जलवायु प्रेरित आपदा एवं कॉप 27
प्रश्न- हालिया जलवायु प्रेरित आपदाओं को देखते हुए यह आवश्यक है
कि इस दिशा में वैश्विक स्तर पर व्यापक कदम उठाएं जाएं । हाल में हुए कॉप 27 सम्मेलन इस दिशा में कहां तक सफल माना जा सकता
है, चर्चा करें ।
जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने हेतु
नवम्बर 2022 में मिस्र में संयुक्त राष्ट्र का 27वां सम्मेलन यानी कॉप-27 बैठक
सम्पन्न हुआ । उल्लेखनीय है कि बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण जलवायु प्रेरित आपदाओं
की तीव्रता दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है जिसका प्रमाण हालिया हुई आपदाओं से लगाया
जा सकता है।
- भारत वर्ष 2022 के दौरान 241 दिनों में चरम मौसमी घटनाएँ जैसे आंधी, चक्रवात,
लगतार वर्षा, बाढ़, भूस्खलन,
सूखे, हीट वेव" दर्ज हुई । इन आपदाओं के
कारण लगभग 2755 लोगों की जान गयी और व्यापक स्तर पर फसल एवं पशुधन की हानि हुई ।
- बिहार में भी जलवायु प्रेरित आपदाओं में हाल के वर्षों में वृद्धि हुई है। मई 2022 में बिहार में अचानक आए आंधी-तूफान, आकाशीय बिजली से 33 लोगों की मौत हो गयी।
- वर्ष 2022 में पाकिस्तान
में आयी विनाशकारी बाढ़ से लगभग 3.3 करोड़ लोग प्रभावित हुए, सैकड़ो लोग मारे गए तथा विस्थापितों तथा मलेरिया, डायरिया
जैसी स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि हुई।
- 2022 में ही यूरोप में चरम हीट की घटनाओं जहां कई बड़ी नदियों जैसे राइन,पो, डन्यूब में जल स्तर कम हो गया वहीं यूरोप के कई हिस्सों में शुष्क स्थिति बनी हुई है जिसके कारण सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा वहीं हजार लोगों की जान भी गयी ।
- 2022 में स्पेन और पुर्तगाल को जंगल की आग के साथ 1,200 वर्षों में सबसे शुष्क मौसम का सामना करना पड़ा।
- सितंबर 2022 में अमेरिका में आए हरिकेन इयान तूफान से
जहां 100 से ज्यादा लोगों की जान गई वहीं 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा की मौद्रिक क्षति हुई
।
इस प्रकार उपरोक्त हालिया घटनाओं को देखा जाए तो
स्पष्ट होता है कि वैश्विक समुदाय द्वारा कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए जो
संकल्प लिया गया था वह पूरा नहीं हो सका । कॉप 27 की बैठक में पुन: सभी नेताओं ने
कार्बन उत्सर्जन में तेजी से कमी लाने तथा जलवायु परिवर्तन की समस्या
को दूर के लिए एक बार फिर से संकल्प लिया साथ ही अनेक नई घोषणाओं एवं
प्रतिबद्धताओं के साथ अनेक घोषणाएं की गयी जिनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं
- हानि और क्षति कोष
- प्रौद्योगिकी समाधान कार्यक्रम
- शमन कार्य योजना
- जलवायु जोखिमों के विरुद्ध ग्लोबल शील्ड
- बुनियादी ढाँचा लचीलापन त्वरक कोष
- अंतर्राष्ट्रीय सूखा लचीलापन गठबंधन
- जल अनुकूलन और लचीलापन पहल पर कार्रवाई (AWARe)
- फ़ॉरेस्ट एंड क्लाइमेट लीडर्स पार्टनरशिप
- मैंग्रोव एलायंस फॉर क्लाइमेट
- वैश्विक नवीकरणीय गठबंधन
- इन आवर लाइफटाइम (LIFEtime)
कैम्पेन
उल्लेखनीय है कि कॉप 27 की उपरोक्त घोषणाओं में
सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में हानि और
