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Aug 12, 2022

इंटरनेट का महत्‍व तथा बिहार में डिजीटाइजेशन

 इंटरनेट का महत्‍व तथा बिहार में डिजीटाइजेशन 

वर्तमान में इंटरनेट अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं विचार प्रकट करने के साथ साथ अन्य मूलभूत मानवाधिकारों तक पहुंच स्थापित करने का एक सशक्त माध्यम बन गया है। इंटरनेट तक पहुँच का अधिकार मौलिक अधिकार माना गया है । उल्लेखनीय है कि इंटरनेट तक पहुँच के अधिकार को मौलिक अधिकार का दर्जा देने से अन्य अधिकारों जैसे शिक्षा का अधिकार,विकास का अधिकार, शांतिपूर्ण सम्मेलन का अधिकार, निजता का अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार आदि को सहारा मिलेगा तथा डिजिटल विभाजन को कम करने में भी मदद मिलेगी।

इंटरनेट के महत्व को बताते हुए उच्चतम न्यायालय ने अपने एक निर्णय में स्पष्ट किया कि इंटरनेट का निलंबन स्वीकृति योग्य नहीं है और इसे केवल एक उचित अवधि के लिए ही प्रतिबंधित किया जा सकता है तथा इसकी आवधिक समीक्षा भी की जानी चाहिए। 

 

F संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2016 में इंटरनेट तक पहुँच के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता देने की घोषणा करते हुए कहा था कि इंटरनेट से लोगों को पृथक करना मानवाधिकारों का उल्लंघन और अंतर्राष्ट्रीय कानून के खिलाफ है।

F उल्लेखनीय है कि इंटरनेट की महत्ता को समझते हुए ही संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने एक गैर बाध्यकारी प्रस्ताव द्वारा इंटरनेट तक पहुंच को एक प्रभावी मानवाधिकार के रूप में घोषित किया गया।

F इंटरनेट तक पहुंच को सतत विकास लक्ष्य-9 में भी स्थान दिया गया है जो सूचना और संचार प्रौद्योगिकी तक पहुंच में वृद्धि को लक्षित करता है।

F साबू मैथ्यू जार्ज बनाम भारत संघ वाद में उच्चतम न्यायालय ने यह घोषणा की थी कि इंटरनेट तक पहुंच का अधिकार एक आधारभूत मूल अधिकार है जिसे कुछ मामलों के अलावा किसी भी स्थिति में कम या संक्षिप्त नहीं किया जा सकता।

F वर्ष 2019 में फहीमा शिरिन बनाम केरल राज्य के मामले में केरल उच्च न्यायालय द्वारा संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आने वाले निजता के अधिकार और शिक्षा के अधिकार का एक हिस्सा बनाते हुए इंटरनेट तक पहुँच के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया है।


इंटरनेट का महत्त्व

  1. इंटरनेट संचार का एक महत्वपूर्ण साधन है जिसने संचार को आसान और सुविधाजनक बनाया है।
  2. इंटरनेट के माध्यम से सूचना क्रांति आयी और कोई भी जानकारी, सूचना तक मिनटों में पहुंच ।
  3. ग्रामीण, दूर-दराज़ क्षेत्रों में विद्यार्थियों तक शिक्षा एवं ज्ञान की पहुंच।
  4. सूचनाओं की आसान पहुँच तथा आदान-प्रदान से आम लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हुए।
  5. ऑनलाइन सेवाओं की सेवा लागत में कमी एवं सेवा गुणवत्ता में सुधार आया।
  6. राजनीति एवं लोकतंत्रांत्रिक प्रक्रियाओं में नागरिकों की भागीदारी को बढ़ाने में भी मददगार।
  7. शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के अवसर प्रदान करने के सरकार के प्रयासों को बढ़ावा ।
  8. सरकार, संस्थाओं की जवाबदेही और पारदर्शिता में वृद्धि।
  9. सरकारी योजनाओं के सफल कार्यान्वयन तथा सही लाभार्थी तक पहुंच में सहायक ।
  10. कोरोना महामारी के काल में स्वास्थ्य सुविधाओं, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति, निगरानी, महामारी से बचाव एवं जागरुकता, महामारी नियंत्रण में विभागों, संस्थाओं के मध्य समन्वय इत्यादि अनेक कार्यों में इंटरनेट ने महतवपूर्ण भूमिका निभायी है।

 

वर्तमान युग में इंटरनेट का महत्व

 

