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Aug 25, 2022

भारत तथा अमेरिका के व्‍यापारिक, आर्थिक, रक्षा, कुटनीतिक संबंध

 

भारत तथा अमेरिका के व्‍यापारिक, आर्थिक, रक्षा, कुटनीतिक संबंध



ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो भारत और अमेरिका दोनों में कई समानताएं हैं जैसे दोनों ने औपनिवेशिक सत्ता के विरुद्ध संघर्ष कर स्वतंत्रता प्राप्त की तथा दोनों ने लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के साथ मानवीय गरिमा, अवसर की समानता, कानून के शासन, मौलिक स्वतंत्रता जैसे तत्वों को अपनाया । फिर भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां दोनों देशों में असमानताएं हैं।

  1. अमेरिका पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का समर्थक रहा है तो स्वतंत्रता के बाद भारत ने समाजवादी अर्थव्यवस्था को अपनाया।
  2. शीतयुद्ध के दौरान अमेरिका ने जहां पश्चिमी देशों का नेतृत्व प्रदान किया तो वहीं भारत ने गुटनिरपेक्षता की नीति पर चलते हुए तटस्थ बना रहा।
  3. भारत जहां बहुध्रुवीय विश्व का समर्थन करता है वहीं अमेरिका विश्व को अपने अधीन कर एकध्रुवीय विश्व बनाना चाहता है।
  4. कश्मीर मसले पर अमेरिका ने पाकिस्तान का समर्थन किया तो कई मामलों पर रूस ने भारत का साथ दिया।
  5. विश्व व्यापार संगठन  की वार्ताओं में भारत विकासशील देशों का तो अमेरिका विकसित देशों के दृष्टिकोणों का समर्थन करता है।

1991 में सोवियत संघ के विघटन के पूर्व भारत अमेरिका संबंधों में दूरी बनी रही लेकिन 1991 के बाद भारतीय विदेश एवं आर्थिक नीतियों में बदलाव आने के बाद भारत अमेरिका संबंधों में नया दौर प्रारंभ होता है जो कुछ अपवादों को छोड़कर अभूतपूर्व प्रगति करता है।

1998 में परमाणु परीक्षण किए जाने के बाद अमेरिका द्वारा भारत पर प्रतिबंधों की घोषणा की गयी लेकिन चीन के उदय तथा तत्कालीन परिस्थितियों में भारत के महत्व को देखते हुए 2001 में तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिटन द्वारा इन प्रतिबंधों को हटा लिया गया जिसके बाद से दोनों देशों के संबंधों में लगातार प्रगति देखी गयी।

पिछले कुछ वषों में देखा जाए तो अनेक क्षेत्रों में अमेरिका ने प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष अपनी नीतियों में भारत को विशेष महत्व दिया है हांलाकि इसका एक मुख्य कारण चीन माना जा सकता है फिर भी ऐसे अनेक कारण है जिसके परिप्रेक्ष्य में अमेरिका के लिए भारत का महत्वपूर्ण स्थान है।

  1. अमेरिकी की राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता ।
  2. विश्व में भारत का बढ़ता महत्व।
  3. चीन के बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित करने में।
  4. हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता एवं नेतृत्व हेतु।
  5. भारत के बढ़ते बाजार, व्यवसायिक संबंध स्थापित करने में।
  6. सैन्य सुविधाओं के नए विकल्प के रूप में।
  7. अफगानिस्तान में स्थिरता लाने हेतु समन्वय।

वैसे मामले जिन पर भारत भविष्य में अमेरिका का समर्थन प्राप्त कर सकता है-

  1. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता हेतु।
  2. भारत के चीन के साथ विभिन्न विवादित मुद्दों पर वार्ता हेतु तैयार कराया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि भारतीय सीमा में चीनी सेना के प्रवेश करने पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा चिंताजनक करार दिया गया।
  3. चीन की साम्राज्यावादी नीति तथा बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में । 
  4. अंतर्राष्ट्रीय संगठन जैसे NSG, UN की स्थायी सदस्यता हेतु।         

अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति

फरवरी 2022 में अमेरिकी प्रशासन ने अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति की घोषणा की जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में विद्यमान चुनौतियों से निपटने हेतु सामूहिक क्षमता के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है। इस रिपोर्ट के तहत चीन द्वारा उत्पन्न चुनौतियों, अमेरिकी संबंधों को आगे बढ़ाने, भारत के साथ 'प्रमुख रक्षा साझेदारी' विकसित करने की बात कही गयी है।  

