प्रश्न- नीति आयोग द्वारा जारी फसल
उत्पादन,
कृषि इनपुट मांग और आपूर्ति रिपोर्ट में व्यक्त चिंताओं को बताएं
तथा इस दिशा में अपने सुझाव के साथ सरकार के पहलों की चर्चा करें?
उत्तर- हाल ही में
नीति आयोग द्वारा जारी फसल उत्पादन, कृषि इनपुट मांग और आपूर्ति रिपोर्ट के अनुसार भारत के
कृषि निर्यात में वृद्धि के साथ साथ निर्यात उत्पादों में भी बदलावा आया है।
रिपोर्ट के अनुसार जहां अधिकांश खाद्य पदार्थों की मांग घरेलू उत्पादन से पूरी हो
रही है वहीं भारत विश्व में चावल का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है।
कृषि प्रधान देश भारत के लिए यह बेहतर स्थिति है कि खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता से आगे बढ़ते हुए प्रमुख निर्यातक बनने की ओर अग्रसर है। हांलाकि इस रिपोर्ट में कुछ चिंताएं भी व्यक्त की गयी है जिसे निम्न प्रकार देखा जा सकता है
- चावल की ज्यादा खेती से भूमि एवं जल संसाधनों पर भारी दबाव ।
- जलवायु परिवर्तन, कीटों के
संक्रमण, रासायनिक कृषि से खाद्य प्रणाली में जैविक एवं
अजैविक दबाव में वृद्धि ।
- खाद्य तेल जिसके लिए अभी भी 60 प्रतिशत आयात पर निर्भर है उसमें कोई विशेष वृद्धि नहीं हो पायी।
स्पष्ट है कि
आनेवाले समय में भूमि एवं जल जैसे महत्वपूर्ण संसाधनों के लिए घरेलू, ऊर्जा तथा
औद्योगिक उपयोग की मांग संबंधी प्रतिस्पर्धा में वृद्धि होगी। अत: भविष्य को
देखते हुए अभी से ही इस दिशा में प्रयास किया जाना चाहिए जिसके लिए निम्न सुझाव
अपनाए जा सकते हैं-
- कृषि पारिस्थितिकी एवं आर्थिक रूप से व्यवहार्य फसल प्रारूप को अपनाया जाए।
- भूमि एवं जल संसाधनों के बेहतर उपयोग हेतु उपयुक्त नीति निर्माण ।
- भावांतर भुगतान जैसी किसान सहायक योजना को प्रोत्साहन।
- फसल विविधिकरण के
तहत दलहन, तिलहन, मोटे अनाज उत्पादन को बढ़ावा।
- जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों एवं पद्धतियों को अपनाया जाए।
इस प्रकार उपरोक्त
सुझावों के साथ कृषि में आत्मनिर्भरता के साथ निर्यात जैसे लक्ष्यों को भी साधा
जा सकता है। हांलाकि इस दिशा में सरकार
द्वारा फसल विविधकरण, फसल बीमा योजना आदि चलायी जा रही है फिर भी पर्यावरण
संरक्षण के साथ टिकाऊ कृषि को प्रोत्साहन देने के लिए ठोस रणनीति के तहत कृषि को
प्रोत्साहन दिया जाना बेहतर होगा।
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