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Jul 23, 2022

राष्ट्रपति का चुनाव, इलेक्टोरल कॉलेज एवं महाभियोग


राष्ट्रपति का चुनाव, इलेक्टोरल कॉलेज एवं महाभियोग



इस पोस्‍ट के माध्‍यम से आज हम राष्ट्रपति का चुनाव, इलेक्टोरल कॉलेज एवं महाभियोग को समझेंगे । भारत के 15वें राष्‍ट्रपति का चुनाव सम्‍पन्‍न हो चुका है और द्रौपदी मुर्मू भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में चुनी गयी है । अत: यह पोस्‍ट ज्ञानवर्द्धक होने के साथ साथ प्रासंगिक भी है। आप चाहे तो नीचे दिए गए लिंक से अन्‍य महत्‍वपूर्ण पोस्‍ट भी देख सकते हैं। 

भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में राष्ट्रपति भारत का राज्य प्रमुख होता है जो भारत का प्रथम नागरिक होता है । भारतीय संविधान के विभिन्न अनुच्छेद में भारत के राष्ट्रपति संबंधी प्रावधान दिए गए है । 

 

राष्ट्रपति पद के अर्हताएं

    1. वह भारत का नागरिक हो।
    2. वह 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो।
    3. वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए अर्हित है।
    4. वह संघ सरकार में अथवा किसी राज्य सरकार में अथवा किसी स्थानीय प्राधिकरण में अथवा किसी सार्वजनिक प्राधिकरण में लाभ के पद पर न हो लेकिन निम्न पदों को लाभ का पद नहीं माना जाता और राष्ट्रपति पद हेतु अर्हंक उम्मीदवार होते हैं।

    • वर्तमान राष्ट्रपति
    • वर्तमान उपराष्ट्रपति
    • किसी भी राज्य के राज्यपाल
    • संघ या किसी राज्य के मंत्री
 

राष्ट्रपति के पद के लिए शर्ते

    1. वह संसद के किसी भी सदन अथवा राज्य विधायिका का सदस्य नहीं होना चाहिए। यदि कोई ऐसा व्यक्ति राष्ट्रपति निर्वाचित होता है तो उसे पद ग्रहण करने से पूर्व उस सदन से त्यागपत्र देना होगा।
    2. वह कोई अन्य लाभ का पद धारण नहीं करेगा।
    3. उसे बिना कोई किराया चुकाए आधिकारिक निवास (राष्ट्रपति भवन) आवंटित होगा।
    4. उसे संसद द्वारा निर्धारित उपलब्धियों, भत्ते व विशेषाधिकार प्राप्त होंगे।
    5. उसकी उपलब्धियां और भत्ते उसकी पदावधि के दौरान कम नहीं किए जाएंगे।
 

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति के चुनाव के लिए नामांकन के लिए उम्मीदवार के कम से कम 50 प्रस्तावक व 50 अनुमोदक होने चाहिये। यदि उम्मीदवार कुल डाले गए मतों का 1/6 भाग प्राप्त करने में असमर्थ रहता है तो उसकी जमानत राशि जब्त हो जाती है।


राष्ट्रपति का निर्वाचक मंडल

संविधान के अनुच्छेद 54 में राष्ट्रपति के चुनाव हेतु निर्वाचक मंडल की व्यवस्था की गई है जिसे इलेक्टोरेल कॉलेज भी कहा जाता है जिसमें निम्न लोग शामिल होते हैं:-


भाग लेने वाले सदस्य

    1. संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य।
    2. राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्य ।
    3. केंद्रशासित प्रदेशों दिल्ली व पुडुचेरी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य।

 

भाग नहीं लेने वाले सदस्य

    1. संसद के दोनों सदनों के मनोनीत सदस्य ।
    2. राज्य विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य ।
    3. द्विसदनीय विधायिका के मामलों में राज्य विधानपरिषदों के (निर्वाचित व मनोनीत) सदस्य ।
    4. दिल्ली तथा पुदुचेरी विधानसभा के मनोनीत सदस्य ।

