राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (National Family
Health Survey 5)
नवम्बर
2021 में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय परिवार
स्वास्थ्य सर्वेक्षण के पांचवे दौर की रिपोर्ट यानी NFHS 5 को जारी किया गया जो देश के स्वास्थ्य परिदृश्य को स्पष्ट करता है। इस रिपोर्ट ने जहां जनसंख्या स्थिरीकरण, बेहतर परिवार नियोजन सेवाओं और स्वास्थ्य प्रणालियों के बेहतर वितरण
जैसे कई मोर्चों पर उत्साहजनक परिणाम प्रस्तुत किए हैं वहीं दूसरी ओर इसने लैंगिक हिंसा,
महिलाओं एवं बालिकाओं के विरुद्ध प्रचलित कुप्रथाओं जैसे बाल
विवाह, पक्षपातपूर्ण लिंग चयन आदि को संबोधित करने हेतु
भविष्य में और सुधार किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
भारतीय
समाज में प्रचलित भेदभावपूर्ण सामाजिक मानदंडों और प्रथाओं ने इन समस्याओं को और
गंभीर बना दिया है जो सतत् विकास लक्ष्य 2030 एवं भारत के विकास लक्ष्यों
की उपलब्धि के लिये बाधाकारी हैं।
संबंधित सूचक |
NFHS
5 2019-21 |
NFHS
4 2015-16 |
कुल प्रजनन दर Total Fertility Rate |
2.0 |
2.2 |
जनसंख्या का लिंगानुपात |
1020 |
991 |
संस्थागत प्रसव (जन्म) |
88.60% |
78.90% |
आधुनिक परिवार नियोजन विधियों को अपनाना |
56.5%) |
47.8% |
परिवारनियोजन की आवश्यकताएं पूरी नहीं हो
पायी |
9.40% |
12.90% |
महिलाएं (15-49 वर्ष)
अपना बैंक खाता एवं स्वयं द्वारा संचालन |
78.60 |
53.0 |
NFHS 5 के निष्कर्ष के सकारात्मक पक्ष
जनसंख्या लिंगानुपात में कमी
NFHS
5 के अनुसार 1000 पुरुषों पर
1020 महिलाओं की संख्या एक ऐतिहसिक स्तर है । NFHS 4 के लिंगानुपात
991 की अपेक्षा NFHS 5 में लिंगानुपात
1020 होना एक बड़ा बदलाव है। उल्लेखनीय है कि किसी भी जनगणना या
NFHS की रिपोर्ट में यह पहली बार है जब लिंगानुपात महिलाओं के पक्ष
में रहा।
1020
का लिंगानुपात अब यह दर्शाता है कि भारत अब “लापता हो रही महिलाओं का देश” नहीं है जैसे प्रसिद्ध
अर्थशास्त्री डा. अमर्त्य सेन द्वारा अपने एक निबंध में कहा
गया था।
कुल प्रजनन दर (Total
Fertility Rate- TFR) का
जनसंख्या प्रतिस्थापन दर से नीचे आना
- कुल
प्रजनन दर का NFHS 4 के 2.2 के स्तर से NFHS 5 में 2.0 के स्तर पर आना संकेत देता है कि भारत
की जनसंख्या वृद्धि स्थिर होने की ओर अग्रसर हो रही है।
- इस
प्रकार कुल प्रजनन दर यानी प्रति महिला पैदा हुए बच्चों की औसत संख्या राष्ट्रीय स्तर
पर 2.0
रह गया है जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत 2.1 से नीचे है । यह वह बिन्दु है जिस पर जनसंख्या एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी
में स्वयं को प्रतिस्थापित करती है।
- रिपोर्ट
के अनुसार भारत के 31 राज्य और केंद्रशासित
प्रदेशों में देश की आबादी का 69.7% ने 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर से नीचे की प्रजनन दर हासिल कर ली है और आनेवाले दिनों
में जनसंख्या में गिरावट आरंभ हो सकती है।
- सबसे
कम प्रजनन दर सिक्किम की 1.1 है। केन्द्र शासित प्रदेशों में सबसे
कम प्रजनन दर जम्मू कश्मीर की 1.4 है। जम्मू कश्मीर एकमात्र
