लोकतंत्र में विपक्ष
1977 के एक्ट के अनुसार लोकसभा एवं राज्यसभा में
विपक्ष नेता को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है। यह लोकसभा अध्यक्ष पर यह
निर्भर करता है कि वह विपक्ष के नेता का दर्जा किसे दे। हालांकि यह कुछ दिशा
निर्देशों के अधीन होता है।
उल्लेखनीय है कि यह कहीं नहीं कहा गया कि लोकसभा अध्यक्ष को दिशा
निर्देशों के अनुसार ही फैसला लेना है यह तो बस आधार का कार्य करता है जो निर्णय
क्षमता को आसान बनाता है। लोकतांत्रिक
प्रक्रिया को सार्थक बनाने हेतु चाहे तो विवेकाधिकार का प्रयोग कर विपक्ष का दर्जा
दे सकती है। इसमें कहा गया है कि विपक्ष हेतु कम से कम इतनी सीट हो कि लोकसभा कोरम
(55)पूरा कर सकें।
लोकतंत्र में विपक्ष की आवश्यकता
- लोकतंत्र की मजबूती हेतु
- विभिन्न कार्यों, महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों पर
नियुक्ति प्रक्रिया में।
- सत्ता पक्ष की तानाशाही तथा मनमानी पर
नियंत्रण हेतु।
- विपक्ष ना होने पर सत्ता
पक्ष में ही फूट पड़ने की संभावना होती है अतः विपक्ष सत्ता पक्ष केबिखराव को
रोकता है।
- सरकार की नीतियों की
आलोचना एवं समीक्षा हेतु ।
- संसदीय प्रक्रिया में कानून निर्माण हेतु आवश्यक।
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