हिन्द महासागर में बढ़ती चीनी गतिविधियां एवं भारतीय सुरक्षा
प्रश्न-“हिन्द महासागर में बढ़ती चीनी गतिविधियां से भारतीय सुरक्षा एवं सामरिक
हितों के लिए उत्पन्न हो रही चुनौतियों को सटीक रणनीति के साथ नियंत्रित किया जा
सकता है। ” चर्चा करें
उत्तर- पिछले कुछ वर्षों में चीन की समुद्री
गतिविधियों और रणनीति को देखा जाए तो अनेक ऐसी घटनाएं है जिनसे यह अनुमान लगाया जा
सकता है कि वह महासागर में अपनी स्थायी मौजूदगी बढ़ाना चाहता है। चीन की प्रमुख
गतिविधियां निम्न प्रकार से है-
- कुछ वर्ष पहले चीन द्वारा महासागर में ‘एंटी-पायरेसी’
गश्त शुरू किया जाना ।
- हिंद महासागर की गहराई में स्थित 19 समुद्र तलों के मंदारिन नाम जारी किया गया ।
- अनुसंधान व सर्वेक्षण के बहाने हिंद-प्रशांत में पनडुब्बियों के आवागमन का नक्शा तैयार करना ।
- हिंद महासागर में अपनी गतिविधियों द्वारा प्रमुख दावेदार के रूप में चीन का दावा।
- हिन्द महासागर में स्थिति पड़ोसी देशों में अपना
प्रभाव, पहुंच एवं उपस्थिति बढ़ाना ।
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इस प्रकार उपरोक्त गतिविधियों के माध्यम से यदि चीन
अपने इरादों में सफल होता है तो भारत को अपनी मजबूत स्थिति से समझौता करना पड़
सकता है जो भारतीय सुरक्षा एवं सामरिक हितों के लिए बहुत बड़ा नुकसान होगा जिसे
निम्न प्रकार समझा जा सकता है।
- चीन के साथ समुद्री क्षेत्र साझा करना होगा भारत के लिए एक प्रतिकूल स्थिति है क्योंकि यह गलवान और भारतीय सीमाओं जैसे अनेक प्रादेशिक विवादों को बढ़ा सकता है ।
- संभावना है कि चीन समुद्री रणनीती के तहत भारतीय
समुद्री ढांचे,
नौसेना के ठिकानों पर पर निगरानी बढ़ाना चाहता है। यदि चीन कोको
द्वीप समूह पर प्रभाव बढ़ाता है तो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तक उसकी जद में आ
जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि स्थलीय सीमा पर भारत के चीन के साथ विवाद है तथा हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के कई इलाकों का नामकरण द्वारा भारतीय हिस्सों पर चीन का दावा करना, 2020 की गलवान घटना, अरुणाचल प्रदेश का मामला इत्यादि अनेक उदाहरण है जिससे सबक लेते हुए समुद्री सीमा को सुरक्षित करने तथा चीन के इरादे को नाकाम करने हेतु प्रभावकारी उपाए करने की आवश्यकता है जिसके लिए निम्न रणनीति अपनायी जा सकती है।
- भारत को नौसेना केंद्रित और समावेशी समुद्री रणनीति के साथ महासागर में जरूरी ढांचे के निर्माण पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए ।
- भारत को अपनी समुद्री क्षमता में विस्तार हेतु नौसेना
और तटरक्षक बलों,
समुद्री वाणिज्यिक जहाज, बंदरगाह और हॉर्बर,
मछली पालन, नीली अर्थव्यवस्था के साझेदार,
तटीय इलाकों में संपर्क जैसे मुद्दों को शामिल करना चाहिए ।
- चीन, दक्षिण कोरिया जैसे जहाज-निर्माण में
वैश्विक नेता की तरह भारत को भी जहाज-निर्माण में भी वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ना
होगा।
- समुद्र की ओर से मिलने वाली चुनौतियां से निपटने हेतु भारत को विशेष सतर्कता एवं प्रयास की आवश्यकता होगी ।
- चीन की विस्तारवादी नीतियों से प्रभावित समान सोच के देशों के साथ मिलकर वैश्विक मंचों पर चीन को घेरने हेतु प्रयास किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि चीन वर्तमान में वैश्विक शक्ति के
रूप में उभर रहा है और चीन की नीतियों से अनेक देश प्रभावित होने के बावजूद कोई भी देश चीन को नाराज करने का जोखिम नहीं
उठाना चाहते। भारत के साथ भी लगभग यही स्थिति है लेकिन भारत के लिए राष्ट्रीय हित
सर्वोपरि है और विभिन्न उपायों एवं सटीक रणनीति के साथ भारत को चीन से निपटने की
रणनीति पर कार्य करना ही होगा ।
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