केन्द्रशसित प्रदेश है जिसने NFHS 4 और NFHS 5 के मध्य प्रजनन दर में 0.6 की उच्चतम गिरावट दर्ज
की।
- रिपोर्ट
के अनुसार उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार ने कुल प्रजनन दर में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की है
जिससे भारत समग्र रूप से प्रजनन दर को प्रतिस्थापन स्तर से नीचे लाने में सफल रहा।
- हांलाकि
देश की कुल जनसंख्या में 27.82% हिस्सेदारी वाले
तीन बड़े राज्य बिहार (3.0), उत्तर प्रदेश (2.4) तथा झारखंड (2.3) में कुल प्रजनन दर प्रतिस्थापन
स्तर से ऊपर है।
मातृ स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
- रिपोर्ट
के अनुसार मातृ स्वास्थ्य सेवाओं में भी लगातार सुधार हो रहा है। वर्ष 2019-21 में 88.6% महिलाओं द्वारा संस्थागत प्रसव सेवा
का उपयोग किया गया जो वर्ष 2015-16 की 78.90% की तुलना में 9.8% अंक की वृद्धि दर्शाता है। सार्वजनिक
स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों में संस्थागत प्रसव में भी वृद्धि देखी गयी जो
52.1% से बढ़कर 61.9% हो गयी। भारत के तमिलनाडु और पुदुचेरी
में 100% संस्थागत प्रसव पाया गया।
- रिपोर्ट
के अनुसार आरंभिक तीन माह में प्रसव-पूर्व देखभाल एवं जांच में वृद्धि दर्ज की गयी। इसी प्रकार
प्रसव के बाद देखभाल में भी वृद्धि देखी गयी।
शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
- NFHS 5 के अनुसार के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में भारत के अधिकांश राज्यों में शिशु और बाल मृत्यु दर में कमी आयी है। सर्वेक्षण में 22 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में केरल में सबसे कम मृत्यु दर रहा जबकि बिहार में उच्चतम नवजात मृत्यु दर 34 ,शिशु मृत्यु दर 47 और 5 वर्ष के कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर 56 रहा ।
- NFHS 5 के अनुसार 12 से 23 माह के बच्चों में पूर्ण टीकाकरण अभियान में अखिल भारतीय स्तर पर 62% से 76% तक सुधार देखा गया । भारत के 11 राज्यों ने 12 से 23 माह के तीन चौथाई से ज्यादा बच्चों का टीकाकरण हुआ। इनमें ओडिसा ऐसा राज्य है जहां टीकाकरण 90% तक रहा।
प्रौद्योगिकी उपयोग, बीमा एवं बैंकिंग संबंधी प्रगति
- प्रधानमंत्री
जन धन योजना के फलस्वरूप इसी अवधि में बैंक खाते रखने वाली महिलाओं के अनुपात में 25.6%
की वृद्धि हुई और यह 78.6% के स्तर पर
पहुँच गया है।
- लगभग
54%
महिलाओं के पास अपना मोबाइल फोन है और प्रत्येक तीन में से लगभग
एक महिला इंटरनेट का उपयोग कर रही है।
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के फलस्वरूप महिलाओं के स्वच्छ खाना बनाने के ईंधन में विस्तार हुआ।
- आयुष्मान
भारत,
जन आरोग्य योजना जैसी योजनाओं ने अच्छा कार्य किया और स्वच्छता स्वास्थ्य
बीमा कवरेज में सुधार हुआ है।
रिपोर्ट में
प्राप्त सकारात्मक परिणामों के मुख्य कारण |
बेहतर परिवार नियोजन विधियां बेहतर
एवं आधुनिक परिवार नियोजन विधियों को अपनाने में हुई वृद्धि जो वर्ष NFHS
4 में 47.8% से बढ़कर NFHS 4 में 56.5% हो गयी और इसी अवधि में परिवार
नियोजन की अधूरी आवश्यकता में आई 4% अंकों की गिरावट दर्ज
हुई। |
महिला साक्षरता में सुधार इस
