिक प्रदूषण की समस्‍या 


कभी मानव जीवन को सुविधाजनक और आसान बनाने हेतु ईजाद की गयी प्लास्टिक अतिशय तथा अनियंत्रित प्रयोग के कारण आज पर्यावरणीय आपदा बन चुकी है। पिछले 100 वर्षो में सम्पूर्ण विश्व में लगभग अरब टन से ज्यादा प्लास्टिक का उत्पादन किया जा चुका है जो आज विभिन्न रूपों में हमारे आस-पास के पर्यावरण हवा, पानी, भूमि में मौजूद है और हमारे पर्यावरण को प्रदषित कर रहा है।

वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के अनुसार भारत में सालाना 56 लाख टन प्लास्टिक कूड़ा पैदा होता है। हाल ही में सुंदरबन में चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री के अनियंत्रित प्रवाह के परिणामस्वरूप प्लास्टिक जमा होने के कारण इस क्षेत्र में प्लास्टिक कचरा के कारण यहां की खाद्य प्रणाली, जल तथा जैव विविधता, पर्यावरण हेतु एक नया संकट उत्पन्न हो गया।

भारत में उत्पादित कुल प्लास्टिक कचरे  में 43% सिंगल यूज प्लास्टिक की भागीदारी है। निस्संदेह यह एक भयावह परिस्थिति है और इसी को देखते हुए ही भारत के उच्चतम न्यायालय ने भी टिप्पणी की थी "हम इस समय एक प्लास्टिक बम पर बैठे हैं।"

 

प्लास्टिक  रासायनिक रूप से पॉलीमर है जो नमनीयता के आधार पर दो प्रकार का होता है थर्मोप्लास्टिक जो गर्म होने के बाद अपना आकार आसानी से बदल लेता हैं तथा थर्मोसेटिंग जो गर्म होने पर आकार नहीं बदलते।

प्लास्टिक का सबसे खतरनाक रूप माइक्रोबिड्स होता है जो अत्यंत सूक्ष्म 5 मिलीमीटर से छोटे होते हैं जिनका प्रयोग सौन्दर्य उत्पादटूटपेस्ट इत्यादि में होता हैं।


प्लास्टिक प्रदूषण- खतरनाक क्यों

  1. वातावरण में फेंकी गयी प्लास्टिक धीरे-धीरे अपघटित होकर छोटे-छोटे घटकों में टूटती है जो हमारी खाद्य शृंखला में प्रवेश कर जाती है।
  2. प्रत्येक इंसान एक सप्ताह में विभिन्न प्रकार से औसतन 5 ग्राम प्लास्टिक निगल रहा है। प्लास्टिक के ये कण लसीका तंत्र और लीवर में पहुंच कर रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभवित करते हैं। रक्त से साथ मिलकर ये रक्त प्रवाह में बाधा डालते हैं।
  3. प्लास्टिक वर्तमान में जल, थल और वायु तीनों को प्रदूषित कर रहा है। प्लास्टिक में कैंसर कारक तत्व होते हैं ।
  4. वातावरण में प्लास्टिक के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है जो 2030 तक तिगुनी हो जाने की संभावना है इससे जलवायु परिवर्तन, मानव रोगों की संभावना बढ़ेगी।
  5. समुद्री जीव जन्तु,  पशुओं द्वारा जाने-अंजाने प्लास्टिक को खाया जा रहा है जो उनके जीवन को खतरे में डाल रहा है। इसके अलावा प्लास्टिक के जाल, बोत्ल, रस्सियों आदि में अनेक जलीय एवं वनीय जीव उलझे हुए मिल जाते है जो अक्सर उनकी मौत का कारण भी बनते हैं।
  6. प्लास्टिक के अनियंत्रित प्रयोग से यह नदियों, महासागरों में हर जगह व्याप्त हो गए हैं। एक आकलन के अनुसार प्रति वर्ष करीब 10 लाख समुद्री पक्षी और 1 लाख स्तनधारी प्लास्टिक प्रदूषण के कारण मृत्यु का शिकार होते हैं।
  7. माइक्रोप्लास्टिक बैक्टीरिया में एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स को 30 गुना तक बढ़ा सकते है। 
  8. सिंगल यूज प्लास्टिक के निर्माण की लागत और उससे होनेवाले नुकसान से विश्व को प्रति वर्ष 40 अरब डॉलर का नुकसान होता है।
  9. कोरोना वायरस और अन्य बीमारियों के फैलने से रोकने में मदद करनेवाले डिस्पोजेबल फेस मास्क का उचित निपटारा न होने के कारण ये महासागरों में समा रहे हैं जहां ये सूक्ष्म आकार में टूटकर 5 मिमी से छोटे कण उत्पन्न करता है जिसे नैनोप्लास्टिक कहा जाता है।

