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Jul 22, 2023

बिहार में मानव विकास- स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र

बिहार में मानव विकास- स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र 

बिहार आर्थिक समीक्षा पर आधारित 


किसी भी क्षेत्र के आर्थिक विकास में उस क्षेत्र के मानव संसाधन का महत्वपूर्ण योगदान होता है। शिक्षा, स्वास्थ्य, जलापूर्ति एवं स्वच्छता, समाज कल्याण, समाजिक सुरक्षा इत्यादि  जैसे सूचकों का सुधार जीवन की गुणवत्ता और अर्थव्यवस्था की उत्पादक क्षमता पर प्रभाव डालता है । अतः मानव संसाधन का विकास किसी भी सरकार की प्राथमिकता होती है।

 

बिहार सरकार के कुल व्यय में सामाजिक सेवाओं पर व्यय का हिस्सा 2015-16 के 34.4% से बढ़कर 2020-21 में 44.0% हो गया । इस अवधि में स्वास्थ्य पर व्यय की वृद्धि दर संपूर्ण भारत के 13.8% की तुलना में 16.6% रही

 

 

स्वास्थ्य अधिसंरचना

स्वास्थ्य अधिसंरचना का अर्थ भौतिक अधिसंरचना एवं मानव संसाधन दोनों से है क्योंकि वांछित स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए दोनों की आवश्यकता होती है।




बिहार में स्वास्थ्य अधिसंरचना के स्तर

प्राथमिक

  • आम जनता और स्वास्थ्य देखरेख प्रदाताओं के बीच पहले स्तर का संपर्क हेतु होता है।
  • इसमें प्राथमिक स्वास्थ्य उप केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रअतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल है।

द्वितीयक

  • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से भेजे गए रोगियों का विशेषज्ञों द्वारा इलाज द्वितीयक स्वास्थ्य केंद्रों में होता है।
  • इसमें प्रखंड स्तर पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, अनुमंडल अस्पताल तथा जिला अस्पताल आते हैं।

तृतीयक

  • समानयतः प्राथमिक और द्वितीयक स्वास्थ्य देखरेख व्यवस्था से रेफर किए गए रोगियों की काफी विशेषज्ञता के साथ देख रेख की जाती है।
  • इसके तहत मेडिकल कॉलेज और उनसे जुड़े अस्पताल शामिल किए जाते हैं।

 

 

बिहार में लोक स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार

स्वास्थ्य राज्य का विषय होने के कारण स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढ़ीकरण राज्य सरकार का दायित्व है और इसी को समझते हुए बिहार सरकार द्वारा अनेक प्रयास किए गए हैं जिससे बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार भी हुआ है।

  1. सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं में वृद्धि के कारण प्रति माह अस्पताल पहुंचने वाले रोगियों की औसत संख्या वर्ष 2016 की 8996 से बढ़कर 2019 में बढ़कर 9517 हो गयी हांलाकि कोविड के कारण वर्ष 2020 में ओपीडी में रोगियों की संख्या में 40% की कमी आयी।
  2. वर्तमान में 36 जिला अस्पताल, 67 रेफरल अस्पताल, 54 अनुमंडल अस्पताल तथा 533 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 10,258 उप केन्द्र और 1399 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं। इस प्रकार राज्य में प्रति 1 लाख आबादी पर लगभग 12  स्वास्थ्य केन्द्र हैं जो नागरिकों को स्वास्थ्य सविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं।
  3. बिहार में जन्मकालीन जीवन संभाव्यता में काफी वृद्धि हुई है। यह वर्ष 2006-10 के 65.8 वर्ष से बढ़कर 2014-18 में 69.1 वर्ष हो गयी है जो 3.3% अंक की वृद्धि दर्शाती है। इस प्रकार यह भारत की जन्मकालीन जीवन संभाव्यता 69.4 वर्ष से थोड़ा कम है।
  4. बिहार में संस्थागत प्रसव की संख्या 2015-16 के 63.8% से बढ़कर 2019-20 में 76.2% हो गयी है जिसके फलस्वरूप बिहार में शिशु मृत्यु दर में कमी आयी है। हांलाकि 2020-21 कोविड के कारण संस्थागत प्रसव की संख्या में कमी आयी।
  5. वर्ष 2019 की प्रतिदर्श निबंधन प्रणाली के अनुसार बिहार में शिशु मृत्यु दर (प्रति 1000 बच्चों में 1 वर्ष के पहले मृत बच्चों की संख्या) 29 प्रति हजार जीवित प्रसव है जो राष्ट्रीय आकड़े (30) से कम है।  भारत की तुलना में बेहतर स्थिति ग्रामीण बिहार की बेहतर स्थिति के कारण है  जहां यह 29 है जबकि ग्रामीण भारत के लिए यह 34  है।
  6. बिहार में सर्वव्यापी प्रतिरक्षण में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है। राष्ट्रीय परिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 के अनुसार बिहार में 12-23 महीने उम्र वाले बच्चे का प्रतिरक्षण वर्ष 2015-16 में  61.7% था जो राष्ट्रीय परिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 में बढ़कर 71.0% हो गया।
  7. सात निश्चय-2 के तहत ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर सुविधाओं की उपलब्धता पर ध्यान दिया गया है।
  8. डॉक्टरी परामर्श हेतु सभी स्वास्थ्य इकाईयों को टेलीमेडिसीन सेवाओं से जोड़े जाने की सरकार की योजना है जिससे दूर-दराज के क्षेत्रों में विशेषज्ञ सहायता उपलब्ध हो पाएगी।