अवधि में महिला साक्षरता में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया तथा वर्ष 2015-16
में 36% की तुलना में वर्ष
2019-21 में 41% महिलाओं ने 10
या अधिक वर्षों की स्कूली शिक्षा प्राप्त की है। उल्लेखनीय
है कि अधिक समयावधि तक शिक्षा ग्रहण करने वाली बालिकाओं में कम बच्चों को जन्म
देने की प्रवृत्ति देखी गई तथा इनके बीच देर से विवाह करने और रोज़गार पाने की
संभावना भी अधिक होती है। |
बेहतर मातृ स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार मातृ
स्वास्थ्य सेवाओं में भी लगातार सुधार हो रहा है। और आरंभिक तीन माह में
प्रसव-पूर्व देखभाल एवं जांच में वृद्धि दर्ज की गयी। इसी प्रकार प्रसव के बाद देखभाल
में भी वृद्धि देखी गयी। वर्ष
2019-21
में 88.6% महिलाओं द्वारा संस्थागत
प्रसव सेवा का उपयोग किया गया जो वर्ष 2015-16 की 78.90%
की तुलना में 9.8% अंक की वृद्धि
दर्शाता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों में संस्थागत प्रसव में भी वृद्धि
देखी गयी जो 52.1% से बढ़कर 61.9% हो गयी। |
बेहतर मासिक धर्म स्वास्थ्य और शारीरिक स्वायत्तता महिलाओं
की शारीरिक स्वायत्तता और स्वयं के बारे में निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि दर्ज
हुई हैं। मासिक
धर्म संबंधी हाइजीन उत्पादों का उपयोग करने वाली महिलाओं (15-24
आयु वर्ग) के अनुपात में भी वर्ष 2015-16 और 2019- 21 के बीच लगभग 20% अंक की वृद्धि हुई है और वर्तमान में 77.3% के
स्तर पर पहुँच गया है। |
टीकाकरण अभियान 2014
में आरम्भ किया गया भारत सरकार का एक स्वास्थ्य मिशन है। यह योजना
2022 तक भारत के 90% पूर्ण टीकाकरण कवरेज
का लक्ष्य रखती है। टीकाकरण
कार्यक्रम को और अधिक तीव्रता प्रदान करने हेतु 2017 में गहन मिशन इंद्रधनुष का आरंभ किया गया जिसे विभिन्न चरणों में लागू
किया जा रहा है । |
NFHS 5 के नकारात्मक पक्ष
संस्थागत प्रसव का निम्न स्तर
सर्वेक्षण
के अनुसार 11% गर्भवती महिलाओं तक अभी भी कुशल
जन्म परिचारिका या संस्थागत सुविधाओं तक पहुँच नहीं है।
इसके
अलावा भारत के 49 ज़िलों में संस्थागत प्रसव दर 70%
से कम है जिनमें से लगभग 69% पाँच
राज्यों नगालैंड, बिहार, मेघालय,
झारखंड और उत्तर प्रदेश से संबंधित हैं।
किशोर गर्भावस्था
सर्वेक्षण
अवधि के दौरान 15-19 आयु वर्ग की 7.9% महिलाएँ माता बन चुकी थीं या गर्भवती थीं। और किशोर गर्भावस्था में
केवल 1% की
मामूली गिरावट दर्ज की गयी।
प्रजनन एवं यौन स्वास्थ्य सेवाओं की निम्न अभिगम्यता
महिला
आबादी का एक अत्यंत छोटा भाग ही सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग परीक्षण, स्तन परीक्षण जैसी यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं की पूरी शृंखला तक
पहुँच रखता है।
बाल विवाह एवं घरेलू हिंसा
आंकड़ों
के अनुसार बाल विवाह का प्रचलन कम हुआ है और वर्ष 2015-16 की 26.8% की अपेक्षा 2019-21 में केवल 23.3% तक की गिरावट ही दर्ज हुई है।
इसके अलावा तीन में से एक महिला अपने जीवनसाथी की ओर से हिंसा का सामना करती है।
बच्चो में एनीमिया की बढ़ती चिंता
राष्ट्रीय
परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार भारत