 

राष्ट्रपति चुनाव की मतदान प्रक्रिया

राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार एकल संक्रमणीय मत और गुप्त मतदान द्वारा होता है। संविधानिक प्रावधान के अनुसार राष्ट्रपति के निर्वाचन में विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व समान रूप से हो  साथ ही राज्यों तथा संघ के मध्य भी समानता हो। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य विधानसभाओं तथा संसद के प्रत्येक सदस्य के मतों की संख्या को निर्धारित करने में विशेष प्रक्रिया का पालन करना होता है।

 

एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम)

भारत में राष्ट्रपति के चुनाव में वोटिंग एक विशेष तरीके से होती है जिसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहा जाता है । सिंगल वोट यानी मतदाता एक ही वोट देता है, लेकिन वह कई उम्मीदवारों को अपनी प्राथमिकता के आधार पर वोट देता है और वह मतपत्र के माध्यम से यह वोट करता है कि उसकी पहली पसंद, दूसरी पसंद और तीसरी आदि क्रम में कौन पसंद  है 

 

निर्वाचक मंडल के प्रत्येक सदस्य मतदान करते समय अपने मतपत्र में उम्मीदवारों के नाम के आगे अपनी वरीयता 1, 2, 3, 4, 5 आदि अंकित करते हैं । इस प्रकार मतदाता उम्मीदवारों की उतनी वरीयता दे सकता है जितने उम्मीदवार होते हैं।

 

प्रथम चरण में, प्रथम वरीयता के मतों की गणना होती है। यदि उम्मीदवार निर्धारित मत प्राप्त कर लेता है तो वह निर्वाचित घोषित हो जाता है अन्यथा मतों के स्थानांतरण की प्रक्रिया अपनाई जाती है जब तक कोई उम्मीदवार निर्धारित मत प्राप्त नहीं कर लेता।

 

राष्‍ट्रपति चुनाव एवं इलेक्टोरल कॉलेज

लोकसभा और राज्यसभा के सांसद के वोट का मूल्य एक होता है और विधानसभा के सदस्यों का वोट मूल्य अलग होता है यहां तक कि  अलग-अलग राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू भी अलग होती है।  

 

एक सांसद के वोट की वैल्यू 700 होती है जबकि विधायकों के वोट की वैल्यू उस राज्य की आबादी और सीटों की संख्या पर निर्भर होती है। उल्लेखनीय है कि हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की जनसंख्या अलग-अलग है तथा इस कारण से ही ऐसा किया जाता है ताकि हर वोट सही मायने में जनता का प्रतिनिधित्व करें।  

 

सांसदों और विधायकों के वोटों की वैल्यू के कुल योग को इलेक्टोरल कॉलेज कहते हैं। राष्ट्रपति के उम्मीदवारों में जो इस इलेक्टोरल कॉलेज के 51% वोट हासिल करता है वहीं विजेता घोषित होता है। वर्तमान में इलेक्टोरल कॉलेज का मान 10,86,431 है।

 

भारत की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट की वैल्यू सबसे ज्यादा 208 थी जबकि सबसे कम वोट मूल्य सिक्किम के विधायकों की थी जो 7 थी। इस चुनाव में बिहार के एक विधायक के वोट की वैल्यू 173 थी।  राष्ट्रपति चुनाव में वोट के मूल्य के निर्धारण हेतु 1971 की जनगणना को आधार माना गया है तथा इसमें बदलाव 2031 के बाद किए जाएंगे।

 

संविधान के अनुच्छेद 55(1) में राष्ट्रपति चुनाव में मतों की गणना हेतु प्रत्येक विधानसभा सदस्य एवं संसद सदस्य के मत के मूल्य निर्धारित करने का प्रावधान है जिससे राष्ट्रपति के निर्वाचन में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधित्व में एकरूपता बनी रहे।

