भारतीय संविधान-एक जीवंत दस्तावेज
आज के पोस्ट के माध्यम से भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था में भारतीय संविधान-एक जीवंत दस्तावेज संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे ।इसी प्रकार के अन्य महत्वपूर्ण लेख नीचे दिए गए लिंक के माध्यम से पढ़ सकते है।
भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था
26 जनवरी 1950 से औपचारिक रूप से लागू संविधान लगभग 71 वर्ष बीत जाने के बाद भी लोकतांत्रिक भारत में सुचारू रूप से कार्य कर रही है जो इसकी जीवंतता एवं गतिशीलता का उत्तम उदाहरण प्रस्तुत करती है। भारतीय संविधान के इसी गुण के कारण इसे जीवंत दस्तावेज भी कहा जाता है जिसके पीछे अनेक कारण कार्य करते हैं ।
संविधान निर्माताओं की दुरदर्शिता
यह
संविधान निर्माताओं की दुरदर्शिता का ही प्रतिफल है कि उन्होंने यह समझा कि भारत
जैसे विशाल एवं विविधतापूर्ण देश में संविधान ऐसा होना चाहिए जो समयऔर परिस्थ्िति
के अनुसार अपने में परिवर्तन लाने में सक्षम हो ।
भावी भारत का स्वरूप
भारत
की आजादी के बाद संविधान निर्माताओं को स्पष्ट रूप से यह अभास हुआ कि आनेवाले
समय में भारत राष्ट्रीय एकता, गरीबी, असमानता जैसी चुनौतियों के साथ साथ केन्द्र-राज्य, नागरिक अधिकारों, सरकार के कर्तव्य इत्यादि में
मूलभूत समस्याएं उत्पनन हो सकती है जो राष्ट़ीय एकता और अखंडता को नुकसान कर
सकती है
इसलिए
उन्होंने आजादी की लड़ाई में जो भारत की तस्वीर बनायी थी उसमें समयानुसार
परिवर्तन सके ऐसी व्यवस्था आवश्यक थी । अत: इस हेतु न केवल संविधान संशोधन जैसे
प्रावधान की व्यवस्था की बल्कि न्यायपालिका को इसका संरक्षण भी बनाया।
प्रशासनिक कार्यों में संतुलन एवं लचीलापन हेतु
संविधान
के व्यवहारिक कामकाज में इस बात की पर्याप्त गुंजाइश होती हे कि किसी संवैधानिक
बात की एक से ज्यादा व्याख्याए हो सके यानी संविधान को लचीलापन बनाया जाए ताकि
समय एवं परिस्थ्ितियों के अनुसार इसमें एकात्मकता-संघात्मकता,
केन्द्रीयकरण-विकेन्द्रीकरण जैसे गुणों को तत्काल ही अपना सके ।
न्यायालयी फैसले
भारतीय
संविधान का रक्षक की भूमिका न्यायालय को दी गयी है । और कई अवसरों पर न्यायालय
द्वारा ऐतिहासिक निर्णय दिए गए हैं जो संविधान द्वारा उसको सौंपे गए महत्वपूर्ण
कार्य का भाग है लेकिन न्यायालय द्वारा दिए गए फैसलों इस संदर्भ में महत्वपूर्ण
कारण बन जाते हैं और संविधान को जीवंत बनाने में ऑक्सीजन का कार्य करते हैं । इस
संदर्भ में केशवानंद भारती जैसे वाद उल्लेखनीय है जिसने संविधान का न जीवंत बनाने
का कार्य किया गया बल्कि मूल संरचना जैसे सिद्धांत देकर इसके मौलिक भावना को अमरत्व
का गुण भी प्रदान किया ।
तत्कालीन परिस्थितियां
आजादी
के बाद नवोदित भारत के समझ अनेक चुनौतियां थी जिनको हल करने हेतु भारत के पास
पर्याप्त संसाधनों की कमी थी इसी कारण कई प्रावधानों को भविष्य के लिए स्थगित
रखने हेतु विशेष व्यवस्था की गयी जिसने संविधान में जीवंतता एवं निरंतरता बनाने
में योगदान दिया । स्वतंत्रता के इतने वषों बाद पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा
दिया जाना, नागरिक इच्छाओं एवं आकांक्षाओं की
पूर्ति, समान नागरिक संहिता की मांग आदि ऐसी व्यवस्थाएं है
जिनको आज भी पूरा किया जाना शेष है और इसके लिए संविधान में गुंजाइश दी गयी ।
भारत द्वारा लोकतांत्रिक
स्वरूप को अपनाया जाना
लोकतांत्रिक
सरकार में जनता की इच्छा सर्वोपरि होती है और जनता की आकांक्षाए,
आवश्यकताएं एवं अधिकार समय के अनुसार बदलती है और यह एक महत्वपूर्ण
कारण है जो संविधान में समयानुसार संशोधन की मांग कर जीवंत बनाए रखने का कार्य
करती है ।
संविधान को सर्वोपरि कानून का दर्जा
संविधान निर्माता को यह आभास था कि हो सकता है किसी
कानून के माध्यम से ही संविधान में बदलाव लाते हुए कही भावी भारत का जो सपना देखा
था उसमें परिवर्तन न कर दिया जाए । इसी को समझते हुए उनके द्वारा संविधान को
सर्वोच्च दर्जा दिया गया ताकि लोगों में इसके प्रति सम्मान पैदा हो और किसी भी
कानून को बनाया जाए तो उसको संविधान के तराजू पर तौला जाए न कि उस कानून के आधार
पर संविधान को।
इस
प्रकार संविधान को सर्वोच्च कानून का दर्जा देकर संविधान निर्माताओं ने इसे लचीला
बनाया ताकि यह स्थायी स्वरूप को प्राप्त कर सके ।
संविधान सभा के सदस्यों के मतभेदों में सामंजस्य
संविधान
सभा के कई सदस्यों के बीच कुछ विशेष मुद्दे जैसे केन्द्र राज्य संबंध तथा
शक्तियों,
स्वरूप आदि पर
मतभेद थे जिनको हल करना आवश्यक था । अत: उन सभी के बीच संतुलन एवं सामंजस्य
बनाते हुए सभी मुद्दों को हल करना आवश्यक था । इसी कारण इसके स्वरूप को ऐसा
बनाया गया कि वह सभी परिस्थ्ितिायों का सामना करने हेतु स्वयं बदलाव करने में
सक्षम हो सके ।
निष्कर्ष
इस
प्रकार उपरोक्त से स्पषट है कि भारतीय संविधान को जीवंत बनाने में अनेक कारण
कार्य करते हैं और इसी का प्रतिफल है कि भारतीय संविधान आज भी गतिशील एवं जीवंत है
तभी तो वह गरीब, पिछड़े तथा परनिर्भर भारत से लेकर वर्तमान
विकाशील तथा विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश को बिना किसी
बाधा के शांतिपूर्वक संचालित कर रहा है।
प्रश्न - भारतीय संविधान एक जीवंत एवं पवित्र दस्ता्वेज है । इस कथन की व्यासखया करते हुए स्पष्ट करें कि कौन कौन से वे कारण है जो संविधान को जीवंत एवं पवित्र दस्ता्वेज बनाने में मुख्य् भूमिका में है ?
बिहार लोक सेवा आयोग मुख्य परीक्षा संबंधी अन्य महत्वपूर्ण पोस्ट
No comments:
Post a Comment