बिहार में स्वास्थ्य अधिसंरचना
इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप बिहार में स्वास्थ्य अधिसंरचना यानी Condition of health sector in Bihar के बारे में अध्ययन करेंगे । जैसा कि आप सभी को पता है बिहार लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा में bpsc syllabus के अनुसार बिहार से संबंधित अनेक प्रश्नों को पूछा जाता है । इसी को देखते हुए आज का पोस्ट लिखा जा रहा है जो आने वाले BPSC/CDPO/Auditor Mains की मुख्य परीक्षा हेतु समान रूप से उपयोगी है ।
बिहार संपूर्ण सामान्य
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स्वास्थ्य अधिसंरचना का अर्थ भौतिक अधिसंरचना एवं मानव संसाधन दोनों से है
क्योंकि वांछित स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए दोनों की आवश्यकता होती है। भारत में स्वास्थ्य अधिसंरचना संबंधी लेख को पढ़ने के लिए इस लिंक के माध्यम से आप जा सकते हैं।
बिहार में स्वास्थ्य अधिसंरचना के
स्तर
प्राथमिक
- आम जनता और स्वास्थ्य देखरेख प्रदाताओं के बीच पहले स्तर का संपर्क हेतु होता है।
- इसमें प्राथमिक स्वास्थ्य उप केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल है।
द्वितीयक
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से भेजे गए रोगियों का विशेषज्ञों द्वारा इलाज द्वितीयक स्वास्थ्य केंद्रों में होता है।
- इसमें प्रखंड स्तर पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, अनुमंडल अस्पताल तथा जिला अस्पताल आते हैं।
तृतीयक
- समानयतः प्राथमिक और द्वितीयक स्वास्थ्य देखरेख व्यवस्था से रेफर किए गए रोगियों की काफी विशेषज्ञता के साथ देख रेख की जाती है।
- इसके तहत मेडिकल कॉलेज और उनसे जुड़े अस्पताल शामिल किए जाते हैं।
बिहार में लोक स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार
स्वास्थ्य राज्य का विषय होने के कारण स्वास्थ्य सेवाओं
का सुदृढ़ीकरण राज्य सरकार का दायित्व है और इसी को समझते हुए बिहार सरकार द्वारा
अनेक प्रयास किए गए हैं जिससे बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार भी हुआ है।
सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं में वृद्धि के कारण प्रति
माह अस्पताल पहुंचने वाले रोगियों की औसत संख्या वर्ष 2016
की 8996 से बढ़कर 2019 में बढ़कर 9517 हो गयी
हांलाकि कोविड के कारण वर्ष 2020 में ओपीडी में रोगियों की संख्या
में 40% की कमी आयी।
वर्तमान में बिहार में 36 जिला अस्पताल, 67 रेफरल अस्पताल, 54 अनुमंडल अस्पताल तथा 533 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 10,258 उप केन्द्र और 1399 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं। इस प्रकार राज्य में प्रति 1 लाख आबादी पर लगभग 12 स्वास्थ्य केन्द्र हैं जो नागरिकों को स्वास्थ्य सविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं।
- बिहार में जन्मकालीन जीवन संभाव्यता में काफी वृद्धि
हुई है। यह वर्ष 2006-10 के 65.8 वर्ष से बढ़कर 2014-18 में 69.1 वर्ष हो गयी है जो 3.3% अंक की वृद्धि दर्शाती है। इस प्रकार यह भारत की जन्मकालीन जीवन संभाव्यता
69.4 वर्ष से थोड़ा कम है।
- बिहार में संस्थागत प्रसव की संख्या 2015-16 के 63.8% से
बढ़कर 2019-20 में 76.2% हो गयी है
जिसके फलस्वरूप बिहार में शिशु मृत्यु दर में कमी आयी है। हांलाकि 2020-21 कोविड
के कारण संस्थागत प्रसव की संख्या में कमी आयी।
- वर्ष 2019 की प्रतिदर्श निबंधन प्रणाली के अनुसार बिहार
में शिशु मृत्यु दर (प्रति
1000 बच्चों में 1 वर्ष के पहले मृत
बच्चों की संख्या) 29 प्रति हजार जीवित प्रसव है जो राष्ट्रीय
आकड़े (30) से कम है। भारत की तुलना में बेहतर स्थिति ग्रामीण बिहार की
बेहतर स्थिति के कारण है जहां यह 29 है जबकि ग्रामीण भारत के लिए यह
34 है।
- बिहार में सर्वव्यापी प्रतिरक्षण में भी उल्लेखनीय
सुधार हुआ है। राष्ट्रीय परिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 के अनुसार बिहार में 12-23 महीने उम्र वाले बच्चे का प्रतिरक्षण वर्ष 2015-16 में 61.7% था जो राष्ट्रीय
परिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 में बढ़कर 71.0% हो गया।
- सात निश्चय-2 के तहत ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में
स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर सुविधाओं की उपलब्धता पर ध्यान दिया गया है।
- डॉक्टरी परामर्श हेतु सभी स्वास्थ्य इकाईयों को
टेलीमेडिसीन सेवाओं से जोड़े जाने की सरकार की योजना है जिससे दूर-दराज के क्षेत्रों में विशेषज्ञ सहायता
उपलब्ध हो पाएगी।
स्वास्थ्य विभाग की उपलब्धियां
- विगत 3 वर्षों के दौरान राज्य
सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में स्वास्थ्य देखरेख प्रणाली को मजबूत बनाने
के लिए कई कदम उठाए हैं जिसमें से कुछ निम्नलिखित है
- 534 उन्नत जीवनरक्षी सहयोगदाता एंबुलेंस और 216 बुनियादी उन्नत जीवनरक्षी एंबुलेंस कुल 750 एंबुलेंस खरीदने की स्वीकृति ।
- 33 जिला अस्पतालों और 13 अनुमंडल अस्पतालों में रोगियों हेतु जीविका दीदियों द्वारा संचालित दीदी की रसोई के माध्यम से पोषक और गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराना ।
- PMCH, पटना को 5642 शैय्या वाले अंतरराष्ट्रीय अस्पताल में बदलने की स्वीकृति तथा इसे विश्वस्तरीय संस्थान बनाने हेतु MBBS की सीट 200 से बढ़ाकर 250 और स्नातकोत्तर की सीट 146 से बढ़ाकर 200 करने की मंजूरी।
- टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई के साथ मिलकर श्री कृष्ण
चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, मुजफ्फरपुर में
होमी भाभा कैंसर अस्पताल शुरू करने का प्रस्ताव।
- मुजफ्फरपुर में 100 शैय्याओं
वाले ट्रामा सेंटर की स्थापना के साथ साथ बच्चों को तीव्र मस्तिष्क ज्वर संलक्षण से
बचाने हेतु 100 शैय्याओं वाले शिशु गहन देखरेख इकाई और धर्मशाला की स्थापना ।
- इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान को सुपर स्पेशलिटी
अस्पताल में बदलने हेतु शैय्याओं की संख्या 1032 से
बढ़ाकर 2732 कर दी गई।
- इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में 200 शय्याओं
वाले नेत्र अस्पताल निर्माणाधीन ।
बिहार में स्वास्थ्य क्षेत्र में
चुनौतियां
सस्ती और गुणवत्तापूर्ण सेवाएं
अधिकांश लोगों की सीमित आय के कारण लोक स्वास्थ्य पर निर्भरता।
राज्य की बड़ी आबादी और बढ़ते रोगों, महामारी के बीच सस्ती और गुणवत्तापूर्ण
देखरेख उपलब्ध कराना।
चिकित्साकर्मियों की कमी
वर्ष 2020-21 में स्थायी डॉक्टरों के 12,895 स्वीकृत पद थे लेकिन 6330 स्थायी डॉक्टर ही कार्यरत
थे जो लगभग 50.9% रिक्ति अनुपात दर्शाता है।
इसी क्रम में संविदाधीन डॉक्टरों के भी
36.2% पद रिक्त हैं। स्थायी
नर्सो के 35.9% तथा संविदाधीन नर्सों की 91% रिक्ति है। हांलाकि आशाकर्मियों के मामले में रिक्ति केवल 6.4% हैं।
चिकित्सा क्षेत्र में व्याप्त असमानताएं
बिहार के स्वास्थ्य संबंधी समग्र
आवश्यकताओं की पूर्ति में जिलों में व्याप्त असमानताओं को दूर करना, स्वास्थ्य
रिक्तियों को भरना, अवसंरचना, आधुनिक उपकरण इत्यादि ।
स्वास्थ्य अवसंरचनाओं की कमी
अस्पताल, आवश्यक उपकरण, जांच लैब इत्यदि अवसंरचनाओं की कमी के
कारण स्वास्थ्य सेवाएं बधित होती है।
अन्य चुनौतियां
वित्तीय आवंटन की कमी, स्वच्छता के प्रति जागरुकता की कमी, गरीबी, अंधविश्वास, मंहगी होती निजी स्वास्थ्य सुविधाएं
इत्यादि।
बिहार
में स्वास्थ्य संबंधी योजनाएं
आयुष्मान भारत
यह केंद्र प्रायोजित योजना है जिसके
तहत द्वितीयक एवं तृतीयक स्तर के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने के लिए ₹ 5 लाख का कवरेज उपलब्ध कराया जाता है। बिहार
में लगभग 108.2 लाख परिवार इस योजना के तहत आते हैं तथा इस योजना के क्रियान्वयन हेतु बिहार में 838 अस्पतालों
को निबंधित किया गया है।
पेयजल
राष्ट्रीय परिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के तहत किए गए सर्वेक्षण के अनुसार पिछले 5 वर्षों में बिहार में पेयजल और स्वच्छता सुविधाओं में सुधार हुआ है। बिहार के प्रत्येक नागरिक को स्वच्छ पेयजल और समुचित सुविधा उपलब्ध कराने के लिए “हर घर नल का जल” और “शौचालय निर्माण घर का सम्मान” राज्य सरकार के मुख्य कार्यक्रम सात निश्चय भाग 1 के तहत लिए गए दो प्रमुख संकल्प है।
- मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना (गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्र)- यह उन क्षेत्रों के लिए है जहां का पानी आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन से प्रदूषित होने के कारण प्रभावित है। बिहार के 38 में से 29 जिले आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन से प्रदूषित है।
- मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना (गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्र से अलग)- यह उन क्षेत्रों में चलाई जा रही है जहां पानी की गुणवत्ता खराब नहीं है।
बिहार सरकार के संकल्प के अलावा केन्द्र
सरकार “जल जीवन मिशन” द्वारा 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल द्वारा स्वच्छ जलापूर्ति का लक्ष्य है।
स्वच्छता
स्वच्छता को केंद्रित करते हुए वर्ष 2014 में केंद्र सरकार द्वारा स्वच्छ भारत
अभियान की शुरुआत की गई। इसके तहत एक प्रमुख लक्ष्य खुले में शौच की समाप्ति कर
जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है। इसके अलावा ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन पर
भी ध्यान दिया जाता है।
स्वच्छता के व्यापक आच्छादन हेतु बिहार सरकार द्वारा शौचालय
निर्माण घर का सम्मान के तहत 2 योजनाओं की शुरुआत की
गई। लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान और शौचालय निर्माण (शहरी क्षेत्र) योजना। इन
योजनाओं के तहत शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में 12,000 रुपए की प्रोत्साहन राशि शौचालय निर्माण
हेतु दी जाती है।
इस योजना में पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु अनेक प्रौद्योगिकीय
पहल जैसे लोक वित्त प्रबंधन
प्रणाली का आरंभ, आधार आधारित प्रत्यक्ष
लाभांतरण, व्यय विवरण
पर वेबसाइट, राशि के भुगतान हेतु जियो टैगिंग आधारित पुष्टिकरण
इत्यादी अपनाए गए ।
बिहार सरकार की स्वच्छता संबंधी उपलब्धियां
- “हर घर नल का जल” कार्यक्रम का लक्ष्य राज्य में सभी परिवारों को पाइप से गुणवत्तायुक्त तथा किफायती पेयजल की आपूर्ति करना है । जनवरी 2022 तक इसके तहत 1.15 लाख ग्रामीण वार्ड में से 1.13 लाख वार्ड आच्छादित हो गए ।
- 2020-21 में 12,210 व्यक्तिगत परिवरिक शौचालयों एवं 1772 स्वच्छता परिसरों का निर्माण किया गया।
- स्वच्छता सुविधा के मामले में बिहार में गत 15 वर्षों
में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और 2005-06 के 14.6% से 34.8% अंक बढ़कर 2019-20 में
49.4% हो गया ।
- गंगा कार्य योजना के तहत बिहार के 12 जिलों
के 307 ग्राम पंचायतों में 472 गांव को
खुले में शौच मुक्त होने का सत्यापन किया गया ।
- लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत 1.3 लाख बंद पर शौचालय को चालू कराया गया और सभी अस्वच्छ शौचालय को स्वच्छ
शौचालय में बदला गया ।
- स्वच्छ गांव हमारा गौरव अभियान के तहत स्वच्छता अभियान को प्रोत्साहित किया गया।
- समुदायों में लगभग 22 हजार
स्वच्छाग्रहियों को कोविड उपयुक्त व्यवहार पर ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया।
- कोविड उपयुक्त व्यवहार पर स्वच्छता कैलेंडर, इलेक्ट्रॉनिक
पर्चे, दृश्य सामग्रियां जैसी सूचना शिक्षा एवं संचार
सामग्री तैयार और प्रसारित की गई ।
- राज्य के सभी विद्यालयों में लगभग 80 हजार
स्वच्छता कैलेंडर वितरित किए गए ।
- समुदाय को ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन में जागरूक बनाने हेतु फ्लिपचार्ट और श्रव्य एवं दृश्य सामग्रियां विकसित की गई ।
मुझे विश्वास है कि इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी को बिहार में स्वास्थ्य अधिसंरचना यानी Condition of health sector in Bihar के बारे में काफी जानकारी मिली होगी । BPSC mains exam के bpsc syllabus से संंबंधित और किसी टॉपिक्स पर आप चाहते हैं कि हमारी टीम द्वारा लेख उपलबध कराया जाए तो कृपया कमेंट सेक्शन में हमें बताए या Whatsapp 74704-95829 करें।
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