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Dec 2, 2022

बिहार में मृदा की समस्‍या एवं संरक्षण


बिहार में मृदा की समस्‍या एवं संरक्षण 

प्रश्‍न- कृषि प्रधान राज्‍य बिहार में मृदा की समस्‍या को बताएं तथा मृदा संरक्षण की दिशा में सरकार के प्रयासों के साथ साथ आप क्‍या सुझाव देना चाहेंगे ।

भूपटल के ऊपरी असंगठित पदार्थों की परत जिसका निर्माण चट्टानों के टूटने-फूटने से होता है मिट्टी कहलाती है। हांलाकि क्षेत्रफल की दृष्टि से बिहार जैसे छोटे राज्य में संरचनात्मक जटिलता, शैलों की विविधता, जलवायु तथा वनस्पतियों के प्रभाव से विभिन्न  प्रकार की मिट्टीयां पायी जाती है फिर भी एक बहुत बड़े भाग पर जलोढ़ मिट्टी पायी जाती है जो गंगा तथा उसकी सहायक नदियों द्वारा लाए गए अवसादों से निर्मित है।

 

बिहार सरकार के कृषि अनुसंधान विभाग द्वारा मूल चट्टान, भूआकृति, भौतिक एवं रासायनिक संरचना के आधार पर बिहार की मृदा का 3 भागों में वर्गीकरण किया गया है।

1.उत्तर बिहार के मैदान की मिट्टी

2. दक्षिण बिहार के मैदान की मिट्टी

3. दक्षिणी सीमांत पठार की मिट्टी

 

बिहार में मिट्टी की समस्याएं

कृषि प्रधान राज्य बिहार में जहां अधिकांश लोगों की जीविका कृषि पर ही निर्भर है वहां मिट्टी एक बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन है । बिहार में मिट्टी के अवैज्ञानिक, अनियोजित उपयोग और मृदाक्षरण की समस्या पायी जाती है। एक अनुमान के अनुसार बिहार की लगभग 32% भूमि क्षरण को समस्या से ग्रसित है। यह समस्या बिहार के मैदानी और पठारी दोनों क्षेत्रों में है ।

  • मैदानी क्षेत्रों में तटबंध कटाव, नदियों के मार्ग परिवर्तन से यह समस्या ज्यादा गंभीर है। कोसी नदी द्वारा मार्ग परिवर्तन के कारण सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, मधुबनी, कटिहार पूर्णिया जिलों की मिट्टी काफी प्रभावित हुई है। इसके अलावा गंगा, गंढक, घाघरा, महानंदा जैसी नदियां के कारण भी इनके क्षेत्र की मृदा प्रभावित हुई है। 
  • बिहार के दक्षिणी भाग में कैमूर, गया, नवादा, मुंगेर, जमुई, बांका आदि जिलों के पहाड़ी क्षेत्र में नदी क्रियाओं द्वारा मृदा अपक्षरण की समस्या ज्यादा है । उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र में ढाल ज्यादा होने से वर्षाकाल में वनस्पतिविहीन क्षेत्रों की कोमल मिट्टी ज्यादा प्रभावित होती है।
  • बिहार के मैदानी क्षेत्र में ज्यादा उपज लेने हेतु रासायनिक कृषि के बढ़ते प्रचलन के कारण भी मिट्टी की गुणवत्ता प्रभवित हो रही है। इसी प्रकार अवैज्ञानिक एवं अनियोजित उपयोग भी मिट्टी संबंधी समस्याएं को बढ़ा रहा है।

सरकार के प्रयास

बिहार सरकार द्वारा केन्द्र सरकार की योजनाओं एवं प्रयासों के साथ समन्वय बनाते हुए टिकाऊ विकास एवं मृदा संरक्षण की दिशा में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष अनेक योजनाएं जैसे जल-जीवन हरियाली अभियान, कृषि रोड मैप, जैविक कृषि गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला, बागवानी प्रोत्साहन, वर्मी कम्पोस्ट, सूक्षमजीवी जैव उर्वरक, हरित खाद, हर खेत को पानी, जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम आदि को सफलतापूर्वक लागू करने की दिशा में प्रयास किए जा रहे है ।

