भारत एंव बांग्लादेश संबंध
प्रश्न – भारत एवं बांग्लादेश के मध्य द्विपक्षीय संबंध में सहयोग तथा संघर्ष के बिन्दुओं को स्पष्ट करें तथा भावी सहयोग की संभावनाओं को बताए ?
भारत-बांग्लादेश संबंध की पृष्ठभूमि
बांग्लादेश भारत का
पड़ोसी देश है जिसके निर्माण में भारत का बहुत बड़ा योगदान है । वर्ष 1971 में बांग्लादेश
के निर्माण के बाद भारत बांग्लादेश संबंधों को देखा जाए तो काफी उतार चढ़ाव देखने
को मिलते हैं । पिछले कुछ वर्षों की घटनाओं को देखा जाए तो ऐसे कई अवसर आए जहां पर
दोनों देशों के बीच सहयोग एवं आपसी विश्वास बढ़ा है जो निम्न तथ्यों से स्पष्ट
होता है ।
- नदी जल बंटवारा-1972 में द्विपक्षीय संयुक्त नदी आयोग का गठन किया गया।
- शेख हसीना की सरकार
द्वारा जहां भारत विरोधी गतिविधियों, आतंकवादी
कैंपों पर रोक लगाई गई
- सीमा प्रबंधन- 2015 में ऐतिहासिक
सीमावर्ती भूमि समझौता सम्पन्न हुआ ।
- भारत द्वारा
नॉन-टैरिफ बैरियर में कमी की गयी । उल्लेखनीय है कि आर्थिक सहयोग के
तहत 2010
से अब तक 8 बिलीयन डॉलर की 3 लाइन आफ क्रेडिट बांग्लादेश को दी गई।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान के तहत इंदिरा
गांधी सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना। वैक्सीन कूटनीति द्वारा बांग्लादेश को कोविड-19 वैक्सीन की मदद ।
- कोलकात्ता-खुलना
ट्रेन परिचालन, बस सेवा, फ़ेनी नदी पर
मैत्री पुल, ढाका-कोलकात्ता क्रुज का संचालन।
- वर्ष 2021 में भारत-बांग्लादेश के संबंधों के 50 वर्ष होने भारतीय
प्रधानमंत्री द्वारा बांग्लादेश की यात्रा की गयी तथा दोनों देशों के मध्य व्यापार,
सांस्कृतिक, स्वास्थ्य आदि मामलों में सहयोग हेतु
सहमति बनी।
निश्चित
ही भारत एवं बांग्ला देश के मध्य पिछले कुछ वर्षों में कई मोर्चो पर सहयोग बढ़ा है
लेकिन कई ऐसे मुद्दे भी है जिन पर अभी तक आपसी सहमति नहीं बनी है और संघर्ष एवं तनाव
की स्थिति अभी भी बनी हुई है ।
- भारत सरकार का 2019 का नागरिकता संशोधन क़ानून जिसके पारित होने के बाद दोनों देशों के बीच कड़वाहट बढ़ी ।
- तिस्ता जल बंटवारा जो अभी तक सुलझ नहीं पाया है ।
- सीमा प्रबंधन एवं अवैध प्रवास छोटी-मोटी
झड़पे, स्मगलिंग इत्यादि की घटनाएं भी
दोनों देशों के बीच समय-समय पर कड़वाहट पैदा करती है।
- भारत विरोधी समूह जैसे हरकत अल जिहाद अल इस्लामी, जमात ए इस्लामी जैसे समूह की बांग्लादेश में उपस्थिति जो भारत विरोधी गतिविधियों को प्रोत्साहन देते है।
- बांग्लादेश
में चीन के बढ़ते प्रभाव, बांग्लादेशी
आप्रवासियों का मामला, रोहिंग्या समस्याके समाधान में
चीनी हस्तक्षेप ।
- भारत द्वारा परियोजनाओं में विलंब किया जाना ।
भारत और बांग्लादेश
एक दूसरे के लिए हमेशा महत्वपूर्ण बने रह हैं और इनके मध्य भविष्य में आपसी
सहयोगी की काफी संभावना है । उल्लेखनीय है कि वर्ष 2026 तक बांग्लादेश ने अल्प विकसित
देशों की सूची से खुद को बाहर निकालने के लक्ष्य बनाया है वहीं भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने हेतु
प्रयासरत है ऐसे में अनेक ऐसे क्षेत्र में जहां दोनों के मध्य भावी सहयोग आपेक्षित
है । अत: दोनों देशों के मध्य अनेक ऐसे क्षेत्र
है जहां पर भावी सहयोग एवं मजबूत साझेदारी विकसित की जा सकती है ।
- क्षेत्रीय संगठन इंडियन ओशियन रिम एसोसिएशन, सार्क तथा बिमस्टेक जैसी संस्थाओं में आपसी सहयोग बढ़ाने में ।
- व्यापार, रक्षा एवं सीमा सहयोग, ऊर्जा, स्वास्थ्य, शिक्षा, गरीबी उन्मूलन, तकनीकी सहयोग इत्यदि क्षेत्र ।
- बेहतर संपर्क हेतु सड़क, रेल और अंतर्देशीय एवं तटीय
जलमार्ग में सहयोग ।
- नदी जल प्रबंधन द्वारा परिवहन एवं सिंचाई आवश्यकताओं की पूर्ति में।
सितम्बर
2022 में बांग्लादेश
की प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत के राजकीय दौरे पर आयी जिसमें दोनों देशों के बीच राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग, रक्षा,
सीमा
प्रबंधन,
व्यापार
और संपर्क,
जल
संसाधन,
बिजली
और ऊर्जा,
विकास
सहयोग,
सांस्कृतिक
संबंधों सहित द्विपक्षीय सहयोग के सभी पहलुओं पर चर्चा हुई तथा अनेक मुद्दों
तथा भावी सहयोग पर सहमति बनी ।
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