भारत में कृषि क्षेत्र में सुधार, चुनौतियां, समस्याएं, नीतियां एवं योजनाएं
भारत में कृषि सुधार की आवश्यकता
- कृषि प्रधान देश भारत में कृषि आजीविका का मुख्य साधन है ।
- भारतीयों के पोषण एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु ।
- कृषि पर बहुतायत जनसंख्या की निर्भरता होने के कारण गरीबी दूर करने में सहायक।
- सतत एवं टिकाऊ विकास की अवधारणा को बनाए रखने हेतु।
- अर्थव्यवस्था के अन्य उत्पादक क्षेत्रों, लघु एवं कुटीर उद्योगों को गति देने हेतु।
- महिला सशक्तिकरण तथा बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकता पूर्ति तथा कृषि संसाधनों भूमि, जल पर बढ़ते दबाव को कम करने हेतु।
- बढ़ती आत्महत्या, बेरोजगारी, सामाजिक पिछड़ापन, पलायन, नक्सलवाद जैसी समस्याओं के समाधान।
बिहार की अर्थव्यवस्था में कृषि विकास का महत्व v बिहार
में लगभग 74% श्रमशक्ति अपनी जीविका हेतु कृषि
एवं सहवर्ती क्षेत्र पर निर्भर । v गंगा
के मैदानी भाग के समृद्ध प्राकृतिक संसाधन कृषि विकास के अवसर उपलबध कराना। v राज्य
की बहुसंख्यक जनसंख्या की गरीबी एवं कुपोषण दूर करने हेतु । v सामाजिक
आर्थिक विकास तेज करने हेतु। v रोजगार
के अवसर पैदा करने हेतु । v गरीबी
निवारण हेतु । v 2000
में झारखंड निर्माण के बाद खनिज संसाधन चले जाने से राज्य में आर्थिक
विकास में कृषि की भूमिका बढ़ा जाना। |
भारतीय कृषि का वर्तमान परिदृश्य
- 58% से भी अधिक ग्रामीण परिवार अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं।
- बागवानी फसलों का कुल फसल क्षेत्र में 10%
का हिस्सा है, पशुपालन का देश के कुल कृषि
उत्पादन में लगभग 32% की हिस्सेदारी है।
- भारत की दूध, आम,
केला, नारियल, काजू,
पपीता, मटर, कसावा
और अनार में पहली रैंक।
- मसाले, बाजरा,
दलहन, सूखा बीन, अदरक का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक।
- कुल मिलाकर, सब्जी,
फल और मछलियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक।
- भारत में विश्व की भैंस आबादी का 57% और मवेशियों की आबादी का 14% है।
- औषधीय और सुगंधित पौधों के मामले में विश्व बाजार में 7% हिस्सेदारी के साथ भारत अपना 6वां स्थान रखता है।
भारतीय कृषि की वर्तमान समस्याएं
- मानसून पर निर्भरता, मानसून की अनियमितता प्रकृति तथा सिंचाई के पर्याप्त साधनों का अभाव।
- जलवायु परिवर्तन तथा प्राकृतिक आपदाओं के कारण कृषि पर बढ़ता संकट।
- रासायनिक उर्वरकों,कीटनाशकों से मिटटी की घटती गुणवत्ता तथा बढ़ता लागत।
- कृषि में निजी निवेश का अभाव तथा सरकारी निवेश में उदासीनता।
- सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जा रही सब्सिडी का मनोवांछित फल नहीं मिल पाना ।
- बढ़ती जनसंख्या एवं जोत का छोटा आकार ।
- छोटी खेत के कारण खेती में मशीनों का प्रयोग मुश्किल ।
- कृषि हेतु लाभकारी प्रभावी नीतियों का अभाव तथा उपलब्ध नीतियों के क्रियान्वयन में कमी।
- पर्याप्त शोध तथा अनुसंधान की कमी।
- अति उत्पादन की दशा में उचित मूल्य न मिल पाना।
- कृषि में मध्यस्थों, बिचौलियों की के कारण कम कीमतों पर बिचौलियों को बेचने हेतु बाध्य।
- कृषि हेतु आवश्यक मूलभूत सुविधाओं जैसे सड़क, बिजली, संचार की कमी।
- फसल उत्पादन से लेकर भंडारण, वितरण, प्रसंस्करण की समुचित व्यवस्था का अभाव।
- नगरीय प्रगति तथा जीवनशैली को देखकर भारतीय किसान में खेती प्रति बढ़ती उदासीनता।
- कृषकों में व्याप्त गरीबी तथा ऋणग्रस्तता के कारण कृषि में नवोनमेष, सुधार की कमी।
- भारतीय कृषि उत्पादों की गुणवत्ता अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप न होने से निर्यात न हो पाना।
स्वतंत्रता के बाद कृषि सुधार के प्रयास
- भूमि सुधारों पर केन्द्रित प्रथम संविधान संशोधन ।
- जमींदारी प्रथा की समाप्ति, भूमि हदबंदी सीमा अधिनियम ।
- प्रथम पंचवर्षीय योजना में कृषि को प्राथमिकता ।
- भूदान और सर्वोदय आंदोलनों को प्रोत्साहन तथा ।
- भू-राजस्व वसूली
हेतु उपयुक्त व्यवस्था तैयार करना।
- खाद्यान्न उत्पादन के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने हेतु हरित क्रांति।
