कोविड 19 एवं बिहार सरकार
बिहार एवं कोविड 19
वर्तमान सदी की सबसे बड़ी महामारी कोविड-19
ने संपूर्ण देश के समक्ष अप्रत्याशित चुनौती खड़ी कर दी और सामान्य जनजीवन को पूरी तरह बदलकर रख दिया। बिहार
भी इस महामारी के प्रभाव से अछूता नहीं रहा । दिसंबर
2021 तक बिहार में 7.27 लाख सक्रिय मामले थे तथा बिहार में कोविड-19
में ठीक होने की दर 98.3% थी जो राष्ट्रीय औसत 98.0% के लगभग बराबर थी।
हांलाकि बिहार सरकार द्वारा महामारी पर नियंत्रण
हेतु लॉकडाउन शुरू करके तत्काल कार्रवाई करते हुए अनेक कदमों को उठाया गया फिर भी कोविड 19 के स्वरूप, बचाव के उपायों, सावधानियां ने न केवल सामाजिक एवं आर्थिक असमानताओं को बढ़ाया बल्कि इसके सामाजिक एवं आर्थिक
परिणामों ने मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित किया ।
कोविड 19 एवं बिहार पर आर्थिक प्रभाव
कोविड महामारी एवं लॉकडाउन
संबंधी प्रतिबंध से बिहार की अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर व्यापक रूप से प्रभाव पड़ा। हालांकि यह सकारात्मक बात
रही कि संपूर्ण देश की तुलना में बिहार पर इसका प्रभाव अपेक्षाकृत कम रहा।
कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र पर
प्रभाव
बिहार की लगभग 88% जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है
तथा 76% से अधिक जनसंख्या कृषि पर आश्रित है। राज्य के सकल
राजकी मूल्यवर्धन में लगभग 19.2% प्राथमिक क्षेत्र का योगदान
है जिस पर कांविड-19 और लॉकडाउन का कोई विशेष असर नहीं पड़ा
है।
प्राथमिक क्षेत्र में
खनन एवं उत्खनन के अतिरिक्त फसल, पशुधन,
वानिकी जैसे क्षेत्र में लॉकडाउन प्रतिबंध ज्यादा प्रभावी नहीं थे ।
केंद्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार भारत में वर्ष 2020-21 में जीडीपी के रूप में मापे
जानेवाले राष्ट्रीय आर्थिक उत्पाद में 7.25% की कमी आयी
जबकि बिहार के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में वद्धि दर 2.50% रही
जिसमें बिहार के कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
कोविड महामारी के कारण
मजदूरों की कमी होने से रबी की कटनी में समस्या आयी वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन के कारण
बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिकों के आने से ग्रामीण श्रम बाजार पर दबाव उत्पन्न हुआ।
कोरोना काल में पॉल्ट्री
और मछलियों के माध्यम से संक्रमण फैलने के
भ्रम के कारण मुर्गी और मत्स्य पालकों को भारी नुकसान हुआ। आपूर्ति श्रृंखला के
विघटन के कारण दूध, फल और सब्जियों जैसी शीघ्र नाशवान
उत्पादों हेतु कठिनायाँ उत्पन्न हुई।
शहरी गतिविधियों पर प्रभाव
शहरी अर्थव्यवस्था
से ज्यादा प्रभावित रही। बिहार के शहरों में जनघनत्व अधिक है और शहरों में ही द्वितीयक
एवं तृतीयक क्षेत्र की अधिकांश गतिविधियाँ चलती है। कोरोना काल में शिक्षा, शिक्षण संस्थान, निजी
स्वास्थ्य, परिवहन, मनोरंजन, सेवाओं, आपूर्ति शृंखला व्यवस्था आदि ठप्प हो जाने
