भारत-एक लोक कल्याणकारी राज्य
प्रश्न- एक लोक कल्याणकारी राज्य की कौन-कौन सी विशेषता होती है भारतीय संविधान में वर्णित वे कौन से प्रावधान है जो भारत को एक लोक कल्याणकारी राज्य घोषित करता है ?
प्रो. लास्की के शब्दों में “लोक कल्याणकारी राज्य लोगों का ऐसा संगठन है, जिसमें सबका सामूहिक रूप से अधिकाधिक हित निहित है । एक लोक कल्याणकारी राज्य की अनेक विशेषताएं होती है जिसे निम्न प्रकार समझा सकता है-
लोक कल्याणकारी राज्य की विशेषताएं
- सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक
न्याय द्वारा कल्याणकारी राज्य की स्थापना।
- शिक्षा, स्वास्थ्य,
सुरक्षा, सार्वजनिक सुविधा, जनता का कल्याण को सुनिश्चित किया जाना ।
- राज्य द्वारा समानता, स्वतंत्रता जैसे साधनों का प्रयोग पर बल।
- धर्म, जाति,
मूल, लिंग इत्यादि के आधारों पर विभेद किए बिना
सभी को समान महत्व ।
- सभी को रोजगार के अवसर, संपत्ति तथा आय का समान वितरण, धन का विकेन्द्रीकरण जैसे
प्रयासों को प्रोत्साहन ।
- कृषि, उद्योग तथा व्यापार
आदि नियमन दायित्व राज्य के ऊपर ।
इस प्रकार लोक कल्याणकारी राज्य में शासन की शक्तियों का प्रयोग
सम्पूर्ण जनता के कल्याण के लिए किया जाता है तथा राज्य अपने सभी नागरिकों को
न्युनतम जीवन-स्तर प्रदान करना अपना अनिवार्य उत्तरदायित्व समझता है।
इसी संदर्भ में नेहरू ने कहा था कि "सबके लिए समान अवसर प्रदान करना, अमीरों-गरीबों के बीच
अंतर मिटाना व जीवन-स्तर को ऊपर उठाना, कल्याणकारी राज्य के
आधारभूत तत्व है और इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान में अनेक प्रावधान
किए गए हैं जो भारत को लोक कल्याणकारी राज्य की श्रेणी में रखता है।
भारतीय संविधान में लोक कल्याणकारी
राज्य हेतु प्रावधान |
|
प्रस्तावना |
|
मूल अधिकार |
|
राज्य के नीति निर्देशक तत्व |
|
अन्य व्यवस्थाएं एवं योजना |
|
वर्तमान स्थित
यद्यपि भारत में आर्थिक सुधारो
को लाने के बाद कल्याणकारी राज्य की अवधारण कमजोर हुई और पूंजीवाद को बल मिला जिसके
फलस्वरूप कहा जाने लगा कि भारत लोक कल्याणकारी लक्ष्य से भटक चुका है परंतु हाल में
आयी कोरोना महामारी के बाद सरकार द्वारा चलायी गयी कल्याणकारी योजनाओं जैसे आत्मनिर्भर
भारत योजना,
श्रम सुधार, मनरेगा, कृषि
सुधार आदि स्पष्ट करता है कि भारत लोक कल्याणकारी राज्य से भ्रमित नहीं हुआ है।
भारत एक मिश्रित अर्थव्यवस्था का देश है जहां एक तरफ सभी को आर्थिक उन्नति प्राप्त करने का अवसर है वहीं दूसरी तरफ सुभेद्य वर्ग के के लिए सरकार व्यवस्था करती है। इस प्रकार भारत में पूंजीवाद तथा समाजवाद दोनों के ही अच्छे गुणों को स्वीकार कर लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को सुनिश्चित किया गया है।
लोक
कल्याणकारी राज्य की आलोचना |
|
निष्कर्ष
हांलाकि लोक कल्याणकारी राज्य में व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन, राज्य के अधिनायकवादी तथा स्वेच्छाचारी होने की संभावनाएं बढ़ जाती है तथा लोक कल्याण के रूप में कल्याणकारी योजनाओं से राज्य पर बोझ बढ़ जाता है फिर भी वैयक्तिक स्वतंत्रता तथा राज्य की भूमिका के मध्य समुचित समन्वय स्थापित करते हुए भारत में समाजवाद को कार्यान्वित करने वाली प्रजातांत्रिक व्यवस्था के रूप में लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को अपनाया गया है ।
भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था के इसी तरह के अन्य लेख तथा महत्वपूर्ण जानकारी वाले पोस्ट हेतु नीचे दिए गए लिंक के माध्यम से आप जा सकते हैं।
संविधान एवं राजव्यवस्था संबंधी महत्वपूर्ण लेख
- Youtube and Telegram Channel- GK BUCKET STUDY TUEB
- 67th BPSC/ Auditor/CDPO मुख्य परीक्षा हेतु GS-1 एवं 2 हेतु अपडेटेड नोट्स।
- केन्द्रीय आर्थिक समीक्षा 2021-22 एवं बजट 2022-23 एवं बिहार आर्थिक समीक्षा 2021-22 के साथ अपडेटेड।
- PAPERBACK (HOME DELIVERY) Sample Book हेतु Whatapp कर सकते हैं।
- For Whatsapp and Call - 74704-95829
No comments:
Post a Comment