 

 

स्वास्थ्य विभाग की उपलब्धियां

विगत वर्षों में बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में स्वास्थ्य देखरेख प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं जिसमें से कुछ निम्नलिखित है-

 

  1. 534 उन्नत जीवनरक्षी सहयोगदाता एंबुलेंस और 216 बुनियादी उन्नत जीवनरक्षी एंबुलेंस  कुल 750  एंबुलेंस  खरीदने की स्वीकृति ।
  2. 33 जिला अस्पतालों और 13 अनुमंडल अस्पतालों में रोगियों हेतु जीविका दीदियों द्वारा संचालित दीदी की रसोई के माध्यम से पोषक और गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराना ।
  3. PMCH, पटना  को 5642  शैय्या वाले अंतरराष्ट्रीय अस्पताल में बदलने की स्वीकृति  तथा इसे विश्वस्तरीय संस्थान बनाने हेतु MBBS  की सीट 200 से बढ़ाकर 250 और स्नातकोत्तर की सीट 146 से बढ़ाकर 200 करने की मंजूरी।
  4. टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई के साथ मिलकर श्री कृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, मुजफ्फरपुर में  होमी भाभा कैंसर अस्पताल शुरू करने का प्रस्ताव।
  5. मुजफ्फरपुर में 100 शैय्याओं वाले ट्रामा सेंटर की स्थापना के साथ साथ बच्चों को तीव्र मस्तिष्क ज्वर संलक्षण से बचाने हेतु 100 शैय्याओं वाले शिशु गहन  देखरेख इकाई और धर्मशाला की स्थापना 
  6. इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में बदलने हेतु शैय्याओं की संख्या 1032 से बढ़ाकर 2732 कर दी गई।
  7. इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में 200 शय्याओं वाले नेत्र अस्पताल निर्माणाधीन ।

 

बिहार में स्वास्थ्य क्षेत्र में चुनौतियां

सस्ती और गुणवत्तापूर्ण सेवाएं

अधिकांश लोगों की सीमित आय के कारण लोक स्वास्थ्य पर निर्भरता।

राज्य की बड़ी आबादी और बढ़ते रोगों, महामारी के बीच सस्ती और गुणवत्तापूर्ण देखरेख उपलब्ध कराना।

चिकित्साकर्मियों की कमी

वर्ष 2020-21 में स्थायी डॉक्टरों के 12,895 स्वीकृत पद थे लेकिन 6330 स्थायी डॉक्टर ही कार्यरत थे जो लगभग 50.9% रिक्ति अनुपात दर्शाता है।

इसी क्रम में संविदाधीन डॉक्टरों के भी 36.2% पद रिक्त हैं। स्थायी नर्सो के 35.9% तथा संविदाधीन नर्सों की 91% रिक्ति है। हांलाकि आशाकर्मियों के मामले में रिक्ति केवल 6.4% हैं।

चिकित्सा क्षेत्र में व्याप्त असमानताएं

बिहार के स्वास्थ्य संबंधी समग्र आवश्यकताओं की पूर्ति में जिलों में व्याप्त असमानताओं को दूर करना, स्वास्थ्य रिक्तियों को भरना, अवसंरचना, आधुनिक उपकरण इत्यादि ।

स्वास्थ्य अवसंरचनाओं की कमी

अस्पताल, आवश्यक उपकरण, जांच लैब इत्यदि अवसंरचनाओं की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवाएं बधित होती है।