से शहरी अर्थव्यवस्था पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
उद्यम, अधिसंरचना एवं सेवा क्षेत्र पर प्रभाव
कोविड-19 महामारी का
सर्वाधिक नकारात्मक प्रभाव उद्यम क्षेत्र पर पड़ा जो उच्च प्रभाव वाला क्षेत्र
रहा। लॉकडाउन के कारण संपूर्ण निर्माण और विनिर्माण क्षेत्र को कार्यसंचालन बंद हो
जाने से उत्पादन और रोजगार दोनों को नुकसान पहुंचा। द्वितीयक क्षेत्र में विनिर्माण, निर्माण, तथा तृतीयक क्षेत्र
के होटल, जलपान, रेलवे, पथ परिवहन उच्च प्रभाव वाले क्षेत्र थे। उत्पादन गतिविधियों पर रोक और
विभिन्न क्षेत्रों के उत्पादों/सेवाओं की मांग में कमी से राज्य को अर्थव्यवस्था
नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई। जो बिहार जैसी कम आय वाले अर्थव्यवस्था के लिए
काफी नुकसानदायक है।
इस समय परिवहन
व्यवस्था ठप्प होने से राज्य सरकार को काफी नुकसान उठाना पड़ा। हांलाकि वर्ष 2020-21 में जहां परिवहन भंडारण एवं
संचार क्षेत्र में देश के अन्य राज्यों में वृद्धि दर ऋणात्मक थी वही बिहार की 10.3%
की वृद्धि दर देश में सर्वाधिक थी ।
कोरोना के कारण
उत्पन्न परिस्थितियाँ और लॉकडाइन से विद्युत् क्षेत्र की गतिविधियों पर भी गंभीर
प्रभाव पड़ा। बिहार राज्य की कंपनियों को न्यूनतम आवश्यक श्रमशक्ति के साथ राजस्व, बिलिंग, संग्रहण,निरीक्षण,शिकायत निपटारा से जुड़ी गतिविधियाँ को करना
पड़ा जिसके कारण इसकी दक्षता एवं नकदी प्रवाह में भी काफी कमी आयी। इसी क्रम में लॉकडाउन के कारण बिजली की माँग में
कमी और दी गयी छूट से भी विद्युत् क्षेत्र को काफी नुकसान हुआ ।
कोविड-19 महामारी ने वर्ष 2020 और 2021 में वैश्विक संकट पैदा किया जिसने यात्रा
एवं पर्यटन पर गंभीर असर डाला है। हालांकि आने वाले वर्षों में पर्यटन
क्षेत्र के तेजी से उभरने की आशा है ।
बिहार सरकार द्वारा मुख्य फोकस पर्यटन के क्षेत्र में बिहार को ब्रांड बनाने पर
है। वर्ष 2019 तक बिहार आने वाले देशी एवं विदेशी पर्यटकों की संख्या 350.8 लाख रही
लेकिन 2020 में कोविड-19 महामारी के
फैलाव और आवागमन पर रोक लगने के कारण पर्यटकों की संख्या 59.5 लाख रहे ।
सरकार के राजस्व पर अतिरिक्त
बोझ
अत्यधिक आबादी एवं कम आय वाली बिहार की अर्थव्यवस्था पर पहले से ही कल्याणकारी और पर्यावरण संबंधी योजनाएँ संचालित होने के कारण आर्थिक दबाव रहा तथा इस काल में राजस्व संग्रह में व्यापक कमी देखी गयी ।
इसी क्रम
में कोरोना काल में लोगों को राहत देने हेतु बिहार सरकार द्वारा अनेक योजनाएँ
चलायी है। इस प्रकार एक ओर जहां राजस्व संग्रहण में कमी आई वही दूसरी ओर व्यय
संबंधी जरूरतें काफी बढ़ी। अतः इस स्थिति में राज्य की अर्थव्यवस्था पर और अधिक
दबाव पड़ा।
कोविड 19 एवं बिहार पर सामाजिक प्रभाव
ग्रामीण समाज पर प्रभाव
व्यापक पैमाने पर
प्रवासियों की वापसी से कृषि प्रधान ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सामाजिक संतुलन