  1. डिजिटलीकरण के दौर में इंटरनेट संचार और सूचना प्राप्ति का न केवल एक महत्त्वपूर्ण साधन है बल्कि आज यह सभी की ज़रूरत बन गया है। 
  2. कोविड महामारी के वैश्विक संकट में डिजिटल माध्यम विभिन्न रूपों जैसे- एप, सोशल साइट, हेल्पलाईन के द्वारा लाखों लोगों तक मदद पहुंचायी गयी ।
  3. महामारी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग, जागरुकता संदेश, सेवाओं तक पहुंच, सूचनाओं का प्रसार, प्रशासनिक आदेश आदि को डिजिटल माध्यम से ही लोगों तक पहुंचाया गया।
  4. इस दौरान लोगों तक प्रशासनिक एवं आर्थिक मदद, खाद्य सामग्री पहुँचाने, ऑनलाईन शिक्षा, सेवाओं की पहुंच जैसे कार्य डिजिटल माध्यम के द्वारा किया गया।
  5. इंटरनेट तथा डिजिटल साक्षरता के महत्त्व को देखते हुए ही न्यायालय ने इंटरनेट तक पहुँच के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया।


शिक्षा में इंटरनेट की भूमिका

  1. इंटरनेट के माध्यम से दूर-दराज़ के क्षेत्रों में विद्यार्थियों तक बेहतर शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करने में।
  2. गूगल के माध्यम से विभिन्न प्रकार की जानकारी प्राप्त करना इंटरनेट के कारण ही संभव है।
  3. इंटरनेट पर लगभग सभी विषयों से संबंधित ज्ञान उपलब्ध है जिसे अपनी आवश्यकतानुसार कभी देखा जा सकता है।
  4. इंटरनेट ने शिक्षा तक आसान पहुंच, लागत में भी कमी तथा गुणवत्ता में सुधार लाने का प्रयास किया है।
  5. ऑडियो, वीडियो, ग्राफीक्स इत्यादि के माध्यम से शिक्षा को रूचिकर तथा सुग्राही बनाने का कार्य इंटरनेट द्वारा किया गया।
  6. इंटरनेट ने शिक्षक और विद्यार्थियों के मध्य संचार को सुगम बनाने का कार्य भी किया है।
  7. कोरोना महामारी के दौरान शिक्षा को सतत रूप से जारी रखने में भी इंटरनेट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।

 

बिहार में डिजीटलीकरण

  1. डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और अर्थव्यवस्था के अनौपचारिक से औपचरिक में रूपांतरण हेतु केंद्र सरकार के साथ कदम से कदम मिला कर कार्य कर रही है। बिहार सरकार ने सभी क्षेत्रों और विभागों में ई-शासन के बेहतर क्रियान्वयन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिसूचना के सुदृढ़ीकरण के लिए अनेक कदम उठाए हैं।  
  2. सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की मदद से ई-शासन सरकारी प्रक्रिया में तेजी लाने, तेजी से निर्णय लेने पारदर्शिता बढ़ाने और उत्तरदायित्व लागू करने में सहयोग करती है।
  3. बिहार में इंटरनेट ग्राहकों की वृद्धि दर शहरी क्षेत्र की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा है जो ग्रामीण क्षेत्रों में -शासन के गुणवत्तापूर्ण क्रियान्वयन हेतु प्रमुख भूमिका निभा सकती है।

 

बिहार में सूचना प्रौद्योगिकी अवसंरचना  

बिहार ने सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज की है  जिसे निम्न प्रकार से समझा जा सकता है-

  1. सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा पूरे राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी सक्षमित सेवा क्षेत्र के तहत 121 कौशल विकास केंद्रों के जरिए राज्य के युवाओं को अलग अलग पाठ्यक्रम के लिए तकनीकी कौशल प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहा है
  2. राज्य सरकार के सात निश्चय, भाग में से एक निश्चय के तहत राज्य द्वारा संचालित सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के दक्षतापूर्वक काम करने में मदद के लिए मुफ्त वाईफाई उपलब्ध कराए गए हैं।
  3. बिहार में वर्तमान में 12 विभागों और 23 सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा एवं ई ऑफिस का उपयोग किया जा रहा है।
  4. बिहार में सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिसंरचना के लिए नेक्स्ट जेन विस्वानसैक्लैन 2.0, नॉलेज सिटी, राज्य आंकड़ा केंद्र आदि योजनाओं का क्रियान्वयन किया है।
  5. सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने बिहार में आइटी टावरआईटी पार्कआइटी सिटी के विकास की योजना बनायी है।
  6. राज्य सरकार की सारी सेवाओं को एक ही पोर्टल पर उपलब्ध कराने हेतु सेवा प्लस लाया गया है । लोक सेवा अधिकार अधिनियम के तहत विभिन्न विभागों की कुल 35 सेवाएं उपलब्ध करायी जाती है और प्रतिदिन 1.4  लाख आवेदनों का निराकरण होता है 

