भारत एवं मध्य एशिया संबंध
प्रश्न- पिछले कुछ वर्षों में भारत के मध्य एशिया के देशों के साथ संबंध तेजी से बढ़े हैं जो भारत के लिए मध्य एशिया के बढ़ते महत्व तथा भारत की विस्तारित पड़ोस नीति को प्रदर्शित करते हैं।
मध्य एशिया में कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान,
ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान एवं उज़्बेकिस्तान आते हैं जो वर्ष 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद स्वतंत्र हुए। भारत ने हमेशा से मध्य एशियाई देशों के साथ उत्कृष्ट राजनयिक
संबंध बनाए रखा है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में देखा जाए तो भारत तथा मध्य एशिया के
देशों के संबंध तेजी से बढे हैं जिसे निम्न प्रकार समझा जा सकता है।
- जनवरी 2022 में भारत द्वारा पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की मेजबानी ।
- 2020 में भारत मध्य एशिया व्यापार परिषद की स्थापना ।
- 2020 से 2024 तक कजाकिस्तान के साथ यूरेनियम आपूर्ति समझौते का विस्तार करने की योजना।
- ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु 2019 में भारत और उज्बेकिस्तान
ने यूरेनियम आयात संबंधी समझौता हुआ।
- मध्य एशिया से संपर्क की बाधाओं को दूर करने हेतु भारत 2018 में
अश्गाबात समझौने का हिस्सा बना।
- वर्ष 2017
में भारत शंघाई सहयोग संगठन से जुड़कर इस क्षेत्र के साथ संबंधों को
मजबूती दिया गया।
- वर्ष 2015
में भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा मध्य एशियाई देशों का दौरा।
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भारत के लिए कई मायनों में मध्य एशिया महत्वपूर्ण है
और इसी कारण भारत अपनी विस्तारित पड़ोस नीति के तहत मध्य एशिया के देशों के साथ
संबधों को मजबूती दे रहा है । भारत के लिए मध्य एशिया का महत्व निम्न प्रकार
समझा जा सकता है।
भू सामरिक महत्व
मध्य
एशिया यूरोप और एशिया को जोड़ने के साथ साथ रूस, चीन और अरब देशों के समीप स्थित है तथा अफगानिस्तान,
ईरान, पाकिस्तान के साथ भी सीमा साझा करता है।
अतः इस क्षेत्र की राजनीतिक स्थिरता भारत पर व्यापक प्रभाव डालती है।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
मध्य
एशिया के साथ भारत प्राचीन सिल्क रोड के माध्यम से भारत चीन तथा यूरोप से जुड़ा
हुआ था तथा वर्तमान में इन देशों के साथ व्यापरिक संबंधों को बढ़ाना भारत की
आर्थिक महाशक्ति बनने हेतु महत्वपूर्ण हैं।
सुरक्षा महत्व
यह क्षेत्र अफीम उत्पादक गोल्डन क्रीसेंट क्षेत्र से लगता है जहां पर
अतिवाद, तस्करी, धार्मिक कट्टरता जैसी
चुनौतियों व्याप्त है। भारत अपनी कनेक्ट सेन्ट्रल एशिया नीति के तहत मध्य एशियाई सरकारों के साथ संबंध बनाकर इस क्षेत्र में रणनीतिक
स्थान बनाने और पाकिस्तान को घेरने की रणनीति को अपना सकता है।
ऊर्जा
सुरक्षा
मध्य
एशिया में स्थित देश यूरेनियम, प्राकृतिक गैस तथा कच्चे तेल का एक बड़ा उत्पादक देश है । इस कारण मध्य
एशिया भारत की ऊर्जा सुरक्षा एवं आर्थिक दृष्टि से संभावनाओं से युक्त क्षेत्र है।
बहुपक्षीय एवं अन्य सहयोग
भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा
परिषद में स्थाई सदस्यता हेतु समर्थन, शंघाई सहयोग संगठन में भारतीय
प्रभाव को बढ़ाने तथा मध्य एशिया में चीनी प्रभाव को कम करने में भी यह महत्वपूर्ण
है।
इस
प्रकार मध्य एशिया भारत के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखता
है। उल्लेखनीय है कि भारत के साथ साथ मध्य एशियाई देश भी आतंकवाद, अलगाववाद, तस्करी तथा
संगठित अपराध से ग्रस्त हैं । अत: भारत और मध्य एशिया संबंध आनेवाले समय में
यूरेशियन क्षेत्र में विकास और स्थिरता के साथ विश्व में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित
करने में उपयोगी साबित होगा।
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