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Nov 8, 2023

जल संकट से निपटने में विज्ञान एवं तकनीक

वर्तमान जल संकट से निपटने की दिशा में विज्ञान एवं तकनीक किस प्रकार  महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकती है? इस संबंध में बिहार सरकार के प्रयासों को बताएं ।



उत्‍तर- पिछले कुछ दशकों में देखा जाए तो बढ़ती जनसंख्‍या के साथ जिस तरह से पानी की मांग बढ़ रही है उससे आपूर्ति और मांग में बढ़ रहा अंतर भविष्‍य में बड़े जल संकट को जन्‍म दे सकता है।


भारत में पानी की कमी की भयावह का अनुमान यूनेस्को की रिपोर्ट से लगा सकते हैं जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2025 तक भारत में पानी की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी तथा  जल संरक्षण की कमी, प्रदूषण, अतिक्रमण, शहरीकरण और ग्लेशियर पिघलने के कारण आने वाले समय में गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु जैसी हिमालयी नदियों का प्रवाह कम हो जाएगा।  


उल्‍लेखनीय है कि जल संकट का एक प्रमुख कारण लोगों द्वारा प्रकृति में सीमित मात्रा में उपलब्‍ध पानी का बेतहाशा इस्तेमाल करना और सरकारों द्वारा इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देना रहा है जिससे भारत की एक बड़ी आबादी स्‍वच्‍छ जल से वंचित है जो आनेवाले दिनों में और गंभीर रूप धारण कर सकती है। अत: इस स्थिति से बचने के लिए वृहद स्तर पर काम करने की जरूरत है जिसमें विज्ञान एवं तकनीक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।  


  • वैज्ञानिक विधि से औद्योगिक, कृषि एवं घरेलू स्‍तर पर जल संरक्षण एवं अपशिष्‍ट जल का पुन: उपयोग किया जा सकता है। भारत में कई उद्योग द्वारा उत्पादित अपशिष्‍ट पानी को साफ कर उसका उपयोग कूलिंग टावरों, प्लास्टिक वाशिंग इकाइयों, कपड़े धोने जैसे अन्य कार्यो में किया जा रहा है। कुछ राज्यों ने उद्योगों को अपशिष्‍ट पानी को साफ कर बिक्री की अनुमति देकर राजस्व भी अर्जित कर रहे हैं। 
  • रिपोर्ट के अनुसार यदि भारत अपने अनुपचारित अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग करता है तो औद्योगिक ताजे पानी की 50 प्रतिशत से भी ज्‍यादा मांग को पूरा कर सकता है।
  • कृषि में फसल चक्र एवं जलवायु के अनुसार वैज्ञानिक कृषि को बढ़ावा।
  • क्षेत्र में नई तकनीकों के प्रयोग द्वारा जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन को अनिवार्य बनाना।
  • रिमोट सेंसिंग, जीपीएस आधारित उपकरण और सेंसर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, रोबोटिक्स जैसी नवीन तकनीकों का प्रभावी ढंग से उपयोग जल की आवश्‍यकता, उपलब्‍धता तथा गुणवत्‍ता का आकलन कर जल संरक्षण किया जा सकता है।

              

बिहार सरकार भी विज्ञान एवं तकनीकी उपयोग से प्रदूषणमुक्त पेयजल सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयासरत है जो निम्‍न है।

  • राष्ट्रीय पर्यावरण अभियंत्रण शोध संस्थान, नागपुर एवं यूनीसेफ की सहायता से पानी के प्रबंधन हेतु गुणवत्ता मानकीकरण ।
  • जिला जल गुणवत्ता जांच प्रयोगशाला एवं अनुमंडल जल गुणवत्ता प्रयोगशाला द्वारा अनुश्रवण ओर निगरानी ।
  • जल आपूर्ति वाले स्थानों पर स्थानीय स्तर पर उपयोगकर्ताओं द्वारा निगरानी रखने हेतु जांच  किट की व्यवस्था ।
  • सात निश्चय 2 के स्वच्छ गांव, समृद्ध गांव के तहत उपयुक्त तकनीक के माध्यम से जलउपचार की व्यवस्था ।

इस प्रकार विज्ञान एवं तकनीक का उपरोक्‍त प्रकार से उपयोग करते हुए जल संकट की चुनौती का सामना किया जा सकता है।



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