बिहार लोक सेवा आयोग मुख्य परीक्षा उत्तर लेखन एवं मॉडल उत्तर
प्रश्न : सभी के लिए सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने
की दिशा में सरकार के प्रयासों के पर्यावरणीय, स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे क्षेत्रों पर क्या प्रभाव पड़ा? चर्चा करें।
उत्तर: जल जीवन का
महत्वपूर्ण भाग है जो सतत विकास लक्ष्य-6 में भी शामिल है। भारत में सुरक्षित और
पर्याप्त पेयजल की उपलब्धता की दिशा में हर घर नल का जल, जल जीवन
मिशन,
जल
जीवन हरियाली,
अमृत
सरोवर, कैच द
रैन आदि कार्यक्रम चलाए गए जिसने विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया है।
स्वास्थ्य
सरकार के प्रयासों एवं नल से जलापूर्ति और स्वच्छता
सुनिश्चित करने से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जल जनित रोगों जैसे डायरिया, हेपेटाइटिस, और
टाइफाइड में कमी दर्ज हुई। इसके अलावा महिला श्रम एवं समय की बचत से स्वास्थ्य सुधार, बाल
मृत्यु दर में कमी भी आयी जिससे जीवन स्तर बेहतर हो रहा है।
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वर्ष 2019 में 1.8 करोड़ जल
जनित रोग के मामले थे जो 2021 में घटकर 59 लाख रह
गए। जल जीवन मिशन के तहत माइक्रोबियल संदूषण मुक्त जल से प्रतिवर्ष 1.36 लाख
बच्चों की जान बचाई गयी जिससे बाल मृत्यु दर में गिरावट आई।
शिक्षा क्षेत्र
सुरक्षित जल की उपलब्धता से स्कूलों और आंगनवाड़ी
केंद्रों में उपस्थिति और स्वच्छता में सुधार हुआ। 8.7 लाख
स्कूलों और 8.9
लाख
आंगनवाड़ी केंद्रों में नल के पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होने से छात्राओं के लिए
विशेष रूप से लाभकारी रहा, क्योंकि स्वच्छ जल और शौचालय
सुविधाएं उन्हें स्कूल छोड़ने से रोकती हैं। घर पर पानी लाने में समय बचने से
शिक्षा में समय बढ़ा ।
पर्यावरणीय प्रभाव
सरकार ने पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देते हुए जल
संरक्षण,
भूजल
पुनर्भरण और जल निकायों के कायाकल्प को प्राथमिकता दी है। सूखा और जल संकट वाले
क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए भूजल दोहन में कमी द्वारा निम्न
कार्बन उत्सर्जन एवं जलवायु परिवर्तन से निपटने और स्थानीय जल संसाधनों के स्थायी
प्रबंधन को प्रोत्साहित करते हैं।
जल जीवन हरियाली, कैच द
रेन,
अमृत
सरोवर जैसे प्रयासों ने सामुदायिक भागीदारी द्वारा जल संरक्षण एवं प्रबंधन, जल
निकायों का उत्थान का मॉडल पेश किया। बिहार में जल निकायों के पुनरुद्धार से जल
संरक्षण के साथ साथ कृषि, मछली पालन, और
स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा मिला। इन प्रयासों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत
किया और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में योगदान दिया।
प्रश्न: भारत में भूमि स्वामित्व
में व्याप्त लैंगिक असमानता भारतीय समाज, अर्थव्यवस्था और सतत विकास के लक्ष्यों को किस प्रकार प्रभावित
करता है? संक्षिप्त चर्चा करें ।
उत्तर:महिलाओं के
भूमि अधिकार, न केवल उनके आर्थिक सशक्तिकरण के लिए बल्कि समाज में लैंगिक समानता और सतत
विकास लक्ष्यों (SDGs) की पूर्ति के लिए भी
महत्वपूर्ण हैं। भूमि अधिकारों की कमी महिलाओं को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित
करती है और इसके बहुआयामी प्रभाव समाज, अर्थव्यवस्था और
पर्यावरणीय संतुलन पर पड़ते हैं।
सामाजिक प्रभाव:
भूमि
पर अधिकार का अभाव महिलाओं को पारिवारिक और सामुदायिक निर्णय प्रक्रिया से बाहर कर
देता है। यह स्थिति पितृसत्तात्मक व्यवस्था को मजबूत करती है और महिलाओं को समाज
में हाशिए पर धकेल देती है।
पारंपरिक सामाजिक मान्यताएं, महिलाओं के भूमि अधिकारों को सीमित करती हैं। यह स्थिति केवल आर्थिक
मुद्दा नहीं, बल्कि सामाजिक संरचना के असंतुलन का संकेत है।
आर्थिक प्रभाव:
भूमि
स्वामित्व की कमी, महिलाओं की आय सृजन और
संसाधनों तक पहुंच को सीमित करती है। वे कृषि और अन्य उत्पादक गतिविधियों में
स्वतंत्रता से भाग नहीं ले पातीं, जिससे उनकी
आर्थिक स्थिति कमजोर होती है।
सतत विकास पर
प्रभाव:
महिलाओं के भूमि अधिकारों की अनदेखी, SDG-5 (लैंगिक समानता) और SDG-1 (गरीबी उन्मूलन) की प्राप्ति को बाधित करती है। साथ ही, कृषि भूमि तक महिलाओं की सीमित पहुंच, ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करती है।
निष्कर्ष महिलाओं
के भूमि अधिकारों की कमी, समाज और
अर्थव्यवस्था में असमानता को बढ़ावा देती है। यह स्थिति न केवल महिलाओं के विकास
में बाधा डालती है, बल्कि समाज और राष्ट्र की
प्रगति को भी बाधित करती है। इस चुनौती से निपटने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप के
साथ-साथ सामाजिक दृष्टिकोण में परिवर्तन अनिवार्य है।
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प्रश्न: भारतीय कृषि
विपणन प्रणाली की प्रमुख कमियां जिनसे किसानों को नुकसान और उपभोक्ताओं को अधिक
कीमत चुकानी पड़ती है, उनको दूर करने के लिए कौन-कौन
से उपाय किए जा सकते हैं?