इस रिपोर्ट में अमेरिका ने भारत को समान विचारधारा वाला साझेदार बताते हुए सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत की भूमिका का समर्थन करने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ साथ  इस क्षेत्र से बाहर के अन्य देशों के साथ भी मिलकर काम करने पर ज़ोर दिया गया।

अमेरिकी प्रशासन द्वारा कहा गया कि हम एक रणनीतिक साझेदारी बनाना जारी रखेंगे, जिसमें अमेरिका और भारत दक्षिण एशिया में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए एक साथ और क्षेत्रीय समूहों के ज़रिए काम करते हैं। साथ ही हम स्वास्थ्य, अंतरिक्ष और साइबरस्पेस जैसे नए क्षेत्रों में सहयोग करते हैं, हमारे आर्थिक और तकनीकी सहयोग को गहरा करने और एक मुक्त, खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाए रखने पर काम करते हैं।

इस प्रकार ये रिपोर्ट हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की स्थिति को मज़बूत करने और इस प्रक्रिया में भारत की मज़बूती के साथ क्षेत्रीय नेतृत्व का समर्थन करने की बात करती है।

 



भारत तथा अमेरिका के मध्य सहयोग

सामरिक क्षेत्र

  1. सामरिक क्षेत्र में वर्ष 2008 में भारत अमेरिका के मध्य ऐतिहासिक सिविल परमाणु सहयोग समझौता हुआ।
  2. 2010 में आतंकवाद का विरोध, सूचना साझा करने और क्षमता निर्माण सहयोग के विस्तार हेतु भारत अमेरिका आतंकवाद-रोधी सहयोग पहल पर हस्ताक्षर हुआ।
  3. परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता पर अमेरिका द्वारा समर्थन किया गया।
  4. 2015 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा की यात्रा के दौरान दिल्ली डिक्लेरेशन ऑफ फ्रेंडशिपकी घोषणा हुई और एशिया प्रशांत तथा हिंद महासागर हेतु साझा सामरिक दृष्टिकोण पत्र पर हस्ताक्षर हुए।
  5. चीन की आक्रमता तथा साम्राज्यवादी नीति रोक लगाने हेतु भारत और अमेरिका ने मिलकर क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान एवं ऑस्ट्रेलिया) गठबंधन को भी औपचारिक रूप दिया।  
  6. सामरिक क्षेत्र में सहयोग हेतु  महत्वपूर्ण 2+2 संवाद का आयोजन भी किया जाता है जिसमें दोनों देश के विदेश मंत्री एवं रक्षा मंत्री भाग लेते हैं।

रक्षा क्षेत्र

  1. वर्ष 2005 में अमेरिका द्वारा भारत को प्रमुख रक्षा सहयागी का दर्जा मिला। इसके तहत दोनों देश मालाबार नौसैनिक अभ्यास करते हैं। इसी क्रम में वर्ष 2016 में अमेरिका द्वारा भारत को प्रमुख प्रतिरक्षा साझीदार का दर्जा दिया गया।
  2. वर्ष 2016 में लाजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एगीमेंट, LEMOA समझौता हुआ जिसके तहत दोनों देश एक दूसरे के सैन्य संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं। वर्ष 2018 में संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (COMCASA) हुआ। 
  3. फरवरी 2020 में ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान लगभग 3 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रक्षा खरीद पर सहमति बनी ।
  4. इसके अलावा भारत द्वारा अमेरिका से 24MH-60 रोमियो हेलिकॉप्टर, अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टरों का आयात ।
  5. भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय और क्षेत्रीय अभ्यासों में युद्ध अभ्यास, वज्र प्रहार, रिमपैक, रेड फ्लैग आदि शामिल है।
  6. रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग को मज़बूत करने की दिशा में जुलाई 2021 में भारत और अमेरिका ने एयर-लॉन्च्ड अनमैन्ड एरियल व्हीकल (ALUAV) अथवा ड्रोन को संयुक्त रूप से विकसित करने के लिये एक परियोजना समझौते (PA) पर हस्ताक्षर किये हैं।
  7. अक्तूबर 2021 में रक्षा मंत्रालय ने विदेशी सैन्य बिक्री के तहत भारतीय नौसेना के लिये MK 54 टॉरपीडो और एक्सपेंडेबल खरीद हेतु अमेरिकी सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।