प्रभावित हुआ। प्रवासियों की वापसी से जहां अधिक श्रमिकों की उपलब्धता के कारण
मजदूरी की दर में भी कम आयी वहीं कृषि पर भी दबाव बढ़ा ।
उल्लेखनीय है कि बिहार
में छोटे जोतों की संख्या अधिक है तथा पट्टे पर खेती का प्रचलन है । प्रवासियों की
संख्या बढ़ने से खेत पट्टे पर लेने वाले और खेतों में काम करने वालों की संख्या
बढ़ गई जिसके कारण जहां एक ओर पट्टे की
राशि में अत्यधिक वृद्धि हो गई वही दूसरी ओर उस पर आश्रित लोगों की संख्या बढ गई
और अप्रत्यक्ष बेरोजगारी में वृद्धि हुई । इस प्रकार कोरोना के मिश्रित प्रभाव से गरीब
तबके की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गयी जिससे उनके सामाजिक जीवन पर व्यापक प्रभाव
पड़ा।
प्रवासियों पर प्रभाव
बिहार में काफी
लम्बे समय तक रहे कोरोना संकट और लॉकडाउन बिहार लोगों के रोजगार छिन जाने तथा आय में
कमी आने से आर्थिक स्थिति दयनीय हुई और लोगों के जीवन-पद्धति में बदलाव आया।
लॉकडाउन के कारण लगभग 50 लाख से ज्यादा प्रवासी श्रमिकों का
रोजगार चला गया और जैसे-तैसे उन्हें अपने राज्य लौटना पड़ा ।
प्रवासियों के घर वापसी के क्रम में उपयुक्त साधन एवं व्यवस्था न होने के कारण उनके
जानमाल को व्यापक क्षति भी हुई ।
महिलाओं पर प्रभाव
समाज के संवेदनशील
और वंचित समूहों जैसे युवाओं, महिलाएँ, वृद्धों,
ट्रांसजेंडर समुदाय, गरीबों एवं सीमित आय वाले लोगों के लिए कोविंड
महामारी से उत्पन्न संकट का असर बहुत व्यापक रहा ।
कोविड काल एवं
लॉकडाउन में घरों में रहने के कारण जहां यौन क्रिया में वृद्धि हुई वहीं दूसरी ओर
आपूर्ति श्रृंखला के टूटने से स्वास्थ्य सहायता, गर्भनिरोधकों की उपलब्धता भी
बाधित हुई और कोविड संक्रमण के प्रसार के भय से महिलाओं द्वारा प्रजनन स्वास्थ्य
सेवाओं और गर्भनिरोधकों की मांग में भी कमी आई।
इस प्रकार इससे
अनपेक्षित गर्भधारण की वृद्धि के साथ-साथ कुल प्रजनन दर में वृद्धि की भी संभावना
है। यूनिसेफ के अनुमान के अनुसार दिसम्बर 2020 में विश्व में सबसे ज्यादा बच्चे भारत
में पैदा होंगे जिसमें एक बड़ी संख्या बिहार की होगी । इस प्रकार यह स्थिति जहां
बिहार में जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को पीछे ले जा सकता है वहीं दूसरी ओर यह
महिलाओं के प्रजनन अधिकारों के खिलाफ है।
इसके अलावा इस
वैश्विक महामारी के दौरान अनेक गर्भवती महिलाएं एवं इस दौरान पैदा हुए अनेक बच्चे
स्वास्थ्य संबंधी मूलभुत सुविधाओं को प्राप्त नहीं कर सके और उनको स्वास्थ्य
सेवाओं के संकटों का भी सामना करना पड़ा।
संपूर्ण लॉकडाउन के
दौरान आवागमन संबंधी प्रतिबंध, घरों
में रहने और प्रवासियों की घर वापसी आदि से घरेलू महिला हिंसा में भी वृद्धि दर्ज
हुई जिसकी पुष्टि राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों से होती है। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने का खामियाजा
लड़कियों की शिक्षा से वंचना, बाल विवाह के रूप में भी आया ।
बच्चों एवं वृद्धों पर प्रभाव
