बिहार में पशुधन एवं मत्स्यन
पशुपालन, दुध उत्पाद ओर मत्स्यन बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ग्रामीण श्रमिकों, सीमांत तबके तथा महिलाओं को रोजगार एवं आय के अवसर उपलब्ध कराता है ओर कुल ग्रामीण आय में लगभग 5वें हिस्से का योगदान करता है।
पशुपालन के महत्व को समझते हुए सरकार ने भी इसके प्रोत्साहन
हेतु नस्ल सुधार,
पशु बीमा, पशु उत्पाद की बिक्री, खाद्य प्रसंस्करण आदि की दिशा में अनेक कदम उठाने के साथ-साथ ग्रामीणों के कौशल विकास एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम की भी व्यवस्था की है।
बिहार की अर्थव्यवस्था में पशुपालन का महत्व
- लोगों
की आय,
जीविका अवसर एवं पोषण संबंधी सुरक्षा बढ़ाने में सहायक।
- रोजगार
उत्पाद क्षेत्र होने के साथ-साथ महिला के आर्थिक सशक्तिकरण में सहायक
- बिहार में पोषण तथा स्वास्थ्य दशाओं में सुधार में सहायक।
- कृषि
में मानसून विफलता,
आपादा आदि में अतिरिक्त आय का स्रोत।
- राज्य में कृषि का प्रदर्शन तेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका।
- लघु
एवं कुटीर उद्योगों,
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों में कच्चे माल की आपूर्ति का स्रोत।
- बिहार जैसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था वाले राज्य की विकास में सहायक।
- बिहार
की बढ़ती युवा शक्ति को पशुपालन, गौपालन, मत्स्यपालन
व्यवसाय से जोड़कर विकास को नई गति।
बिहार में पशुधन की वर्तमान
स्थिति एवं महत्व
- 2019-20 के अनुसार कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र का राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में 18.7% योगदान था जिसमें पशुधन का औसतन 6% योगदान है अतः लोगों की आय एवं पोषण संबंधी सुरक्षा बढ़ाने में पशुधन का काफी महत्व है । 2003 से 2019 के मध्य राज्य में पशुधन की संख्या में 29.09% की वृद्धि हुई ।
- राज्य के कृषि जनित सकल राज्य घरेलू उत्पाद में पशुधन क्षेत्र
का महत्व इसके बढ़ते हिस्से से पता चलता है। वर्ष 2011-12 में यह
19.4% था जो 2019-20 में बढ़कर 31.5% हो गया। इसके अलावा पशुधन कृषि का सबसे तेजी से बढ़ता उपक्षेत्र है जिसकी वृद्धि
दर 8.5% रही है।
- बिहार में दुध का
उत्पादन
6.07% की औसत वार्षिक वृद्धि की दर से बढ़कर 2015-16 के 82.88 लाख टन से वर्ष 2019-20 में 104.83 लाख टन हो गया। इस अवधि के दौरान अंडों के
उत्पादन में 28.06% तथा मांस उत्पादन में 6.03% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गयी।
- वर्ष 2015-16 से 2019-20 के मध्य राज्य में दुध, अंडों, मांस और ऊन का प्रभावशाली उत्पादन हुआ जिसका श्रेय मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी में निवेश, पशु स्वास्थ्य प्रबंधन, पोषक आहार की बढ़ती मांग और बेहतर परिवहन को जाता है।
- दुध का उत्पादन 2011-12 के 65.17 लाख टन से बढ़कर 2019-20 में 104.83 लाख टन हो गया जिसका श्रेय गायों की अधिक दुध देने वाली प्रजाति को जाता है।
पशुपालन एवं मत्स्यन को बढ़ावा देने हेतु बिहार सरकार के प्रयास
पशुपालन
- बिहार
में पशुधन मास्टर प्लान बनाया गया है जिसके तहत पशु स्वास्थ्य पखवाड़ा और
राष्ट्रीय पशुधन रोग नियंत्रण कार्यक्रम का लक्ष्य पशुओं को संक्रामक रोगों से
बचाना है।
- कृषि रोडमैप-3 के तहत पशुपालन, मत्स्यन, सहकारिता खाद्य प्रसंस्करण के विकास हेतु व्यापक दृष्टिकोण अपनाया गया है।
- पशुओं की नस्ल सुधार एवं उत्पादकता बढ़ाने हेतु बिहार पशु प्रजनन नीति 2011 का अनुपालन।
- गौशाला विकास हेतु राज्य सरकार द्वारा विततीय सहायता।
- इच्छुक
किसानों, युवाओं
को गोपालन, मुर्गी पालन, बकरी
पालन और सूअर पालन के क्षेत्र में कौशल विकास कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण उपलब्ध
कराया जाएगा।
- जीविका
की मदद से राज्य में पशु सखी कार्यक्रम के तहत राज्य में पशु चिकित्सा सेवाएं तथा
बकरी पालकों को आश्रय और आहार उपलब्ध कराया जा रहा है।
- राज्य में गोशालाओं की स्थापना की जा रही है जिसका उद्देश्य देशी नस्ल के पशुओं की खरीद बिक्री, गोबर गैस संयंत्र की स्थापना, अधिसंरचना विकास और पशु आहार उत्पादन केन्दों को स्थापना को बढ़ावा देना है ।
- पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान पशुओं के संक्रमणों और रोगों पर शोध करने के साथ विभिन्न टीकाकरण अभियानों के सफल संचालन की दिशा में भी कार्य करता है।
मत्स्यन
- बायोफ्लॉक द्वारा मछली उत्पादन- इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को मछली पालन की नई तकनीक के प्रति
जागरूक बनाना ताकि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना कम पानी और सीमित जगह में मछली पालन किया जा सके इस योजना के तहत सरकार द्वारा 50 से 75% तक अनुदान भी प्रदान किया
जाता है।
- मुख्यमंत्री समेत बंजर भूमि विकास योजना के तहत बंजर भूमि पर मछली पालन को विकसित एवं प्रोत्साहित किया जा रहा है जिससे किसानों के लिए रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
- मछुआरों को ऑन साइट प्रशिक्षण देने हेतु आन्ध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल सहित देश के अन्य स्थानों पर भेजा गया।
- सरकार द्वारा मत्स्य आहार मिल और मत्स्य बीज प्रजनन इकाइयों की स्थापना।
- तालाबों की जीर्णोंद्वार तथा मछली बेचने हेतु वाहनों के वितरण में सब्सिडी की व्यवस्था।
केन्द्र सरकार की फ्लैगशिप प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा
योजना मछली पालन क्षेत्र के टिकाऊ विकास पर केंद्रित है। यह योजना जल संसाधनों के
विकास, मत्स्य क्षेत्र के आधुनिकीकरण, रोजगार के अवसर
पैदा करना, मत्स्य पालकों की आमदनी एवं उत्पादकता बढ़ाना, टिकाऊ एवं
समावेशी तरीके से मछली पालन, मूल्य श्रृंखला की कमियों
को दूर करने पर केंद्रित है।
अतः सरकार को कृषि में न्यूनतम लागत तथा उत्पादन के
बाद की सुविधाओं जैसे- भंडारण,विपणन, परिवहन आदि
पर भी ध्यान देना होगा। इसके अलावा जैविक कृषि, कृषि
विविधकरण, पशुपालन, जलवायु
प्रतिरोधी फसल आदि को बढ़ावा देना होगा।
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