बिहार तथा सभी एकदिवसीय परीक्षाओं की तैयारी हेतु बेहतरीन मंच ।

May 23, 2023

क्षेत्रीय परिषदों अंतर्गत देश में राष्ट्रीय हित की सर्वोपरिता प्रतिष्ठापित है।" भारत में क्षेत्रीय परिषदों की प्रकृति एवं कार्यशैली का उपर्युक्त कथन के परिप्रेक्ष्य में, आलोचनात्मक दृष्टि से परीक्षण कीजिए।

प्रश्‍न - क्षेत्रीय परिषदों अंतर्गत देश में राष्ट्रीय हित की सर्वोपरिता प्रतिष्ठापित है।" भारत में क्षेत्रीय परिषदों की प्रकृति एवं कार्यशैली का उपर्युक्त कथन के परिप्रेक्ष्य मेंआलोचनात्मक दृष्टि से परीक्षण कीजिए। 



 

भारत में राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 के अंतर्गत क्षेत्रीय परिषद का गठन किया गया जिसके माध्‍यम से राष्‍ट्रीय हित को साधने का कार्य किया गया । उल्‍लेखनीय है कि तत्‍कालीन नवोदित भारत संप्रदायिकता, भाषावाद, क्षेत्रवाद, राज्‍यों के बीच बढ़ते असंतोष एवं असहयोग जैसी अनेक समस्‍याओं का सामना कर रहा था जो राष्‍ट्रीय एकता और अखंडता के लिए खतरा पैदा कर रहा था । इसी पृष्‍ठभूमि में तत्‍कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा क्षेत्रीय परिषद के गठन का विचार लाया गया ।


 

भारतीय विविधता में एकता को सुदृढ और मजबूत करने हेतु क्षेत्रों का निर्माण करते समय देश का प्राकृतिक विभाजन, सांस्‍कृतिक एवं भाषायी संबंध, आर्थिक विकास, सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था की आवश्यकता, संचार के साधन, नदी प्रणाली जैसे कारकों को ध्यान में रखा गया है । क्षेत्रीय परिषद अपने उद्देश्‍य के माध्‍यम से राष्‍ट्रीय हित को पोषित करती है ।

 


क्षेत्रीय परिषद का उद्देश्य

  • राष्ट्रीय एकीकरण लाना ।
  • तीव्र राज्य चेतना, क्षेत्रवाद, भाषावाद और विशिष्टतावादी प्रवृत्तियों के विकास को रोकना।
  • केंद्र और राज्यों को सहयोग करने और विचारों और अनुभवों का आदान-प्रदान करने में सक्षम बनाना।
  • विकास परियोजनाओं के सफल और त्वरित निष्पादन के लिए राज्यों के बीच सहयोग का माहौल स्थापित करना।


क्षेत्रीय परिषद की प्रकृति

क्षेत्रीय परिषद सलाहकारी निकाय है जहां विचारों के स्वतंत्र और स्पष्ट आदान-प्रदान की पूरी गुंजाइश होती है। क्षेत्रीय परिषद निम्‍न किसी भी मामले पर चर्चा कर सकती है और सिफारिशें कर सकती है।

  • आर्थिक और सामाजिक नियोजन के क्षेत्र में आम हित का कोई मामला।
  • सीमा विवाद, भाषाई अल्पसंख्यकों या अंतर्राज्यीय परिवहन से संबंधित कोई भी मामला।
  • राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत राज्यों के पुनर्गठन से संबंधित या उससे उत्पन्न कोई भी मामला ।


उल्‍लेखनीय है कि राज्‍यों के बीच 'सहकारी कार्य एवं सहयोग विकसित करने, राज्‍यों के सीमा विवाद, भाषायी विवाद आदि में क्षेत्रीय परिषद विशेष नहीं कर पायी और अभी भी कई राज्‍यों के बीच समस्‍याएं एवं विवाद विद्यमान है। इसी क्रम में क्षेत्रीय परिषद सलाहकारी प्रकृति की होने के कारण कई बार इसमें लिए गए निर्णय बाध्‍य नहीं होते जिससे इसमें लिए गए निर्णयों, नीतियों का पालन नहीं हो पाता है ।


 

क्षेत्रीय परिषद की कार्यशैली  

क्षेत्रीय परिषद की कार्यशैली में राज्‍यों के आपसी सहयोग से राष्‍ट्रीय हित को प्राथमिकता देते हुए विघटनकारी तत्‍वों एवं मुद्दों का समाधान निकालते हुए विकास पथ पर अग्रसर होना है लेकिन कई बिन्‍दुओं में यह अपने उद्देश्‍य में पिछड़ा हुआ है ।



  • अपनी स्‍थापना के बाद से क्षेत्रीय परिषद ने न केवल राष्‍ट्रीय एकता को बनाए रखा बल्कि राज्‍यों के विवादों को सुलझाने में भी सहयोग दिया लेकिन अभी भी भारत में  नवीन राज्‍यों की मांग, स्‍वायत्‍ता, क्षेत्रवाद, भाषाई शत्रुता और कटुता जैसी समस्‍याएं व्‍याप्‍त है जो अभी तक हल नहीं हो पायी है । 
  • इसमें केन्‍द्र एवं राज्‍य स्‍तर के मंत्रियों के अलावा आला अधिकारी मौजूद होते हैं जो चर्चा द्वारा संबंधित समस्‍याओं को हल करने का प्रयास करते हैं लेकिन कई बार आपसी सहमति न बनने के कारण समस्‍या यथावत रहती है।

