चीन-रूस गठजोड़ एवं भारत
प्रश्न- "भारत और रूस के संबंधों में एक प्रमुख चुनौती चीन के साथ रूस का बढ़ता गठजोड़
है। हांलाकि कई मामलों पर रूस चीन के साथ सहयोग कर रहा है लेकिन कई ऐसे मुद्दे है
जिन पर दोनों देशों के हितों में भिन्नता है।" विश्लेषण
करें ।
भारत एवं रूस के संबंध
अन्य देशों की अपेक्षा स्थिर रहे हैं लेकिन पिछले कुछ समय से रिश्ते में भरोसे की कमी देखी गयी है। अमेरिका
के कारण रूस भारत पर भरोसा नहीं कर रहा वहीं भारत को यह लगता है कि रूस इंडो पैसिफ़िक
क्षेत्र में वही मानता आ रहा है जो उसे चीन बताता है। हाल के वर्षों में चीन और रूस के संबंधों में तेजी
आयी है जिसे निम्न प्रकार समझा जा सकता है।
- रूस द्वारा वर्ष 2014 के क्रीमिया के अधिग्रहण
के कारण जहां रूस के अमेरिका, नाटो और यूरोपीय संघ के साथ
संबंधों में तीव्र गिरावट आती है वहीं दूसरी ओर चीन के साथ संबंधों में और नजदीकी आती
है ।
- चीन वर्तमान में रूस का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार
है तथा 2016
के बाद से दोनों देशों के बीच व्यापार 50 अरब
अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 147 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया।
- मध्य एशिया में दोनों देश रूस के नेतृत्व वाले ‘यूरेशियन
इकोनॉमिक यूनियन’ और चीन के ‘बेल्ट एंड
रोड इनिशिएटिव’ को जोड़ने की दिशा में काम करने पर सहमत हुए
हैं।
- यूक्रेन के मामले में चीन और रूस दोनों ने आपसी एकजुटता व्यक्त की है तथा संयुक्त बयान द्वारा यूरोप में पश्चिमी सैन्य गठबंधन के किसी भी विस्तार के लिये रूसी विरोध का समर्थन किया।
- रूस ने भी ‘एक-चीन’ नीति के समर्थन की पुष्टि करते हुए ताइवान के लिये किसी भी प्रकार की
स्वतंत्रता का विरोध करने से लेकर अमेरिका की इंडो पैसिफिक रणनीति के ‘नकारात्मक प्रभाव’ पर भी विचार प्रकट किया।
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स्पष्ट है कि पिछले कुछ वर्षों में
अमेरिका तथा यूरोपीयन देशों के कारण रूस का झुकाव चीन की ओर हुआ है लेकिन फिर भी दोनों
देशों के अपने अपने हित है और इसी कारण कई ऐसे मुद्दे है जिन पर रूस और
चीन के हितों में भिन्नता है जिनमें प्रमुख निम्ननानुसार है
- चीन के मुख्य सुरक्षा हित एशिया में हैं जबकि रूस के हित यूरोप में हैं।
- चीन की अपेक्षा रूस एक छोटी अर्थव्यवस्था है लेकिन अपनी खोई हुई शक्ति एवं गौरव को प्राप्त करने हेतु रूस चीन पर निर्भर नहीं रहना चाहता।
- रूस अपने भारत के साथ संबंधों सहित कई अन्य मुद्दों पर चीन से स्वतंत्र तथा अलग विचार रखता है।
- चीन ने अभी तक रूस द्वारा क्रीमिया के अधिग्रहण को मान्यता नहीं दी है।
स्पष्ट है कि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में कोई भी देश
अपने राष्ट्रीय हित को देखकर ही दूसरे देशों के साथ अपने संबंध को आगे बढ़ाता है।
वर्तमान परिदृश्य में देखा जाए तो रूस के साथ भी यही स्थिति है ।
उल्लेखनीय है कि भारत और रूस एशिया
की प्रमुख शक्ति है जो वर्तमान परिदृश्य में एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वियों के साथ
संलग्नता के संबंध में कुछ अधिक नहीं कर सकते लेकिन आपसी व्यापार एवं आर्थिक सहयोग
को और बेहतर कर सकते हैं। अतः अपने संबंधों को नई ऊर्जा एवं गति देने हेतु भारत और
रूस को एक-दूसरे के सहयोग हेतु ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
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