कोरोना में वृद्धों के
सामान्य सेवाओं के देखभाल में व्यवधान उत्पन्न हुई और सामाजिक अलगाव एवं अकेलापन के
कारण मानसिक बीमारियों के साथ साथ उम्र से संबंधित बीमारियां भी बढ़ी।
कोविड में खाद्य
असुरक्षा, लंबे समय तक शिक्षण संस्थान,
स्कूल, कॉलेज के बंद होने, पोषण संबंधी कार्यक्रम और अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं में बाधा के कारण बच्चों
के स्वास्थ्य एंव शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
अपराधिक घटनाओं में वृद्धि
कोरोना काल में
राज्य के उद्योग, व्यवसाय, व्यापार, दूकाने, शैक्षणिक संस्थान आदि बंद होने से समाज का एक बड़ा वर्ग
प्रभावित हुआ। व्यापक बेरोजगारी और निराशाजनक आर्थिक स्थिति में समाज के कुछ लोग
चोरी, डकैती, लूट, धोखाधड़ी, साइबर अपराध आदि की घटनाओं में लिप्त हो
जाते है और बिहार में भी कोरोना काल में उत्पन्न परिस्थितियों में ऐसा देखने में
आया और अपराधिक घटनाओं में वृद्धि दर्ज हुई ।
साइबर क्राइम पोर्टल
पर दर्ज बिहार के आंकड़ों के अनुसार साल 2019 में बिहार में साइबर क्राइम के केवल 560 मामले आए थे
जो 2021 में बढ़कर 12258 हो गया।
2019 में पटना में सिर्फ 144 मामले आए थे जो साल
2021 में बढ़कर 2462 हो गया।
मानसिक स्वास्थ्य जोखिम में वृद्धि
कोविड से बचाव में सामाजिक
दूरी का पालन करने के क्रम में टीमवर्क, सामाजिकता, जीवन कौशल सीखने की क्षमताओं के विकास
में बाधा उत्पन्न हुई जिससे तनाव और मानसिक स्वास्थ्य के जोखिम में वृद्धि हुई।
स्कूल बंद होने तथा घरों
में बंद रहने से बच्चों के मानसिक एवं शारीरिक विकास में भी बाधा आयी । हांलाकि
इस अवधि में ऑनलाइन पढ़ाई के कुछ हद तक उनकी शिक्षा की परिपूर्ति की गयी लेकिन स्कूली
माहौल की कमी, और ऑनलाईन शिक्षा के कारण स्मरणशक्ति की कमी
जैसी समस्या उत्पन्न हुई ।
कोरोनो संकट के समय
में लम्बे समय तक कोचिंग, शैक्षणिक संस्थान बंद होने तथा
प्रतियोगी परीक्षाएं रद्द होने, परीक्षा आयोजन में देरी होने
से अपने भविष्य को लेकर युवाओं में डिप्रेशन और नकारात्मकता बढ़ी जिसका प्रभाव
युवाओं को मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ा।
कोरोना एवं लॉकडाउन
ने सभी वर्गों के लोगों की दिमागी स्थिति पर असर डाला । घर से बाहर नहीं निकलने और
काम न करने के कारण अनेक लोगों में निराशा और तनाव बढ़ा और लोग अकेलेपन और अवसाद
के शिकार हुए । इसी क्रम में महामारी और सामाजिक दूरियां ने लोगों में डर और चिंता
को बढ़ाया ।
कोविड-19
महामारी
का प्रबंधन
कोविड-19 महामारी का प्रबंधन
संभवतः बिहार सरकार द्वारा के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य था फिर भी सरकार द्वारा
चतुर्दिक क्रियाकलापों को अपनाया गया और प्रभावी ढंग से महामारी की चुनौतीयों
का सामना किया गया ।
- नियमित निगरानी एवं नियमित जांच ।
- संपर्क का पता लगाना और रोक रखना ।
- कोविड-19 केंद्रों का सुचारू
रूप से संचालन ।
- अधिसूचित कोविड 19 अस्पतालों में रोगियों का इलाज ।