अन्य चुनौतियां

वित्तीय आवंटन की कमी, स्वच्छता के प्रति जागरुकता की कमी, गरीबी, अंधविश्वास, मंहगी होती निजी स्वास्थ्य सुविधाएं इत्यादि।



बिहार में स्वास्थ्य संबंधी योजनाएं

आयुष्मान भारत

यह केंद्र प्रायोजित योजना है जिसके तहत द्वितीयक एवं तृतीयक स्तर के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने के लिए ₹ 5 लाख का कवरेज उपलब्ध कराया जाता है। बिहार में लगभग 108.2 लाख परिवार इस योजना के तहत आते हैं तथा इस योजना के क्रियान्वयन हेतु बिहार में 838 अस्पतालों को निबंधित किया गया है।

 

पेयजल

राष्ट्रीय परिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के तहत किए गए सर्वेक्षण के अनुसार पिछले 5 वर्षों में बिहार में पेयजल और स्वच्छता सुविधाओं में सुधार हुआ है। बिहार के प्रत्येक नागरिक को स्वच्छ पेयजल और समुचित सुविधा उपलब्ध कराने के लिएहर घर नल का जलऔरशौचालय निर्माण घर का सम्मानराज्य सरकार के मुख्य कार्यक्रम सात निश्चय भाग 1 के तहत लिए गए दो प्रमुख संकल्प है।


  1. मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना (गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्र)- उन क्षेत्रों के लिए जहां का पानी आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन से प्रदूषित होने के कारण प्रभावित है। बिहार के 38 में से 29 जिले आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन से प्रदूषित है।
  2. मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना (गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्र से अलग) उन क्षेत्रों में चलाई जा रही है जहां पानी की गुणवत्ता खराब नहीं है।

बिहार सरकार के संकल्प के अलावा केन्द्र सरकार जल जीवन मिशनद्वारा 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल द्वारा स्वच्छ जलापूर्ति का लक्ष्य है।


स्वच्छता

स्वच्छता को केंद्रित करते हुए  वर्ष 2014 में केंद्र सरकार द्वारा स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की गई। इसके तहत एक प्रमुख लक्ष्य खुले में शौच की समाप्ति कर जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है। इसके अलावा ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन पर भी ध्यान दिया जाता है।

स्वच्छता के व्यापक आच्छादन हेतु बिहार सरकार द्वारा शौचालय निर्माण घर का सम्मान के तहत 2 योजनाओं की शुरुआत की गई। 

  1. लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान
  2. शौचालय निर्माण (शहरी क्षेत्र) योजना। 

इन योजनाओं के तहत शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र  में 12,000 रुपए की प्रोत्साहन राशि शौचालय निर्माण हेतु दी जाती है।

इस योजना में पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु अनेक प्रौद्योगिकीय पहल जैसे लोक वित्त प्रबंधन  प्रणाली का आरंभ, आधार आधारित प्रत्यक्ष लाभांतरणव्यय विवरण पर वेबसाइट, राशि के भुगतान हेतु जियो टैगिंग आधारित पुष्टिकरण इत्यादी अपनाए गए ।

  

बिहार सरकार की स्वच्छता संबंधी उपलब्धियां


हर घर नल का जलकार्यक्रम का लक्ष्य राज्य में सभी परिवारों को पाइप से गुणवत्तायुक्त तथा किफायती पेयजल  की आपूर्ति  करना है । जनवरी 2022 तक इसके तहत 1.15 लाख ग्रामीण वार्ड में से 1.13 लाख वार्ड  आच्छादित हो गए ।


2020-21 में 12,210 व्यक्तिगत परिवरिक शौचालयों एवं 1772 स्वच्छता  परिसरों का निर्माण किया गया।


स्वच्छता सुविधा के मामले में बिहार में गत 15 वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और 2005-06 के 14.6% से 34.8% अंक बढ़कर 2019-20 में 49.4% हो गया ।


गंगा कार्य योजना के तहत बिहार के 12 जिलों के 307 ग्राम पंचायतों में 472 गांव को खुले में शौच मुक्त होने का सत्यापन किया गया ।


लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत 1.3  लाख बंद पर शौचालय को चालू कराया गया और सभी अस्वच्छ शौचालय को स्वच्छ शौचालय में बदला गया ।


स्वच्छ गांव हमारा गौरव अभियान के तहत स्वच्छता अभियान को प्रोत्साहित किया गया।


समुदायों में लगभग 22 हजार स्वच्छाग्रहियों को कोविड  उपयुक्त व्यवहार पर ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया।