भारत तथा अमेरिका के बीच  रक्षा समझौते

BECA (Basic Exchange and Cooperation Agreement )

भू-स्थानिक खुफिया जानकारी और रक्षा हेतु मानचित्रों एवं उपग्रह छवियों की जानकारी साझा करने संबंधित 2020 में सम्पन्न सहयोग समझौता

COMCASA (Communications Compatibility and Security Agreement) यानी संचार संगतता और सुरक्षा समझौता

दो सशस्त्र बलों के हथियार प्लेटफार्मों के बीच संचार की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु 2018 में सम्पन्न समझौता

LEMOA (Logistics Exchange Memorandum of Agreement )

भारत एवं अमेरिकी सेनाओं की एक-दूसरे की सैन्य सुविधाओं तक पहुँच को आसान बनाने हेतु 2016 में सम्पन्न समझौता

GSOMIA (General Security of Military Information Agreement) यानी सैन्य सूचना सामान्य सुरक्षा समझौता

अमेरिका द्वारा साझा की गई सैन्य जानकारी की रक्षा करने हेतु 2002 में सम्पन्न सैन्य सूचना समझौता।


व्यापार एवं निवेश

  1. आर्थिक क्षेत्र में भारत एवं अमेरिका के बीच कई मतभेद है बावजूद इसके पिछले 2 दशकों में आर्थिक क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज हुई है। 
  2. वर्ष 2021-22 में अमेरिका और भारत का द्विपक्षीय व्‍यापार बढ़कर 119.42 अरब डॉलर हो गया ।
  3. अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्‍यापारिक निर्यात गंतव्‍य है जबकि भारत के लिए यह तीसरा सबसे बड़ा आयातक देश है । 
  4. अमेरिका ने 2020-21 के दौरान भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के दूसरे सबसे बड़े स्रोत के रूप में मॉरीशस को पीछे छोड़ दिया।
  5. ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत की विशेष व्यापार स्थिति (India’s Special Trade Status- GSP withdrawal) को समाप्त कर दिया और कई प्रतिबंध भी लगाए, जिसे वर्तमान बाइडेन सरकार ने समाप्त करने हेतु सहमति दी है।
  6. हाल ही में चार वर्ष के अंतराल के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच व्यापार नीति फोरम/मंच (TPF) का आयोजन किया गया जिसमें दोनों देशों ने आर्थिक संबंधों को 'आगामी उच्च स्तर' पर ले जाने का संकल्प लिया और 'संभावित लक्षित टैरिफ कटौती' को लेकर विचारों का आदान-प्रदान किया

 

ऊर्जा क्षेत्र

  1. वर्ष 2008 में अति महत्वपूर्ण भारत अमेरिका परमाणु समझौता हुआ। 
  2. वर्ष 2017 में भारत-अमेरिका के मध्य सामरिक उर्जा भागीदारी हेतु सहमति बनी।
  3. भारत के इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और अमेरिकी कंपनी एक्सॉन मोबिल एल.एन.जी. लिमिटेड के बीच प्राकृतिक गैस के आयात पर सहमति।
  4. न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और वेस्टिंग हॉउस इलेक्ट्रिक कंपनी द्वारा भारत में 6 नए परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना पर सहमति व्यक्त की गयी।
  5. वर्ष 2021 में आयोजित लीडर्स समिट ऑन क्लाइमेटमें यूएस-इंडिया क्लाइमेट एंड क्लीन एनर्जी एजेंडा 2030 पार्टनरशिपके तहतयूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक क्लीन एनर्जी पार्टनरशिप’ (SCEP) को लॉन्च किया गया ताकि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने हेतु मज़बूत द्विपक्षीय सहयोग स्थापित किया जा सके।

 

कोविड में स्वास्थ्य सहयोग

  1. जहां अमेरिका ने कोविड 19 के दौरान भारत को स्वास्थ्य सहायता के तौर पर लगभग 60 लाख डॉलर की सहायता दी है वहीं भारत द्वारा अमेरिका को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवाओं की खेप दी गयी।
  2. वर्ष 2020 में भारत और अमेरिका ने कोविड-19 हेतु वैक्सीन अनुसंधान और परीक्षण पर एक साथ कार्य करने की योजना बनाई थी।
  3. वर्ष 2021 में कोविड 2.0 के बाद उत्पन्न हालातों में टीकों की आपूर्ति शृंखला के सुचारू क्रियान्वयन तथा महामारी से संबंधित अन्य मुद्दों को हेतु भारत द्वारा [TRIPS] समझौते के मानदंडों में छूट हेतु विश्व व्यापार संगठन में प्रस्ताव पर अमेरिका द्वारा सहयोग का आवश्वासन दिया गया।