- कोविड-19 के लिए अतिरिक्त
चिकित्साकर्मियों की बहाली ।
- कॉल सेंटर के जरिए
हेल्पलाइन सेवाएं ।
- टीकाकरण के माध्यम से बचाव एवं बीमारी के प्रतिरोध का विकास ।
बिहार सरकार के कुछ अन्य प्रयास 27 मार्च
2020 से 2 जून 2020 तक बिहार के सभी जिलों के शहरी क्षेत्र में आपदा राहत केंद्र का संचालन
किया गया और इन केंद्रों के माध्यम से 30 लाख से अधिक
व्यक्तियों को निशुल्क भोजन कराया गया। राज्य सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार द्वारा कई विशेष रेलगाड़ियां
बिहार भेजी गई। बाहर से आने वाले लोगों के ठहरने हेतु प्रखंड एवं पंचायत स्तर पर
क्वारंटाइन केंद्र स्थापित किए गए जहां खाने पीने की व्यवस्था के साथ 14 दिन तक रहने की व्यवस्था की
गयी । कोरोना लॉकडाउन की अवधि में गरीब लोगों को डायरेक्ट बेनिफिट
ट्रांसफर के माध्यम से 1.64 करोड़ राशनकार्डधारी के खाते में ₹1000 अंतरित
किया गया । लॉकडाउन के कारण राज्य के बाहर फंसे 20.95 लाख प्रवासियों के
खाते में मुख्यमंत्री राहत कोष से प्रति व्यक्ति 1000 का
भुगतान किया गया । राज्य के वृद्धजनों को कोरोना अवधि में 3 महीने का वृद्धापेंशन अग्रिम रूप में भुगतान किया गया । कोरोना संकट से निपटने हेतु कोविड-19 जांच अभियान के रूप में किया गया और पॉजिटिव
मरीजों को पृथकवास में रखते हुए मुफ्त दवा एवं भोजन
इत्यादि की व्यवस्था की गई । कोविड-19 की
रोकथाम हेतु बिहार में प्रति 10 लाख जनसंख्या पर 1.72
लाख लोगों की जांच की गई तथा कोविड-19 के टीके लगाने का चरणबद्ध कार्यक्रम प्रारंभ किया गया ।
|
कोविड-19 के
संबंध में बिहार सरकार की प्रतिक्रिया
कोविड-19 जांच
राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 की जांच क्षमता मजबूत
करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानदंड के अनुसार रोज किए जानेवाले जांचों की संख्या 5600 से ज्यादा जांच किए गए।
दिसंबर 2021 तक कम से कम 609.21 लाख जांच की गई।
टीके
की चरणबद्ध खुराक
पटना के नालंदा
मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में टीको के भंडारण के अलावा 10 क्षेत्रीय और 38 जिला स्तरीय टीका भंडार स्थापित किया गया ताकि चरणबद्ध तरीके से टीकाकरण कार्यक्रम चलाया
जा सके।
दिसंबर 2020
में पूरे राज्य में कोविड-19 का टीका मुफ्त
में लगाने का निर्णय लिया गया और विभिन्न चरणों में बिहार में टीकाकरण पूरा किया
गया। दिसंबर 2021 तक राज्य में कुल 10 करोड
लोगों को टीका लगाया गया ।
टीकाकरण
अभियान गीत
टीकाकरण अभियान
गीत “कर दिखाएगा बिहार,कोरोना टीका
लगाएगा बिहार” द्वारा टीकाकरण अभियान को
प्रोत्साहन दिया गया ।
टीका
एक्सप्रेस
बिहार सरकार ने 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को उनके घर
जाकर टीके लगाने का निर्णय लेते हुए 121 टीका एक्सप्रेस को
विभिन्न जिलों में रवाना किया और प्रत्येक वाहन द्वारा
प्रतिदिन 200 व्यक्तियों को टीका लगाने का लक्ष्य निर्धारित
किया गया ।
