भारत-एक धर्मनिरपेक्ष राज्य
प्रश्न-
भारतीय संविधान का चरित्र आरंभ से ही धर्मनिरपेक्ष रहा है तथा प्रस्तावना
में भी इसे स्थान दिया गया है फिर भी यदा-कदा होने वाली घटनाएं भारत के
धर्मनिपरेक्ष राष्ट्र होने पर सवाल खडा करती है ? चर्चा करें
भारत-एक धर्मनिरपेक्ष राज्य
धर्म को राज्य से अलग रखने की अवधारणा धर्मनिरपेक्षता कहलाती है । भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है तथा यह भारतीय संविधान का मूल लक्षण है जिसको संविधान भी मान्यता देता है । केशवानंद मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने निर्णय में धर्मनिरपेक्षता को भारत की आधारभूत संरचना का भाग माना।
भारतीय धर्मनिरपेक्षता की
विशेषता
|
संवैधानिक प्रावधानों के आलोक में भारतीय
संविधान किसी धर्म विशेष को भारत के राज धर्म के रूप में घोषित नहीं करता जिसके
संदर्भ में भारत का चरित्र धर्मनिरपेक्ष रहा है फिर भी कुछ ऐसी घटनाएं जैसे घटनाएं
है जो भारत के एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने पर सवाल खड़ा करती है ।
- समान नागरिक संहिता का लागू नहीं होना।
- बाबरी मजिस्द की घटना।
- हाल में घटित दादरी, हिजाब संबंधी विवाद
तथा मॉब लिंचिग की घटनाएं।
- अल्पसंख्यकों में बढ़ती असुरक्षा की भावना।
- उत्तराखंड में हुए धर्म संसद में दिए गए हेट स्पीच।
- प्रशासनिक एवं संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों द्वारा प्रतयक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से धार्मिक समारोह में प्रदर्शन एवं प्रोत्साहन ।
भारत
की धर्मनिरपेक्ष चरित्र को प्रदर्शित करनेवाले तत्व
संवैधानिक प्रावधान
उल्लेखनीय है कि धर्मनिरपेक्ष शब्द का प्रयोग भारतीय संविधान
में नहीं हुआ है तथा प्रस्तावना में 42वें संविधान संशोधन द्वारा पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़ा गया फिर भी संविधान में
कई ऐसे अनुच्छेद हैं जो भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करता है।
भारतीय धर्मनिरपेक्षता संबंधी संवैधानिक प्रावधान |
|
प्रस्तावना |
1976 में 42 वें संविधान संशोधन द्वारा
प्रस्तावना में पंथनिरपेक्षता शब्द जोड़ा गया। प्रस्तावना समाजिक, धार्मिक समानता को
सुनिश्चित करती है। |
|
|
मूल अधिकार |
अनुच्छेद 14- कानून के समक्ष समान सभी व्यक्ति समानता। अनुच्छेद 15- धर्म के नाम पर कोई भेदभाव नहीं
किया जाएगा। अनुच्छेद 16- नियोजन में सभी को समान अवसर। अनुच्छेद 25- किसी भी धर्म को मानने, पूजा अर्चना करने की स्वतंत्रता। अनुच्छेद 26 -किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्यों
के प्रबंध की स्वतंत्रता। अनुच्छेद 27 -किसी को धर्म विशेष कर देने हेतु
बाध्य नहीं किए जाने की व्यवस्था। अनुच्छेद 28- सरकारी संस्थान में धर्म विशेष
निर्देश की मनाही। अनुच्छेद 29- सभी को अपनी भाषा, अपनी संस्कृति को सुरक्षित रखने का अधिकार। अनुच्छेद 30- अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान
की स्थापना करने एवं संचालन का अधिकार। |
नीति निदेशक तत्व |
अनुच्छेद 44- समान नागरिक
संहिता। |
इस प्रकार संवैधानिक प्रावधानों के संदर्भ में भारतीय राज्य द्वारा अनेक प्रकार से अपने धर्मनिरपेक्षता के स्वरूप को बनाए रखा जाता है जिसे निम्न प्रकार से समझा जा सकता है:-
भारतीय राज्य द्वारा किए जानेवाले कार्य
राज्य द्वारा स्वयं
को धर्म से दूर रखना
- स्वयं को धर्म से दूर रखता है। इसके
अलावा राज्य की कमान किसी एक धार्मिक समूह के हाथों में नहीं देता है और न ही