 

राष्ट्रपति चुनाव संबंधित विवाद एवं निर्णय

    1. राष्ट्रपति चुनाव से संबंधित सभी विवादों के निर्णय उच्चतम न्यायालय में होते हैं तथा उच्चतम न्यायालय का फैसला अंतिम होता है।
    2. यदि उच्चतम न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति की राष्ट्रपति के रूप में नियुक्ति को अवैध घोषित किया जाता है, तो उच्चतम न्यायालय की घोषणा से पूर्व उसके द्वारा किए गए कार्य अवैध नहीं माने जाएंगे तथा प्रभावी बने रहेंगे।
    3. राष्ट्रपति के चुनाव में निर्वाचक मंडल के किसी सदस्य का पद रिक्त होने पर निर्वाचक मंडल अपूर्ण होने के आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती ।

 

राष्ट्रपति चुनाव की वर्तमान व्यवस्था  

राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल (इलेक्टोरल कॉलेज) द्वारा होता है जिसका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 54 में किया गया है। इस प्रकार जनता अपने राष्ट्रपति का चुनाव सीधे नहीं करती, बल्कि उसके द्वारा चुने गए प्रतिनिधि करते हैं इस कारण इसे अप्रत्यक्ष निर्वाचन कहा जाता है।


उल्लेखनीय है कि संविधान सभा के कुछ सदस्यों ने अप्रत्यक्ष चुनाव व्यवस्था की आलोचना की थी तथा राष्ट्रपति के चुनाव को अलोकतांत्रिक बताया तथा प्रत्यक्ष चुनाव का प्रस्ताव किया था। फिर भी संविधान निर्माताओं द्वारा राष्ट्रपति के चुनाव हेतु अप्रत्यक्ष चुनाव व्यवस्था को चुना गया जिसके निम्नलिखित कारण हैं-

 

  1. भारतीय संसदीय व्यवस्था में राष्ट्रपति केवल नाममात्र का कार्यकारी होता है तथा मुख्य शक्तियां प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में निहित होती हैं।  इस कारण यदि राष्ट्रपति का प्रत्यक्ष चुनाव किया जाता और उसे वास्तविक शक्तियां न दी जाए तो यह एक प्रकार की अव्यवस्था की स्थिति होती ।
  2. यदि राष्ट्रपति का प्रत्यक्ष चुनाव किया जाता तो यह चुनाव अत्यधिक खर्चीला होता तथा इसमें समय व ऊर्जा का अपव्यय भी होता ।
  3. भारतीय संवैधानिक व्यवस्था में राष्ट्रपति एक प्रतीकात्मक प्रमुख है । अतः संविधान सभा के कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया कि राष्ट्रपति का चुनाव केवल संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों द्वारा होना चाहिए। संविधान निर्माताओं ने इसे प्राथमिकता नहीं दी, क्योंकि संसद में एक दल का बहुमत होता है, जो निश्चित तौर पर उसी दल के उम्मीदवार को चुनेगा और ऐसा राष्ट्रपति भारत के सभी राज्यों को प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता। वर्तमान व्यवस्था में राष्ट्रपति संघ तथा सभी राज्यों का समान प्रतिनिधित्व करता है।
  4. संविधान सभा में यह कहा गया कि राष्ट्रपति के चुनाव में 'आनुपातिक प्रतिनिधित्व' शब्द का प्रयोग गलत है क्योंकि आनुपातिक प्रतिनिधित्व का प्रयोग दो अथवा अधिक स्थान भरने में होता है तथा राष्ट्रपति के मामले में पद केवल एक ही है। बेहतर होता कि इसे प्राथमिक अथवा वैकल्पिक व्यवस्था कहा जाता ।
  5. राष्ट्रपति चुनाव की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली की भी इस आधार पर आलोचना की गई कि किसी भी मतदाता का मत एकल न होकर बहुसंख्यक होता है।