चौबीसों
घंटे टीकाकरण केंद्र
राज्य सरकार ने
चौबीसों घंटे टीका लगाने की व्यवस्था करते हुए पटना में तीन और रोहतास में एक टीकारण
केन्द्र बनाया गया साथ ही सभी 38 जिलों में 9 घंटे खुले रहने वाले टीका केंद्र चलाए गए ।
पृथक्करण
केंद्र
कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान कुछ सरकारी एवं निजी अस्पतालों में 537 पृथक्करण केंद्र स्थापित किए गए । इसके अलावा 12 समर्पित कोविड अस्पताल, 116 समर्पित कोविड स्वास्थ्य केंद्र,
166 कोविड देखरेख केंद्र और 243 प्राइवेट
अस्पताल भी चल रहे थे ।
आइसोलेशन
ट्रैकिंग एप
होम आइसोलेशन
ट्रैकिंग ऐप द्वारा अधिकारियों को अपने घर में स्वास्थ्य लाभ ले रहे कोविड मरीजों की
स्थिति पर रखने में मदद मिली।
मेडिकल
ऑक्सीजन का प्रावधान
कोविड का मुकाबला करने हेतु बिहार के कोविड
अस्पतालों, कोविड स्वास्थ्य
केंद्रों, निजी अस्पतालों इत्यादि में कुल मिलाकर कुल 16,986
ऑक्सीजन युक्त शैय्याओं की व्यवस्था उपलब्ध
थी ।
बिहार में इलाज
के लिए मेडिकल ऑक्सीजन
संबंधी आवश्यकता पूरी करने हेतु बिहार सरकार द्वारा ऑक्सीजन उत्पादन प्रोत्साहन
नीति 2021 को लागू किया गया
ऑक्सीजन उत्पादन प्रोत्साहन नीति 2021 का प्रमुख उद्देश्य कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्वास्थ्य संकट से
मुकाबला हेतु जारी प्रयासों में सहयोग देने हेतु बिहार में ऑक्सीजन का उत्पादन
बढ़ाना। बिहार
में चिकित्सीय और औद्योगिक ऑक्सीजन विनिर्माण इकाइयों को वित्तीय सहयोग देना एवं
अनुकूल नीति द्वारा निवेश को प्रोत्साहन। राज्य
में ऑक्सीजन उत्पादन के लिए पर्याप्त स्थानीय क्षमता तैयार करना और अन्य राज्यों
पर निर्भरता कम करना। ऑक्सीजन
विनिर्माण क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर कुशल जनशक्ति और रोजगार के अवसर पैदा
करना । ऑक्सीजन
उत्पादन को बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति 2016 में उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र में
रखा गया है । |
स्वास्थ्य
कर्मियों की नियुक्ति
कोविड-19 की अवधि में दूसरे चरण में MBBS डॉक्टर,
एएनएम, लैब टेक्नीशियन इत्यादि
स्वास्थ्यकर्मियों के कुल 1179 अस्थाई पद
सृजित किए गए।
दीदी
की रसोई
जीविका दीदियों
की सहायता से अस्पताल में भर्ती रोगियों हेतु गुणवत्ता एवं पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध
कराने के लिए दीदी की रसोई नामक कैंटीन का संचालन किया गया । बिहार के विभिन्न
जिलों के 47 अस्पतालों में जीविका
की दीदियों द्वारा सेवा दी जा रही है।
गरीब, गृहविहीन, विपन्न और अन्य जरुरतमंद लोगों को आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा लोगों को
मुफ्त भोजन देने के लिए सामाजिक दूरी संबंधी मानकों और कोविड-19 संबंधी अन्य प्रोटोकॉल के साथ सामुदायिक रसोईघर चलाया गया।
आर्थिक
सहायता
प्रवासी
मजदूर विशेष रेलगाड़ियों, बसों और
अन्य साधनों से बिहार आए जिनको राज्य सरकार द्वारा 1000 रु.