 

माइक्रोप्लास्टिक

  1. प्लास्टिक के बड़े टुकड़े टूटकर जब छोटे कणों में बदल जाते हैं तो माइक्रोप्लास्टिक कहलाता हैं जिनका आकार 5 मिलीमीटर तक होता है।
  2. माइक्रोप्लास्टिक में माइक्रोबीड्स शामिल हैं जो हमारी रोजमर्रा की चीजों,सौंदर्य प्रसाधनटूथपेस्ट आदि से लेकर हमारे भोजनहवा और पीने के पानी तक में मौजूद हो सकते हैं।
  3. कपड़ों और अन्य वस्तुओं के माइक्रोफाइबर के टूटने पर भी माइक्रोप्लास्टिक्स बनते हैं। 
  4. माइक्रोप्लास्टिक के समुद्री जीवोंपक्षियों में मिलने की पुष्टि के बाद भारत समेत कई देशों ने 2017 में इस पर बैन लगाया ।

सिंगल यूज प्लास्टिक

  1. जो प्लास्टिक पुनः प्रयोग में नहीं लाये जा सकते उन्हें सिंगल यूज प्लास्टिक कहा जाता है। यह तकनीकी रूप से 40 माइक्रोमीटर या उससे कम स्तर के होते है। जैसेकैरी बैगडिस्पोजेबल कपपानी तथा कोल्डड्रिंक की बोतले इत्यादि।


भारत तथा प्लास्टिक प्रदूषण की स्थिति

  1. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष लगभग 56 लाख टन प्लास्टिक कचरा बनता  है। इस अपशिष्ट का 60% रिसाइकल होकर पुनः प्रयोज्य होता है।
  2. भारत में दुनिया के 25 से ज्यादा देशों से किसी न किसी रूप में प्लास्टिक कचरा आता रहता है। भारत में अमेरिका, मध्यपूर्व, बांग्लादेश, पकिस्तान जैसे देशों से रीसाक्लिंग हेतु प्लास्टिक आयात किया जाता है।

भारत में प्रतिबंध के प्रयास

  1. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार भारत के 18 राज्यों में प्लास्टिक थैलियों पर प्रतिबन्ध है।
  2. 2018 के पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा भारत को वर्ष 2022 तक भारत को सिंगल यूज़ प्लास्टिकसे मुक्त करने के आह्वान पर देश में सिंगल यूज़ प्लास्टिकपर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया।
  3. भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलूरू द्वारा अरंडी के तेल और कृषि अवशेषों से एकल उपयोग प्लास्टिक के लिये एक विकल्प बनाया गया।

वर्ष 2021 में घरेलू नियामक कार्रवाइयां (आर्थिक समीक्षा 2021-22)

  1. अगस्त 2021 में पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम 2021 को अधिसूचित किया जिसमें 2022 तक चिन्हित की गई एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया ।
  2. 1 जुलाई 2022 से पॉलिटेक्निक और विस्तारित पॉलिश टाइमिंग सहित चिन्हित एकल उपयोग वाले प्लास्टिक वस्तुओं उत्पादों के आयात, भंडार, वितरण, बिक्री और उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया जाएगा ।
  3. कैरी बैग के कारण होने वाले कचरे को रोकने हेतु प्लास्टिक की थैलियों की मोटाई बढ़ाने संबंधी प्रावधान किया गया ।
  4. प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के अनुसार ऐसे प्लास्टिक पैकेजिंग अपशिष्ट  के प्रबंधन की जिम्मेदारी  उत्पाद निर्माता, आयातक और ब्रांड मालिक को विस्तारित  किया गया ।
  5. सभी राज्य एवं संघ राज्य क्षेत्रों से  एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के उन्मूलन और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु विशेष कार्यबल गठित करने का अनुरोध किया गया।


प्लास्टिक प्रदूषण का कारण

  1. वर्तमान में अनेक उद्योगों में प्लास्टिक का प्रयोग प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से हो रहा है। उदारीकरण तथा संचार क्रांति आने के बाद इसका उपयोग तीव्रता से बढ़ा है।
  2. प्लास्टिक की सुलभ तथा सस्ते रूप में उपलब्धता भी एक कारण है जिससे इसके प्रयोग में कमी नहीं हो पर रही हैं।
  3. आधुनिक जीवनशैली में ई-कॉमर्स कंपनियों, फूड डिलीवरी के कारण प्लास्टिक के उपयोग में वृद्धि हुई है।
  4. प्लास्टिक अपशिष्ट का खराब प्रबंधन के कारण हवा, दूषित जल द्वारा प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण महासागर में प्रवेश कर जाते है।
  5. प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 को प्रभावी तरीके से लागू एवं निगरानी के अभाव में प्लास्टिक प्रदूषण को दूर करने के प्रयास विफल हो रहे हैं।

