बिहार में महिला सशक्तिकरण के विविध आयाम
प्रकृति का नियम संतुलन पर कार्य करता
है तथा इसी प्रकार के संतुलन की आवश्यकता एक आदर्श समाज निर्माण हेतु अपरिहार्य है।
अतः यह आवश्यक है कि समाज में पुरुषों के बराबर लड़की/महिला को भी सुविधाएं,
अधिकार तथा कर्तव्य दिए जाए ।
भारतीय संविधान तथा SDG लक्ष्य में भी
महिलाओं सशक्तिकरण एवं लैंगिक समानता की बात कही गयी है। सशक्तिकरण का अर्थ हैं
अवसरों तथा संसाधनों की प्राप्ति, अपनी पसंद रखने,
तय करने के अधिकार के साथ अधिक न्यायपूर्ण और सामजिक, आर्थिक व्यवस्था के निर्माण हेतु सामजिक परिवर्तन की दिशा को प्रभावित
करने की क्षमता से हैं।
वर्तमान भारतीय सामाजिक संरचना में संतुलन
पुरुषवादी है । शिक्षा,
स्वास्थ्य, आर्थिक-सामजिक-प्रशासनिक स्वतंत्रता, भागीदारी में जिस प्रकार से महिलाओं के प्रति भेदभाव किया जा रहा है उसी
का प्रतिफल है कि समाज में नैतिकता, अहिसा, सहनशीलता, सहिष्णुता, समानता, सम्मान आदि की कमी होती जा रही है ।
महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता
- समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता और पुरुषों पर निर्भरता को समाप्त करने हेतु ।
- महिलाओं
के प्रति भेदभावपूर्ण व्यवहार, अपराध तथा हिंसक
गतिविधियों की समाप्ति हेतु ।
- महिलाओं में आत्मबल और उनके अधिकारों के प्रति सजग करने हेतु ।
- विकसित एवं समानतापूर्ण समाज के निर्माण हेतु ।
महिला सशक्तिकरण से
लाभ
- शिक्षित महिला के होने से पूरा परिवार शिक्षित होगा।
- शिक्षित
तथा आत्मनिर्भर महिला का समाज में आदर्श स्थान पाती है जिससे सामाजिक सोच बदलती है
और लैंगिक भेदभाव, दहेज, महिला हिंसा जैसी सामजिक बुराईया में कमी आती है।
- स्वस्थ महिला होने से पूरी आनेवाली पीढ़ी स्वस्थ होगी ।
- आर्थिक
आत्मनिर्भर होने से परिवार को आर्थिक मजबूती, परिवार
का जीवन-स्तर उच्च होगा।
- महिला
शिक्षित और आत्मनिर्भर होने से निर्णयन क्षमता आती है जिससे परिवार,
सामजिक, राजनतिक, आर्थिक भागीदारी वृद्धि होती है।
- समग्र रूप से महिला विकास को प्रोत्साहन मिलेगा जो समावेशी, न्यायपूर्ण एवं समतामूलक समाज के निर्माण में सहायक होगा ।
- महिलाओं
में योग्यता का अधिकाधिक विकास होगा, सामाजिक
अधिकार के प्रति जागरुक होगी तथा उसे प्राप्त करने में सक्षम बनेगी ।
- आर्थिक सशक्तीकरण से देश के आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
बिहार
में महिला सशक्तिकरण
बिहार
आर्थिक और सामाजिक रूप से काफी पिछड़ा राज्य है जहां कुल आबादी में लगभग
47.86% संख्या महिलाओं की संख्या है। बिहार में दहेज प्रथा,
यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, गर्भ में बच्चियों की हत्या, कार्य स्थल पर
यौन शोषण, बाल विवाह, बलात्कार
आदि बुराईयां व्यापक रूप से व्याप्त है जिनका शिकार महिलाएं होती है। अतः राज्य के
सर्वांगीण विकास में महिलाओं की वास्तविक भागीदारी को सुनिश्चित करने एवं इनके
प्रति होनेवाले अपराध, शोषण की घटनाओं को रोकने हेतु यह आवश्यक है कि विभिन्न
उपायों द्वारा इस आधी आबादी को सशक्त और सक्षम बनाया जाएगा ।
भारत में महिलाओं की स्थिति में सुधार