उत्तर: कृषि
विपणन प्रणाली, कृषि उपज को खेत से लेकर उपभोक्ताओं तक पहुँचाने की प्रक्रिया है, जिसमें भंडारण, संग्रहण, प्रसंस्करण, परिवहन आदि सेवाएं शामिल
होती हैं। भारतीय कृषि विपणन प्रणाली में कई समस्याएं हैं जिसके कारण कृषि उत्पाद
के मामले में किसानों एवं उपभोक्ताओं दोनों ही उचित मूल्य न होने की समस्या का
सामना करते हैं जो निम्न है
- बिचौलियों और
आढ़तियों की अधिकता जिसके कारण किसानों को जहां उत्पादों का उचित मूल्य नहीं मिलता
वहीं उपभोक्ताओं को उत्पाद मंहगा मिलता है।
- पर्याप्त भंडारण
सुविधा की कमी से अक्सर किसान की फसलें मौसम में ही बर्बाद हो जाती हैं। इसी क्रम
में अपर्याप्त एवं खराब परिवहन प्रणाली के कारण उपज समय पर मंडी नहीं पहुँच पाती जिससे
उनको उचित मूल्य नहीं मिलता ।
- किसानों को विपणन
प्रक्रिया और बाजार मूल्य के बारे में सही जानकारी नहीं मिलने से वे बिचौलियों
द्वारा ठगे जाते हैं।
निष्कर्षत: भारतीय
कृषि विपणन प्रणाली में कई कमियां हैं जो किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए
हितकारी नहीं है। इनका समाधान केवल व्याप्त
कमियों को दूर करते हुए उचित सुधारों के माध्यम से ही संभव है जिसके तहत कम
बिचौलिये, भंडारण और परिवहन सुविधाओं में सुधार और किसानों को सही जानकारी प्रदान
करना आदि कार्य किए जा सकते हैं।
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प्रश्न- भारत के छोटे और सीमांत किसानों पर कृषि
मशीनीकरण के आर्थिक और सामाजिक प्रभावों का विश्लेषण करें।
उत्तर: कृषि
मशीनीकरण का भारतीय कृषि पर आर्थिक प्रभाव काफी गहरा है जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण
हरित क्रांति में देखा जा सकता है। यह उत्पादकता में सुधार, लागत में कमी और कृषि कार्यों के समय में कटौती करता है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है।
मशीनों के प्रयोग से श्रमिकों की कम आवश्यकता, सिंचाई और फसल कटाई में आसानी, समय की बचत जैसे
लाभ से लागत कम हो सकती है। कृषि में मशीनीकरण का लाभ मुख्य तौर पर बड़े जोत के
संदर्भ में व्यापक होता है लेकिन छोटे और सीमांत किसान इसके लाभों से पूरी तरह से
लाभान्वित नहीं हो पाते हैं।
- भारत में लगभग
86% किसान लघु और सीमांत हैं, जिनके पास 2
हेक्टेयर से कम भूमि है। ऐसे किसानों के पास पूंजी की कमी है और वे महंगी कृषि
मशीनरी खरीदने में सक्षम नहीं होते। इसके अलावा, मशीनरी के संचालन का खर्च और मरम्मत की लागत भी चुनौतीपूर्ण होती है। इस
प्रकार मशीनीकरण की लागत एवं कृषि उत्पाद आर्थिक रूप में असंतुलित हो जाते हैं।
- मशीनीकरण से
श्रमिकों की कम आवश्यकता होती है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार संकट पैदा हो
सकता है। हांलाकि मशीनीकरण से कृषि को व्यावसायिक रूप से लाभकारी बनाने में मदद करती
है लेकिन इससे अपेक्षाकृत बड़े किसानों को मदद मिलती है और वे बड़े बाजारों में
प्रतिस्पर्धा में बने रह सकते हैं।
- महिला किसानों के
लिए मशीनीकरण एक सकारात्मक बदलाव हो सकता है। यह शारीरिक श्रम को कम करता है और
महिला किसानों को अधिक सम्मानजनक कार्य उपलब्ध कराता है। कृषि कार्यों को आधुनिक
बनाने से कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका को मजबूत किया जा सकता है।
इस प्रकार कुल
मिलाकर, कृषि मशीनीकरण से जहां उत्पादकता और समग्र विकास में वृद्धि हो सकती है, वहीं छोटे और सीमांत किसानों को इससे लाभ उठाने के लिए अतिरिक्त सहायता, जैसे सस्ती तकनीक, प्रशिक्षण और
वित्तीय समर्थन की आवश्यकता है।
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