 

प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभाव

भूमि पर प्रभाव

प्लास्टिक भूमि की भौतिक तथा रासायनिक क्षमता का हास्र कर उर्वरा शक्ति को नष्ट करता है। प्लास्टिक वर्षों बाद अपघटित होकर मृदा को दूषित करता है। इसके अलावा यह जल तथा पोषक तत्वों के अवशोषण में अवरोधक की तरह कार्य करता है। भूमि भराव की प्रक्रिया में प्रयुक्त प्लास्टिक भूमिगत जल को दूषित करते हैं।


जलीय निकायों पर प्रभाव

वर्ल्ड इकनोमिक फोरम की रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग 80 लाख टन कचरा समुद्रो में मिल रहा है जो कोरल रीफ, समुद्री कछुए , व्हेल आदि जैसे समुद्री जीव तथा पादपों दोनों के लिए संकट उतपन्न करता है। एक अनुमान के अनुसार 800 से अधिक जलीय जीव की प्रजातियां प्लास्टिक प्रदूषण से प्रभावित है। वर्तमान में विश्व की लगभग 20 प्रमुख नदियाँ लगभग 14 लाख टन प्लास्टिक को धारण किये हैं जिनमें यांगत्जे प्रथम तथा गंगा दूसरे स्थान पर है।


वायुमंडल पर प्रभाव

कुछ प्लास्टिको को रिसाइकल करने की प्रक्रिया उच्च ताप पर गर्म करके पिघलाया जाता है जिससे कार्बन डाई ऑक्साइड, हाइड्रोजन साइनाइड जैसे विषैली जैसे निकलती हैं जो मानव के श्वसन तंत्र में विकार उत्पन्न करते हैं।


मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव

प्लास्टिक से निकलने वाले रसायनों में ऐसे यौगिक मौजूद होते हैं जो मानव में कैंसर, थाइराइड और आनुवांशिक बीमरियां को उत्पन्न करते हैं।


ड्रैनेज सिस्टम में बाधा

कई बार प्लास्टिक जल निकास के लिये मौजूद प्रणालियों में फँस जाता है और उस क्षेत्र में पानी एकत्रित होने लगता है, जिससे आस-पास के इलाकों में बाढ़ जैसी आपदाएं लाती है और अपशिष्ट-जनित रोगों का प्रसार हो सकता है।


पर्यटन पर प्रभाव

समुद्री तटों, पर्यटक स्थलों पर बिखरे प्लास्टिक कचरे तटों/स्थानों की सुंदरता को प्रभावित करता हैं जिसका पर्यटन राजस्व पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में प्लास्टिक कचरे की अंतर्राष्ट्रीय डंपिंग से द्वीप की प्राकृतिक सुंदरता प्रभावित हुई है।


खाद्य श्रृंखला पर प्रभाव

प्लास्टिक से उत्पन्न रसायन, जैविक प्रजनन प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं जिसके परिणामस्वरूप जीव-जंतुओं की प्रजनन दर कम हो जाती है। इसी क्रम में प्लास्टिक खाने से समुद्री जीव जैसे- प्लेंक्टन, कीड़े, मछलियों, उभयचर इत्यादि को नुकसान होता है तथा खाद्य शृंखला के परस्पर संबंधों के कारण संपूर्ण खाद्य शृंखला प्रभावित होती है।

 

प्लास्टिक प्रदूषण रोकने के उपाय

  1. प्लास्टिक का कम से कम प्रयोग किया जाना चहिए।
  2. प्लास्टिक पर प्रतिबंधित के बजाए प्लास्टिक के विकल्पों पर ज्यादा जोर दिया जाए ।
  3. प्लास्टिक का बेहतर विकल्प  कपड़े, जूट इत्यादि का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चहिए।
  4. बांस तथा अन्य जैविक उत्पादों से निर्मित वस्तुओ के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए ।
  5. उपभोक्तावादी जीवन शैली, Use and throw उत्पादों का न्यूनतम प्रयोग ।
  6. प्लास्टिक कचरे के निपटारे हेतु इसका प्रयोग सड़क निर्माण, विद्युत् उत्पादन जैसे कार्यों में हो सकता है।
  7. प्लास्टिक कचरे के निपटारे हेतु नवचार तकनीको, शोध अनुसंधान को बढ़ावा देना होगा।
  8. प्लास्टिक नुकसान के खतरे के बारे में लोगों में जनजागरुकता लाने का प्रयास करना होगा।
  9. पोलीलैक्टाइड जैसे स्टार्च आधारित प्लास्टिक के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