हेतु आठवीं पंचवर्षीय योजना में पहली बार महिलाओं सशक्तिकरण को स्पष्ट लक्ष्य के
रूप में शमिल किया गया था। उसके बाद केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के महिला
सशक्तिकरण के दिशा में अनेक प्रयास किए गए जिससे बिहार में महिलाओं की स्थिति में
सुधार आया है जिसका आकलन निम्न सूचकों के
आधार पर किया जा सकता है।
महिला सशक्तिकरण के
सूचक
- घरेलू निर्णय लेने में महिला की भागीदारी ।
- कोई बैंक खाता होना ।
- अपने पास घर या जमीन होना ।
महिला
सशक्तिकरण के सूचक |
राष्ट्रीय
पारिवारिक एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 |
राष्ट्रीय
पारिवारिक एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 |
विवाहित महिलाओं
द्वारा घरेलू निर्णयों में भागीदारी |
75.2% |
86.5% |
स्वयं
का बैंक खाता संचालित करने वाली महिलाएं |
26.4% |
76.7% |
अकेले/संयुक्त रूप से
घर/जमीन रखनेवाली महिलाएं |
58.8% |
55.3% |
उपरोक्त
आंकड़ों से स्पष्ट है वर्ष 2015-16 तथा 2019-20 के मध्य
बिहार में विवाहित महिलाओं द्वारा घरेलू निर्णयों में भागीदारी तथा स्वयं का बैंक
खाता संचालित करने वाली महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। हालांकि अकेले या
संयुक्त रूप से घर जमीन खरीदने वाले महिलाओं के हिस्से में 3.5% की कमी आई है
।
बिहार में महिला सशक्तिकरण के प्रयास
महिला सशक्तिकरण के महत्व को समझते
हुए बिहार में पिछले कुछ वर्षों में अनेक सकारात्मक कदम उठाए गए हैं। इनमें से एक
है जेंडर बजट जिसका प्रकाशन बिहार सरकार द्वारा वर्ष 2008-09 से किया जा
रहा है। समाज में लैंगिक समानता लाने हेतु उपलब्ध् कानूनी प्रावधानों के अतिरिक्त बजट
में महिलाओं तथा बच्चों के कल्याणार्थ विशेष राशि का आवंटन जेंडर बजटिंग कहलाता है
।
जेंडर बजट का मुख्य उद्देश्य योजनाओं के
माध्यम से पुरुषों के समान महिलाओं को भी विकास के अवसर तथा लाभ उपलब्ध कराना होता है ताकि महिलाएं भी
समाज की मुख्याधारा में शमिल हो सके ।
जेंडर बजट के माध्यम से महिला शिक्षा, स्वास्थ्य,
रोजगार केन्दित योजनाओं तथा नीतियों हेतु अतिरिक्त राशि आवंटन किया
जाता है । एक रिपोर्ट के अनुसार जेंडर बजटिंग लागू करनेवाले राज्यों में बालिका शिक्षा
में सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए है
वर्ष 2020-21 में कुल राज्य बजट में
महिलाओं पर व्यय का हिस्सा 16.0% था जो सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत में
महिलाओं के लिए कुल परिव्यय 3.7% था ।
लैंगिक भेदभाव से निपटने हेतु बिहार सरकार की योजनाएं |
मुख्यमंत्री
कन्या उत्थान योजना वर्ष 2018 में आरंभ इस
योजना में किसी लड़की के जीवन का उसके जन्म से लेकर स्नातक होने तक आच्छादन होता
है । |
मुख्यमंत्री
कन्या विवाह योजना BPL परिवार की18 वर्ष या उसके
बाद विवाह करने वाली लड़कियों को रु.5 हजार की
वित्तीय सहायता । |
मुख्यमंत्री
नारी शक्ति योजना घरेलू हिंसा
और मानव व्यापार की शिकार महिलाओं और किशोरियों को निशुल्क
सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक सहयोग और कानूनी सहायता |
लक्ष्मीबाई
सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना 18 वर्ष से अधिक
आयु के सभी विधवाओं के लिए जिनकी वार्षिक परिवार की आय 60,000 रुपये से कम
है । |
बिहार सरकार
द्वारा वर्ष 2016-17 से 2020-21 के बीच
उपरोक्त योजनाओं पर होनेवाले व्यय में 58.2% की वृद्धि हुई
है। |
बिहार में महिला सशक्तिकरण की योजनाएं
बिहार में महिला सशक्तिकरण की योजनाओं
तथा स्थिति का आकलन करने हेतु आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सशक्तिकरण में वर्गीकृत किया जा सकता है।
सात निश्चय भाग-1 “आरक्षित रोजगार महिलाओं का अधिकार”
- राज्य सरकार द्वारा सभी सरकारी सेवाओं
में नियुक्ति में महिलाओं को 35%
आरक्षण।
- बिहार आरक्षी सेवाओं में महिलाओं को 35% आरक्षण तथा
राज्य में महिला पुलिस थाने की स्थापना।
- पंचायती राज संस्थानों और नगरपालिका निकाय में
महिलाओं को 50% आरक्षण।
- जीविका के माध्यम से गठित महिला स्वयं
सहायता समूह द्वारा महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण।
सात निश्चय-2 के तहत “सशक्त महिला, सक्षम
महिला” |
महिला
उद्यमिता हेतु विशेष योजना महिलाओं
द्वारा स्थापित उद्यमों के लिए 50% परियोजना का वाहन राज्य
द्वारा किया जाएगा। इसके अलावा महिला उद्यमियों को ₹5 लाख तक अनुदान और अधिकतम ₹5 लाख तक का ब्याज
मुक्त ऋण । |
उच्च शिक्षा
हेतु लड़कियों को प्रोत्साहन इस योजना के
तहत अविवाहित लड़कियों को इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी होने पर ₹ 25 हजार और
स्नातक पूरी होने पर ₹ 50 हजार दिए जाने
की व्यवस्था है। |
क्षेत्रीय
प्रशासन में महिलाओं के आरक्षण के अनुसार भागीदारी क्षेत्रीय
प्रशासन, पुलिस, प्रखंड, अनुमंडल और जिला स्तर के कार्यालयों में महिलाओं की भागीदारी आरक्षण
योजना के अनुसार बढ़ाई जाएगी। |
आर्थिक सशक्तिकरण
वैकल्पिक बैंकिंग(बैंक
हमारे गांव)
बैंक सखियों के माध्यम से
जीविका ने संचालित ग्राहक सेवा केंद्र खोलने में सहयोग के लिए प्रमुख बैंकों के
व्यवसायिक संवाददाताओं के साथ मिलकर काम शुरू किया। इस प्रकार दूरदराज के गांवों
में आम लोगों,
महिलाओं तक बैंकिंग सुविधाओं को पहुंचाया गया।
कामन सर्विस सेंटर डिजी सखी
बिहार के शहरी नगर
निकायों में 2000
नये कामन सर्विस सेंटर खोले जाने की योजना जिसका संचालन शहरी
स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा होगा जिससे इनको रोजगार प्राप्त होगा तथा
आत्मनिर्भर बनेगी। इसमें कार्य करनेवाली महिलाओं को डिजी सखी के नाम से पुकारा
जाएगा। राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के स्वयं सहायता समूह की महिलाएं वार्ड स्तर
पर रहने वाले दिव्यांग, वृद्ध, असहाय
महिला-पुरुषों के साथ-साथ
खाताधारकों का पैसा बायोमेट्रिक से निकालने में भी मदद करेंगी।
सूक्ष्म बीमा
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति
बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत बीमा नामांकन का लक्ष्य
बिहार के सभी जिलों में हासिल किया गया है जो महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा की दिशा
में एक बड़ा कदम है।
महिला विकास निगम
राज्य में महिलाओं की
आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार हेतु सभी 38 जिलों में महिला विकास
निगम के जिला स्तरीय कार्यालय खोले गए।
कृषि मूल्य श्रृंखला
जीविका द्वारा प्रवर्तित
कृषि उत्पादक कंपनियों का लक्ष्य कृषि एवं ग्रामीण उत्पादों का बाजार संपर्क
बढ़ाकर कृषक समुदाय की मोलतोल क्षमता को बढ़ाना है। जीविका द्वारा 10 जिलों
में 10 महिला उत्पादक कंपनियों को प्रवर्तित किया गया है
जो लगभग 40 हजार किसानों
को सेवा दे रही है।
गव्य उत्पादक कंपनी
जीविका और राष्ट्रीय गव्य विकास बोर्ड
के तकनीकी सहयोग से सहरसा में सितम्बर 2017 में कौशिकी महिला दुग्ध उत्पादक कंपनी
लिमिटेड की शुरुआत की गयी । सितम्बर 2021 तक 668 गांवों में 31 हजार से ज्यादा सदस्य नामांकित
थे।
अन्य प्रयास
- महिला के नाम पर निबंधित एवं महिला द्वारा चलाई जाने वाली वाहन पर वाहन कर में 100% छूट बिहार सरकार द्वारा दी गई है।
- महिलाओं एवं लड़कियों के लिए आजीविका का स्थायी स्रोत सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कौशल विकास प्रशिक्षण ।
- मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना के तहत महिला विकास निगम द्वारा सेवा कौशल प्रशिक्षण योजना जैसे कार्यक्रम की शुरुआत।
- बिहार
शरीफ,
नालंदा में हथकरघा सामान्य
सुगमीकरण केंद्र की शुरुआत।
- स्वयं सहायता समूहों को सहयोग देने के लिए कृषि उत्पादक समूह का गठन।
- बिहार सरकार द्वारा स्वाभिमान नाम से जनजातीय महिला पुलिस बटालियन का गठन किया गया।
- महिला सशक्तीकरण की दिशा में कदम उठाते हुए राज्य के सभीजिलों में महिला थाना के साथ साथ थानों में महिला पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति का आदेश ।
सामाजिक सशक्तिकरण
2017-18 से 2019-20 के दौरान बिहार में महिला उत्पीड़न
से संबंधित दर्ज मामलों में सबसे अधिक घरेलू हिंसा और उसके बाद दहेज उत्पीड़न के थे।
महिलाओं के सामजिक सशक्तिकरण हेतु बिहार सरकार द्वारा अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे
हैं।
खाद्य एवं स्वास्थ्य सुरक्षा हस्तक्षेप
बिहार में जीविका द्वारा
समुदाय क्रय प्रक्रिया के जरिए खाद्यान्न और खाद्य सामग्रियों की जरूरत पूरी करने
के लिए स्वयं सहायता समूह सदस्यों को खाद्य सुरक्षा कोष उपलब्ध कराने की पहल की
है।
जीविका ने स्वास्थ्य जोखिम कोष का क्रियान्वयन 51 हजार से ज्यादा गावों में किया है जिससे समाज के सबसे गरीब तबके को स्वास्थ्य संबंधी झटकों में कमी लाने में मदद की है।
व्यवहार परिवर्तन संवाद
इसका मकसद स्वास्थ्य, पोषण
और स्वच्छता के बारे में प्रचलित घरेलू प्रचलनों पर प्रभाव डालना था । इसके तहत
जागरुकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया। शौचालय निर्माण और स्वयं सहायता समूह
से जुड़े परिवारों की सेवा हेतु ग्रामीण स्वच्छता बाजार का निर्माण किया गया।
अल्पावास गृह
सामाजिक और आर्थिक रूप से
वंचित महिलाओं के पुनर्वास के लिए राज्य सरकार द्वारा महिला विकास निगम के माध्यम
से सभी जिलों में अनाथालय चलाने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा महिलाओं की
क्षमता बढ़ाने हेतु अनेक प्रकार के प्रशिक्षण और उद्यमिता विकास की व्यवस्था की
