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Feb 13, 2025

BPSC mains answer writing


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 प्रश्न: कृषि में नवाचार और तकनीकी विकास किसानों की आय वृद्धि और सतत कृषि प्रणाली को किस प्रकार प्रभावित कर सकते हैं? इसका बिहार के संदर्भ में विश्लेषण कीजिए।

उत्तर: कृषि में नवाचार और आधुनिक तकनीक की भूमिका सतत कृषि विकास और किसानों की आय वृद्धि में अत्यंत महत्वपूर्ण है। पारंपरिक कृषि प्रणाली जलवायु परिवर्तन, कुपोषण, भूमि क्षरण और जल संकट जैसी समस्याओं से प्रभावित हो रही है। ऐसे में उन्नत तकनीकों, जैविक खेती, हाइड्रोपोनिक्स, ड्रोन टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्मार्ट खेती जैसे नवाचारों को अपनाना अनिवार्य हो गया है।


बिहार सरकार ने भी कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, जो राज्य में कृषि की उत्पादकता और किसानों की आय में वृद्धि कर रही हैं।

1.    हाइड्रोपोनिक्स खेती: सहरसा में तालाब के ऊपर सब्जी और नीचे मछली उत्पादन की शुरुआत की गई, जिससे भूमि की कमी के बावजूद उत्पादकता में वृद्धि हो रही है।

2.    न्यूट्रिशनल विलेज: पटना के दुल्हिन बाजार में पोषक तत्वों से भरपूर जैविक खेती कुपोषण और किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होगी।

3.    फसल अवशेष प्रबंधन: रोहतास में पुआल से आमदनी के अवसर विकसित किए गए, जिससे पर्यावरण को भी लाभ होगा।

4.    डिजिटल और स्मार्ट खेती: फसलों पर कीटनाशकों के छिड़काव के लिए ड्रोन तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। डेटा संचालित स्मार्ट खेती के तहत समस्तीपुर के पूसा स्थित कृषि विश्वविद्यालय में "फसल" मशीन स्थापित की गई है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से फसल की भविष्यवाणी कर सकती है।

5.    मृदा एवं जल प्रबंधन: मिट्टी की जांच के लिए "मिट्टी बिहार" एप, जिससे उर्वरक के सही प्रयोग की जानकारी किसानों को मिलेगी। भूगर्भ जल अनुश्रवण के लिए 562 टेलीमेट्री सिस्टम लगाए गए हैं।

6.    मौसम पूर्वानुमान: बिहार सरकार ने "मौसम बिहार" एप लॉन्च किया है, जो भारत में अपनी तरह का पहला एप है और किसानों को मौसम की सटीक जानकारी देकर प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम को कम करेगा।

7.    बागवानी एवं बीज उत्पादन: सात आदर्श बागवानी केंद्र स्थापित किए गए हैं, और 100 बीज हब विकसित किए जा रहे हैं, जिससे उन्नत बीजों की उपलब्धता बढ़ेगी।

8.    पशुधन विकास: इसके तहत दुधारू पशुओं के लिए "पशुधन बीमा योजना" शुरू की गई, वहीं "पशु सखी" कार्यक्रम के तहत जीविका दीदियों को पशु देखभाल प्रशिक्षण दिया जा रहा है।


इस प्रकार बिहार में कृषि क्षेत्र में हो रहे नवाचार और तकनीकी विकास किसानों की आय बढ़ाने और सतत कृषि को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हाइड्रोपोनिक्स, ड्रोन टेक्नोलॉजी, स्मार्ट खेती, जल प्रबंधन, मौसम पूर्वानुमान और बागवानी केंद्र जैसे कदमों को बिहार में प्रभावी क्रियान्वयन किया जाए और किसानों को इन तकनीकों के प्रति प्रशिक्षित किया जाए, तो बिहार देश के अग्रणी कृषि राज्यों में अपनी पहचान बना सकता है।

 


 


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प्रश्न: जलवायु परिवर्तन बिहार की कृषि को किस प्रकार प्रभावित कर रहा है, और इसके समाधान के लिए कौन-कौन से प्रयास किए जाने चाहिए?

उत्‍तर- बिहार में जलवायु परिवर्तन कृषि पर व्‍यापक प्रभाव डाल रहा है जिसके कारण किसान बदलती जलवायु परिस्थितियों से निपटने और उनके अनुकूल ढलने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बिहार की कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को निम्‍न प्रकार देखा जा सकता है

 

मानसून में परिवर्तनशीलता से दक्षिण बिहार में जहां बक्‍सर तथा आसपास में फसलों की बुआई में देरी से रबी,  खरीफ और गरमा फसलों की अवधि 30 से 40 दिनों तक बढ़ गई वहीं उत्‍तरी बिहार में बाढ़ से लाखों हेक्‍टेयर फसल नष्‍ट हो जाती है।

बिहार में गेहूं, धान, मक्का और दलहन के उत्पादन में कमी और गुणवत्ता में गिरावट हो रही हैं इससे किसान कम लागत और कम समय लेने वाली फसलों की ओर रुख कर रहे हैं।

दक्षिण बिहार में कई किसान पारंपरिक धान-गेहूं के स्थान पर सोयाबीन, मशरूम, मेंथा, जौ और मोटे अनाज की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं।

मानसून की अनिश्चितता और बारिश की कमी से किसान बोरिंग और भूजल संसाधनों पर अधिक निर्भर हो रहे हैं। इससे लागत एवं उत्पादन प्रभावित हो रहा है तथा  भूजल स्तर में भी गिरावट दर्ज की जा रही है।

 

इस प्रकार जलवायु परिवर्तन बिहार में कृषि के लिए व्‍यापक चुनौतियां उत्‍पन्‍न करता है जिससे निपटने के लिए समन्वित प्रयास आवश्यक हैं।

जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपाय

जलवायु अनुकूल खेती: परंपरागत खेती के बजाय जलवायु अनुकूल खेती को बढ़ावा दिया जाए, जिससे कम लागत में अधिक उत्पादन संभव हो।

मोटे अनाज की खेती: कम पानी और न्यूनतम लागत में उत्पादित होने वाले बाजरा, ज्वार, रागी जैसे मोटे अनाजों को बढ़ावा दिया जाए। दक्षिण बिहार में कई किसान सोयाबीन, मशरूम, मेंथा, जौ और मोटे अनाज की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं।

संशोधित बीजों का प्रयोग: सरकार द्वारा उन्नत बीजों को किसानों तक पहुंचाया जाए, जो कम समय में तैयार होने के साथ-साथ कम उर्वरक और सिंचाई की आवश्यकता रखते हैं। बिहार में कई किसान ऐसे बीजों का उपयोग कर फसल उत्पादन बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।

सिंचाई के वैकल्पिक साधन: बारिश के पानी के संचयन और सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों (ड्रिप और स्प्रिंकलर) को अपनाने से किसानों को भूजल के अत्यधिक दोहन से बचाने में मदद मिलेगी। बिहार में भूगर्भ जल अनुश्रवण के लिए 562 टेलीमेट्री सिस्टम लगाए गए हैं।

 

इस प्रकार बिहार जैसे कृषि प्रधान राज्‍य के लिए जलवायु परिवर्तन एक वास्तविकता है जिसके नकारात्‍मक प्रभावों को सरकार और किसानों के सामूहिक प्रयासों, उचित रणनीतियों और नवाचारों के माध्यम से कम किया जा सकता है।








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