 

वर्तमान में सम्पूर्ण विश्व प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या से ग्रस्त है। विश्व के कई देशों द्वारा इसे कम करने के प्रयास किये गए हैं। इस समय विश्व के 40 से अधिक देशो जैसे स्वीडन बांग्लादेश, केन्या, ऑस्ट्रेलिया ने प्लास्टिक के आंशिक या पूर्ण प्रतिबंध के प्रावधान किये हैं। भारत में भी इस दिशा में व्यापक प्रयास किए गए हैं। यू.एन.-प्लास्टिक कलेक्टिव (UPC) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, भारतीय उद्योग परिसंघ और WWF- भारत द्वारा शुरू की गई एक स्वैच्छिक पहल है।

 

बिहार सरकार के प्रयास

  1. प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली 2016 को वर्ष 2018 और 2021 में संशोधित किया गया । इसके प्रावधान के अनुसार 24 अक्टूबर 2018 से सभी शहरी क्षेत्रों के क्षेत्राधिकार में और 11 दिसंबर 2018 से सभी ग्राम पंचायतों के क्षेत्राधिकार में कैरी बैग के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री, परिवहन या उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया ।
  2. राज्य सरकार ने एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के समान जैसे खाने पीने के लिए पॉलिस्टीरीन के चम्मच आदि प्लास्टिक के झंडे, बैनर पर पूरे राज्य में पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है जो 1 जुलाई 2022 से प्रभावी  होगा । प्लास्टिक मुक्त भारत की तर्ज पर बिहार सरकार द्वारा भी प्लास्टिक मुक्त बिहार बनाने की दिशा में अनेक प्रयास किए जा रहे हैं।
  3. बिहार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा प्लास्टिक कैरी बैग पर पूरी तरह प्रतिबंध की अधिसूचना 2018 में जारी की गयी। 
  4. प्लास्टिक पैकेजिंग के प्रबंधन के लिए कोकाकोला व पटना नगर निगम के बीच, सुधा डेयरी को अपने दूध के पाउच को संग्रह करने संबंधी एक समझौता हुआ ।
  5. प्लास्टिक अपशिष्ट को खुले में जलाने पर प्रथम बार में 2000 रुपये, द्वितीय बार में 3000 रुपये तथा प्रत्येक बार दोहराए जाने पर 5000 रुपये जुर्माना किया जायेगा ।
  6. थोक विक्रेताओं की दुकानों में प्लास्टिक कैरी बैग के स्टॉक का सर्वेक्षण एवं निगरानी का कार्य ।  
  7. पॉलीथिन के उपयोग आयात, भंडारण एवं खरीद बिक्री पर पूर्णत: प्रतिबंध को लागू करने हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार, होर्डिंग, निजी एवं सरकारी विद्यालयों, पंचायतों के माध्यम से जागरुकता अभियान ।  
  8. प्लास्टिक के स्थान पर वैकल्पिक व्यवस्था हेतु जूट, कपड़े का थैला, कागज का ठोंगा की व्यवस्था । स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं तथा सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर महिलाओं को थैली बनाने का प्रशिक्षण एवं तकनीकी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं ।
  9. पॉलीथिन के उपयोग आयात, भंडारण एवं खरीद बिक्री खरीद-बिक्री पर जुर्माना का प्रावधान ।
  10. प्लास्टिक कचरों का सड़क निर्माण में इस्तेमाल, ऊर्जा उत्पादन करने पर जोर । 

 

चक्रीय अर्थव्यवस्था के तहत 5R यानी रिड्यूज रीयूज, रिसाइकल, रिकवर और रिफ्रयूज की अवधारणा को सरकारों संस्थानों, उद्योगों और नागरिकों  के मध्य लोकप्रिय बनाने के साथ साथ स्वच्छ भारत अभियान में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार कर प्लास्टिक प्रदूषण अवशिष्ट के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

 

BPSC के लिए समर्पित एक विशेष मंच -GK BUCKET STUDY TUEB

66वीं BPSC मुख्य परीक्षा के सफल नोट्स के बाद एक बार फिर Bihar Auditor 67th BPSC तथा CDPO मुख्य परीक्षा हेतु केन्द्रीय बजट 2022, केन्द्रीय आर्थिक समीक्षा तथा बिहार बजट 2022 एवं बिहार आर्थिक समीक्षा के साथ साथ अन्य महत्वपूर्ण रिपोर्ट इत्यादि के अद्यतन आकड़ों के साथ उपलब्ध । 

No comments:

Post a Comment