क्षति कोष की स्थापना मानी जा रही है जिसका उद्देश्य जलवायु संबंधी आपदाओं से
होने वाली क्षति हेतु सर्वाधिक सुभेद्य देशों (Vulnerable
Countries) को वित्त पोषण प्रदान करना है ।
हांलाकि उपरोक्त घोषणाओं को देखा जाए तो कई मामलों में यह प्रतीत
होता है कि जलवायु परिवर्तन के प्रति जो लड़ाई है उसके लिए कॉप 27 में व्यापक उपाए
किए गए हैं लेकिन पूर्व के सम्मेलनों तथा उनकी घोषणाओं के परिप्रेक्ष्य में देखा
जाए तो हानि और क्षति कोष की स्थापना के अतिरिक्त कॉप
27 में भी कुछ विशेष प्राप्त नहीं हुआ । उल्लेखनीय है कि इस सम्मेलन में अनेक ऐसे
मुद्दे थे जिन पर सहमति की आवश्यकता थी लेकिन वह नहीं हो पाया जिसे निम्न प्रकार
समझा जा सकता है
- जलवायु परिवर्तन हेतु पूर्व
गठित कोष जैसे हरित जलवायु कोष, विशेष जलवायु
परिवर्तन कोष, अनुकूलन कोष ठीक ढंग से कार्य नहीं कर रहा ऐसे
में लॉस एवं डैमेज नाम का नया कोष कहां तक सफल होगा यह भविष्य के गर्त में है।
- पूर्व में विकसित देशों द्वारा वित्त के आवंटन संबंधी वादे किए गए थे वह भी अभी पूरे नहीं हो पाए हैं । अत: ऐसे में लॉस एंड डैमेज फंड का स्वरूप स्पष्ट न होना तथा देशों के योगदान की मात्रा को अगले सम्मेलन के लिए टाल दिया जाना इसकी सफलता पर संदेह पैदा करता है।
- वर्ष 2020 तक प्रति वर्ष 100 बिलियन डॉलर प्रदान करने की विकसित देशों की प्रतिबद्धता अभी तक पूरा नहीं
हो सका और कॉप 27 में इसके संबंध में कोई विशेष घोषणा नही हुई ।
- विकसित देशों द्वारा तकनीक हस्तांतरण पर पूर्व के सम्मेलनों में भी चर्चा हुई थी लेकिन अभी तक इस दिशा में ठोस कार्य योजना तैयार नहीं हो पायी है।
- वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित करने संबंधी कार्यान्वयन योजना में स्पष्ट रूप से उपायों का
उल्लेख नहीं किया गया।
- धरती के तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री
सेल्सियस से नीचे रखने के लक्ष्य को विश्व के सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक देश
अमेरिका और चीन शामिल करने को लेकर उत्साहित नहीं हैं । अत: इस मामले मे कॉप 27
निराशाजनक है।
- COP 27 में भारत के नेतृत्व में कुछ देशों ने जीवाश्म ईंधनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने (फेज आउट) की प्रतिबद्धता को शामिल करने का आह्वान किया गया लेकिन इस पर वैश्विक स्तर पर आम सहमति नहीं बन सकी।
इस
प्रकार उपरोक्त संदर्भ में देखा जाए तो जलवायु परिवर्तन पर चर्चा के रूप में COP27 निरंतरता बनाने में सफल रहा तथा गरीब देशों के लिए
जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली हानि और क्षति यानी लॉस एंड डैमेज से निपटने के
लिए एक फंड की स्थापना एक उपलब्धि मानी जा सकती है।
अत: संपूर्ण दृष्टिकोण से देखा जाए तो जिस
प्रकार जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव हमारी पृथ्वी पर पड़ रहा है और जनजीवन प्रभावित
हो रहा है उसके लिए कई और सार्थक एवं ठोस प्रयास की आवश्यकता थी जिसमें कॉप 27 का
प्रदर्शन निराशाजनक माना जा सकता है ।
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