कोविड उपयुक्त व्यवहार पर स्वच्छता कैलेंडर, इलेक्ट्रॉनिक पर्चे, दृश्य सामग्रियां जैसी सूचना शिक्षा एवं संचार सामग्री तैयार और प्रसारित की गई ।


राज्य के सभी विद्यालयों में लगभग 80 हजार स्वच्छता कैलेंडर वितरित किए गए ।


समुदाय को ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन में जागरूक बनाने हेतु फ्लिपचार्ट और श्रव्य एवं दृश्य सामग्रियां विकसित की गई ।







69th BPSC Mains Answer writing Telegram Group only Rs. 2250/-

कार्यक्रम की रूपरेखा

  1. BPSC Mains के नवीन पैटर्न पर आधारित  Telegram based online Test
  2. प्रथम चरण  - 20 मई 2023 से 20 जुलाई 2023 तक
  3. द्वितीय चरण – प्रारंभिक परीक्षा के बाद से 40-50 दिनों तक मुख्‍य परीक्षा के पूर्व  ।
  4. सोमवार से शुक्रवार तक प्रति दिन 1 प्रश्‍न का अभ्‍यास जिसे प्रारंभिक परीक्षा के बाद बढ़ाया जाएगा । हमारा लक्ष्‍य मुख्‍य परीक्षा के 200 अति संभावित प्रश्‍नों का अभ्‍यास करना है ।
  5. सामान्‍य अध्‍ययन के पारम्‍परिक प्रश्‍नों के अलावा जनवरी 2023 से अक्‍टूबर 2023 तक के सभी महत्‍वपूर्ण घटनाओंआर्थिक समीक्षाबजट एवं बिहार पर विशेष रूप से उत्‍तर लेखन का अभ्‍यास किया जाए। इसमें सांख्यिकी संबंध प्रश्‍न नहीं होगें ।
  6. उत्‍तर लेखन टेलीग्राम के माध्‍यम से हिन्‍दी माध्‍यम में होगा ।
  7. निबंध लेखन के तहत अभ्‍यास प्रारंभिक परीक्षा के बाद किया जाएगा ।


कार्यक्रम की विशेषता

  1. GK BUCKET टीम द्वारा प्रश्नों का सूक्ष्म विश्लेषण एवं मूल्यांकन ।
  2. हमारी टीम के अनुसार प्रत्‍येक प्रश्‍न का मॉडल उत्‍तरमूल्‍यांकनआवश्‍यक सलाहआदि ।
  3. संसाधनकोचिंग तक पहुंच एवं समय की कमी जैसी समस्‍याओं को दूर करने में सहायक ।
  4. बदलते पैटर्न तथा बदलती प्रकृति में हमारा उद्देदश्‍य आपको सर्वोत्‍तम प्रदान करना है ।
  5. उपरोक्‍त नियम में समय एवं आवश्‍यकता के अनुसार आवश्‍यक बदलाव किए जा सकते है।

कार्यक्रम के लाभ

  1. मुख्‍य परीक्षा की तैयारी को निरंतरता देने में सहायक ।
  2. बिहार संबंधी मुद्दों पर विशेष प्रश्‍नों का अभ्‍यास कराया जाएगा ।
  3. पीटी रिजल्‍ट के बाद अत्‍यंत कम समय में दोहराव से आत्‍मविश्‍वास आएगा।
  4. प्रश्‍नों की प्रकृति समझनेउसे हल करनेसमय प्रबंधन का अभ्‍यास होगा ।
  5. न्‍यूनतम शुल्‍क में बेहतर गुणवत्‍ता के साथ तैयारी का अवसर ।
  6. सितम्‍बर में GK BUCKET टीम द्वारा तैयार BPSC Mains Special Notes अपडेटेड नोट्स आ जाएगा तो इस कार्यक्रम में शामिल सदस्‍य उस समय विशेष छूट (लगभग 40% तक) के साथ नोटस को प्राप्‍त कर सकते हैं।
  7. ज्‍यादा जानकारी के लिए कॉल करें 74704-95829
  8. BPSC Mains Answer Writing Group में जुड़ने के लिए व्‍हाटसएप/कॉल करें 74704-95829 

