“अगिला खेती आगे-आगे, पछिला खेती भागे जागे।"
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भारतीय लोकजीवन में
ऐसी अनेक कहावतें हैं जो केवल बोलचाल के शब्द नहीं, बल्कि
अनुभव और जीवन के गहरे सत्य को उजागर करती हैं। इन्हीं में से एक प्रसिद्ध कहावत
है “अगिला खेती आगे-आगे, पछिला खेती भागे-जागे।” अर्थात्
जो समय पर कार्य करता है,
वह सफलता प्राप्त करता है और जो
देरी करता है, वह
पछताता रह जाता है।
यह लोकोक्ति केवल खेती-बाड़ी तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन, शिक्षा, व्यापार, शासन, और व्यक्तिगत विकास हर क्षेत्र में लागू होती है। आज के युग में, जब हर
कोई त्वरित परिणाम चाहता है पर योजना और समय की समझ में पिछड़ जाता है, यह कहावत हमें याद दिलाती है कि सफलता की जड़ समय की समझ में छिपी होती
है। कन्फ्यूशियस का कथन है “हर चीज़ के लिए एक समय होता है। सही समय पर सही काम
करना ही सफलता की कुंजी है।”
भारतीय ग्रामीण जीवन
के गहरे अनुभव से उपजी यह कहावत समय के महत्व और परिश्रम की सीख देती है। जो किसान
समय पर बुवाई करता है, वह प्रकृति की अनुकूलता का लाभ उठाता है, लेकिन जो देर करता है, उसे बारिश की अनिश्चितता, कीटों और मौसम के जोखिम का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार यह कहावत
कृषि-प्रबंधन और समय-संवेदनशीलता की शिक्षा देती है कि प्रकृति का साथ तभी मिलता
है जब हम समय की चाल को पहचानते हैं। यह केवल खेती की रणनीति नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन है “जो समय से कदम मिलाता है, वही
आगे बढ़ता है।”
भारतीय दर्शन में समय
को ईश्वर का रूप कहा गया है “कालोऽस्मि
लोकक्षयकृत् प्रवृद्धः।” समय सर्वशक्तिमान है; यह
रचता भी है और नष्ट भी करता है। इसका भाव यह है कि समय का आदर करना ही कर्मयोग का
पालन है। जो व्यक्ति सही समय पर कर्म करता है, वही फल
का अधिकारी होता है। यह हमें सिखाती है कि जीवन में अवसर बार-बार नहीं आते। इसलिए
जब भी समय अनुकूल हो, तुरंत कर्म करना चाहिए न कि विलंब और आलस्य में
जीवन गंवाना चाहिए। जो सरकारें समय रहते कदम उठाती हैं, वे
जनकल्याण में अग्रणी होती हैं। जो देर करती हैं, उन्हें
“भागे-जागे” की स्थिति झेलनी पड़ती है अर्थात् बाद में भागदौड़ और पछतावा ही हाथ
आता है।
इतिहास इस बात का साक्षी है कि जो समय को पहचानते हैं, वही युग निर्माता बनते हैं। चाणक्य ने कहा है “समय को पहचानो, अवसर को थामो और कार्य को पूरा
करो, यही सफलता का सूत्र है।” चन्द्रुप्त मौर्य ने सही समय पर सही नीति को अपना कर मगध
साम्राज्य की स्थापना की। स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी जी ने सही समय पर अहिंसा
एवं सत्याग्रह नीति अपनायी जिससे भारत को आजादी की राह आसान हुई। जापान ने
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बिना देर किए औद्योगिक नीति अपनाई और कुछ ही दशकों में
आर्थिक महाशक्ति बन गया। वहीं, जिन
देशों ने देर की, वे आज भी विकास की राह में पिछड़े हैं।
महात्मा गांधी ने कहा था “समय की चाल को पहचानना ही समझदारी है, जो इसे पहचान लेता है, वही सफल होता है।”
यह कहावत मानव जीवन के
नैतिक अनुशासन की शिक्षा भी देती है। समय पर उठना, योजना
बनाना, कार्य करना और लक्ष्य की दिशा में निरंतर बने रहना ही