 

अन्य क्षेत्र

  1. 2014 में भारत-अमेरिका द्वारा  'चलें साथ-साथ' विजन दस्तावेज जारी किया गया था जिसमें आतंकवाद, सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक विकास, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद्, परमाणु निःशस्त्रीकरण जैसे मुद्दों पर एक-दूसरे के सहयोग की बात की गई थी।
  2. जो बाइडेन द्वारा पूर्व में अमेरिका के उपराष्ट्रपति के रूप में भारत के साथ रणनीतिक संबंधों को मजबूती देने हेतु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता हेतु समर्थन किया गया।
  3. जलवायु परिवर्तन एवं आतंकवाद जैसे मुद्दों पर भी दोनों देशों सहयोग है। हांलाकि ट्रंप शासन के समय अमेरिका पेरिस जलवायु समझौते से अलग हो गया लेकिन बाइडेन के आने के बाद अमेरिका पुनः इस समझौते में शामिल हुआ। 
  4. नासा एवं इसरो संयुक्त रूप से NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार यानी NISAR नामक एक संयुक्त माइक्रोवेव रिमोट सेंसिंग उपग्रह को विकसित करने हेतु कार्य कर रहे हैं।
  5. अमेरिका में भारतीय डायस्पोरा की उपस्थिति बढ़ रही है। अमेरिका की वर्तमान उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस के अलावा अमेरिकी प्रशासन में भारतीय मूल के अनेक लोग नेतृत्वकारी पदों पर आसीन हैं।

 

भारत तथा अमेरिका संबंध की संभावनाएं

अमेरिका के नए राष्ट्रपति के रूप में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जोसेफ रॉबिनेट बाइडेन के निर्वाचित होने के बाद भारत अमेरिका संबंध को नए दिशा मिलेगी। बाइडेन पूर्व में भी अमेरिका के उपराष्ट्रपति के रूप में भारत के साथ संबंधों को मजबूती देने की दिशा में कई मोर्चे पर समर्थन कर चुके हैं।

वर्ष 2009 से 2017 तक जो बाइडेन अमेरिका के उपराष्ट्रपति के रूप कार्यरत रहे। 2008 के बीच उन्होंने भारत-अमेरिका सिविल न्यूक्लियर डील के पास होने में बड़ी भूमिका निभाई थी। वर्तमान में बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद ऐसी संभावना है कि भारत अमेरिका संबंधों में व्यापार, रक्षा, जलवायु परिवर्तन इत्यादि क्षेत्रों में दोनों देशों में जो बाधाएं है उनको दूर करने का प्रयास किया जाएगा। 

H1वीजा मामला

ट्रंप के समय 'अमेरिका प्रथम' नीति के कारण वीजा व्यवस्था में बदलाव से भारत को नुकसान हुआ। यह माना जा रहा है कि बाइडेन प्रशासन द्वारा प्रवासियों और श्रमिकों के हित में कदम उठाए जाएगें।

GSP (Generalized System of Preferences)

अमेरिका द्वारा भारत को इस व्यवस्था से निकाल जाने पर बाइडेन प्रशासन द्वारा इस पर पुनर्विचार किया जा रहा है। GPS अमेरिका का एक व्यापार कार्यक्रम है जिसके तहत विकासशील देशों में आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने हेतु कुछ उत्पादों को वरीयता देते हुए शुल्क मुक्त प्रवेश की अनुमति दी जाती है।

प्रत्यक्ष तदर्थवाद

ट्रंप प्रशासन द्वारा प्रत्यक्ष तदर्थवाद के विपरित विश्व में एकल नियम आधारित व्यापारी प्रणाली अपनाए जाने के संबंध में बाइडेन प्रशासन द्वारा नए सिरे से विचार किया जा रहा है। इसी क्रम में 'अमेरिका प्रथम' नीति के तहत उपजे संरक्षणवादी प्रवृत्ति में भी बदलाव आने की संभावना है।

पेरिस जलवायु समझौता

ट्रंप शासन के समय अमेरिका पेरिस जलवायु समझौते से अलग हो गया लेकिन बाइडेन के आने के बाद अमेरिका ने पुनः इस समझौते में शामिल हुआ। 