जाती है।
लैंगिक मुख्यधारा से जोड़ने हेतु
बिहार राज्य शिक्षा परिषद
द्वारा ऑनलाइन कला विषयों की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को पाठ्यचर्चा आधारित शिक्षा
देने की व्यवस्था पर केन्द्रित योजना है।
मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना
बाल विवाह को हतोत्साहित
करने और लड़कियों की उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु गरीब परिवारों को वित्तीय
सहायता उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना के तहत लड़की के परिवार को उसके विवाह के
समय ₹ 5 हजार
की सहायता दी जाती है।
मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना
कन्या भ्रूण हत्या रोकने
और लड़कियों के जन्म को बढ़ावा देकर लैंगिक असमानता दूर करने हेतु योजना को लाया
गया। इस
योजना में जन्म के समय ₹ 2हजार और 1वर्ष पूरा होने पर आधार में नामांकन होने
पर ₹1 हजार दिए जाते हैं।
मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना
इस योजना के तहत घरेलू
हिंसा की शिकार महिलाओं और बच्चों के लिए भी कई विशेष योजनाएं जैसे- महिला हेल्प
लाइन, संरक्षण
गृह, पलनाघर, स्वयं सहायता समूह
का निर्माण, अंतर्जातीय विवाह, पोषण
एवं क्षमता निर्माण इत्यादि संचालित किया जाता है।
शैक्षणिक सशक्तिकरण
- बाल विवाह दहेज उत्पीड़न, बालिका
समस्या के इत्यादि के प्रति जागरूक करने हेतु उड़ान
अभियान की शुरुआत।
- मुख्य रूप से अनुसूचित
जाति अनुसूचित जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय की
लड़कियों हेतु आवासीय उच्च प्राथमिक विद्यालय स्थापित करने हेतु कस्तूरबा गांधी
बालिका विद्यालय योजना ।
- लड़कियों के बीच उच्चतर
शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन योजना ।
- राज्य के इंजीनियरिंग और
मेडिकल कॉलेजों में बिहार की लड़कियों के लिए 33% आरक्षण प्रदान करने की घोषणा ।
- असाक्षर महिलाओं को साक्षर बनाने हेतु मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना का ।
- 1 अप्रैल 2021 से बिहार में इंटर पास करने वाली छात्राओं को 25 हजार रुपये और ग्रेजुएशन करने वाली अविवाहित छात्राओं को 50 हजार रुपये छात्रवृत्ति दी जाएगी।
- सात निश्चय कार्यक्रम 1 एवं 2
के माध्यम से भी महिलाओं की शिक्षा एवं कौशल विकास हेतु अनेक योजनाएं
संचालित।
महिला कल्याण
हेतु बने कुछ अधिनियम
|
सर्वकार्य केन्द्र सह हेल्पलाइन
सखी केन्द्र के नाम से
सर्वकार्य केन्द्र यानी वन स्टॉप सेंटर का क्रियान्वयन वर्ष 2015 से
पूरे राज्य में किया जा रहा है जिसके द्वारा हिंसा प्रभावित महिलाएं पुलिस, कानूनी,
चिकित्सा, मनौवैज्ञनिक सहयोग और अस्थायी
आश्रय आदि मदद प्राप्त कर सकती है ।
सभी 38 जिलों
में महिला हेल्पलाइन वन स्टॉप सेंटर स्थापित है जिसका वित्त पोषण निर्भया कोष के
माध्यम से होता है । वर्ष 2020-21 में सबसे ज्यादा दर्ज मामले घरेलू हिंसा के थे और उसके बाद दहेज उत्पीड़न
के ।
महिला स्वास्थ्य एवं पोषण हेतु प्रमुख
योजनाएं |
राजीव
गांधी किशोरी सबीकरण योजना (सबला)
|
प्रधानमंत्री
मातृत्व वंदना योजना
|
हर
घर नल का जल 1. स्वच्छ
जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु बिहार सरकार द्वारा इस योजना को लाया गया।
उल्लेखनीय है कि बिहार के 38 में से 29 जिले आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन से प्रदूषित
है। |
लोहिया
स्वच्छ बिहार अभियान 1. स्वच्छ
भारत मिशन ग्रामीण के कियान्वयन हेतु राज्य सरकार द्वारा इस योजना को लाया गया
जिसका उद्देश्य स्वच्छता आच्छादन को बढ़ाना तथा खुले में शौच से मुक्ति है। |
सांस्कृतिक सशक्तिकरण
दीदी की रसोई
यह जीविका द्वारा संचालित
और स्वयं सहायता समूह सदस्यों
द्वारा प्रबंधित कैंटीन है जो बक्सर, शेखपुरा, पूर्णिया और वैशाली के सदर अस्पतालों में कार्यरत हैं। इस कैंटीन की
सफलता से संतुष्ट होकर बिहार सरकार ने सारे सरकारी अस्पतालों के कैंटीन को जीविका
दीदियों को सौंपने का निर्णय लिया है।
इसका उद्देश्य रोगियों, कर्मचारियों
अधिकारियों और अस्पताल आने वाले आगंतुकों अच्छी गुणवत्ता वाला भोजन उपलब्ध कराना
था। इस हस्तक्षेप का लक्ष्य लाभप्रद इकाइयां चलाने हेतु स्वयं सहायता समूहों का
कौशल विकास करना और समूह सदस्यों को रोजगार उपलब्ध कराना भी है। सितम्बर 2021 तक दीदी की रसोई की कुल 42 इकाईयां स्थापित हो
चुकी थी जिसमें लगभग 400 स्वय सहायता समूह के सदस्य लगे
हुए हैं।
कला एवं शिल्प
सांस्कृतिक सशक्तिकरण को
बढ़ावा देने के लिए मधुबनी चित्रकला के कलास्वरूप और प्रस्तर कला का उपयोग करके
पेपर लैंप,
फाइल, फोल्डर, लैपटॉप
बैग, साड़ी आदि सजावटी उत्पादों का निर्माण किया जा रहा
है जिन्हें जीविका द्वारा प्रचारित किया जा रहा है ।
सितंबर 2020-21 में कुल 5196 परिवारों को 70 उत्पादक समूह में संगठित किया गया तथा इनके उत्पादों को ऑफलाइन एवं
ऑनलाइन दोनों माध्यमों से बेचा जा रहा है।
मीना मंच
यह 20 लड़कियों
का समूह है जिसमें 15 उच्च प्राथमिक विद्यालयों की और 5
लड़कियां पांचवी कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद स्कूल छोड़
चुकी लड़कियों में से होती है। इस मंच के माध्यम से विद्यार्थियों को नियमित
उपस्थिति, पढ़ाई जारी रखने, शिक्षा पूरी करने इत्यादि के लिए
प्रेरणा दी जाती है।
सपनो को चली छूने” परियोजना
महिला विकास निगम द्वारा
संचालित “सपनो
को चली छूने” परियोजना के तहत कॉलेज जानेवाले
विद्यर्थियों में नारी सशक्तिकरण और लैंगिक समानता संबंधी मुद्दों पर ध्यान आकृष्ट
कराया गया।
महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र एवं संबंधित कुछ प्रमुख योजनाएं, कानून
एवं पहल |
स्वस्थ मातृ-शिशु ICDC, जननी सुरक्षा कार्यक्रम, खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम
टीकाकरण, संस्थागत स्वास्थ्य सविधाएं, मात्त्व अवकाश अवधि बढ़ाना । |
लैंगिक एवं शैक्षणिक समानता बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ |
आर्थिक-वित्तीय आत्मनिर्भरता मरनेगा, उज्जवला, जनधन योजना,
सुकन्या समृद्ध् योजना, वित्तीय समावेशन। |
लैगिंक शोषण मुक्ति घरेलू हिंसा कानून, She-Box, तीन तलाक |
प्रशासनिक भागीदारी स्थानीय संस्थाओं, समितियों, शैक्षणिक
संस्थाओं, सेवाओं में महिलाओ आरक्षण । |
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