डिजीटल अवसंरचना से बिहार को लाभ

  1. बेहतर सूचना प्रौद्योगिकी अवसंरचना के फलस्वरूप कोविड-19 महामारी के दौरान लाभार्थियों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई गई।
  2. सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी अवसंरचना की व्यापक उपस्थिति के कारण ही महामारी के दौरान घर से काम, दूरस्थ शिक्षा-बैंकिंग और ई-शासन जैसे कार्य बिहार राज्य में संभव हो पाया।
  3. राज्य सरकार के हालिया वर्षों के प्रयासों एवं नवचारों के फलस्वरुप डिजिटल इंडिया अवार्ड 2020” बिहार को हासिल हुआ।
  4. डिजिटल समावेशन से राज्य के किसान अब नियमित रूप से वेब किओस्क पहुंचकर आसानी से मौसम के पूर्वानुमानकृषि संबंधी आंकड़ेकृषि उत्पादों के बाजार मूल्य का नियमित अपडेट,  ग्रामीण विकास तथा कृषि संबंधी योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।


भारत में डिजिटलीकरण के समक्ष चुनौतियाँ

(बिहार के संदर्भ में भी डिजिटलीकरण के समक्ष लगभग इसी प्रकार की चुनौतियां है हांलाकि कुछ आंकड़ों में बदलाव कर उत्‍तर लिखा जा सकता है, आनेवाले दिनों में बिहार के संदर्भ में चुनौतियों को आंकड़ों के साथ अपडेट किया जाएगा ।)

सीमित उपलब्धता

NSSO के शिक्षा पर किये गए सर्वे से प्राप्त आँकड़ों के अनुसार, भारत में केवल 27% परिवार ही ऐसे हैं जहाँ किसी एक सदस्य के पास इंटरनेट सुविधा उपलब्ध है। भारत में केवल 12.5 प्रतिशत छात्र ऐसे हैं जिनके पास इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है।

डिजिटल साक्षरता

कई निजी और सरकारी सेवाओं को डिजिटल रूप प्रदान किया गया है । भारत में कई लोग ऐसे हैं जो डिजिटली निरक्षर हैं, अथार्त उनके पास इंटरनेट के उपयोग का ज्ञान नहीं है। इस कारण समय पर प्रासंगिक जानकारी और सेवाएं उन तक नहीं पहुंच पाती। 2016 के में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में डिजिटल साक्षरता की दर 10% से भी कम है।

व्यक्ति और समुदायों द्वारा आम जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में सार्थक कार्यों के लिए डिजिटल प्रोद्योगिकी का उपयोग करने की क्षमता डिजिटल साक्षरताकहा जाता है ।  

भारत में व्यापार-वाणिज्य, प्रशासनिक, वित्तीय, शैक्षणिक क्षेत्रों में डिजीटलाईजेशन के कारण ऑनलाइन सेवाओं एवं जानकारियों का दायरा व्यापक होता जा रहा है ।भारत में इंटरनेट उपयोगकर्त्ता की भारी संख्या भारत के व्यापक इंटरनेट आधार को दर्शाते हैं।

इंटरनेट तक पहुंच

कई मोबाईल उपयोगकर्त्ता के पास इंटरनेट कनेक्टिविटी का अभाव है इस कारण वे पूर्ण रूप से डिजिटली नहीं है जो डिजिटलीकरण के समक्ष एक बड़ी समस्या है।

अवसंरचना

कई क्षेत्रों में अवसंरचना की कमी, गुणवत्तापूर्ण सेवा आदि डिजिटलीकरण के प्रसार के समक्ष एक अन्य सबसे बड़ी चुनौती भी है

शहरी क्षेत्रों में केन्द्रित

भारत में अधिकांश इंटरनेट उपयोगकर्त्ता शहरी क्षेत्रों में हैं जहां लगभग 31% आबादी निवास करती है शेष जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है जहां इंटरनेट की उपलब्धता नहीं है और यदि है तो वहां पर सेवाएं गुणवत्तापूर्ण नहीं हैं।

वर्तमान में जिस प्रकार से विश्व का डिजीटलीकरण हो रहा है तथा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इंटरनेट का प्रवेश होता जा रहा है वैसी स्थिति में यह आवश्यक है सभी लोगों तक इंटरनेट की निर्बाध पहुंच भी सुनिश्चत की जाए। यदि डिजीटल डिवाइड की खाई को कम नहीं किया गया तो समाज का वह वर्ग जो इंटरनेट की पहुंच से दूर है वे विकास की धारा में शामिल नहीं हो पाएगें। अतः यह आवश्यक है कि सरकार द्वारा इंटरनेट तक सस्ती एवं समान पहुंच सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक कदम उठाए जाए।

 

बिहार सरकार की  सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की आगामी परियोजनाएं

बिहार ई-सेवा सिस्टम( बिस्वास) 