व्यक्तिगत सफलता का मूल मंत्र है। जैसे किसान समय पर बीज बोता है, वैसे ही मनुष्य को भी अपने कर्मों का बीज समय पर बोना चाहिए। यदि कोई
व्यक्ति स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह रहता है, तो बाद
में बीमारी का सामना करता है। जो व्यक्ति नियमित व्यायाम करता है, समय पर भोजन और विश्राम करता है, वही दीर्घायु और प्रसन्न
रहता है।
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जो विद्यार्थी परीक्षा की तैयारी समय से शुरू करते हैं, वे आत्मविश्वास से सफलता प्राप्त करते हैं जबकि
जो अंतिम समय तक टालते रहते हैं, वे असमंजस और तनाव में घिर
जाते हैं। समय पर अपने कार्य पूरे करने वाला कर्मचारी या उद्यमी सफलता और सम्मान
पाता है, जबकि देर करने वाला अवसर खो देता है। समय पर निवेश
और बचत करने वाला व्यक्ति आर्थिक सुरक्षा प्राप्त करता है, जबकि
लापरवाही करने वाला कर्ज और आर्थिक संकट में फँस सकता है। चाणक्य ने कहा था “समय
की कद्र करने वाला ही श्रेष्ठ विद्वान बनता है।” यह कहावत इस गूढ़ संदेश को बताती
है कि तैयारी और योजना का कोई विकल्प नहीं। जो विद्यार्थी, उद्यमी,
कर्मचारी, निवेशक समय का महत्व पहचानता है,
समय उसके महत्व को बढ़ा देता है और वह भविष्य में जीवन के हर
क्षेत्र में सफल होता है। महात्मा गांधी का कहना है “वक्त किसी
का इंतज़ार नहीं करता; इसलिए जो आज करना है, उसे कल पर मत टालो।”
आर्थिक क्षेत्र में तो
समय प्रबंधन ही सफलता का दूसरा नाम है। आज की प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया में वही कंपनियाँ
आगे हैं, जिन्होंने समय से पहले परिवर्तन को अपनाया ।
उदाहरणस्वरूप आज के डिजिटल क्रांति के दौर में जिन्होंने पहले ऑनलाइन तकनीकें
अपनाईं जैसे अमेज़न, गूगल, टेस्ला, वे बाजार में अग्रणी बन गईं। वहीं, जो
कंपनियाँ देर से जागीं, वे पीछे रह गईं या समाप्त हो गईं। समय से
विकास-नीतियों को लागू करने वाले राज्य या उद्योग सबसे तेजी से प्रगति कर रहे हैं।
समय के प्रति सजगता ही आर्थिक सफलता की पहली शर्त है। हेनरी फोर्ड का कथन उल्लेखनीय
है जिन्होंने कहा था कि “सफल व्यक्ति वही है जो दूसरों से पहले सही अवसर को
पहचान लेता है।”
स्वीडन और यूरोप के कई
देशों में हाल ही में आए हीट वेव्स और अनियमित वर्षा ने दिखाया कि समय रहते कदम न
उठाने का मूल्य कितना भारी पड़ता है। कृषि, जल-संरक्षण
और ऊर्जा नीति में यदि हम पहले से तैयार हों, तो
विनाश को टाला जा सकता है। यह कहावत संदेश देती है कि भविष्य की अनिश्चितताओं से
निपटने के लिए आज ही कार्रवाई जरूरी है। यानी कि जो समय का सम्मान करता है, वही प्रकृति से सामंजस्य बना पाता है। इस प्रकार यह कहावत जीवन-प्रबंधन का
सूत्र है -“समय का सम्मान करने वाला व्यक्ति, स्वयं
समय का प्रिय बन जाता है।”
निष्कर्षत: “अगिला खेती आगे-आगे, पछिला खेती भागे-जागे” जीवन का शाश्वत सत्य है जिसमें समय का सम्मान करने वाला ही सफलता, समृद्धि और स्थिरता का अधिकारी बनता है। “जो समय का सम्मान करता है, समय भी उसका सम्मान करता है।” जीवन के हर क्षेत्र में कृषि से लेकर शिक्षा, व्यापार से लेकर नीति, और व्यक्तिगत जीवन से लेकर सामाजिक सुधार तक सभी जगह वह सफल होता है जो समय को पहचान लेता है। तभी तो स्वामी विवेकानंद ने कहा है “जो व्यक्ति समय का सदुपयोग करना जानता है, वही जीवन में आगे बढ़ता है।”



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