भूटान में बढ़ता चीन का हस्तक्षेप एवं भारत
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प्रश्न- "हाल के वर्षो में भूटान में बढ़ता चीन का हस्तक्षेप भारत-भूटान के मधुर द्विपक्षीय संबंधों को कमजोर कर सकता है।"चर्चा करें ।
उत्तर- भूटान और भारत के
मध्य लंबे समय से कूटनीतिक,
आर्थिक एवं सांस्कृतिक संबंध रहे हैं जो 1949 की
मैत्री संधि के माध्यम से संचालित होते रहे हैं। भारत और चीन के मध्य स्थित छोटा
सा देश भूटान भारत के लिए सामरिक महत्व
रखता है इसी कारण भारत पड़ोसी देशों के संबंधों में भूटान को विशेष महत्व देता है
।
चीन अन्य
पड़ोसी देशों की तरह भूटान में भी चीन अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है तथा पिछले
कुछ वर्षों में चीन लगातार इस दिशा में प्रयास कर रहा है जिसे निम्न प्रकार समझा जा सकता है ।
'थ्री स्टेप रोडमैप'
2021
में जब लद्दाख समेत कई सीमांत क्षेत्रों में चीन के साथ भारत का सीमा
विवाद चल रहा था तो चीन ने भूटान के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए 'थ्री स्टेप रोडमैप'पर हस्ताक्षर किए जो भारत के लिए
चिंता का विषय है।
चुम्बी घाटी पर नजर
चीन सिलीगुड़ी कोरिडोर के निकट स्थित भूटान की चुम्बी घाटी पर कब्जा
कर अपनी उपस्थिति बढ़ा कर भारत पर बढ़त पाने की कोशिश में लगा हुआ है। उल्लेखनीय
है कि चीन ने भूटान से इस क्षेत्र के बदले उसे दूसरे क्षेत्र में बड़ा इलाका देने
का लालच दिया है।
भारत पर दबाव बनाने हेतु
डोकलाम विवाद के बाद चीन द्वारा कोशिश की गयी कि वह भूटान से सीधे संपर्क
कर संवाद स्थापित करे जिसमें भारत की कोई भूमिका नहीं हो। इस प्रकार चीन प्रयासरत
है कि वह भूटान के साथ सीधे कोई समझौता कर भारत पर सीमा विवाद सुलझाने का मनोवैज्ञानिक
दबाव बना सके।
भूटान की सीमा पर दावेदारी
वर्ष 2021 के पूर्व चीन ने कभी भी भूटान की पूर्वी सीमा का मुद्दा नहीं
उठाया । चीन भूटान के साथ सीमा मुद्दे पर वार्ता कर भारत की पूर्वी सीमा पर दावेदारी
का दबाव बनाना चाहता है।
इस प्रकार स्पष्ट है कि पिछले कुछ वर्षों में भूटान
में चीन ने हस्तक्षेप बढ़ाने का प्रयास किया है । उल्लेखनीय है कि भारत एवं
भूटान के संबंध का आधार 1949
की मैत्री संधि है तथा संधि के अनुसार दोनों देश एक दूसरे की
राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों के विरुद्ध अपनी भूमि का उपयोग न करने देने हेतु
प्रतिबद्ध हैं। इस स्थिति में यदि चीन भूटान के साथ संधि के विरुद्ध जाकर कोई संधि
करता है तो निश्चित रूप से यह भूटान के साथ भारत के रिश्ते को भी प्रभावित करेगा।
भारत एवं भूटान दोनों देश एक दूसरे के लिए महत्वपूर्ण स्थान
रखते हैं। अत: भारत को भूटान से रिश्तों को और मजबूत किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि
साम्राज्यवादी चीन की नजर भूटान पर है और यदि भूटान में चीनी हस्तक्षेप बढ़ता है तो
भारत भूटान के मज़बूत द्विपक्षीय संबंधों की नींव भी कमज़ोर पड़ सकती है।
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