  • केन्द्र सरकार द्वारा बजट 2022-23 में रसायनमुक्त खेती तथा जैविक एवं शून्य बजट प्राकृतिक खेती के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त करने हेतु राष्ट्रीय कृषि विकास योजना को 10,433 करोड़ रुपए का आवंटन दिया गया जो  पिछले वर्ष की तुलना में 4.2 गुना अधिक है ।
  • जल जीवन हरियाली योजना के तहत लगभग 4436 हेक्टेयर वन क्षेत्र को मृदा एवं नमी संरक्षण कार्य के तहत उपचारित किया गया ।
  • गैर वानिकी कार्यों हेतु वन भूमि को अंतरित करने के कारण परितंत्र को होने वाले नुकसान की भरपाई हेतु क्षतिपूर्ति वनीकरण कोष का गठन किया गया ।  वर्ष 2021-22 में इसके तहत 79.59 लाख लगाए गए तथा  वर्ष 2020-21 में लगभग 26.16 हेक्टेयर वन भूमि को कैंपा के जरिए मृदा एवं नमी संरक्षण हेतु उपचारित किया गया ।
  • बिहार में जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत कृषि संबंधी सर्वोत्तम  व्यवहार  को अपनाने तथा मिट्टी और जलवायु की उपलब्धि स्थितियों के अनुसार व्यवहारिक फसल विविधीकरण  को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • मृदा उर्वरता में सुधार एवं उर्वरकों युक्तिसंगत उपयोग हेतु मृदा स्वास्थ्य कार्ड ।  वर्ष 2020-21 में राज्य के लगभग 7000 गांवों में प्रत्यक्षण सह प्रशिक्षण के माध्यम से किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड के प्रति जागरुकता हेतु कार्यक्रम रखा गया।
  • वर्ष 2020-21 में 3.31 लाख किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलबध कराया गया ।
  • बिहार में प्रमंडलीय स्तर पर 9 चलंत मिट्टी जांच पयोगशाला कार्यरत है जो दूरस्थ गांवों में जाकर मिट्टी जांच करने के साथ मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी कर रहे हैं।
  • प्लास्टिक के कारण होनेवाले मृदा प्रदूषण में कमी हेतु बिहार सरकार द्वारा एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के समान पर पूरे राज्य में 1 जुलाई 2022 से पूर्ण प्रतिबंध ।
  • पटना, नालंदा, शेखपुरा और लखीसराय जिलों में स्थित टाल क्षेत्र के पानी के बेहतर उपयोग और प्रबंधन हेतु महत्वकांक्षी योजना द्वारा भूजल संरक्षण एवं मृदा संरक्षण को बढ़ावा।


इस प्रकार कृषि प्रधान राज्य में बिहार सरकार द्वारा मिट्टी संरक्षण हेतु अनेक प्रयासों को किया जा रहा है फिर भी मृदा संरक्षण की दिशा में निम्नलिखित सुझाव को अपनाया जाना बेहतर होगा।

  • व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण अभियान चलाया जाए।
  • मृदा संरक्षण हेतु व्यापक स्तर पर जनजागरुकता अभियान चलाया जाए ।
  • ढालयुक्त भूमि पर पशुचारण को नियंत्रित कर समोच्च जुताई की जानी चाहिए
  • स्थानांतरित कृषि पद्धित पर नियंत्रण के साथ साथ कृषि में फसल चक्र पद्धित को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ।
  • मृदा कटाव रोकने हेतु नदियों पर बांध तथा तटबंध जैसी संरचनाओं को बनाया जाना चाहिए।
  • टाल एवं चौर क्षेत्र में जल निकासी की व्यवस्था की जानी चाहिए।
  • कृषि में पर्यावरण अनुकूल विकल्पों को तलाशने के साथ साथ यूरिया,जैविक उर्वरक कम लागत तथा पर्यावरण अनुकूल जैविक साधन के उपयोग को बढ़ावा ।
  • ड्रोन और कृत्रिम बुद्धिमता आधारित प्रणाली द्वारा रसायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी लाने के प्रयास को प्रोत्साहन ।
  • कृषि में नवचार समर्थित स्टार्टअप सहित नई तकनीक के उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए ।
  • कृषि में निवेश,अनुसंधान, तकनीकी अनुप्रयोग को प्रोत्साहन दिया जाना चहिए ।


बिहार जैसे कृषि प्रधान राज्‍य में मृदा संरक्षण द्वारा न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सकता है बल्कि फसलों में मात्रात्मक एवं गुणात्मक सुधार लाकर पोषण सुरक्षा एवं कृषि आय में सुधार के उद्देश्यों को कुशलतापूर्वक प्राप्त  किया जा सकता है।

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