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Oct 9, 2022

अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता एवं हेट स्‍पीच

अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता एवं हेट स्‍पीच 

सामान्‍य परिभाषा के अनुसार ऐसा सार्वजनिक वक्तव्य जो किसी व्यक्ति, किसी समुदाय या किसी समूह के विरुद्ध नफरत को बढ़ावा देता है अथवा हिंसा के लिए प्रेरित करता है हेट स्पीच कहलाता है।

भारत एक विविधतापूर्ण राष्‍ट्र है जहां विभिन्‍न धर्म, जाति, समुदाय, भाषा आदि के लोग रहते है तथा सभी के हितों की रक्षा, आपसी सामंजस्‍य एवं अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता हेतु संविधान में अनेक प्रावधान किए गए है ।  फिर भी आए दिए ऐसी घटनाएं देखने सुनने को मिलती है जिसमें संविधान में प्रदत्‍त अभिव्‍यक्ति के अधिकारों की सीमा से बाहर जाकर किसी विशेष धर्म, जाति, समुदाय के विरुद्ध्‍ ऐसी भाषा का प्रयोग किया जाता जिससे न केवल सामाजिक सौहार्द बिगाड़ता है बल्कि यह साम्‍प्रदायिक रूप भी धारण कर लेती है ।

अनुच्छेद 19(1) विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

भारतीय लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार राज्य के विरुद्ध नागरिकों को प्रदान किया गया है  जिसके माध्यम से प्रबुद्ध नागरिकलेखकपत्रकार आदि सरकार के कार्यों नीतियों की समालोचना करते रहते हैं । इससे सरकार को अपनी नीतियों की खामियों के बारें में जानकारी तथा उसमें सुधार का अवसर मिलता है। अभिव्यक्ति का अनुचित प्रयोग राज्य को शक्ति प्रदान करता है कि वह नागरिकों की अभिव्यक्ति को सीमित करें ।

संविधान का अनुच्छेद 19(1) एक ओर जहां नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है वहीं दूसरी ओर 19(2) राज्य को अधिकार देता है कि राष्ट्रीय एकताअखंडताकानून व्यवस्थाशालीनता आदि को प्रभावित करने वाले भाषण/अभिव्यक्ति पर उचित प्रतिबंध लगा सकता है। निम्न आधारों पर विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर निर्बंधन लगाए जा सकते हैं-

  1. राज्य की सुरक्षा के लिए।
  2.  लोक व्यवस्था भंग होने या किसी अपराध के लिए उकसावे जाने की स्थिति में।
  3.  ऐसे कथनों का प्रकाशन पर प्रतिबंध जो लोक नैतिकता या शिष्टता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
  4.  न्यायालय की अवमानना के मामले में।
  5.  किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा मान सम्मान को हानि पहुंचाने के मामले में।
  6. अपराध उद्दीपनउकसानेउत्तेजनापूर्ण भाषण।
  7.  भारत की संप्रभुताएकताअखंडता आदि के विरुद्ध

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की नैतिक सीमाएं

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार निरपेक्ष नहीं है बल्कि राज्य इस पर आंतरिक सुरक्षासंप्रभुताविदेशी संबंध के आधार पर युक्तियुक्त प्रतिबन्ध लगा सकता है।अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ ही हमें दूसरों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान भी करना चाहिए । विरोधी विचारों के प्रति सहिष्णुता रखनी चाहिए तथा दूसरों की गरिमा और निजता के अधिकार का सम्मान भी करना चाहिए।


भारत में हेट स्पीच संबंधी प्रावधान

उल्लेखनीय है कि भारतीय संविधान या कानून में हेट स्पीच के लिए कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गयी है फिर भी अनेक स्‍थानों पर इससे संबंधित प्रावधान दिया गया है जिसमें प्रमुख निम्‍नानुसार है-

भारत में हेट स्पीच संबंधी प्रावधान

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(2)

