सपने वे नहीं, जो आप नींद में देखते हैं, सपने तो वे हैं, जो आपको सोने नहीं देते
71th BPSC Pre and Mains Group start from May 2025
डॉ.
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का यह प्रसिद्ध कथन न केवल युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है, बल्कि
यह जीवन में लक्ष्य और समर्पण की भावना को भी दर्शाता है। उनका मानना था कि
वास्तविक सपने वे होते हैं, जो व्यक्ति को चैन से बैठने नहीं
देते, बल्कि उसे लगातार प्रेरित करते हैं। इतिहास इस बात का
साक्षी है कि जिन्होंने अपने सपनों को साकार करने के लिए अथक परिश्रम किया,
वे न केवल अपने जीवन को महान बना पाए, बल्कि
समाज और राष्ट्र के विकास में भी अमूल्य योगदान दिया।
सपने
केवल रात्रि में देखी गई कल्पनाएँ नहीं होते, बल्कि वे हमारी इच्छाओं,
आकांक्षाओं और लक्ष्यों का प्रतिबिंब होते हैं। जब कोई सपना व्यक्ति
की सोच को इतनी गहराई तक प्रभावित करता है कि वह उसके लिए दिन-रात परिश्रम करने को
तत्पर हो जाता है, तब वह सपना उसकी वास्तविक प्रेरणा बन जाता
है। अब्दुल कलाम ने कहा था, "महान सपने देखने वालों के
महान सपने हमेशा पूरे होते हैं।"
सपने
मनुष्य को जीवन में दिशा और उद्देश्य प्रदान करते हैं। वे हमारे भीतर अदम्य ऊर्जा
का संचार करते हैं,
जिससे हम हर चुनौती का सामना करने में सक्षम होते हैं। भगत सिंह,
सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी जैसे महानायकों ने भारत को
स्वतंत्र करने का सपना देखा और उसके लिए अपने पूरे जीवन को समर्पित कर दिया। उनके
सपने केवल व्यक्तिगत नहीं थे, बल्कि एक स्वतंत्र और समतामूलक
भारत की कल्पना थी। महात्मा गांधी का सत्याग्रह और अहिंसा का मार्गदर्शन न केवल
भारत की स्वतंत्रता का कारण बना, बल्कि पूरी दुनिया में एक
आदर्श स्थापित कर गया। आज ऐसे कई युवा हैं जो अपने सपनों को साकार करने के लिए
संघर्ष कर रहे हैं। स्टार्टअप्स, विज्ञान, खेल, और सामाजिक कार्यों में युवाओं की भागीदारी
उनके सपनों की पूर्ति की दिशा में किए गए प्रयासों का प्रमाण है।
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सपनों को
साकार करने के लिए कुछ मूलभूत गुणों का होना आवश्यक है। दृढ़ निश्चय और
आत्मविश्वास के बिना किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करना कठिन है। जब व्यक्ति किसी
लक्ष्य को लेकर समर्पित होता है, तो असफलताओं के बावजूद उसकी दृढ़
इच्छाशक्ति उसे सफलता की ओर अग्रसर करती है। जब व्यक्ति अपने सपने के प्रति
समर्पित होता है, तो वह असफलताओं को भी सीखने का अवसर मानता
है। अनुशासन और परिश्रम सफलता की नींव होते हैं। ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने कहा था,
"यदि आप अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं, तो आपको पहले सपने देखने होंगे।" सपना देखना पहला कदम है, लेकिन उसे पूरा करने के लिए साहस, धैर्य और मेहनत की
आवश्यकता होती है।
सपनों की
शक्ति केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों तक सीमित नहीं होती, वे
समाज और देश के उत्थान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। डॉ. भीमराव अंबेडकर
ने एक समतामूलक समाज का सपना देखा, जहाँ जाति, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव न हो। उनके नेतृत्व में भारत को एक सशक्त
संविधान मिला, जो आज भी सामाजिक न्याय का आधार है।
मदर
टेरेसा ने निर्धनों और असहायों की सेवा का सपना देखा और अपना संपूर्ण जीवन मानवता
की सेवा में समर्पित कर दिया। उनके कार्यों ने विश्वभर में प्रेम और करुणा का
संदेश फैलाया। मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने "I Have a
Dream" भाषण में अपने सपने को अभिव्यक्त किया, जिसमें उन्होंने एक ऐसे अमेरिका की कल्पना की, जहाँ
सभी लोग समानता और स्वतंत्रता के साथ जीवन जी सकें। उनके इस स्वप्न ने नस्लभेद के
खिलाफ एक व्यापक आंदोलन को जन्म दिया। कल्पना चावला ने अंतरिक्ष में जाने का सपना
देखा। तमाम बाधाओं और सीमित संसाधनों के बावजूद, उन्होंने
अपने सपने को साकार किया और भारत की बेटियों के लिए एक प्रेरणा बनीं।
आज के
भारत में युवा अपने सपनों को साकार करने के लिए नए-नए आयाम गढ़ रहे हैं। कृषि, विज्ञान,
प्रौद्योगिकी, खेल और उद्यमशीलता के क्षेत्र
में भारतीय युवाओं ने वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाई है। उदाहरणस्वरूप, नीरज चोपड़ा ने ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर भारत को गौरवान्वित किया,
वहीं भारतीय स्टार्टअप्स ने वैश्विक बाजार में अपनी मजबूत उपस्थिति
दर्ज कराई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का "आत्मनिर्भर भारत" का सपना
भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जिसमें नवाचार और
आत्मनिर्भरता पर बल दिया गया है।
डॉ.
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का यह कथन हमें प्रेरणा देता है कि सपने केवल कल्पनाओं में
सीमित नहीं होने चाहिए,
बल्कि उन्हें साकार करने की ललक और समर्पण होना चाहिए। ऐसे सपने ही
व्यक्ति को निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। वास्तविकता में, वही लोग इतिहास रचते हैं, जो अपने सपनों को जीते हैं,
उनके लिए संघर्ष करते हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाते हैं।
हमें अपने भीतर छिपे सपनों को पहचानना चाहिए और उन्हें पूरा करने के लिए निडर होकर
आगे बढ़ना चाहिए।
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