प्रश्न- भारत की
जलोढ़ (Alluvial) और पूरोढ़ (Diluvial) मृदा के बीच अंतर स्पष्ट
करें तथा उदाहरणों के साथ उनकी निर्माण प्रक्रिया, विशेषताओं और वितरण पैटर्न की
व्याख्या करें । 38 Marks (70th
BPSC PYQ)
भारत की मिट्टियाँ उनके निर्माण
स्रोत, बनावट, उर्वरता और भौगोलिक वितरण के आधार पर विविध प्रकार की होती हैं। इनमें जलोढ़
और पूरोढ़ मिट्टी दो महत्त्वपूर्ण प्रकार हैं। जलोढ़ मिट्टी वह होती है जो नदियाँ
अपने साथ बहाकर लाती हैं और नदी घाटियाँ, बाढ़ के मैदान, डेल्टा क्षेत्रों में जमा कर देती हैं वहीं पूरोढ़ मिट्टी पहाड़ों में
ग्लेशियर के पिघलने, बादल फटने या हिमनद टूटने से बहकर आई मिट्टी, पत्थर और बोल्डर से बनती है जो तलहटी के क्षेत्र, पहाड़ी ढालों के नीचे संचित होती है।
निर्माण प्रक्रिया
जलोढ़ मिट्टी निर्माण में नदियों द्वारा तलछट संचयन प्रक्रिया शांत जल में
धीरे-धीरे होती है। यह गाद, रेत और पोषक तत्व से भरपूर होती है जिससे यह उपजाऊ होती है और खेती के लिए
उपयुक्त मानी जाती है। पूरोढ़ मिट्टी निर्माण प्रक्रिया में पहाड़ी क्षेत्रों में तीव्र
वेग से बहते जल द्वारा मोटे कणों का जमाव होता है जिससे यह मोटी, भारी और कम पोषक तत्वों वाली होती है इसलिए खेती के लिए कम उपयुक्त होती है।
इस प्रकार जलोढ़ और पूरोढ़ दोनों का
निर्माण विशेष रूप से तलछट के संचयन से होता है हांलाकि उनके निर्माण प्रक्रिया
में अंतर से इनकी विशेषताएं भी अलग होती है जिसे निम्न प्रकार समझा जा सकता है
विशेषता |
जलोढ़ मिट्टी |
पूरोढ़ मिट्टी |
बनावट |
गाद, चिकनी मिट्टी, रेतीली, भूरा रंग |
बजरी, पत्थर, बोल्डर मिश्रित, हल्का रंग |
कार्बनिक पदार्थ |
उच्च मात्रा |
कम मात्रा |
नमी धारण क्षमता |
अधिक |
कम, पर जल निकासी अच्छी |
उर्वरता |
अत्यधिक उपजाऊ |
कम उपजाऊ |
कटाव की
संवेदनशीलता |
कम (स्थिर
मैदानों में) |
अधिक (ढलानों
पर) |
कृषि उपयुक्तता |
गेहूं, चावल, गन्ना, कपास
आदि |
समुचित सुधार के
बाद ही कुछ फसलों के लिए उपयुक्त |
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वितरण प्रारूप
भारत में जलोढ़ मृदा जहां बाढ़ के मैदान, डेल्टा प्रदेशों, नदी घाटियों और तटीय क्षेत्रों में पायी
जाती है वहीं पूरोढ़ मृदा तथा पूरोढ़ मृदा तलहटी के क्षेत्र, पहाड़ी ढालों के नीचे पायी जाती है। जलोढ़
मृदा पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल में फैले गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा के अलावा गोदावरी, कृष्णा, कावेरी डेल्टा में विस्तारित है जबकि पूरोढ़ मिट्टी का विस्तार पश्चिमी
घाट तथा हिमालय की तलहटी जैसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश के पर्वतीय ढाल में है।
इस प्रकार भारत की जलोढ़ और पूरोढ़
मिट्टियाँ तलछट-आधारित निर्माण प्रक्रिया के बावजूद अपने निर्माण स्रोत, पोषक तत्त्वों की मात्रा, भौगोलिक वितरण और कृषि उपयोगिता में
भिन्नता रखती हैं। जहाँ जलोढ़ मिट्टी भारत की कृषि रीढ़ मानी जाती है, वहीं पूरोढ़ मिट्टी सीमित और
चुनौतीपूर्ण कृषि क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती है।
शब्द संख्या-400
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