बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक, 2024
बिहार में अपराध की रोकथाम हेतु नया कानून बिहार अपराध
नियंत्रण विधेयक,
2024 विधानमंडल से पारित हो गया है। इसके लागू होने के बाद बिहार
अपराध नियंत्रण अधिनियम, 1981 (1981 का अधिनियम संख्या-7)
समाप्त हो जाएगा।
नए कानून की आवश्यकता
- वर्तमान परिस्थिति के अनुसार माफियाओं, अपराधियों, असामाजिक तत्वों पर नियंत्रण के लिए वर्तमान में लागू बिहार अपराध
नियंत्रण अधिनियम 1981 पर्याप्त प्रावधान नहीं है इसलिए नये कानून को लाया गया ।
- यह कानून भूमि, बालू, शराब सहित अन्य आर्थिक अपराधों में संलिप्त
माफियाओं, मानव तस्करी, देह-व्यापार,
छेड़खानी, दंगा फैलाने, सोशल
मीडिया के दुरुपयोग सहित अन्य कांडों में शामिल अपराधी या आपराधिक गिरोहों पर
कानूनी शिकंजा कसेगा।
जिलाधिकारी (डीएम) के असीमित अधिकार
इस कानून के तहत सरकार द्वारा जिलाधिकारी को असीमित अधिकार दिए
जा रहे है जो निम्नलिखित है
- सभी तरह के माफिया, अपराधी, सोशल मीडिया का
दुरुपयोग करनेवाले पर जिलाधिकारी सीधी कार्रवाई कर सकेंगे।
- जिलाधिकारी को वारंट जारी करने, गिरफ्तार करने, जेल भेजने,
जमानत देने आदि संबंधी अधिकार के अलावा तलाशी एवं जब्ती का अधिकार
भी दिया गया है।
- जिलाधिकारी द्वारा जारी वारंट बिहार सहित पूरे देश में लागू होगा ।
- आपराधिक मामलों में संलिप्त लोगों को 6 माह के लिए जिला और राज्य से तड़ीपार करने का अधिकार जिलाधिकारी को होगा। जिलाधिकारी के आदेश के खिलाफ प्रमंडलीय आयुक्त के समक्ष अपील की जा सकती है।
- जिलाधिकारी को कार्रवाई करने की सूचना पांच दिन के अंदर सरकार को देनी होगी और 12 दिनों के अंदर सरकार से अनुमति लेनी होगी।
- कानून का उल्लंघन करनेवालों को बिना वारंट पुलिस गिरफ्तार कर सकती है।
सलाहकार बोर्ड का गठन
- इस कानून के तहत उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीश द्वारा सलाहकार बोर्ड बनाया जाएगा ।
- बोर्ड सदस्यों में एक अध्यक्ष होंगे जो उच्च न्यायालय के वर्तमान या सेवानिवृत न्यायाधीश होंगे।
- सलाहकार बोर्ड को सुनवाई का अधिकार दिया गया है जिसमें बहुमत की राय ही मान्य होगी।
कानून की आलोचना
- कलेक्टर के पास पूरी जिले की विकास कार्य का कार्यबोझ होता है अत: इससे उसके अन्य कार्य प्रभावित होंगे।
- इस तरह के कार्य को मुख्य रूप से जिला स्तरीय न्यायालय को दिए गए हैं और कलेक्टर प्रशासनिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण भाग है तो ऐसे कार्य के हमारी संवैधानिक व्यवस्था में जो संतुलन बनाया गया है वह प्रभावित हो सकता है।
- नागरिकों के
लोकतांत्रिक अधिकारों जैसे शांतिपूर्ण प्रदर्शन, स्वतंत्र
अभिव्यक्ति आदि जैसे अधिकार प्रभावित हो सकते हैं क्योंकि बिना वारंट के सीधे
गिरफतार करने का अधिकार लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विरुद्ध है जिसका दुरुपयोग किया
जा सकता है।
- एक कलेक्टर मुख्य रूप से प्रशासनिक अनुभव वाला व्यक्ति होता है जिसे न्यायिक जानकारी उस स्तर की नहीं होती जिस स्तर की एक न्यायाधीश के पास होती है अत: इससे न्याय भी प्रभावित हो सकती है।
- कोई मामला यदि संवैधानिक तथ्यों से संबंधित है तो उसमें विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है वेसे मामलों में एक कलेक्टर के लिए निर्णय लेना मुश्किल हो सकता है।
- वर्तमान में जिस प्रकार से सरकार पर जांच एजेंसियों, संस्थाओं के दुरुपयोग का आरोप लगता रहा है उसे देखते हुए सत्ता पक्ष द्वारा भ्रष्टाचार के नाम पर तानाशाही शासन व्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता है।
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