 

 

राष्ट्रपति पद हेतु शपथ

राष्ट्रपति को अपने पद ग्रहण से पूर्व उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और उसकी अनुपस्थिति में वरिष्ठतम न्यायाधीश द्वारा राष्ट्रपति को पद की शपथ दिलाई जाती है। उल्लेखनीय है कि अन्य किसी भी व्यक्ति जो राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है या राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वाह करता है उसे भी इसी प्रकार शपथ लेनी होती है।  

 

राष्ट्रपति की पदावधि

    1. राष्ट्रपति की पदावधि पद धारण की तिथि से 5 वर्ष तक होती है । राष्ट्रपति के चुनाव के बाद जब तक उसके उत्तराधिकारी राष्ट्रपति का पद ग्रहण न कर ले तब राष्ट्रपति अपने पांच वर्ष के कार्यकाल के उपरांत भी पद पर बना रह सकते है।
    2. भारत के राष्ट्रपति पुनः निर्वाचित भी हो सकते है तथा पुनः निर्वाचन कितनी बार हो सकता है इसकी कोई सीमा निर्धारित नहीं है ।
    3. भारत के राष्ट्रपति अपनी पदावधि में भी किसी भी समय अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को दे सकते हैं ।
    4. 'संविधान के उल्लंघन' संबंधी मामलों में राष्ट्रपति को कार्यकाल पूरा होने के पूर्व महाभियोग चलाकर पद से हटाया जा सकता है।

 

 

राष्ट्रपति पर महाभियोग

राष्ट्रपति पर 'संविधान का उल्लंघन' करने पर महाभियोग चलाकर उसे पद से हटाया जा सकता है। हालांकि संविधान ने 'संविधान का उल्लंघन' वाक्य को परिभाषित नहीं किया है। भारत में अभी तक किसी भी राष्ट्रपति पर महाभियोग नहीं चलाया गया है।

  

राष्ट्रपति पर महाभियोग में भाग लेनेवाले सदस्य   

महाभियोग संसद की एक अर्द्ध-न्यायिक प्रक्रिया है जिसमें  संसद के सभी सदस्य भाग लेते है । उल्लेखनीय है कि संसद के दोनों सदनों के नामांकित सदस्य जिन्होंने राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लिया था वे भी इस महाभियोग में भाग ले सकते हैं।


इसके अलावा राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य तथा दिल्ली व पुदुचेरी केंद्रशासित राज्य विधानसभाओं के सदस्य जिन्होंने राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लिया था वे इस महाभियोग प्रस्ताव में भाग नहीं लेते हैं

 

राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया

महाभियोग के आरोप संसद के किसी भी सदन में प्रारंभ किए जा सकते हैं। जिस सदन द्वारा आरोप लगाया जाता है उस सदन के एक-चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षरित व लिखित प्रस्ताव पीठासीन अधिकारी को दिया जाता है तथा पीठासीन पदाधिकारी 14 दिन पूर्व इसकी सूचना राष्ट्रपति को देता है। राष्ट्रपति को महाभियोग प्रक्रिया में उपस्थित होने तथा अपना प्रतिनिधित्व कराने का अधिकार दिया गया है।

 

महाभियोग का प्रस्ताव दो-तिहाई बहुमत से पारित होने के पश्चात यह दूसरे सदन में भेजा जाता है । दूसरे सदन द्वारा राष्ट्रपति पर लगे आरोपों की जांच हेतु एक समिति गठित की जाती है। यदि समिति राष्ट्रपति पर लगे आरोपों को सही पाती है और महाभियोग प्रस्ताव को दो तिहाई बहुमत से पारित हो जाता है तो राष्ट्रपति को विधेयक पारित होने की तिथि से पद से हटाना होगा।

 

 