भारतीय संविधान में हेट स्पीच को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगने वाले युक्तियुक्त निर्बंधों के अधीन एक श्रेणी के रूप में रखा गया है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए तथा 153 बी

 

किसी धर्म, मूल, जन्म स्थान, भाषा, जाति, अथवा समुदाय या अन्य ऐसे किसी आधार पर विभेदात्मक भावना के साथ बोला, लिखा अथवा अभिव्यक्त किया गया कोई भी शब्द यदि किसी व्यक्ति अथवा समूह विशेष के विरुद्ध हिंसात्मक भावनाओं को भड़काता है अथवा सौहार्द को बिगड़ता है तो दोषी को 3 वर्ष तक की निरुद्धि (कारावास) अथवा जुर्माना या दोनों हो सकता है।

पुलिस अनुसंधान तथा विकास ब्यूरो के अनुसार

 

ऐसा अभिभाषण जिसमे व्यक्ति या समूह के नस्ल, जाति, लिंग, यौन, विकलांगता, धर्म के आधार पर उसके विरुद्ध अपमानजनक अभिव्यक्ति, धमकी या बदनामी करने का प्रयास किया गया हो।

विधि आयोग की 267वी रिपोर्ट के अनुसार

ऐसे भाषण जिसके द्वारा नस्ल, जाति, लिंग, लैंगिक अभिविन्यास, धार्मिक विश्वास इत्यादि के विरुद्ध घृणा तथा हिंसा को बढ़ाने का प्रयास किया गया हो।


उल्लेखनीय है कि भारत जैसे विविधतापूर्ण राष्ट्र में हेट स्पीच बड़ी समस्याओं में से एक है जो सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने तथा संप्रदायिकता को भड़काने के लिए प्रयोग की जाती है। भारत में हेट स्पीच के प्रयोग के अनेक कारण है।

  1. ध्रुवीकरण तथा तुष्टीकरण हेतु किसी विशेष समुदाय या जाति के प्रति प्रायः हेट स्पीच के प्रयोग किए जाते है।
  2. सांस्कृतिक श्रेष्ठता की भावना से प्रेरित होकर अपनी विचारधारा, समुदाय को श्रेष्ठ मानना।
  3. चुनाव में समुदाय विशेष को आकर्षित करने तथा राजनीतिक लाभ प्राप्त करने हेतु।
  4. एक समूह द्वारा दूसरे समूह के प्रति द्वेषात्मक भावना रखना ।
  5. जाति तथा धर्म के आधार पर बनाये गए चुनावी मुद्दे को प्राथमिकता दिया जाना।
  6. भारतीय राज्य का स्वरूप पंथनिरपेक्ष लेकिन समाज धार्मिक प्रवृति का होना इस कारण कई बार विचारों में संतुलन नहीं हो पाता।

हेट स्‍पीच के दुष्‍प्रभाव

हाल में घटित कुछ घटनाओं जैसे दिसम्‍बर 2021 में हरिद्वार में आयोजित एक 'धर्म संसद' दिल्ली में 'हिन्दू युवा वाहिनी' द्वारा आयोजित कार्यक्रम इत्‍यादि को देखा जाए तो स्‍पष्‍ट होता है कि हाल के वर्षों में हेट राजीनतिक तथा अन्‍य तात्‍कालिक लाभ हेतु हेट स्‍पीच की प्रवृत्ति बढ़ी है ।

हेट स्‍पीच भारत की विविधता में एकता के लिए खतरा है जो सामाजिक सौहार्द एवं सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने के साथ-साथ साम्‍प्रदायिकता, अलगाववाद एवं, क्षेत्रवाद जैसी राष्‍ट्र विरोधी गतिविधियों के साथ साथ आपराधिक घटनाओं, समाज के पिछड़े, अल्‍पसंख्‍यक समुदाय, समलैंगिकों, महिला आदि के प्रति हिंसा को बढ़ावा देता है जिसका राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक नुकसान अत्‍यंत घातक होता है ।