- कृषि के लिए आवश्यक क्षेत्रों जैसे- सिंचाई, उन्नत बीज, उर्वरक
आदि में निवेश।
- कृषकों को वित्तीय सहायता, कर राहत, सब्सिडी आदि के प्रावधान।
कृषि को प्रभावित करनेवाली सरकारी नीतियां
आयात निर्यात नियंत्रण
मांग-पूर्ति नियम पर कार्य करती
है अति उत्पादन में निर्यात किया जाए ताकि मूल्य में ज्यादा कमी न हो जबकि न्यून उत्पादन
में आयात प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए ताकि मंहगाई न हो किन्तु सरकार द्वारा इस नीति
में उचित क्रियान्वयन नहीं किया जाता। 2016-17 में दालों के
अति उत्पादन होने के बावजूद निर्यात प्रतिबंध नहीं हटाया गया तथा उल्टे आयात पर प्रतिबंध
नहीं लगाया ।
बफर स्टॉक
अति उत्पादन की दशा में सरकार द्वारा खरीदी
तथा कमी आने पर बाजार में उपलब्धता बढ़ाया जाता है किन्तु कई बार सरकार के बफर स्टॉक
का उपयोग नहीं किया जाता जिससे खाद्यानन उपलब्धता की समस्या रहती है ।
न्यूनतम समर्थन मूल्य
सरकार
किसी जिंस का
MSP ज्यादा निर्धारित करती है तो उसका उत्पादन ज्यादा होने से उसके
मूल्य गिरते है तथा अन्य फसलों का उत्पादन क्षेत्र कम होता है। इस प्रकार किसी फसल
विशेष का अति उत्पादन तो किसी फसल विशेष का न्यून उत्पादन होता है तथा फसल विविधता
में भी कमी आती है।
कृषि क्षेत्र के विकास हेतु सरकार द्वारा किए गए हालिया प्रयास
- 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने की दिशा में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि पहल।
- कृषि के व्यापक विकास हेतु 2007 में राष्ट्रीय कृषक नीति ।
- कृषि संबंधी जानकारी हेतु किसान कॉल सेंटर की सुविधाएं।
- खेती में वित्त संबंधी समस्या हेतु किसान क्रेडिट कार्ड, ऋण सुविधा, न्यूनतम समर्थन
मूल्य जैसी पहल।
- सिंचाई समस्याओं को हल करने हेतु 'प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना' ।
- रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव को कम करने हेतु नीम कोटेड यूरिया।
- जमीन की उर्वरता और जैव विविधता को संरक्षित करने हेतु जैविक खेती को बढ़ावा ।
- मृदा स्वास्थ्य एवं पोषण की जानकारी हेतु मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना।
- कृषि में जोखिम न्यूनता हेतु प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना।
- खाद्यान्नों के भंडारण और उनके प्रसंस्करण से जुड़ी ढांचागत विकास पर ध्यान ।
- कृषि उत्पादों हेतु बड़ा बाजार हेतु
E-NAM और APMC कानून।
- जलवायु परिवर्तन के अनुसार जैविक खेती को बढ़ावा, कृषि में नवचार,अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा ।
- कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने हेतु 2018 में कृषि निर्यात नीति ।
- फसल कटाई के बाद बुनियादी ढाँचा प्रबंधन एवं कृषि परिसंपत्तियों में निवेश हेतु कृषि अवसंरचना कोष का गठन।
भारतीय कृषि में सुधार हेतु सुझाव
- कृषि संसाधनों जल, मृदा
आदि के संरक्षण अथार्त टिकाऊ कषि पर ध्यान दिया जाना चाहिए ।
- कृषि सब्सिडी का लाभ छोटे कृषक नहीं उठा पाते इसलिए इसे और तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता है।
- हरित क्रांति के बाद पंजाब और बिहार जैसे राज्यों के मध्य उत्पन्न क्षेत्रीय असमानता को दूर करने हेतु टिकाऊ हरित क्रांति की आवश्यकता है।
- कृषि उत्पादों के भंडारण और उनके वितरण वाले पहलू पर सरकार को ध्यान देना
होगा कृषि सहवर्ती क्षेत्रों जैसे पशुपालन, मुर्गी पालन, मत्स्य आदि उत्पादों के भंडारण,
संरक्षण और विपणन पर ध्यान ।
- कृषि क्षेत्र में निवेश, तकनीक, नवचार तथा अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाना
चाहिए।
- कृषि संबंधी समस्याओं के समाधान हेतु दीर्घकालीन हल को ढूंढा जाना चाहिए।
आशा है कि भारत में कृषि क्षेत्र में सुधार, चुनौतियां, समस्याएं, नीतियां एवं योजनाएं संबंधी लेख आप सभी को पसंद आया होगा । इसी प्रकार के अन्य लेखाें को आप मेने में जाकर देख सकते हैं ।
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