प्रश्न- भारत में राष्ट्रपति शासन को नियंत्रित करने वाले संवैधानिक प्रावधानों पर चर्चा करें, हाल ही में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के कारण बताए और वर्तमान समय में उसकी प्रभावशीलता का भी मूल्यांकन करें । 38
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उत्तर – भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 में राष्ट्रपति शासन का प्रावधान
किया गया है। इसके तहत यदि किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो जाए और सरकार
संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार न चल रही हो, तो राष्ट्रपति उस राज्य की कार्यपालिका की सभी शक्तियाँ अपने हाथ में लेकर
शासन कर सकते हैं। इसे लागू करने के लिए राष्ट्रपति को राज्यपाल की रिपोर्ट या
अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी के आधार पर संतुष्ट होना आवश्यक है।
संवैधानिक
प्रावधान
- अनुच्छेद 356: संवैधानिक तंत्र की विफलता पर राष्ट्रपति शासन।
- अनुच्छेद 365: यदि कोई राज्य केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन नहीं करता, तो इसे संवैधानिक विफलता माना जा सकता है।
- राष्ट्रपति शासन की आरंभिक अवधि 6 महीने तथा हर 6 महीने पर संसद की स्वीकृति के साथ अधिकतम 3 वर्ष होती है।
मणिपुर में मई 2023 से कुकी और मैतेई
समुदायों के बीच संघर्ष के चलते सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों विस्थापित हुए।
राज्य सरकार शांति बहाल करने में विफल रही और हिंसा कई जिलों में फैल गई। इसे
देखते हुए न्यायपालिका और नागरिक संगठनों ने केंद्र से हस्तक्षेप की मांग की, जिसके बाद राज्यपाल की रिपोर्ट पर
राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।
इस प्रकार मणिपुर में लंबे समय से
जारी जातीय हिंसा, प्रशासनिक तंत्र की अक्षमता और कानून-व्यवस्था की गंभीर स्थिति के कारण
राष्ट्रपति शासन लागू किया गया जिसकी वर्तमान समय में प्रभावशीलता का मूल्यांकन
किया जाए तो स्पष्ट होता है कि
- तटस्थ प्रशासन और केंद्रीय बलों की तैनाती से हिंसा नियंत्रित करने में मदद मिली।
- राहत एवं पुनर्वास कार्यों में तेजी आयी।
- प्रशासनिक निर्णयों में राजनीतिक हस्तक्षेप की कमी देखी गयी।
हांलाकि राष्ट्रपति शासन लागू होने
से लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व का अभाव, जनता के विश्वास में कमी, लंबे समय तक लागू रहने पर केंद्र-राज्य संबंधों में तनाव, स्थानीय संवेदनशील मुद्दों की अनदेखी
की संभावना जैसी चुनौतियाँ भी सामने आयी।
निष्कर्षत: राष्ट्रपति शासन एक
असाधारण संवैधानिक उपाय है जिसे केवल आपात स्थिति में लागू किया जाना चाहिए।
मणिपुर में यह कदम कानून-व्यवस्था बहाल करने और प्रशासन को सुचारु बनाने के लिए
आवश्यक था, परंतु लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए इसे अल्पकालिक रखना और शीघ्र ही
निर्वाचित सरकार को पुनर्स्थापित करना आवश्यक है। यह तभी प्रभावी माना जाएगा जब
शांति, स्थिरता और जनता का भरोसा वापस लाने में यह सफल हो।
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