हेट स्पीच के दुष्प्रभाव

  1. हेट स्पीच से सामाजिक तानाबाना बिगड़ जाता है और नफरत बढ़ती है।
  2. हेट स्पीच  द्वारा सांप्रदायिक तत्व सक्रिय हो जाते हैं और सामजिक तनाव, मॉब लिंचिंग, सांप्रदायिक दंगों के होने की संभावना बढ़ती है।
  3. शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के भावना को नकार कर विविधता में एकता के हेतु संकट उत्पन्न करता है।
  4. हेट स्पीच समाजिक शांति को समाप्त कर अराजकता को जन्म देता है।
  5. हेट स्पीच से समाज के वंचित वर्ग के सदस्य की अपराधिक गतिविधियों में सम्मिलित होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  6. भारत जैसे सहिष्णुतापूर्ण और लोकतांत्रिक देश के लिए हेतु हेट स्पीच उचित नहीं है।
  7. कुछ वर्ग जैसे SC/ST, अल्पसंख्यक वर्ग, महिलाएं, समलैंगिक समुदाय इत्यादि की वंचना और बढ़ जाती है और वे मुख्यधारा से दूर हो जाते हैं।
  8. अंतर्राष्‍ट़ीय स्‍तर पर भा‍रत की छवि प्रभावित होती है और कई बार इसका राजनीतिक, आर्थिक नुकसान भी भारत को उठाना पड़ता है। 
भारत में बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर अक्‍टूबर 2022 में सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा भी चिंता जाहिर करते हुए टिप्‍पणी करते हुए कहा गया कि " हमारा देश किस ओर जा रहा है? क्यों केंद्र सरकार इस मामले में मूक दर्शक बनकर खड़ी है?

हेट स्‍पीच को रोकने हेतु उपाए

भारत जहां विभिन्न भाषा, धर्म, जाति, समुदाय के लोग आपसी सौहार्द एवं सामंजस्य के साथ रहते हैं वहां हेट स्पीच सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने तथा संप्रदायिकता को भड़काने का कार्य कर सकती है । अतः इसे रोकने हेतु निम्न कदम उठाए जाने चाहिए।

  1. हेट स्पीच को परिभाषित कर इसके लिए एक एक अलग कानून बनायी जाए।
  2. हेट स्पीच के उल्लंघन पर  कठोर दंड का प्रावधान किया जाए।
  3. संविधान में वर्णित समानता के अधिकार को वास्तविक रूप में लागू किया जाए।
  4. हेट स्पीच तथा उसके नकारात्मक पहलुओं से लोगों को जागृत कराया जाए।
  5. मेन स्ट्रीम टीवी, सोशल मीडिया को भी इसके दायरे में लाया जाए जैसा सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा अक्‍टूबर 2022 में टिप्‍पणी की गयी।
  6. चुनाव आचार संहिता को सख्‍ती से लागू किया जाए तथा इस संबंध में चुनाव प्रक्रिया में प्रावधान किया जाए।

निष्‍कर्ष

भारत की विविधता में एकता इसकी सबसे अच्छी विशेषता है तथा लोगों को यह समझना होगा कि सामाजिक सौहार्द ही शांति तथा प्रगति का पथ प्रदर्शक होता है। अत: अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ ही हमें दूसरों के विचारों के प्रति सहिष्णुता रखनी चाहिए तथा दूसरों की गरिमा और निजता के अधिकार का सम्मान भी करना चाहिए।

प्रश्‍न - भारत जैसे विविधतापूर्ण राष्‍ट्र में हेट स्‍पीच बड़ी समस्‍याओं में से एक है जो सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने तथा सांप्रदायिकता भड़काने जैसी समस्‍याओं को बढ़ावा दे सकती है। भारत में हेट स्‍पीच संबंधी प्रावधानोंइसके दुष्‍प्रभाव इसे रोकने हेतु उपायों पर चर्चा करें ।

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