सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता
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Civil Service Mains Answer writing
उत्तर – सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्रसंघ का एक महत्वपूर्ण निकाय है जिसके 5 स्थायी सदस्यों के अलावे अन्य सभी देश बारी बारी से निश्चित प्रक्रिया के तहत अस्थायी सदस्य के रूप में कार्य करते हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत 2021-22 की अवधि के लिए
सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में निर्वाचित हुआ है तथा बदलते अंतर्र्राष्ट्रीय परिदृश्य में सुरक्षा
परिषद की स्थायी सदस्यता हेतु भारत एक प्रबल दावेदार है जिसे निम्न प्रकार समझा
जा सकता है।
- लगभग 18 प्रतिशत आबादी की आबादी के साथ विश्व का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश ।
- विश्व व्यापार संगठन, ब्रिक्स, G-20 जैसे वैश्विक संगठनों में भारत की महत्वपूर्ण भागीदारी।
- विश्व की महत्वपूर्ण आर्थिक शक्ति होने के साथ विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश ।
- भारत संयुक्त राष्ट्र संघ की लगभग सभी पहलों के अलावा आतंकवाद, जलवायु
परिवर्तन, सतत विकास जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों में महत्वपूर्ण
भागीदार देश रहा है।
- भारत एशिया की दुसरी सबसे बड़ी शक्ति एवं विकासशील देशों के नेतृत्व करने में सक्षम ।
- अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सहयोग पर आधारित भारतीय विदेश नीति जो विश्व कल्याण हेतु आवश्यक है। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में भारत सबसे ज़्यादा सैनिक भेजने वाला देश है।
भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करते हुए स्वयं संयुक्त
राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी कहा था कि “भारत
की उम्मीदवारी की तर्क से कोई भी इंकार नहीं कर सकता।”
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उल्लेखनीय है कि सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता
प्राप्त करने की राह में अनेक चुनौतियां है और यही कारण है कि स्थायी सदस्यता
के पक्ष में तमाम बातों के बावजूद भारत अभी तक सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता
प्राप्त नहीं कर सका है ।
भारत
की स्थायी सदस्यता में बाधाएं
- भारत को स्थायी सदस्यता देने के मामले में सुरक्षा परिषद
के स्थायी सदस्यों की अलग-अलग राय ।
- स्थायी सदस्यता हेतु स्थायी सदस्यों के पुष्टि के साथ चार्टर में संशोधन करना अत्यंत कठिन है। उल्लेखनीय है कि सुरक्षा परिषद में सुधार के नाम पर अमेरिका बहुपक्षवाद के विरुद्ध है तथा रूस तथा चीन संयुक्त राष्ट्र में किसी तरह का सुधार नहीं चाहते।
- सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देश अपनी वीटो शक्ति और अन्य अधिकार को किसी अन्य देश के साथ साझा करना नहीं चाहते हैं।
- पाकिस्तान कॉफी क्लब का भाग है जो नहीं चाहता कि भारत को स्थायी सदस्यता प्राप्त हो। इसी क्रम में चीन नहीं चाहता कि भारत सुरक्षा परिषद का सदस्य बने।
- G-4 समूह में शामिल देशों के साथ भी भारत की कड़ी प्रतिस्पर्धा हैं जो भारत के लिए चुनौती है ।
इस प्रकार उपरोक्त
से स्पष्ट है कि भारत की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता हेतु प्रबल दावेदारी के बावजूद कई ऐसी
चुनौतियां है जिनका निकट भविष्य में कोई समाधान नजर नहीं आता और निकट भविष्य में
भारत को स्थायी सदस्यता मिलना अत्यंत कठिन प्रतीत होता है।
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