मौर्य काल की कला एवं वास्तुकला
दोस्तो 69th
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मौर्य काल की कला एवं वास्तुकला
पाषाण
के कलात्मक प्रयोग को आरंभ करनेवाले मौर्य कला को 2 भागों में बांटा जा सकता है।
राजकीय संरक्षण में विकसित 69th BPSC Model answer-मौर्य काल की कला एवं वास्तुकला आदि का
निर्माण हुआ वहीं स्वतंत्र कलाकारों द्वारा विकसित लोक कला में यक्ष-यक्षिणी की प्रतिमाएं, मिट्टी की मूर्तियां आदि प्रमुख है।
मौर्यकालीन वास्तुकला के तहत चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा निर्मित
पाटलिपुत्र स्थित कुम्हरार का राजप्रासाद मौर्यकालीन भवनों में सर्वोत्कृष्ट है
जो चमकदार पॉलिशयुक्त बलुआ पत्थर के 84 स्तंभों से
बनाया गया था।
सम्राट अशोक के संरक्षण में अनेक स्तंभ, स्तूप, वेदिका, गुहा विहार का
निर्माण कराया गया जिसमें सारनाथ का अशोक स्तंभ सवश्रेष्ठ है जिसके शीर्ष भाग को
भारत का राज्यचिह्न के रूप में अपनाया गया। अशोक निर्मित स्तूपों में सांची,
भरहुत, सारनाथ, धर्मराजिका
स्तूप महत्वपूर्ण है।
बौद्ध आजीवकों के रहने
हेतु बने गुहा-विहारों में सुदामा गुफा, लोमश गुफा आदि उल्लेखनीय है जिनका
अनुकरण कर पश्चिमी भारत में अनेक चैत्य-गृहों का निर्माण हुआ ।
इस
प्रकार मौर्य कला समकालीन कलाओं में सर्वश्रेष्ठ है जिसके प्रमाण आज भी भारत में
मौजूद हैं।
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