 

निष्‍कर्षत: क्षेत्रीय परिषदें केंद्र एवं राज्यों के बीच और राज्यों के बीच के विवादों, झगड़ों को स्वतंत्र चर्चा और परामर्श के माध्यम से हल राष्‍ट्रीय हित को साधने हेतु एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करती हैं लेकिन राज्‍यों में होनेवाली हिंसा, भाषायी एवं सांस्‍कृतिक विवाद, संसाधनों का वितरण, क्षेत्रवाद आदि के आधार पर इसकी भूमिका एवं कार्यप्रणाली की आलोचना भी की जाती है । 


यह मॉडल उत्‍तर GK BUCKET टीम द्वारा उपलब्‍ध कराया जा रहा है जिसमें सुधार आपेक्षित है और आप अपनी समझ तथा आवश्‍यकता के अनुसार उत्‍तर में सुधार , अन्‍य महत्‍पूर्ण तथ्‍यों को जोड़ कर कर बेहतर उत्‍तर लिख सकते हैं । हमारा प्रयास केवल आपको मार्गदर्शन करना है। 


69th BPSC Mains Answer writing Telegram Group only Rs. 2250/-

कार्यक्रम की रूपरेखा

  1. BPSC Mains के नवीन पैटर्न पर आधारित  Telegram based online Test
  2. प्रथम चरण  - 20 मई 2023 से 20 जुलाई 2023 तक
  3. द्वितीय चरण – प्रारंभिक परीक्षा के बाद से 40-50 दिनों तक मुख्‍य परीक्षा के पूर्व  ।
  4. सोमवार से शुक्रवार तक प्रति दिन 1 प्रश्‍न का अभ्‍यास जिसे प्रारंभिक परीक्षा के बाद बढ़ाया जाएगा । हमारा लक्ष्‍य मुख्‍य परीक्षा के 200 अति संभावित प्रश्‍नों का अभ्‍यास करना है ।
  5. सामान्‍य अध्‍ययन के पारम्‍परिक प्रश्‍नों के अलावा जनवरी 2023 से अक्‍टूबर 2023 तक के सभी महत्‍वपूर्ण घटनाओंआर्थिक समीक्षाबजट एवं बिहार पर विशेष रूप से उत्‍तर लेखन का अभ्‍यास किया जाए। इसमें सांख्यिकी संबंध प्रश्‍न नहीं होगें ।
  6. उत्‍तर लेखन टेलीग्राम के माध्‍यम से हिन्‍दी माध्‍यम में होगा ।
  7. निबंध लेखन के तहत अभ्‍यास प्रारंभिक परीक्षा के बाद किया जाएगा ।


कार्यक्रम की विशेषता

  1. GK BUCKET टीम द्वारा प्रश्नों का सूक्ष्म विश्लेषण एवं मूल्यांकन ।
  2. हमारी टीम के अनुसार प्रत्‍येक प्रश्‍न का मॉडल उत्‍तरमूल्‍यांकनआवश्‍यक सलाहआदि ।
  3. संसाधनकोचिंग तक पहुंच एवं समय की कमी जैसी समस्‍याओं को दूर करने में सहायक ।
  4. बदलते पैटर्न तथा बदलती प्रकृति में हमारा उद्देदश्‍य आपको सर्वोत्‍तम प्रदान करना है ।
  5. उपरोक्‍त नियम में समय एवं आवश्‍यकता के अनुसार आवश्‍यक बदलाव किए जा सकते है।

कार्यक्रम के लाभ

  1. मुख्‍य परीक्षा की तैयारी को निरंतरता देने में सहायक ।
  2. बिहार संबंधी मुद्दों पर विशेष प्रश्‍नों का अभ्‍यास कराया जाएगा ।
  3. पीटी रिजल्‍ट के बाद अत्‍यंत कम समय में दोहराव से आत्‍मविश्‍वास आएगा।
  4. प्रश्‍नों की प्रकृति समझनेउसे हल करनेसमय प्रबंधन का अभ्‍यास होगा ।
  5. न्‍यूनतम शुलक्‍ में बेहतर गुणवत्‍ता के साथ तैयारी का अवसर ।
  6. सितम्‍बर में GK BUCKET टीम द्वारा तैयार BPSC Mains Special Notes अपडेटेड नोट्स आ जाएगा तो इस कार्यक्रम में शामिल सदस्‍य उस समय विशेष छूट (लगभग 40% तक) के साथ नोटस को प्राप्‍त कर सकते हैं।
  7. ज्‍यादा जानकारी के लिए कॉल करें 74704-95829
  8. BPSC Mains Answer Writing Group में जुड़ने के लिए व्‍हाटसएप/कॉल करें 74704-95829 




68th BPSC मुख्‍य परीक्षा के मॉडल उत्‍तर देखने के लिए नीचे क्लिक करें। 



No comments:

Post a Comment