  1. सूचना प्रौद्योगिकी विभाग बिहार ई-सेवा सिस्टम नामक राज्य का एक एकीकृत पोर्टल विकसित करने की प्रक्रिया में है जिससे शासन की क्षमता बढ़ेगी और सशक्त समाज के निर्माण में मदद मिलेगी।

स्मार्ट कृषि उत्कृष्टता केंद्र

  1. पटना राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT)  केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पटना के साथ मिलकर पटना में स्मार्ट कृषि उत्कृष्टता केंद्र का अनुषंगी केंद्र स्थापित  कर रहा है।
  2. इससे बिहार में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग से कृषि की उत्पादकता सुधार लाने में मदद मिलेगी।

बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान उद्भवन केंद्र

  1. सूचना प्रौद्योगिकी विभाग  द्वारा  आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस,   इंटरनेट ऑफ थिंग्स,  मशीन शिक्षा,  आभासी यथार्थ,  क्लाउड आदि के क्षेत्र में   एक और उद्भवन केंद्र की स्थापना   को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
  2. प्रौद्योगिकी आधारित ये सभी स्टार्टअप  वित्तीय प्रौद्योगिकीकृषि प्रौद्योगिकी,  ई-कॉमर्सऊर्जानिर्माणस्मार्ट सिटीपरिवहन और लॉजिस्टिक जैसे विभिन्न क्षेत्रों में समाधान दे रहे हैं।

सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण एवं कार्यालय

  1. राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान के दो और प्रशिक्षण केंद्र बक्सर और मुजफ्फरपुर में शीघ्र शुरू होने जा रहे हैं ।
  2. भागलपुर और दरभंगा में भारतीय सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क के केंद्र अगले कुछ महीनों में आरंभ हो जाएंगे ।

आईटी टावर,  आईटी पार्क और आईटी सिटी 

  1. पटना के डाकबंगला और बंदर बगीचा में आईटी टावर बनाने का निर्णय लिया है 
  2. बिहटा में एक सूचना प्रौद्योगिकी पार्क के निर्माण पर विचार किया जा रहा है।
  3. राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के समीप आईटी सिटी 1  और 2  के निर्माण के लिए भूमि आवंटन कर दी गई है।

सुरक्षा संचालन केंद्र

  1. यह केंद्रीकृत स्थान है जहां से सूचना सुरक्षा टीमें साइबर सुरक्षा संबंधी मामलों का अनुश्रवण,  पहचान,  विश्लेषण  और प्रतिक्रिया का काम करेगी।

व्यवसायिक प्रक्रिया आउटसोर्सिंग  प्रोत्साहन  योजना

  1. राज्य सरकार सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवा कंपनियों को राज्य में व्यवसायिक प्रक्रिया आउटसोर्सिंग शुरू करने में सहयोग देने की योजना पर काम कर रही है
  2. राज्य सरकार की योजना उद्योग 4.0  की सेवा प्रदान करने के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसइंटरनेट ऑफ थिंग्सलॉक चैनबिग डाटा आदि प्रौद्योगिकी का उपयोग करने  की है जिसके फलस्वरूप  कृषि में ब्लॉकचेन आधारित जमीन का खाताभौगोलिक सूचना प्रणाली,  इंटरनेट ऑफ थिंग्स का उपयोगसुरक्षा और निगरानी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डाटा आदि का उपयोग किया जा सके।



66वीं BPSC मुख्य परीक्षा के सफल नोट्स के बाद Bihar Auditor 67th BPSC तथा CDPO मुख्य परीक्षा हेतु केन्द्रीय बजट 2022, केन्द्रीय आर्थिक समीक्षा तथा बिहार बजट 2022 एवं बिहार आर्थिक समीक्षा के साथ साथ अन्य महत्वपूर्ण रिपोर्ट इत्यादि के अद्यतन आकड़ों के साथ उपलब्ध

मुख्य परीक्षा संबंधी नोट्स की विशेषताएं

  1. To the Point  और Updated Notes
  2. सरल, स्पष्ट  एवं बेहतर प्रस्तुतीकरण
  3. प्रासंगिक एवं परीक्षा हेतु उपयोगी सामग्री का समावेश
  4. सरकारी डाटा, सर्वे, सूचकांकों, रिपोर्ट का आवश्यकतानुसार समावेश
  5. आवश्यकतानुसार टेलीग्राम चैनल के माध्यम से इस प्रकार के PDF द्वारा अपडेट एवं महत्वपूर्ण मुद्दों को आपको उपलब्ध कराया जाएगा
  6. रेडिमेट नोट्स होने के कारण समय की बचत एवं रिवीजन हेत उपयोगी
  7. अन्य की अपेक्षा अत्यंत कम मूल्य पर सामग्री उपलब्ध होना।

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