71th BPSC Mains Test Model answer
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प्रश्न-“भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में महिला श्रमबल की बढ़ती भागीदारी को ‘सामाजिक परिवर्तन के संकेतक’ के रूप में कैसे देखा जा सकता है? तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।” 38 Marks
उत्तर-
भारतीय अर्थव्यवस्था में महिला श्रमबल की बढ़ती भागीदारी केवल रोजगार या आय का
विषय नहीं है, बल्कि यह समाज में हो रहे गहरे संरचनात्मक परिवर्तन का संकेतक है। डिजिटल
कार्य, स्वरोजगार और सेवा क्षेत्रों ने महिलाओं के लिए लचीले
अवसर प्रदान किए हैं। इससे उनकी भूमिका ‘सहयोगी’ से ‘सहभागी’ में परिवर्तित हो रही
है जिसे निम्न प्रकार देख सकते हैं
महिला
श्रम बल भागीदारी
वर्ष
2017-18 में
जहाँ महिला श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) मात्र 23.3% थी, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर
41.7% हो गई। यह परिवर्तन दर्शाता है कि महिलाएँ पारंपरिक
घरेलू भूमिकाओं से आगे बढ़कर आर्थिक प्रक्रियाओं का अभिन्न हिस्सा बन रही हैं।
यह
प्रवृत्ति केवल नौकरी मिलने या आय बढ़ने का परिणाम नहीं है, बल्कि परिवारिक
दृष्टिकोण, समाज के सोच, अवसरों,
विधिक संरक्षण और नीतिगत समर्थन में आए बदलाव को प्रस्तुत करती है।
महिला
कार्यकर्ता जनसंख्या अनुपात
इसी
अवधि में महिला कार्यकर्ता जनसंख्या अनुपात (WPR) का 22% से 40.3%
होना दर्शाता है कि घरेलू भूमिका तक सीमित महिला अवधारणा अब आर्थिक
योगदानकर्ता की ओर बढ़ रही है।
यह
परिवर्तन ग्रामीण और शहरी दोनों स्तरों पर
देखा जा सकता है जहाँ स्वरोजगार, सेवाक्षेत्र, गिग कार्य
और डिजिटल प्लेटफॉर्म ने महिलाओं को नए अवसर दिए।
उद्यमिता
और नेतृत्व
पीएम-मुद्रा
योजना के 68% लाभार्थियों का महिला होना यह प्रमाणित करता है कि महिलाएँ अब उपभोक्ता
नहीं, उत्पादक और निवेशक की भूमिका निभा रही हैं।
75,000 से अधिक महिला-नेतृत्व वाले स्टार्टअप स्पष्ट संकेत देते हैं कि महिलाएँ
अब नेतृत्वकारी आर्थिक भूमिका निभा रही हैं। वे केवल रोजगार प्राप्त नहीं कर रहीं,
बल्कि रोज़गार सृजन का माध्यम भी बन रही हैं। यह बदलाव
पितृसत्तात्मक मान्यताओं को चुनौती देता है और सामाजिक मानसिकता में परिवर्तन को
दर्शाता है।
नीतिगत
समर्थन
कानूनी
ढांचे का प्रभाव भी इस सामाजिक बदलाव से जुड़ा है। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न
अधिनियम, मातृत्व
लाभ, समान पारिश्रमिक और क्रेच व्यवस्था ने यह संदेश दिया कि
महिलाएँ केवल कार्यबल की “संख्या” नहीं, बल्कि
“अधिकार प्राप्त कर्मचारी” हैं।
सामाजिक
सरंचना के केन्द्र में महिलाएं
ग्रामीण
महिलाओं का स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से वित्तीय क्षेत्र में प्रवेश, ब्रिक्स देशों में
भारत का सबसे अधिक प्रगति करना और 26% भारतीय कंपनियों का AI-आधारित कार्यस्थल लचीलापन देना इस बात का प्रमाण है कि सामाजिक सरंचना
स्त्री को केंद्र में रखते हुए पुनर्गठित हो रही है।
अतः
महिला कार्यबल की बढ़ती भागीदारी को केवल आर्थिक उपलब्धि मानना अधूरा होगा। यह शिक्षा-सशक्तिकरण, घरेलू निर्णय क्षमता,
सांस्कृतिक दृष्टिकोण और विधिक चेतना जैसे गहरे सामाजिक बदलावों का
प्रतिफल है।
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प्रश्न:
भारत में बायोमेडिकल रिसर्च करियर प्रोग्राम (BRCP) ने जैव चिकित्सा अनुसंधान और नवाचार पर क्या
प्रभाव डाला है? इसके प्रमुख क्षेत्रों और दीर्घकालिक लाभों
का विश्लेषण कीजिए। 38 Marks
उत्तर: भारत जैव
चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में बायोमेडिकल रिसर्च करियर प्रोग्राम ने भारत के स्वास्थ्य और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को
मजबूत करने का लक्ष्य रखा है। इसका प्रमुख उद्देश्य वैज्ञानिकों को फेलोशिप और
अनुदान प्रदान करके उच्च-गुणवत्ता, नैतिक और अंतरविषयक अनुसंधान को बढ़ावा देना है। इसके प्रभाव को निम्न
प्रकार देख सकते हैं
महामारी प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य नवाचार
इस
कार्यक्रम ने 70 से अधिक
कोविड-19 परियोजनाओं को वित्त पोषित किया। इसके तहत 10 वैक्सीन कैंडीडेट, 34 नैदानिक उपकरण और 10 चिकित्सीय हस्तक्षेप विकसित हुए। यह दिखाता है कि दीर्घकालिक नवाचार को
आपातकालीन स्वास्थ्य चुनौतियों के साथ संरेखित किया जा सकता है।
नोमिक अनुसंधान और व्यक्तिगत चिकित्सा
ओरल
कैंसर के तरीकों पर अनुसंधान का समर्थन हेतु डीबीजेनवोक और जीनोमइंडिया जैसी पहलें
आनुवंशिक विविधता और दुर्लभ विकारों का मानचित्रण कर रही हैं। इससे पूर्वानुमानित
और व्यक्तिगत स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा मिलता है।
राष्ट्रीय एएमआर मिशन
रोगाणुरोधी प्रतिरोध
पर वन हेल्थ दृष्टिकोण अपनाया गया, जिससे प्रतिरोधी संक्रमणों पर नियंत्रण और वैश्विक साझेदारी के माध्यम से
स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
ट्रांसलेशनल अनुसंधान और इकोसिस्टम निर्माण
देशभर में जैव-भंडार और नैदानिक परीक्षण नेटवर्क स्थापित किए गए, जो नवाचार को सीधे रोगियों के लाभ तक
पहुँचाने में सक्षम बनाते हैं।
महिला वैज्ञानिक सशक्तिकरण
बायोकेयर
फेलोशिप, जानकी अम्मल
पुरस्कार और महिला-केंद्रित बायोइनक्यूबेटर जैसी पहलें अनुसंधान में समावेशिता और
नेतृत्व क्षमता को बढ़ावा देती हैं।
अनुसंधान क्षेत्र
टीके (कोवैक्सिन, रोटावैक), निदान
और उपकरण (CRISPR किट, RT-PCR), औषधि
पुनर्प्रयोजन, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग, स्टेम सेल चिकित्सा, मातृ-शिशु स्वास्थ्य और जन
स्वास्थ्य एवं पोषण। ये सभी क्षेत्र स्वास्थ्य सेवा को अधिक किफायती, सुलभ और प्रभावी बनाने में योगदान देते हैं।
बायोमेडिकल रिसर्च
करियर प्रोग्राम ने 2,000 से
ज्यादा वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित किया, पेटेंट योग्य
नवाचार और उन्नत तकनीकें विकसित की जो जैव चिकित्सा के क्षेत्र में दीर्घकालिक
लाभ प्रदान करेंगे। स्वदेशी टीके, निदान किट और जीनोमिक
अनुसंधान भारत को स्वास्थ्य सुरक्षा, आर्थिक विकास और
वैश्विक नेतृत्व में सक्षम बनाते हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से भारत 2047 तक विकसित और आत्मनिर्भर स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण कर रहा है।
निष्कर्षत: बायोमेडिकल
रिसर्च करियर प्रोग्राम केवल अनुसंधान का एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत के स्वास्थ्य और नवाचार
परिदृश्य का रणनीतिक निवेश है। यह नवाचार, समावेशिता और
वैश्विक प्रतिस्पर्धा को जोड़कर भारत को जैव चिकित्सा नवाचार में वैश्विक नेतृत्व
दिलाने की दिशा में निर्णायक भूमिका निभा रहा है।
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