डेटा स्थानीयकरण

ट्रंप शासन के समय डेटा स्थानीयकरण का मुद्दा भी चर्चा में रहा जिसे बाइडेन प्रशासन द्वारा व्यावहारिक रूप देने की संभावना है।

चीन के साथ संबंध

चीन के साथ अमेरिका के संबंधों में कोई विशेष बदलाव नहीं आने की संभावना है इसलिए संभावना है कि पूर्व की तरह अमेरिका के लिए भारत और चीन दोनों के साथ एकसमान दृषटिकोण से संबंधों को बढ़ाया जाएगा।

ईरान पर प्रतिबंध

ट्रंप के शासन के समय अमेरिका द्वारा 2018 में ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद भारत की ईरान से तेल आपूर्ति बधित हुई। इसी क्रम में चाबहार बंदरगाह परियोजना समेत कई अन्य क्षेत्रों में संबंध प्रभावित हुए। अमेरिका तथा ईरान के संबंधों के सामान्य होने तथा प्रतिबंधों के हटने से भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।

 

भारत अमेरिका के मध्य आर्थिक विवाद

  अमेरिका द्वारा भारत पर यह आरोप लगाया जाता है कि भारत अनेक प्रकार के प्रतिबंधों के माध्यम से अपने बाजार में अमेरिकी वस्तुओं की पहुंच को सीमित करने का प्रयास कर रहा है।

  2019 में अमेरिका द्वारा भारत को विकासशील देश की श्रेणी से हटा दिया गया। इसके कारण भारत को Generalized System of Preferences/GPS के तहत दी जानेवाली कस्टम शुल्क की रियायतें समाप्त हो गयी और भारतीय वस्तु अमेरिका में मंहगी हो गयी।

  डेटा लोकलाइजेशन पॉलिसी- विदेशी ई-कामर्स कंपनियां जैसे अमेजन, वीसा आदि के द्वारा भारतीय नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा को विदेशों में रखा जाता है। भारत सरकार ने इन डेटाओं के दूरूपयोग को ध्यान में रखते हुए इन डेटाओं को भारत में ही रखने की नीति की घोषणा की जिसका विरोध अमेरिका द्वारा किया गया तथा इस पर विवाद बना हुआ है।

  

भारत तथा अमेरिका संबंध में चुनौतियाँ

  1. अमेरिका के चीन तथा रूस के संबंधों से भारत के रूस एवं चीन से संबंधों में आनेवाले तनाव।
  2. ईरान के साथ अमेरिकी संबंधों की छाया से भारत ईरान रिश्ते पर प्रभाव।
  3. पाकिस्तान के संदर्भ में भी अमेरिका और भारत के दृष्टिकोण में काफी भिन्नताएं हैं। 
  4. अमेरिका पर सैन्य निर्भरता अमेरिका के एकाधिकार को बढ़ावा दे सकता है।
  5. अंतराष्ट्रीय संगठनों एवं पर्यावरण के प्रति अमेरिका  की उदासीनता।
  6. अमेरिका द्वारा सेवा क्षेत्र में संरक्षणवाद की नीति ।
  7. कृषि उत्पादों, व्यापार सब्सिडी और कुछ उत्पादों के आयात शुल्क पर द्विपक्षीय व्यापारिक मतभेद।
  8. अफगानिस्तान में प्रॉक्सी वार की संभावना ।
  9. भारत की गुटनिरपेक्षता एवं स्वतंत्र कूटनीति।

अमेरिका तथा भारत के मध्य कुछ व्यापरिक विवादों को छोड़कर वर्तमान में दोनों देशों में कोई टकराव नहीं है। वर्तमान संदर्भ में वैश्विक महामारी के बीच भारत-अमेरिका संबंध में ओर मजबूती आयी है। कोविड के विरुद्ध टीका तैयार करने से लेकर हिंद-प्रशांत की सुरक्षा तक दोनों देशों ने रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाने के लिए मिलकर काम किया है।

इसके अलावा दोनों देशों द्वारा सामरिक ऊर्जा साझेदारी तथा द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने हेतु भी महतवपूर्ण कदम उठाए गए। हांलाकि अंतराष्ट्रीय सम्बन्धो में ना कोई स्थायी मित्र होता है और ना ही कोई स्थायी शत्रु बल्कि ये सम्बन्ध राष्ट्रीय हितों से जुड़े होते हैं। अतः भारत को भी इस बात को ध्यान में रखते हुए एक परिपक्व देश की होने के नाते स्वतंत्र कूटनीति का अनुसरण करना चाहिए।


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