भारत और भूटान संबंध- सिविल सेवा मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
प्रश्न – भारत और
भूटान के संबंध सदा ही सहयोगी एवं मैत्रीपूर्ण रहे हैं लेकिन हाल ही में चीन एवं
भूटान के मध्य थ्री स्टेप रोडमैप के बाद भारत को और सतर्क रहने की आवश्यकता है
।
हिमालय की गोद में स्थित देश भूटान और भारत के मध्य लंबे
समय से कूटनीतिक,
आर्थिक एवं सांस्कृतिक संबंध रहे हैं जो 1949 की
मैत्री संधि के माध्यम से संचालित होते रहे हैं। इस संधि के अनुसार जहां
दोनों देश एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने पर सहमत है वहीं दोनों
देश एक दूसरे की राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों के विरुद्ध अपनी भूमि का उपयोग न करने
देने हेतु प्रतिबद्ध हैं।
हाल ही में भारत और भूटान के बीच हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट,मल्टी स्पेशलिएटी हॉस्पिटल, परिवहन, स्पेस सैटेलाइट, रूपे कार्ड के प्रयोग, इसरो द्वारा भूटान में एक ग्राउंड स्टेशन स्थापित करने जैसे महत्वपूर्ण समझौते हुए । भारत एवं भूटान के सहयोगी संबंधों को निम्न प्रकार से देखा जा सकता है-
रक्षा एवं सामरिक सहयोग
- भूटान ऐसा देश है जो भारत के प्रति हमेशा ईमानदारी प्रदर्शित करता है।
उल्लेखनीय है कि भूटान ने अभी तक चीन के OBOR प्रोजेक्ट को सहमति नहीं
दी है।
- भारत भूटान के साथ किए गए संधि के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है इसका उदाहरण डोकलाम में देखा जा सकता है ।
आर्थिक सहयोग
- भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार भारत है । उल्लेखनीय है कि दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने एवं मुक्त व्यापार हेतु वर्ष 2016 में व्यापार, वाणिज्य एवं पारगमन समझौता हुआ । वर्ष 1961 से ही भूटान की पंचवर्षीय विकास योजनाओं को वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी जा रही है।
जलविद्युत सहयोग
- भूटान के रन ऑफ द रिवर बांधों द्वारा होने वाला जलविद्युत भारत एवं भूटान के संबंधों का आर्थिक आधार है। भारत भूटान के बांधों वित्तीय सहायता देता है वहीं तथा कम कीमतों पर भूटान से बिजली खरीदता है।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
- वर्ष 1971 में भारत के प्रयास से भूटान को संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता मिली तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में भूटान का प्रतिनिधित्व भारत द्वारा किया जाता है।
उपरोक्त से स्पष्ट है कि भारत
एवं भूटान के मध्य संबंध सहयोगी एवं मैत्रीपूर्ण रहे हैं लेकिन हाल ही में भूटान एवं चीन के मध्य सम्’न्न हुआ 'थ्री स्टेप रोडमैप' भारतीय
सुरक्षा एवं शांति हेतु चिंता उत्पन्न करनेवाला है । उल्लेखनीय है कि भूटान भौगौलिक रूप से भारत एवं चीन के मध्य स्थित
बफर स्टेट है तथा इसकी सीमा पश्चिम बंगाल, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और असम से साझा होती है जिससे
भारत की सुरक्षा एवं उत्तर-पूर्वी राज्यों के विकास की दृष्टि से भूटान की महत्वपूर्ण
भूमिका है।
भूटान एवं चीन के मध्य 'थ्री स्टेप रोडमैप'
अक्टूबर 2021 में भूटान और चीन ने अपने सीमा विवाद सुलझाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं जिसे 'थ्री स्टेप रोडमैप' कहा गया। चीन की यह नई चाल भूटान नहीं बल्कि भारत के लिए भी चिंता का विषय है। 'थ्री स्टेप रोडमैप' के भारत के संदर्भ में निहितार्थ को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है ।
- कमजोर राष्ट्रों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बना कर चीन द्वारा अपने हितों को साधने हेतु ।
- सामरिक रूप से भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण चुम्बी घाटी पर कब्जा करने हेतु
- भारत के लिए महत्वपूर्ण सिलीगुड़ी कोरिडोर/ चिकन नेक पर बढ़त हासिल करना ।
- भूटान के साथ सीधे-सीधे समझौता कर भारत पर दबाव डालने हेतु ।
- चीन के द्वारा भूटान की पूर्वी सीमा पर दावेदारी द्वारा दबाव बनाने की रणनीति हेतु ।
आगे की रणनीति
भारत एवं भूटान एक दूसरे
के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, फिर भी 'थ्री स्टेप रोडमैप' के
बाद भारत को सतर्क होने की आवश्यकता है क्योंकि चीन यदि चुंबी धाटी तक पहुंचने में
सफल हो जाता है और उसने वहां रेल लाइन, अवसंरचनात्मक कार्यों
को करता है तो यह भारत के लिए बेहद खतरनाक होगा।
अत: यह आवश्यकता है
कि भारत को भूटान से रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में कार्य करें क्योंकि साम्राज्यवादी
चीन की नजर भूटान पर है और यदि भूटान में चीनी हस्तक्षेप बढ़ता है तो यह भारत में
हिम में अच्छा नहीं है ।
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