राष्ट्रपति के पद की रिक्तता की स्थिति

    1. निर्धारित पांच वर्षीय कार्यकाल समाप्त होने पर
    2. उसके त्यागपत्र देने पर
    3. महाभियोग प्रक्रिया द्वारा उसे पद से हटाने पर
    4. उसकी मृत्यु होने पर
    5. अन्यथा, जैसे यदि वह पद ग्रहण करने के लिए अर्हक न हो अथवा निर्वाचन अवैध घोषित हो।

 

यदि कार्यकाल समाप्त होने के कारण राष्ट्रपति का पद रिक्त होता है तो कार्यकाल पूर्ण होने से पूर्व ही नया चुनाव कराना जाना चाहिए। यदि नए राष्ट्रपति के चुनाव में किसी कारण कोई देरी हो तो उस स्थिति में पांच वर्ष के कार्यकाल के समाप्त होने के बाद भी वर्तमान राष्ट्रपति ही अपने पद पर बने रहेगे जब तक कि उनके उत्तराधिकारी द्वारा कार्यभार ग्रहण नहीं कर लिया जाता है।

उल्लेखनीय है कि इस स्थिति में उपराष्ट्रपति को यह अवसर नहीं मिलता कि वह कार्यवाहक राष्ट्रपति की तरह कार्य करे और उसके कर्त्तव्यों का निर्वहन करे।

 

यदि राष्ट्रपति का पद मृत्यु, त्यागपत्र, निष्कासन या अन्य किसी कारण से रिक्त होता है तो नए राष्ट्रपति का चुनाव पद रिक्त होने की तिथि से छह महीने के भीतर कराना चाहिए। इस प्रकार नया निर्वाचित राष्ट्रपति पद ग्रहण करने से पांच वर्ष तक अपने पद पर बने रहेंगे।

 

 

उपराष्ट्रपति निम्न स्थितियों में राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन कर सकते हैं

    1. राष्ट्रपति का पद उसकी मृत्यु त्यागपत्र, निष्कासन अथवा अन्य किन्हीं कारणों से रिक्त हो तो उप राष्ट्रपति, नए राष्ट्रपति के निर्वाचित होने तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेंगे ।
    2. इसके अतिरिक्त यदि वर्तमान राष्ट्रपति अनुपस्थिति, बीमारी या अन्य कारणों से अपने पद पर कार्य करने में असमर्थ हो तो उप राष्ट्रपति उसके पुनः पद ग्रहण करने तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा।
    3. यदि उप-राष्ट्रपति का पद रिक्त हो, तो भारत का मुख्य न्यायाधीश (अथवा उसका भी पद रिक्त होने पर उच्चतम न्यायालय का वरिष्ठतम न्यायाधीश) कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हुए उसके कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे ।
 


राष्ट्रपति को प्राप्त विशेषाधिकार

    1. राष्ट्रपति को अपने आधिकारिक कार्यों में किसी भी विधिक जिम्मेदारियों से उन्मुक्ति होती है।
    2. अपने कार्यकाल के दौरान उसे किसी भी आपराधिक कार्यवाही से उन्मुक्ति होती है, यहां तक कि व्यक्तिगत कृत्य से भी।
    3. राष्ट्रपति को कार्यकाल के दौरान गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, न ही जेल भेजा जा सकता, हालांकि दो महीने के नोटिस देने के बाद उसके कार्यकाल में उस पर उसके निजी कृत्यों के लिए अभियोग चलाया जा सकता है।


आशाा करते हैं उपरोक्‍त पोस्‍ट को पढ़ने के बाद राष्ट्रपति का चुनाव, इलेक्टोरल कॉलेज एवं महाभियोग के संबंध में आपको काफी जानकारी मिली होगी । अगले पोस्‍ट को पढ़ने के  लिए हमारे होमपेज मेनू में जाकर मनचाहे पोस्‍ट को पढ़ सकते हैं ।

 

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