की सहायता दी गयी ।
कोविड
महामारी के दौरान कोविड महामारी से मृत व्यक्ति के परिवार को 4 लाख रूपए की अनुकंपा राशि भुगतान
की गयी और मृत व्यक्ति के परिजन को राज्य आपदा कोष से 50 हजार
रुपए का भुगतान करने का भी निर्णय लिया गया।
बाल सहायता योजना
बच्चों
को सामजिक सुरक्षा देने हेतु बाल सहायता योजना की शुरुआत 2020 में की गयी जिसका मकसद कोविड 19
महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों की बेहतर परवरिश, रिहाइश और शिक्षा को बढ़ावा देना है ।
इस
योजना के तहत 0 से 18
वर्ष उम्र समूह के अनाथ और विपदाग्रस्त ऐसे बच्चे लाभ के पात्र है
जिनके माता पिता में से किसी एक या दोनों की कोविड के कारण मृत्यु हो जाती है। इस योजना के तहत
अभी तक 55 लाभार्थी को लाभ दिया गया है।
कोविड-19
के दौरान बच्चों के पोषण संबंधी कार्य
समेकित
बाल विकास सेवा निदेशालय ने कोविड-19 से सुरक्षा मानकों के प्रचार-प्रसार और क्रियान्वयन हेतु लगातार निर्देश जारी किए और उनका सख्ती से
पालन किया गया ।
कोविड-19 महामारी के दौरान स्कूल बंद
रहने के कारण राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सरकारी और सरकारी सहायता
प्राप्त विद्यार्थियों के लाभार्थी विद्यार्थियों के अभिभावकों के बीच खाद्यान्न
का वितरण किया गया । राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के जरिए लाभार्थी
विद्यार्थियों/अभिभावकों के खाते में स्वीकार्य परिवर्तन
व्यय अंतरित किया गया।
पाठ्यक्रम पूरा करने हेतु पहल
कोविड-19 के दौरान विद्यालयों के बंद
होने के कारण पढ़ाई में हुए नुकसान की भरपाई हेतु राज्य सरकार ने कक्षा 2 से 10 तक के विद्यार्थियों के लिए अनुसरण पाठ्यक्रम
तैयार किया, पाठ सामग्रियों को वितरित करा कर सभी
विद्यार्थियों के बीच बांटा गया ।
ई लॉट्स (शिक्षकों और विद्यार्थियों का ई पुस्तकालय)
इस
पोर्टल पर सभी पाठ्य पुस्तकें, संबंधित शैक्षणिक वीडियो और शिक्षकों की अन्य संदर्भ सामग्रियां उपलब्ध
कराई गई । इस पोर्टल पर कक्षा 1 से 12 तक
के विद्यार्थियों की ऑनलाइन पढ़ाई को बढ़ावा देने की आशा की गई ।
मेरा दूरदर्शन मेरा विद्यालय
कक्षा
1 से 12
तक के विद्यार्थियों के लिए दूरदर्शन बिहार पर कक्षाएं उसी तरह से
चलायी गयी जैसी स्कूलों में चलाई जाती है । दूरदर्शन द्वारा बिहार शिक्षा परियोजना
परिषद को 5 घंटे का स्लॉट आवंटित किया गया है ।
नए सत्र में नामांकन
बिहार
शिक्षा परियोजना परिषद ने 8 मार्च से
25 मार्च 2021 तक प्रवेशोत्सव विशेष
नामांकन अभियान का आयोजन किया । इसके द्वारा यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया
कि सभी बच्चों का नामांकन हो जाए और कोई भी बच्चा विद्यालय से बाहर नहीं रहे । इस