68th BPSC मुख्‍य परीक्षा के मॉडल उत्‍तर देखने के लिए नीचे क्लिक करें। 


कोविड-19 के संबंध में बिहार सरकार की प्रतिक्रिया

कोविड-19 ने देश में अप्रत्याशित चुनौती खड़ी कर दी थी। दिसंबर 2021 तक राज्य में 7.27 लाख सक्रिय मामले थे तथा बिहार में कोविड-19 में ठीक होने की दर 98.3% थी जो राष्ट्रीय औसत 98.0% के लगभग बराबर थी। बिहार सरकार ने महामारी पर नियंत्रण हेतु राज्य सरकार द्वारा लॉकडाउन शुरू करके तत्काल कार्रवाई करते हुए अनेक कदमों को उठाया गया।

 

कोविड-19 जांच

राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 की जांच क्षमता मजबूत करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानदंड के अनुसार रोज किए जानेवाले जांचों की संख्या 5600 से ज्यादा जांच किए गए। दिसंबर 2021 तक कम से कम 609.21 लाख जांच की गई।

 

टीके की चरणबद्ध खुराक

पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में टीको के भंडारण के अलावा 10 क्षेत्रीय और 38 जिला स्तरीय  टीका भंडार स्थापित किया गया ताकि चरणबद्ध तरीके से टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जा सके।

दिसंबर 2020 में पूरे राज्य में कोविड-19 का टीका मुफ्त में लगाने का निर्णय लिया गया और विभिन्न चरणों में बिहार में टीकाकरण पूरा किया गया। दिसंबर 2021 तक राज्य में कुल 10 करोड लोगों को टीका लगाया गया ।

 

टीकाकरण अभियान गीत

टीकाकरण अभियान गीत कर दिखाएगा बिहार,कोरोना  टीका लगाएगा बिहारद्वारा  टीकाकरण अभियान  को प्रोत्साहन दिया गया 

 

टीका एक्सप्रेस

बिहार सरकार ने 45 वर्ष से  ज्यादा उम्र के सभी लोगों को उनके घर जाकर टीके लगाने का निर्णय लेते हुए 121 टीका एक्सप्रेस को विभिन्न जिलों में रवाना किया और प्रत्येक वाहन  द्वारा प्रतिदिन 200 व्यक्तियों को टीका लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया  गया ।

 

टीकाकरण केंद्र

राज्य सरकार ने चौबीसों घंटे टीका लगाने की व्यवस्था करते हुए पटना में तीन और रोहतास में एक टीकारण केन्द्र बनाया गया साथ ही सभी 38 जिलों में 9 घंटे खुले रहने वाले टीका केंद्र चलाए  गए ।

 

पृथक्करण केंद्र

कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान कुछ सरकारी एवं निजी अस्पतालों में 537 पृथक्करण केंद्र स्थापित किए गए । इसके अलावा  12 समर्पित कोविड  अस्पताल, 116 समर्पित कोविड  स्वास्थ्य केंद्र,  166  कोविड देखरेख केंद्र और 243 प्राइवेट अस्पताल भी चल रहे थे 

 

आइसोलेशन ट्रैकिंग एप

होम आइसोलेशन ट्रैकिंग ऐप द्वारा अधिकारियों को अपने घर में स्वास्थ्य लाभ ले रहे कोविड मरीजों की स्थिति पर रखने में मदद मिली।

 

मेडिकल ऑक्सीजन का प्रावधान

कोविड  का मुकाबला करने हेतु बिहार के कोविड अस्पतालों, कोविड  स्वास्थ्य केंद्रों, निजी अस्पतालों इत्यादि में कुल मिलाकर कुल 16,986 ऑक्सीजन युक्त  शैय्याओं की व्यवस्था उपलब्ध थी 

बिहार में इलाज के लिए  मेडिकल ऑक्सीजन संबंधी आवश्यकता पूरी करने हेतु बिहार सरकार द्वारा ऑक्सीजन उत्पादन प्रोत्साहन नीति 2021 को लागू किया गया

 

स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति

कोविड-19 की अवधि में दूसरे चरण में MBBS डॉक्टरएएनएमलैब टेक्नीशियन इत्यादि  स्वास्थ्यकर्मियों के कुल 1179 अस्थाई पद सृजित किए गए।


दीदी की रसोई

जीविका दीदियों की सहायता से अस्पताल में भर्ती रोगियों हेतु गुणवत्ता एवं पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराने के लिए दीदी की रसोई नामक कैंटीन का संचालन किया गया । अभी बिहार के विभिन्न जिलों के 47 अस्पतालों में जीविका की दीदियों द्वारा सेवा दी जा रही है।

 



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