में 6-59 महीने की आयु के बच्चों के अधिक अनुपात में
एनीमिक पाए जाने से स्थिति चिंताजनक हो गई है।
भारत
के सभी राज्यों में 5 वर्ष से कम आयु के
बच्चों में 67%, महिलाओं में 57%, तथा पुरुषों में 25% लोग एनीमिया से ग्रस्त
हैं।
बड़े
राज्यों में देखा जाए तो मध्य प्रदेश 72.7% बिहार
69.4% तथा उत्तर प्रदेश 66.4% बच्चे
एनीमिया से ग्रस्त हैं।
निम्न आर्थिक योगदान
अर्थव्यवस्था
में महिलाओं की भागीदारी कम बनी हुई है और केवल 25.6% महिलाएँ वैतनिक रोज़गार में संलग्न हैं। कई महिलाएँ अभी भी अवैतनिक
घरेलू एवं देखभाल कार्य का बोझ उठाती हैं जिसके कारण लाभकारी रोज़गार तक पहुँचने की
उनकी क्षमता में बाधा आती है।
सुझाव
- गुणवत्तापूर्ण यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुँच सुनिश्चित करने की आवश्यकता ।
- प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करते हुए सर्विकल कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट और स्तन जाँच जैसी सेवाओं को भी शामिल किया जाना चाहिये।
- महिला सशक्तीकरण सुनिश्चित करने हेतु बाल विवाह एवं लिंग चयन जैसी कुप्रथाओं पर रोक ।
- महिलाओं
के प्रति भेदभावपूर्ण मानदंडों, दृष्टिकोणों व
व्यवहार में परिवर्तन हेतु प्रयास को बढ़ाना होगा ।
- महिलाओं
में प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओं जैसे ई शासन, मोबाइल,
इंटरनेट, बैंकिंग सुविधाओं को बढ़ावा
देना।
राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 एवं बिहार |
||
संबंधित सूचक |
NFHS
5 2019-21 |
NFHS
4 2015-16 |
कुल प्रजनन दर Total
Fertility Rate |
3.0 |
3.4 |
बिहार सरकार प्रजनन दर में कमी लाने
हेतु चलाए गए व्यापक जागरूकता अभियान के फलस्वरूप राज्य में प्रजनन दर में गिरावट दर्ज हुई |
||
नवजात शिशु मृत्यु दर (प्रति हज़ार) (28
दिन से कम आयु के बच्चे) |
34.5% |
36.7% |
शिशु मृत्यु दर (प्रति हज़ार) (365
दिन से कम आयु के बच्चे) |
46.8 |
48.1 |
बाल मृत्यु दर (5
वर्ष से कम आयु के बच्चे) |
56.4% |
58.1% |
बच्चों के स्वास्थ्य को सुरक्षित करने
की दिशा में उपरोक्त तीनों मानकों में लगभग 2% का सुधार आया । |
||
15-49
वर्ष की एनिमिया ग्रस्त महिलाएं |
63.5% |
60.3% |
जनसंख्या का लिंगानुपात |
1090 |
1062 |
शहरी क्षेत्रों का लिंगानुपात 982 है जबकि ग्रामीण
क्षेत्रों का लिंगानुपात 1111 है। |
||
15-49
वर्ग की महिलाओं का परिवार नियोजन |
55.8% |
24.1% |
परिवार नियोजन के आधुनिक तरीकों को अपनाना |
44.4% |
23.3% |
महिला नसबंदी |
34.8% |
20.7% |
पुरुष नसबंदी |
0.0% |
0.1% |
यह चिंताजनक तथ्य है कि महिलाओं की नसबंदी
की तुलना में पुरुषों की नसबंदी में अब भी कमी है। यानी जनसंख्या नियंत्रण की यह
जिम्मेवारी मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। |
||
अस्पतालों में डिलीवरी |
76% |
63% |
टीकाकरण (12 से
30 माह के बच्चे) |
71% |
61% |
घरेलू मामलों में निर्णयण में भागीदारी |
86% |
75% |
बिहार के महिलाओं के पास बैंक के अकाउंट |
76% |
26% |
18
से 49 वर्ष की महिला के विरुद्ध घरेलू
हिंसा |
40% |
43% |
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