विभिन्न सरकारी संस्थानों,
कार्यालयों, विद्यालयों आदि में किसी खास धर्म
के प्रोत्साहन या प्रदर्शन करता है।
अहस्तक्षेप की नीति
- इसी संदर्भ में अहस्तक्षेप की नीति भी अपनायी गयी है जिसके परिप्रेक्ष्य में सभी धर्मो की भावनाओं का सम्ममान करने और धार्मिक क्रियाकलापों में दखल न देने के लिए राज्य द्वारा कुछ खास धार्मिक समुदायों को रियायत (जैसे सिक्ख समुदाय को हेलमेट न पहनने की छूट) दी जाती है ।
हस्तक्षेप की नीति
- इस नीति के द्वारा भी भारतीय राज्य अपने धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बनाए रखता है जिसके तहत धर्म के नाम पर भेदभाव रोकने हेतु छुआदूत की पाबंदी ।
- नागरिकों के अधिकारों की रक्षा हेतु
निजी धार्मिक कानूनों (संपत्ति का अधिकार, तीन तलाक) में हस्तक्षेप करना ।
- कई बार राज्य सहायता के रूप में भी हस्तक्षेप
करता है तथा इस हेतु प्रावधान भी दिए गए है जिसके तहत धार्मिक समुदायों को स्कूल/कॉलेज
खोलने, हज इत्यादि को इसके
तहत रखा जा सकता है।
धर्मनिरपेक्ष
समाज की कसौटी
भारतीय राज्य को धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर रखा जाए तो भारत में एक धर्मनिरपेक्ष राज्य के सभी गुण प्राप्त होते हैं जिसे निम्न प्रकार समझा सकता है।
- विभिन्न धर्म के
अनुयायियों के बीच किसी प्रकार का भेदभाव ना हो।
- किसी धार्मिक समुदाय के भीतर सभी
वर्गों समूह की स्वतंत्रता,
समानता एवं अधिकार समान हो
- धर्म व्यक्ति के जीवन का निजी मामला होना चाहिए इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए।
- एक धर्मनिरपेक्ष समाज में नास्तिक के भी उतने ही अधिकार होते हैं जितने आस्तिक के होते हैं।
स्पष्टत: भारत में एक धर्मनिपरेक्ष
राज्य की सभी विशेषताएं है तथा इसको निर्धारित करने लक्षण आरंभ से ही संविधान में
विद्यमान है जो इसके धर्मनिरपेक्ष चरित्र को प्रदर्शित करता है।
धर्मनिरपेक्षता
का भारतीय मॉडल
- एक धर्म के भिन्न-भिन्न पंथों के बीच समानता पर जोर देता है ।
- भारतीय धर्मनिरपेक्षता मॉडल में अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों की रक्षा की गई है।
- राज्य द्वारा समर्थित धार्मिक सुधार की अनुमति है जैसे सबरीमाला, हाजी अली ।
- व्यक्ति एवं धार्मिक समुदाय दोनों के अधिकारों की रक्षा की गई है।
धर्मनिरपेक्षता
का यूरोपियन मॉडल
- धर्म एवं राज्य एक दूसरे में हस्तक्षेप नहीं करते।
- व्यक्ति के अधिकारों को महत्व दिया गया है जबकि समुदाय आधारित अधिकारों पर कम ध्यान दिया जाता है।
- विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच समानता की भावना।
BPSC मुख्य परीक्षा संबंधी नोट्स की विशेषताएं
- To the Point और Updated Notes
- सरल, स्पष्ट एवं बेहतर प्रस्तुतीकरण ।
- प्रासंगिक एवं परीक्षा हेतु उपयोगी सामग्री का समावेश ।
- सरकारी डाटा, सर्वे, सूचकांकों, रिपोर्ट का आवश्यकतानुसार समावेश
- आवश्यकतानुसार टेलीग्राम चैनल के माध्यम से इस प्रकार के PDF द्वारा अपडेट एवं महत्वपूर्ण मुद्दों को आपको उपलब्ध कराया जाएगा ।
- रेडिमेट नोट्स होने के कारण समय की बचत एवं रिवीजन हेत उपयोगी ।
- अन्य की अपेक्षा अत्यंत कम मूल्य पर सामग्री उपलब्ध होना।
- मुख्य परीक्षा को समर्पित टेलीग्राम ग्रुप की निशुल्क सदस्यता ।
मुख्य परीक्षा के नोटस के लिए सैंपल हेतु अथवा ज्यादा जानकारी हेतु 74704-95829 पर कॉल/ Whatsapp करें । इसी प्रकार मुख्य परीक्षा की तैयारी करने हेतु महत्वपूण्र अन्य लेख हेतु नीचे दिए गए लिंक पर जाए ।
No comments:
Post a Comment