प्रश्न- 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की अवधारणा
तथा भारत के संघीय ढाँचे पर इसके निहितार्थ पर चर्चा करें। लोकसभा और राज्य
विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने के सम्भावित फायदे और नुकसान क्या है ? विश्लेषित
कीजिए । 38
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उत्तर- ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की अवधारणा यह है कि लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं
के चुनाव एक साथ कराया जाए। भारत में 1951 से 1967 तक यह प्रणाली प्रचलित रही, परंतु समय से पहले सदनों के भंग होने और राजनीतिक अस्थिरता के कारण यह चक्र भंग हो गया। भारत में हालिया वर्षों
में विधि आयोग और उच्च-स्तरीय समितियों ने इसके पक्ष में विचार दिए जिससे इसकी प्रासंगिकता
बढ़ गयी है।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 83 तथा अनुच्छेद 172 क्रमश: लोकसभा और विधानसभाओं
का कार्यकाल अलग-अलग निर्धारित
करता है। एक साथ चुनाव कराने के लिए संवैधानिक
संशोधन आवश्यक होगा, जो राज्यों की चुनावी स्वायत्तता
को सीमित कर सकता है। इससे क्षेत्रीय
दलों का प्रभाव घटने, स्थानीय मुद्दों के हाशिये पर जाने और केंद्र के प्रति राजनीतिक निर्भरता बढ़ने का खतरा है।
इस प्रकार एक साथ चुनाव कराने पर विकेंद्रीकरण
और बहुलतावाद
जैसे संघीय सिद्धांत कमजोर पड़ सकते हैं। हांलाकि इसके कुछ फायदे तथा
नुकसान भी है जिसे निम्न प्रकार देख सकते हैं
संभावित फायदे
- खर्च में कमी – लोकसभा एवं राज्यों के चुनाव एक साथ कराने पर चुनावों में होनवाले भारी भरकम खर्च में कमी आएगी।
- शासन में निरंतरता – बार-बार लागू आदर्श आचार संहिता विकास कार्यों में रुकावट डालती है तथा एक साथ चुनाव से यह समस्या कम होगी।
- काले धन पर नियंत्रण – चुनावी खर्च व अवैध धन का उपयोग कम होगा।
- मतदाता सुविधा – मतदाता सूची, मतदान केंद्र और प्रक्रिया सरल व पारदर्शी होगी।
- प्रशासनिक दक्षता – सुरक्षा बलों व सरकारी मशीनरी पर दबाव घटेगा।
संभावित नुकसान
- संघीय ढाँचे का क्षरण – राज्यों की चुनावी स्वतंत्रता व स्थानीय मुद्दों पर ध्यान कम होगा।
- राजनीतिक विविधता में कमी – क्षेत्रीय दलों का प्रभाव घट सकता है।
- संसाधनों की मांग– एक साथ चुनाव हेतु अतिरिक्त EVMs और बड़ी सुरक्षा व्यवस्था चाहिए।
- मतदाता व्यवहार – मतदाता केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी को चुनने की प्रवृत्ति रख सकते हैं जिससे क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ सकता है।
- संवैधानिक जटिलता– अनुच्छेद 83 और 172 में संशोधन, सभी दलों की सहमति चुनौतीपूर्ण होगी।
निष्कर्षत: ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रशासनिक
दक्षता और खर्च बचत की दृष्टि से लाभकारी हो सकता है, लेकिन संघीय ढाँचे, क्षेत्रीय
अस्मिता और लोकतांत्रिक
विविधता की रक्षा अनिवार्य है। अत: इसका क्रियान्वयन
चरणबद्ध, बेहतर समन्वय
और व्यापक सहमति के आधार पर ही उचित होगा।
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