अभियान के माध्यम से विद्यालयों में लगभग 36.77 लाख बच्चों
का नामांकन हुआ ।
BPSC के लिए समर्पित मंच -GK BUCKET STUDY TUEB
69th BPSC Mains Answer writing Telegram Group only Rs. 2250/-
कार्यक्रम की रूपरेखा
- BPSC Mains के नवीन पैटर्न पर आधारित Telegram based online Test
- प्रथम चरण - 20 मई 2023 से 20 जुलाई 2023 तक
- द्वितीय चरण – प्रारंभिक परीक्षा के बाद से 40-50 दिनों तक मुख्य परीक्षा के पूर्व ।
- सोमवार से शुक्रवार तक प्रति दिन 1 प्रश्न का अभ्यास जिसे प्रारंभिक परीक्षा के बाद बढ़ाया जाएगा । हमारा लक्ष्य मुख्य परीक्षा के 200 अति संभावित प्रश्नों का अभ्यास करना है ।
- सामान्य अध्ययन के पारम्परिक प्रश्नों के अलावा जनवरी 2023 से अक्टूबर 2023 तक के सभी महत्वपूर्ण घटनाओं, आर्थिक समीक्षा, बजट एवं बिहार पर विशेष रूप से उत्तर लेखन का अभ्यास किया जाए। इसमें सांख्यिकी संबंध प्रश्न नहीं होगें ।
- उत्तर लेखन टेलीग्राम के माध्यम से हिन्दी माध्यम में होगा ।
- निबंध लेखन के तहत अभ्यास प्रारंभिक परीक्षा के बाद किया जाएगा ।
कार्यक्रम की विशेषता
- GK BUCKET टीम द्वारा प्रश्नों का सूक्ष्म विश्लेषण एवं मूल्यांकन ।
- हमारी टीम के अनुसार प्रत्येक प्रश्न का मॉडल उत्तर, मूल्यांकन, आवश्यक सलाह, आदि ।
- संसाधन, कोचिंग तक पहुंच एवं समय की कमी जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक ।
- बदलते पैटर्न तथा बदलती प्रकृति में हमारा उद्देदश्य आपको सर्वोत्तम प्रदान करना है ।
- उपरोक्त नियम में समय एवं आवश्यकता के अनुसार आवश्यक बदलाव किए जा सकते है।
कार्यक्रम के लाभ
- मुख्य परीक्षा की तैयारी को निरंतरता देने में सहायक ।
- बिहार संबंधी मुद्दों पर विशेष प्रश्नों का अभ्यास कराया जाएगा ।
- पीटी रिजल्ट के बाद अत्यंत कम समय में दोहराव से आत्मविश्वास आएगा।
- प्रश्नों की प्रकृति समझने, उसे हल करने, समय प्रबंधन का अभ्यास होगा ।
- न्यूनतम शुल्क में बेहतर गुणवत्ता के साथ तैयारी का अवसर ।
- सितम्बर में GK BUCKET टीम द्वारा तैयार BPSC Mains Special Notes अपडेटेड नोट्स आ जाएगा तो इस कार्यक्रम में शामिल सदस्य उस समय विशेष छूट (लगभग 40% तक) के साथ नोटस को प्राप्त कर सकते हैं।
- ज्यादा जानकारी के लिए कॉल करें 74704-95829
- BPSC Mains Answer Writing Group में जुड़ने के लिए व्हाटसएप/कॉल करें 74704-95829
68th BPSC मुख्य परीक्षा के मॉडल उत्तर देखने के लिए नीचे क्लिक करें।
सभी प्रश्नों को आप वीडियो एवं नोट्स के माध्यम से भी पढ़ सकते है। इन सभी प्रश्नों का PDF एवं वीडियो आप नीचे दिए गए लिंक से प्राप्त कर सकते हैं ।
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